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बीजेपी महाकुंभ:पीएम मोदी ने कहा कांग्रेस 440 से 44 हो गई,आत्ममंथन के लिए तैयार नहीं,पार्टी एक बोझ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को भोपाल में अटल महाकुंभ सभा को संबोधित करेंगे। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र देंगे। इस साल के आखिर में जिन तीन राज्यों में चुनाव हैं, उनमें मध्य प्रदेश भी शामिल है।

इस लिहाज से इस रैली को बेहद अहम माना जा रहा है। पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जयंती के मौके पर भोपाल के जंबूरी मैदान में इस रैली का आयोजन किया जा रहा है। याद दिला दें कि साल 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले भी बीजेपी ने जंबूरी मैदान में कार्यकर्ता महाकुंभ किया था।

बीजेपी जंबूरी मैदान को अपने लिए ‘लकी’ मानती है। इस रैली के लिए बीजेपी ने बड़े स्तर पर तैयारियां की हैं। बीजेपी का दावा है कि पांच से दस लाख कार्यकर्ता इस रैली में पहुंचेगे। जूंबूरी मैदान में 11 विशाल पंडाल बनाए गए हैं जिनमें केंद्र से प्रदेश तक के तमाम बड़े नेताओं की तस्वीर सजी है और बड़ी-बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई गई है। सभा स्थल को देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की याद में ‘अटल महाकुंभ परिसर’ नाम दिया गया है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे भोपाल,बीजेपी के महाकुम्भ में होंगे शामिल

अमित शाह ,राज्यपाल आनंदीबेन,मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की मोदी की अगवानी

 स्टेट हेंगर से जंबूरी मैदान के लिए रवाना हुए पीएम मोदी

केंद्रीय मंत्री उमा भारती भी बीजेपी के कार्यकर्ता महाकुम्भ में शामिल हुई है। उन्होंने अपने बयान में कहा – कल तक मैं असमंजस में थी कि आऊं या नहीं। मैंने शिवराज सिंह चौहान जी से पूछा कि मेरे आने से लाभ होगा या नहीं तब शिवराज जी ने कहा कि आपके आने से लाभ होगा। मैं शिवराज सिंह जी के निमंत्रण पर आयी हूँ।

– मंत्री जयभान सिंह पवैया और माया सिंह भी मौजूद

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह कार्यक्रम में शामिल

– पीएम सिंचाई योजना ने बदली किसानों की किस्मत : शिवराज सिंह चौहान

– प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से दूर हुई बेरोज़गारी : शिवराज सिंह चौहान

– राजनीति को तमाशा मानते है राहुल गाँधी:शिवराज सिंह चौहान

– राहुल गाँधी मानसरोवर की तस्वीरें वायरल करते है विदेश दौरे की क्यों नहीं करते:शिवराज सिंह चौहान

– विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनी भारतीय जनता पार्टी: अमित शाह

–  10 साल के यूपीए के शासन में करोड़ो के घपले हुए :अमित शाह

– मध्यप्रदेश में 10 साल श्रीमान बंटाधार का शासन रहा :अमित शाह

– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सम्बोधन,उत्साह से भरे लाखो लोग मुझे नज़र आ रहे है

– पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार हमारे लिए प्रेरणा : मोदी

– पंडित दीनदयाल उपाध्याय अमर रहे :मोदी

– महापुरुषों का हम पर कर्ज,देश गाँधी ,लोहिया और दीनदयाल को कभी नहीं भूलेगा :नरेंद्र मोदी

-सबका साथ- सबका विकास सिर्फ चुनावी नारा नहीं है बल्कि देश के विकास और सभी को साथ लेकर चलने के लिए एक सोचा समझा मार्ग है.- पीएम मोदी

– हम सबका दायित्व बनता है कि समाज के सभी वर्ग के लोगों के कल्याण के लिए योजनाओं को आगे बढ़ा रहे हैं. हम पिछड़ा जिला, ब्लॉक, गांव और पिछड़े परिवार को आगे लाने के लिए काम कर रहे हैं.- पीएम मोदी

– जो पार्टी 125 साल से भी बड़ी हो, जिस पार्टी के पास सैकड़ों रिटायर्ड कैबिनेट मंत्री हो, अनेकों पूर्व सांसद, विधायक, गवर्नर हो. उस पार्टी को ऐसा क्या हुआ कि उस पार्टी को खोजना पड़ रहा है- पीएम मोदी

– शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने मध्य प्रदेश में विकास की गति प्रदान की है। आज हर रैकिंग में मध्य प्रदेश का नंबर वन है – पीएम मोदी

– कांग्रेस को यह बर्दाश्त नहीं कि कोई चायवाला प्रधानमंत्री बने. उन्हें यह पद खुद का लगता है. वो गरीब के बेटे को इस पद पर स्वीकार नहीं कर सकते.- पीएम मोदी

– हम धनबल से चुनाव नहीं लड़ते, हम जनबल से चुनाव लड़ते हैं। हमारा मंत्र है- मेरा बूथ- सबसे मजबूतः पीएम मोदी

-यह पहला चुनाव है जब इस भूमि पर पैदा हुए अटल बिहारी वाजपेयी नहीं है- पीएम मोदी

शिवराज सिंह चौहान की सवर्णों को मनाने की कोशिश,एट्रोसिटी एक्ट को लेकर दिया बड़ा बयान

