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मप्र में 6 बजे तक 74.61 प्रतिशत मतदान

mp election voting percentage

मध्य प्रदेश 230 विधानसभा सीटों के चुनाव का परिणाम भले ही 11 दिसम्बर को आएगा लेकिन उसकी स्क्रिप्ट आज लिखी जा चुकी है. प्रदेश में 6 बजे तक  लगभग 74. 61 प्रतिशत मतदान हुए हैं. वहीं चुनाव आयोग की माने तो अभी ये आकड़ें एक या दो प्रतिशत और भी बढ़ सकते हैं.

चुनाव में कुल 5,04,95,251 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे. इनमें 2,63,01,300 पुरुष, 2,41,30,390 महिलाएं एवं 1,389 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं.

बदली गई मशीनें

मुख्य निर्वाचन अधिकारी BL कांताराव ने बताया कि प्रदेश में 883 मशीनें ख़राब होने की वजह से बदली गई. इनमें 1545 वीवीपैट बदले गए, 383 कंट्रोल यूनिट और 563 वैलेट पेपर बदले गए हैं।

सत्यव्रत चतुर्वेदी के बागी तेवर, कांग्रेस दिखा सकती है बाहर का रास्ता

राजनीति से संन्यास ले चुके कांग्रेस के कद्दावर नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी बागी तेवर दिखाते नजर आ रहें हैं। खजुराहो से पूर्व सांसद चतुर्वेदी के बयानों को लेकर कांग्रेस उन्हें बाहर का रास्ता दिखा सकती है। सत्यव्रत चतुर्वेदी छतरपुर की राजनगर विधानसभा सीट से अपने बेटे नितिन चतुर्वेदी को टिकट दिलाना चाहते थे, पर वहां से वर्तमान कांग्रेस विधायक वीर विक्रम सिंह उर्फ नाती राजा को फिर से टिकट मिलने की वजह से सत्यव्रत चतुर्वेदी नाराज थे। वहीं बेटे नितिन चतुर्वेदी ने कांग्रेस का साथ छोड़ कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए और राजनगर सीट से ही सपा के बैनर तले चुनावी मैदान में खड़े हैं।

वहीं कांग्रेस में रहते हुए सत्यव्रत चतुर्वेदी अपने बेटे का प्रचार कर रहे हैं, साथ ही कांग्रेस ने उनका नाम स्टार प्रचारक की सूची में डाल दिया, उसी को लेकर सत्यव्रत चतुर्वेदी कांग्रेस पर हमले करते हुए बोले की ‘कांग्रेस ने उनके साथ धोखा किया है। सत्यव्रत चतुर्वेदी कहते हैं कि कांग्रेस ने मुझे सम्मान नहीं दिया। अब जब मैं अपने बेटे का चुनाव प्रचार कर रहा हूं तो मुझे स्टार प्रचारक बना रहे हैं। ये भांग खाए लोग हैं।’

40 दिन 40 साल: कमलनाथ ने किसानों की मौत को लेकर पूछा पंद्रहवां सवाल

40 दिन 40 सवाल

40 दिन 40 साल पूछने की कड़ी में कांग्रेस मध्यप्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने शिवराज सरकार से पंद्रहवां सवाल पूछा है. पंद्रहवें सवाल में कमलनाथ ने पूछा कि, ‘शिवराज जी, किसानों को तो उतार दिया मौत के घाट, अब खेती को क्यों पहुँचा रहे हो आघात ?’

सवाल नंबर पंद्रह –

मध्यप्रदेश में खेती पर संकट के बादल छा रहे हैं ,
मोदी जी अपनी रिपोर्ट में बता रहे हैं ।
शिवराज जी, किसानों को तो उतार दिया मौत के घाट ,
अब खेती को क्यों पहुँचा रहे हो आघात ?