एट्रोसिटी एक्ट को लेकर सामान्य वर्ग द्वारा किए जा रहे चौतरफा विरोध के आगे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान घुटने टेकते नजर आ रहे हैं। उन्होंने गुरुवार को बालाघाट में ऐलान किया कि वह मध्य प्रदेश में इस एक्ट का दुरुपयोग नही होने देंगे। इस एक्ट के तहत आने वाली शिकायतों की जांच के बाद ही कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने साथ में यह भी कहा कि कानून में बदलाव नहीं होगा। शिवराज का यह बयान सवर्णों के बढ़ते गुस्से को रोकने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

प्रदेश भर में है सवर्णों का विरोध प्रदर्शन

इस समय पूरे प्रदेश में सामान्य वर्ग के लोग बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं का विरोध कर रहे हैं। बुधवार को जहां इंदौर में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के घर पर विरोध प्रदर्शन हुआ वहीं ग्वालियर में सांसद अनूप मिश्रा को भी घेर कर काले झंडे दिखाए गए। इससे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के अलाबा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर को भी काले झंडे दिखाए जा चुके हैं। विरोध की स्थिति यह है कि शिवराज के कई मंत्री अपने इलाकों में जाने से बच रहे हैं। पिछले सप्ताह भिंड में लोगों ने मंत्री लाल सिंह आर्य को एक कार्यक्रम से लौटने को विवश कर दिया था।

एक्ट के विरोध में सवर्णों ने मंत्री रामपाल सिंह के घर का किया घेराव

भोपाल में गुरुवार को इस एक्ट के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारी शिवराज के करीबी मंत्री रामपाल सिंह के घर में घुस गए। वहां पुलिस ने उनकी जमकर धुनाई कर दी। पुलिसबलों ने तिलकधारी प्रदर्शनकारियों को लात जूतों से पीटा। कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया।

एक्ट के विरोध में शुक्रवार को उज्जैन में एक बड़ा सम्मेलन बुलाया गया। इससे पहले पदोन्नति में आरक्षण का विरोध कर रहे सरकारी कर्मचारियों ने उज्जैन में एक बड़ी रैली की थी।

कांग्रेस और बीजेपी एक ही नाव पर सवार

एट्रोसिटी एक्ट को लेकर सवर्णों की नज़रगी को देखते हुए ये माना जा रहा है कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही एक नाव पर सवार हैं, इसलिए दोनों ही निशाने पर हैं।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की चिंता इसलिए और ज्यादा है, क्योंकि इस एक्ट का विरोध पिछड़े वर्ग द्वारा भी किया जा रहा है।

खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में इसको लेकर खासी नाराजगी है। शिवराज के ‘मध्य प्रदेश में एक्ट का दुरुपयोग नही होने देंगे’ बयान से यह माना जा रहा है कि बीजेपी को इस बात का एहसास हो गया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में फेरबदल का फैसला उसे भारी पड़ सकता है। इसी बजह से वह डैमेज कंट्रोल की कोशिश कर रही है।

मध्यप्रदेश में बसपा उम्मीदवारों की पहली सूची: कांग्रेस की महागठबंधन बनाने की कोशिशों को मायावती का झटका

mayavati, bsp

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा भाजपा के खिलाफ महागठबंधन बनाने की कोशिशों को बसपा प्रमुख मायावती ने जबरदस्त झटका दिया है। मायावती ने मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए अपने 22 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है। इस सूची में चार में से तीन मौजूदा विधायकों के नाम हैं। बसपा की पहली सूची जारी होने के बाद यह माना जा रहा है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस से गठबंधन की संभावनाएं खत्म हो गईं हैं। वहीं मायावती ने छत्तीसगढ़ में अजित जोगी की पार्टी के साथ गठबंधन करने की घोषणा कर दी है। वहां भी कांग्रेस से समझौता नहीं किया है।

अजित जोगी ने नब्बे में से 35 सीटें मायावती के लिए छोड़ दी हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ, बसपा से समझौता करने के संकेत लगातार दे रहे थे। बसपा के बाद अब निगाह समाजवादी पार्टी पर टिकी हुईं हैं। राज्य की उत्तरप्रदेश से लगी हुए विधानसभा क्षेत्रों में बसपा और सपा का असर है।

मायावती की शर्तों पर समझौते के लिए तैयार नहीं हुई कांग्रेस

मध्यप्रदेश में कांग्रेस समझौते में शामिल होने वाले दलों के लिए सिर्फ तीस सीटें देने को तैयार थी। राज्य में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं। कांग्रेस तीन दलों से गठबंधन की बात कर रही थी। बसपा एवं सपा के अलावा गोड़वाना गणतंत्र पार्टी से भी समझौते की बात चल रही थी।

कांग्रेस इन तीनों दलों को उसकी क्षमता के आधार पर सीटें छोड़ने को तैयार थी। मायावती अकेले अपने लिए पचास से अधिक सीटें मांग रहीं थीं। अखिलेश यादव और गोंडवाना गंणतंत्र पार्टी की मांग भी इतनी ही सीटों की थी। कांग्रेस सौ सीटें समझौते में देकर यह संदेश नहीं देना चाहती कि राज्य में उसकी स्थिति अकेले सरकार बनाने की नहीं है। राज्य में इन दिनों एट्रोसिटी एक्ट के खिलाफ सवर्ण सड़कों पर उतरकर आंदोलन कर रहा है।

सवर्णों की नाराजगी से भाजपा को नुकसान होने की संभावना ज्यादा प्रकट की जा रही है। लेकिन, इस बात पर अभी भी संदेह है कि सवर्णों का वोट कांग्रेस के पक्ष में जाएगा। राज्य में कोई ऐसा तीसरा दल नहीं है जो अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में हो। कांग्रेस के रणनीतिकारों का यह भी मानना रहा है कि मौजूदा हालात में बसपा से समझौता न करने से ही सवर्ण मतदाता कांग्रेस के पक्ष में आ सकता है। राज्य में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित कुल सीटों की संख्या 35 है। इनमें से सिर्फ चार सीटें कांग्रेस के पास हैं। भाजपा के पास 28 सीटें हैं। इन सीटों पर सवर्ण कांग्रेस और बसपा में से जिस भी दल के पक्ष में मतदान करेंगे,उसे लाभ हो सकता है। संभावना यह भी प्रकट की जा रही है कि राज्य में अनुसूचित जाति वर्ग का मतदाता इस बार भाजपा को हराने के लिए वोट करेंगे। ऐसी स्थिति में वह बसपा के बजाए कांग्रेस के पक्ष में जा सकता है। राज्य में बसपा का वोट शेयर सात प्रतिशत से अधिक है। पिछले दो चुनाव का ट्रेंड बसपा के घटते जनाधार की ओर इशारा करता है।

बीएसपी द्वारा घोषित की गई 22 उम्मीदवारों की सूचि

22 उम्मीदवारों की सूचि

राहुल गांधी 27 सितंबर से सतना और रीवा दौरे पर, करेंगे चित्रकूट में कामतानाथ जी के दर्शन

मध्य प्रदेश में भोपाल से चुनावी शंखनाद करने के ठीक 8 दिन बाद राहुल गांधी दो दिन के सतना और रीवा के दौरे पर रहेंगे। यहां वे अपने दौरे की शुरुआत चित्रकूट में विश्वप्रसिद्ध कामतानाथ मंदिर में भगवान श्रीराम की पूजन-अर्चना से करेंगे। इस दौरे के दौरान राहुल की नजर यहां की सात जिलों की 30 विधानसभा सीटों पर है। करीब 20 साल पहले ये सभी जिले कांग्रेस का गढ़ माने जाते थे।

कांग्रेस के अनुसार 17 सितंबर को भोपाल में रोड शो की सफलता के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी संतुष्ट बताए जा रहे हैं। लहर बनी रहे, इसलिए आनन-फानन में उनका ये दौरा तय किया गया है। दो दिन में इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा। वहां भी राहुल गांधी पार्टी कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद और रोड शो के अलावा पार्टी कार्यकर्ताओं के घर भी जा सकते हैं। पार्टी ने राहुल गांधी का आधिकारिक कार्यक्रम जारी नहीं किया है।

भोपाल से हुई चुनाव अभियान की शुरुआत

प्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार की शुरुआत 17 सितंबर में भोपाल से कर दी है। इसमें राहुल के रोड शो में उमड़ी भीड़ को देखते हुए कांग्रेस उनके दूसरे दौरे को भी सफल बनाने में जुट गई है।

सड़क पर गड्ढे बहुत थे इस कारण बदलना पड़ा जन आशीर्वाद यात्रा का मार्ग

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी जनआशीर्वाद यात्रा के दौरान बार-बार यह बता रहे हैं कि मध्य प्रदेश की सड़कें अमेरिका से भी अच्छी है। वे (शिवराज सिंह चौहान) अपने भाषणों में दिग्विजय सिंह सरकार के दिन भी याद दिला रहे हैं। बता रहे है कि उनके कार्यकाल में गड्ढे में सड़क थी। कुछ इसी तरह की स्थिति खंडवा जिले में सामने आयी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जन आशीर्वाद यात्रा 5 सितंबर को खंडवा जिले में पहुंच रही है।

मुख्यमंत्री की इस यात्रा के दौरान पार्टी में गुटबाजी उभरकर सामने ना आए इसके लिए भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं को काफी कवायद और मशक्कत करना पड़ रही है। खंडवा, भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के प्रभाव वाले क्षेत्र और उंनका निर्वाचन क्षेत्र भी है इस क्षैत्र की की खराब सड़कों के कारण यात्रा के मार्ग मे अनापेक्षित बदलाव करना पड़े हैं। अपनी दो दिवसीय यात्रा में शिवराज सिंह चौहान 3 जिलों का दौरा करेंगे। रथ यात्रा 5 सितंबर को पंधाना विधानसभा क्षेत्र में रहेगी।

यात्रा के संयोजक की सलाह पर बदला मार्ग

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पंधाना यात्रा के कारण सड़कों की मरम्मत का काम तेजी से चल रहा है। 4 साल से पंधाना कस्बे की जर्जर सड़क को सुधारा जा रहा है। कंक्रीट की सड़क पर मिट्टी मिली और डामर के साथ रोड का पेच वर्क किया गया है।

पंधाना विधायक के निवास से मात्र सो मीटर की दूरी पर ही सड़क गड्ढों में तब्दील हो चुकी थी। सड़क के गड्ढों में मिट्टी भरी गई है। स्थिति यह है कि इस सड़क के किनारे अभी भी गड्ढे हैं। मुख्यमंत्री का रथ सड़क से 1 इंच हुई इधर-उधर हुआ तो पलटने का खतरा बना हुआ है। मुख्यमंत्री जन आशीर्वाद यात्रा के सह संयोजक कैलाश पाटीदार ने स्वीकार किया है कि रुस्तमपुर पंधाना को जोड़ने वाला छोटा रूट गड्ढों से भरा हुआ था इस कारण नए रूट को चुना गया। पाटीदार के मुताबिक अधिकारियों ने भी इस मार्ग का निरीक्षण किया था उसके बाद ही मार्ग बदला गया।

2 साल भी नहीं चल पाई थी नई बनाई गई सड़क

क्षेत्र के सांसद नंदकुमार चौहान कुछ माह पहले तक भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे। सरकार में उनकी तूती बोलती थी। इसके बाद भी उनके निर्वाचन क्षेत्र की सड़कों को लेकर लोगों में नाराजगी है।

संभवत इसी नाराजगी के चलते नंदकुमार चौहान ने पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने का फैसला किया था। उन्होंने पद छोड़ते वक्त कहा भी था कि में अपने क्षेत्र पर ध्यान नहीं दे पा रहा हूँ। पंधाना के सभास्थल कृषि उपज मंडी तिराहे से गेस्ट हाउस पौने 2 किलोमीटर है। पंधाना कस्बे की मुख्य सड़क पर लोगों का चलना मुश्किल है। बारिश में हालत और भी खराब हो जाती है। पिछले 4 साल से जनता और गाड़ियां दोनों ही हिचकोले खा रहे हैं। 6 साल पहले यह सड़क बनाई गई थी। 2 साल में ही टूट गई। सड़क 300 किलोग्राम का भार सह सकती है, ऐसा दावा किया गया था। रुस्तमपुर-पंधाना की मार्ग की हालत को देखते हुए जन आशीर्वाद यात्रा को दुल्हार के रास्ते पंधाना कस्बे में लाए जा रहा है।

खंडवा -बुरहानपुर भाजपा में है गुटबाजी,रूठों को मनाने की कवायद

खंडवा एवं बुरहानपुर जिले में घोषित तौर पर भारतीय जनता पार्टी के दो गुट हैं, एक नंदकुमार चौहान का है और दूसरा महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस का है। इसको स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह भी किसी जिले का प्रतिनिधित्व करते हैं। विजय शाह के भी काफी समर्थक हैं। खंडवा जिले की तीनों विधानसभा क्षेत्रों में भारतीय जनता पार्टी की स्थिति संतोषजनक नहीं कही जा सकती।

कार्यकर्ताओं की नाराजगी इतनी ज्यादा है कि लोग सार्वजनिक तौर पर टांग खींचने से नहीं चूकते। संगठन के पदाधिकारियों में सामंजस्य की कमी है और विधायकों का विरोध है। राज्य भाजपा के कई बड़े नेता मुख्यमंत्री की यात्रा से पहले डैमेज कंट्रोल की कवायद कर चुके हैं। जिले के खंडवा पंधाना और मांधाता में मुख्यमंत्री की सभा हैं। तैयारियों के संबंध में हुई बैठक संभाग के यात्रा प्रभारी ने कार्यकर्ताओं को खरगोन जिले का उदाहरण देते हुए बताया था कि वहां महेश्वर के विधायक राजकुमार मेव के खिलाफ CM की सभा में नारेबाजी करने वालों को पार्टी से निलंबित कर दिया है। पार्टी कार्यकर्ताओं पर दबाव बनाए हुए हैं। साम दाम दंड भेद का उपयोग किया जा रहा है।

 

उम्र कैद के 15 सजायाफ्ता कैदी आखिर रात को शिवराज सिंह चौहान के निवास में कैसे पहुंचे

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर सीधी जिले के चुरहट में हुए कथित जानलेवा हमले की घटना के अगले दिन भोपाल सेंट्रल जेल के 15 सजायाफ्ता कैदी श्यामला हिल्स स्थित मुख्यमंत्री निवास तक पहुंच गए। मुख्यमंत्री निवास में जन्माष्टमी का उत्सव चल रहा था। इस उत्सव में कैदियों को प्रस्तुति के लिए जेल से भेजा गया था। राज्य के जेल महानिदेशक संजय चौधरी ने कहा कि कैदियों को मुख्यमंत्री निवास भेजने की जानकारी उन्हें है जो कैदी मुख्यमंत्री निवास भेजे गए थे उनका चाल-चलन और रिकॉर्ड अच्छा है। उन्हें कहीं भेजने के लिए बार-बार लिखित अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती। उन्हें कहीं भी और किसी भी वक्त भेजने के बारे में स्थाई आदेश दिया हुआ है।

कैदियों को कोर्ट पेशी के लिए ही जेल से बाहर लाए जाने का नियम

जेलों में दो तरह के कैदी होते हैं सजायाफ्ता और विचाराधीन, दोनों को ही अलग अलग रखा जाता है। मध्य प्रदेश की भोपाल जेल अतिसंवेदनशील जेलों में एक है। इस जेल में सिमी के आतंकवादी भी बंद हैं। लगभग 2 साल पहले सिमी के आतंकवादी जेल तोड़कर भागने में सफल हो गए थे। बाद में यह पुलिस एनकाउंटर में मार दिए गए थे। जेल मैनुअल के अनुसार कैदियों को सिर्फ पेशी के लिए ही बाहर लाया जाता है अथवा सुरक्षा कारणों से किसी अन्य जेल में शिफ्ट करना हो तो कोर्ट के आदेश पर यह कार्रवाई की जाती है। सामान्यतः सूर्यास्त के बाद सिर्फ उन कैदियों को की आने की इजाजत दी जाती है जो कि शहर के बाहर पेशी पर गए हो। अदालत के आदेश पर जेल भेजे गए नए कैदियों को भी विशेष परिस्थितियों में ही शाम पाँच बजे के बाद रखना स्वीकार किया जाता है।

कैदियों से जेल में मुलाकात का वक्त भी निर्धारित होता है। बाहरी व्यक्तियों को कैदियों से मिलने के लिए जेल प्रशासन की अनुमति लेना होती है। 15 कैदियों के जेल से बाहर मुख्यमंत्री निवास पर भेजे जाने के मामले में जेल मैनुअल के उल्लंघन के आरोप भोपाल जेल के अधीक्षक पर लग रहे है। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि मुख्यमंत्री की जान को खतरा है इस तरह का दावा खुद राज्य के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने किया है।

इसके बाद भी 15 खतरनाक कैदियों को मुख्यमंत्री निवास में भेजा गया। चतुर्वेदी ने कहा कि यदि कोई अप्रिय घटना घट जाती तो गृहमंत्री कांग्रेस पर आरोप लगाने लगते। मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि कैदी अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए मुख्यमंत्री निवास आमंत्रित किए गए थे स्वयं मुख्यमंत्री ने उन्हें न्योता दिया था। मुख्यमंत्री निवास पर कैदियों ने अपनी प्रस्तुति दी।

जन्माष्टमी पर भोपाल जेल के कार्यक्रम में गए थे मुख्यमंत्री

भगवान श्री कृष्ण का जन्म कंस की जेल में हुआ था। इसी कारण से उत्तर भारत की सभी जेलों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। मध्य प्रदेश की जेलों में भी जन्माष्टमी पर कार्यक्रम करने की परंपरा है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 3 सितंबर को भोपाल सेंट्रल जेल में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने अच्छे चाल-चलन वाले सजायाफ्ता कैदियों की सजा में एक माह की छूट देने का ऐलान भी कियाटी था। जेल में कैदियों से कराए जाने वाले काम की दरें भी बढ़ाए जाने की घोषणा मुख्यमंत्री ने की थी। शाम को मुख्यमंत्री निवास पर श्री कृष्ण जन्माष्टमी का कार्यक्रम हुआ। इसमें स्वयं मुख्यमंत्री ने बताया कि भोपाल सेंट्रल जेल के 15 कैदी यहां मौजूद है। मुख्यमंत्री निवास में बतौर मेहमान मौजूद इन कैदियों में कुछ पर हत्या जैसे गंभीर आरोप हैं।

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कांग्रेस लगा रही है अपराध बढ़ने का आरोप

मध्य प्रदेश में कांग्रेस जिन मुद्दों पर चुनाव लड़ रही है उनमें एक राज्य की बिगड़ती कानून एवं व्यवस्था की स्थिति भी है। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ कई बार यह आरोप लगा चुके है कि मध्य प्रदेश अपराधों में पूरे देश में नंबर वन है।

एनसीआरबी के आंकड़ों में भी मध्यप्रदेश में महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं सबसे ज्यादा हो रही है। मध्य प्रदेश के विभिन्न जेलों में महिला अत्याचार के कई आरोपी बंद है। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि सरकार को उन कैदियों के बारे में सारी जानकारी सार्वजनिक करना चाहिए जो कि जन्माष्टमी की रात मुख्यमंत्री निवास में मेहमान के तौर पर शामिल हुए है। श्री गुप्ता ने कहा कि महिला उत्पीड़न के मामले में सजा काट रहे कुछ कैदी भी मुख्यमंत्री निवास के कार्यक्रम में मौजूद थे ऐसी आशंका भी है।

SC/ST एक्ट के विरोध में ग्वालियर,चम्बल संभाग में तनाव,शिवपुरी और भिंड में धारा 144, हथियार जमा करने का आदेश

सवर्ण समाज में एससी/एसटी एक्ट में हुए संशोधन के खिलाफ काफी गुस्सा देखने को मिल रहा है। एससी/एसटी एक्ट के विरोध में मंगलवार को ग्वालियर में बड़ी रैली निकाली जा रही है साथ ही ग्वालियर के फूलबाग मैदान में स्वाभिमान सम्मेलन का भी आयोजन किया जाएगा। इस सम्मेलन में क्षत्रिय महासभा, गुर्जर महासभा और परशुराम सेना भाग लेंगी। इस जनसभा को प्रवचनकार देवकीनंदन ठाकुर संबोधित करेंगे। ग्वालियर में एक्ट में संशोधन कर इसे मूल रूप में बहाल करने के खिलाफ आज ‘भारत बंद’ का ऐलान किया गया है। एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी, कर्मचारी संस्था (सपाक्स) द्वारा यह आंदोलन पूरे राज्य में फैलता जा रहा है, जिससे भाजपा सरकार की नींद उड़ी हुई है।

ग्वालियर में प्रशासन अलर्ट

आंदोलन को देखते हुए ग्वालियर जिले में प्रशासन अलर्ट पर है। जिला प्रशासन ने ग्वालियर जिले में सभी लाइसेंस 11 सितंबर तक के लिए निलंबित कर दिए हैं। इस दौरान कोई भी व्यक्ति हथियार प्रदर्शन नहीं कर सकता। जज, प्रशासनिक अधिकारी, अस्पताल आदि पर यह आदेश लागू नहीं होगा।

शिवपुरी में लागू हुई धारा 144

सवर्ण समाज के आंदोलन के बाद फैली हिंसा को देखते हुए शिवपुरी में धारा 144 लागू कर दी गई है। ताकि किसी भी तरह की हिंसा से बचा जा सके। शिवपुरी जिले में मंगलवार से 7 सितंबर तक धारा 144 लागू रहेगी। इसके अलावा सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक कमेंट्स पर रोक लगा दी गई है। बता दें कि सपाक्स ने 6 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। इस दौरान पूरे शहर में रैली, जुलूस, शोभायात्रा निकाली जाएगी।

सवर्ण समाज का आंदोलन

SC/ST एक्ट पर 2 अप्रैल 2018 को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दलित वर्ग ने इसका खासा विरोध किया था, जिसके चलते ग्वालियर, चंबल और शिवपुरी में काफी हिंसा फैली थी। ऐसे में SC/ST एक्ट में हुए संशोधन के बाद इसे मूल रूप से बहाल करने के फैसले पर सवर्ण समाज भी एकजुट होकर आंदोलन के लिए आगे बढ़ा है।

भीड़ पर भड़कीं भाजपा सांसद, तलवार से काट लो मेरी गर्दन

मध्यप्रदेश में भाजपा सांसद,मंत्रियों को एससी-एसटी एक्ट में संशोधन पर लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा रहा है। ऐसा ही कुछ शहडोल में भाजपा सांसद रीति पाठक के साथ हुआ है। शहडोल में सांसद रीति पाठक का घेराव कर लोगों ने अपना विरोध जताया। लोगों का आरोप था कि संसद में रीति पाठक ने जनता की बात को सही तरीके से नहीं रखा। इसके बाद देखते ही देखते सांसद लोगों पर भड़क गईं और कहने लगीं ‘जाओ तलवार और फर्शा ले आओ और मेरा गला काट लो..।’

मध्यप्रदेश में इन दिनों एससी-एसटी एक्ट को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए और मंत्रियों, सांसद और विधायकों का घेराव कर रहे हैं। इसके चलते अब कई सांसदों और विधायकों ने अपने कार्यक्रम रद्द करने शुरू कर दिए हैं।

यह भी पढ़ें – लोकसभा में एससी/एसटी कानून संशोधन विधेयक, 2018 पारित

क्या मध्यप्रदेश में सवर्ण समाज की नाराजगी के कारण बनेंगे त्रिशुंकु सरकार के हालात

दो माह बाद होने वाले मध्यप्रदेश विधानसभा के आम चुनाव से पहले सवर्ण जिस तरह से आरक्षण के खिलाफ सड़कों पर उतर रहा है, उससे राज्य में त्रिशंकु सरकार बनने के हालात बन रहे हैं। सवर्ण वर्ग की नाराजगी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी से समान रूप से दिखाई दे रही है। सामान्य,पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्ग का संगठन सपाक्स सवर्ण वर्ग की लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है। सपाक्स पहले ही एलान कर चुका है कि वो विधानसभा के आम चुनाव में सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगा।

एससी-एसटी सीटों की रहती है सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका

(मंदसौर में सांसद सुधीर गुप्ता से सवाल करता हुआ सामान्य वर्ग )

राज्य में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं। इनमें 35 सीट अनुसूचित जाति वर्ग तथा 47 सीटें जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में आरक्षित वर्ग की कुल 47 सीटों में से 15 सीट ही कांग्रेस को मिल पाईं थीं। भाजपा 32 सीटें जीतने में सफल रही थी। वही अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित 35 सीटों में से मात्र चार सीट पर ही कांग्रेस जीत पाई थी। कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में आदिवासी कार्ड खेला था। कांतिलाल भूरिया प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे। आदिवासी वर्ग कांग्रेस का परंपरागत वोटर है, यह धारणा भी पिछले चुनाव में टूट गई थी। अनुसूचित जाति वर्ग में भी कांग्रेस की पकड़ कमजोर हुई थी। जबकि वर्ष 2003 में दिग्विजय सिंह की सरकार दलित एजेंडा के कारण ही सरकार से गई थी। दिग्विजय सिंह सरकार के दलित एजेंडा से सवर्ण नाराज थे। इसका खामियाजा कांग्रेस को चुनाव में भुगतना पड़ा था। सवर्णों की नारगी मोल लेने के बाद भी अनुसूचित जाति वर्ग ने चुनाव में कांग्रेस का साथ नहीं दिया था। आरक्षित वर्ग की कुल 82 सीटों पर जो भी राजनीतिक दल अपनी पकड़ बना लेता है, राज्य में सरकार उसी पार्टी की बनती है। पिछले चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 19 सीटें ले पाई थी। 63 सीटें भाजपा के खाते में गईं थीं। राज्य में सरकार बनाने के लिए 116 सीटों की जरूरत होती है। कांग्रेस को मात्र 58 सीटें मिली थीं।

पदोन्नति में आरक्षण से शुरू हुई है सवर्णों की नाराजगी

(अशोकनगर में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का विरोध करते सामान्य वर्ग के लोग )

आमतौर पर मध्यप्रदेश में आरक्षण के खिलाफ सवर्ण एकजुट नहीं होते हैं। लगभग दो वर्ष पूर्व मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण के नियम को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया था। हाईकोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ मध्यप्रदेश की भाजपा सुप्रीम कोर्ट में अपील में चली गई। इसके साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अनुसूचित जाति,जनजाति वर्ग के कर्मचारियों से कहा कि प्रदेश में कोई माई का लाल ऐसा नहीं है, जो पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था को समाप्त करा सके। मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद ही सवर्ण के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने एकजुट होना शुरू कर दिया। सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति में आरक्षण समाप्त करने की लड़ाई सपाक्स द्वारा लड़ी जा रही है। सपाक्स संगठन सामान्य,पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को साथ लेकर बना है। सपाक्स को अनुसूचित जाति,जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी वर्ग के संगठन अजाक्स का जवाब माना जाता है। सपाक्स द्वारा शुरू की लड़ाई में धार उस वक्त आई जब केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम कानून के तहत आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी के लिए कानून में नई धारा जोड़ दी। सुप्रीम कोर्ट ने मूल कानून के इस प्रावधान को निरस्त कर दिया था।

सवर्ण पूछ रहे हैं कि संसद में संशोधन कानून का विरोध क्यों नहीं किया

सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में अनुसूचित जाति,जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के उस प्रावधान को निष्प्रभावी कर दिया था, जिसमें प्राथमिकी दर्ज होने के साथ ही अनवार्य रूप से गिरफ्तारी की जाती थी। इस प्रावधान के निष्प्रभावी होने के बाद सवर्ण वर्ग ने काफी राहत महसूस की थी। अनुसूचित जाति वर्ग ने सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को भाजपा की कथित मनुवादी सोच से जोडकर देखा। दो अप्रैल को भारत बंद किया गया। इस बंद के दौरान राज्य के ग्वालियर -चंबल क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई थी। इस हिंसा के बाद केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार और राज्य की शिवराज सिंह चौहान सरकार दबाव में आ गई। इस दबाव का परिणाम संसद के मानूसन सत्र में दिखाई दिया। संसद में संशोधन विधेयक पारित होने के बाद मध्यप्रदेश में सवर्ण वर्ग का गुस्सा बढ़ गया। इस गुस्से का असर सड़क पर दिखाई दे रहा है। गुरूवार को अशोकनगर में पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का विरोध सवर्ण ने किया। सिंधिया के क्षेत्र में विरोध पहली बार देखने को मिला। गुना में विधायक गोपीलाल जाटव से भी सवर्ण समाज ने पूछा कि वे सवर्ण समाज के हितों का संरक्षण कैसे करेंगे? मंदसौर के सांसद सुधीर गुप्ता का घेराव कर सवर्ण समाज के लोगों ने पूछा कि एससी/एसटी संशोधन विधेयक पर वे चुप क्यों रहे। श्येापुर भारतीय जनता पार्टी के कोषाध्यक्ष ने तो पार्टी की दलित,आदिवासी पोषित नीति के खिलाफ पद से इस्तीफा दे दिया। पार्टी भी छोड़ दी। राज्य में जगह-जगह सवर्णों ने अपने घर के बाहर लिखकर रखा है कि हम सामान्य वर्ग से हैं कृप्या अपना वोट मांगकर शर्मिंदा न करें?

नोटा के उपयोग को लेकर है अलग-अलग राय

अनुसूचित जाति और जनजाति के मामले में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की नीति एक जैसी हो जाने के बाद सामान्य वर्ग किसी अन्य राजनीतिक विकल्प की तलाश कर रहा है। अभी कोई सशक्त विकल्प सामने नहीं है। एक मात्र सपाक्स है, जिसकी राजनीतिक इकाई के अध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी ने सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। सामान्य वर्ग नोटा के उपयोग पर भी विचार कर रहा है। एक वर्ग का यह मानना है कि यदि चुनाव में नोटा का उपयोग किया जाता है तो इससे राजनीतिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं आएगा। राजनीतिक दल इसका भी लाभ उठा लेंगे।

वीवीपैट के कारण मध्यप्रदेश में बढ़ाना पड़ रही है मतदान केन्द्रों की संख्या

देश के अधिकांश राजनीतिक दल बैलट पैपर से चुनाव कराने के पक्ष में हैं। चुनाव आयोग राजनीतिक दलों की मांग को दरकिनार कर वीवीपैट से मतदान कराने पर अड़ा हुआ है। वीवीपैट और ईव्हीएम को लेकर राजनीतिक दल के साथ-साथ आम मतदाता में भी संशय बना रहता है। देश में कुछ ऐसे मामले सामने आ चुके हैं,जिसके कारण वीवीपैट और ईव्हीएम की विश्वसनीयता संदिग्ध हो जाती है। कर्नाटक के चुनाव में एक मामला ऐसा भी सामने आया था, जिसमें मशीन द्वारा बताई जा रही वोटों की संख्या से लगभग आठ पर्चिया वीवीपैट मशीन से कम निकली थीं। वीवीपैट मशीन से वोटिंग कराने पर एक वोटर को पहले की तुलना में ज्यादा टाइम वोट करने में लगेगा। यदि किसी पोलिंग स्टेशन पर शत प्रतिशत मतदान की स्थिति बनती है तो वोटिंग के लिए निर्धारित समय में समय नहीं हो पाएगा। पोलिंग स्टेशन पर एक वोटर को लगभग चालीस सेकेंड का समय वोट डालने में लगेगा। पहले औसत तीस सेकेंड का समय लगता था।


ज्यादा पोलिंग स्टेशन का मतलब ज्यादा स्टाफ और ज्यादा खर्च
वीवीपैट को लेकर चुनाव आयोग हमेशा ही यह दावा करता है कि इसके उपयोग से चुनाव में होने वाले खर्च में कमी आएगी। तीन माह बाद देश के तीन महत्वपूर्ण राज्य मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ एवं राजस्थान में विधानसभा के आम चुनाव होना है। मध्यप्रदेश में विधानसभा के आम चुनाव के लिए कुल 65340 पोलिंग स्टेशन बनाए जा रहे हैं। राज्य की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में कुल 49442791 वोटर हैं। कांगे्रस का आरोप है कि इस ड्राफ्ट में अभी भी बड़ी संख्या में बोगस वोटर हैं। वोटर की संख्या के लिहाज से देखा जाए तो लगभग 756 वोटर पर एक पोलिंग स्टेशन बनाया जा रहा है। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में औसत 864 वोटर पर एक पोलिंग स्टेशन बनाया गया था। वर्ष 2013 के चुनाव में कुल 46609024 वोटर थे। वर्ष 2013 में सबसे ज्यादा 72.13 प्रतिशत मतदान हुआ था। जबकि वर्ष 2008 में 69.78 प्रतिशत वोट डाले गए थे। वर्ष 2008 में 46812 पोलिंग स्टेशन बनाए गए थे। औसत 774 वोटर पर एक पोलिंग स्टेशन। ज्यादा पोलिंग स्टेशन बनाए जाने पर ज्यादा सरकारी अमल चुनाव कराने में लगता है। मध्यप्रदेश में वीवीपैट का उपयोग पहली बार हो रहा है। वोटर को सात सेकेंड का समय यह देखने के लिए मिलेगा कि उसने जिस उम्म्ीदवार के नाम का बटन दबाया है, वोट उसे मिला या नहीं?
वीवीपैट पर एक वोटर लेगा चालीस सेंकेड का वक्त


मध्यप्रदेश में कई पोलिंग स्टेशन ऐसे हैं, जिन पर वोटरों की संख्या बारह सौ से भी ज्यादा है। ऐसे पोलिंग स्टेशनों की पहचान कर वोटरों को नए पोलिंग स्टेशनों पर शिफ्ट करने का काम चल रहा है। दो पोलिंग स्टेशन की लिस्ट के आधार पर तीसरा नया पोलिंग स्टेशन बनाया जा रहा है। वोटिंग का समय सुबह साढ़े सात से शाम पांच बजे तक है। निर्वाचन अधिकारियों के सामने परेशानी यह है कि वह निर्धारित समय में सभी वोटरों से वोटिंग कैसे करा पाएंगे। नई व्यवस्था के बाद वोटिंग में समय ज्यादा लगेगा, लेकिन मतदान का समय पहले जितना ही रखा गया है। वीवीपैट मशीन आ जाने से एक वोटर को वोट करने के लिए कम से कम 40 सेकेंड का समय चाहिए। जबकि ईवीएम से यदि वोट करते तो यह समय अधिकतम 30 सेकेंड माना गया है। इस बार वीवीपैट यानी वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल मशीन में ईवीएम में वोट करने वाले 30 सेकेंड के अलावा 7 सेकेंड में पर्ची निकालने और देखने में लगेंगे। लगभग 40 सेकेंड एक वोट में लग जाएंगे। 1200 वोटरों के लिए सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान के लिए निर्धारित सेकेंड 36 हजार ही मिले रहे हैं। जबकि चाहिए 46 हजार सेकेंड। चुनाव आयोग की कोशिश है कि इस बार अस्सी प्रतिशत से अधिक मतदान हो?
पोलिंग स्टेशन बदलने से होगी वोटरों को परेशानी


बैलेट पेपर के स्थान पर मशीन से वोटिंग कराने में समय की बचत होना चाहिए। लेकिन,समय अधिक लग रहा है। इस कारण बीस हजार से अधिक नए पोलिंग स्टेशन राज्य में बनाए जा रहे हैं। 1200 वोटर से ज्यादा वाले केन्द्रों को दो केन्द्रों में बदला जा रहा है। जिससे वहां मशीनों की संख्या को बढ़ाकर वोटरों का समय बचाया जा सके। एक बड़े मतदान केन्द्र के अधीन आने वाले तीन या चार केन्द्रों पर भी इसी फॉमूले के तहत वोटरों को निर्धारित संख्या में बराबरी से बांटा जा रहा है। इस फार्मूले में लाखों वोटरों के पोलिंग स्टेशन बदल जाएंगे। सालों से जो वोटर एक पोलिंग स्टेशन पर वोट डाल रहा था,संभव है कि उसे नए पोलिंग स्टेशन को तलाश कर जाना पड़े।

क्या सुरेंद्र नाथ सिंह का पत्ता काटना चाहते हैं भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह

मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष राकेश सिंह ने साफ कर दिया है कि पार्टी इस बार अपने किसी भी जिलाध्यक्ष को विधानसभा का टिकट नहीं देगी राकेश सिंह कहते हैं कि संगठन के अध्यक्ष के नाते उनकी जिम्मेदारी पूरे जिले की विधानसभा सीटों पर चुनाव  लड़ाने की है। कोई अध्यक्ष यदि चुनाव लड़ना चाहता है तो उसे पद छोड़ना पड़ेगा। राकेश सिंह ने यह बयान काफी सोच विचार कर दिया होगा। ऐसा ना मानने का कोई कारण सामने नहीं है भारतीय जनता पार्टी में आधा दर्जन से अधिक जिला अध्यक्ष ऐसे हैं जो इस बार विधानसभा का टिकट चाहते हैं।

मुरैना,शिवपुरी,भिंड ,सिंगरौली लगभग सभी जिलों में जिला अध्यक्ष विधायक बनना चाहते है। भोपाल के मध्य क्षेत्र से विधायक सुरेंद्र नाथ सिंह पार्टी के जिला अध्यक्ष भी हैं। जिस दिन उन्हें जिला अध्यक्ष बनाया गया था उस दिन से ही यह माना जा रहा है कि पार्टी सुरेंद्र सिंह को इस बार टिकट नहीं देगी।

अनुमान के आधार पर दावेदार एक साथ पढ़े सोशल मीडिया पर लोकप्रियता परखी जाने के सर्वे होने लगे है। इससे भारतीय जनता पार्टी संगठन के सामने अप्रिय स्थिति निर्मित हुई भारतीय जनता पार्टी के ऐसे कई नेता हैं जो सोशल मीडिया पर अपने जनसंपर्क की तस्वीरें लगातार शेयर कर रहे हैं।