1) मोदी सरकार ने मध्यप्रदेश की खेती पर 24 सितंबर 2018 को एक रिपोर्ट जारी की है। उसके मुताबिक मध्यप्रदेश में 2011 से 15 के बीच किसानों की संख्या 11लाख़ 31 हज़ार ,अर्थात 12.74% बढ़ गई ,और खेती का रकबा 1 लाख़ 66 हज़ार हेक्टेयर कम हो गया ।

2) मप्र में गंभीर संकट यह पैदा हुआ कि 1 हेक्टेयर से कम खेती करने वाले छोटे किसान 24.25 % बढ़ गए और छोटी खेती अर्थात 1 हेक्टेयर से छोटे खेत 23.85% बढ़ गए

3) मप्र में अनुसूचित जाति के बड़े किसान मामा राज में बीते पाँच सालों में 36% कम हो गए और उनकी खेती का रकबा 35 % कम हो गया

4) आदिवासी भाइयों में बड़े किसानों की संख्या 26% कम हो गई और उनकी खेती का रकबा 28% कम हो गया ।

5) मध्यप्रदेश में छोटे और मंझोले किसानों का प्रतिशत बढ़कर 75.57% हो गया,जो बेहद चिंता जनक है ।

6) मध्यप्रदेश में छोटी और मझौली खेती चिंताजनक रूप से 34% से बढ़कर 39% हो गई है, अर्थात किसानों की लागत का बढ़ना और मुनाफ़ा कम होना।

7) मध्यप्रदेश में मार्जिनल किसान के पास एवरेज खेत मात्र 0.49 हेक्टेयर है,जो बेहद चिंताजनक है ।

8)यह तथ्य रोंगटे खड़े कर देने वाला है कि व्यक्तिगत खेती की श्रेणी में मप्र के मार्जिनल किसानों के पास खेती का रकबा मात्र 0.38 हेक्टेयर है और साझा खेती में यह मात्र 0.40 हेक्टेयर है
9)मामा,की किसान पुत्र के रूप में जैसे जैसे ब्रांडिंग हुई,वैसे वैसे खेती और किसान समाप्त होते गए

-40 दिन 40 सवाल-

“मोदी सरकार के मुँह से जानिए,
मामा सरकार की बदहाली का हाल।”

“हार की कगार पर मामा सरकार”

कांग्रेस के पूर्व सांसद और दिग्विजय सिंह के करीबी प्रेमचंद गुड्डू भाजपा में शामिल

senior congress leader premchand guddu join bjp

कांग्रेस के पूर्व सांसद और दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाने वाले प्रेमचंद गुड्डू भाजपा में शामिल हो गए हैं. आज शुक्रवार की शाम दिल्ली स्थित भाजपा कार्यालय में सदस्यता ली. गौर करने वाली बात है कि गुड्डू के सदस्यता लेने के दौरान केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के साथ थावरचंद गहलोत भी मौजूद थे. बता दें कि उज्जैन जिले की घट्टिया सीट से गुड्डू और गहलोत चुनावी मैदान में आमने सामने रहते थे. 

सूत्रों की मानें तो प्रेमचंद गुड्डू कांग्रेस में साइड लाइन होने की वजह से पिछले कई दिनों से परेशान चल रहे थे. इसलिए उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया. प्रेमचंद गुड्डू उज्जैन से सांसद रह चुके हैं इसके बावजूद भी उज्जैन में नियुक्तियों के दौरान उन्हें नजरअंदाज किया गया. सभी पद कमलनाथ के करीबी को दे दिया गया. जिस वजह से गुड्डू काफी नाराज चल रहे थे. हालांकि इस मामले पर दिग्विजय सिंह ने गुड्डू का साथ भी दिया था लेकिन कमलनाथ ने पद देने से इंकार कर दिया. यही कारण है कि गुड्डू और कमलनाथ की बिलकुल नहीं बनती.

कैलाश विजयवर्गीय ने दिलाई सदस्यता

प्रेमचंद गुड्डू के भाजपा में शामिल होने के संकेत भाजपा के राष्‍ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पहले ही दे दिया था. विजयवर्गीय ने एक टीवी चैनल को बताते हुए कहा था कि आज शाम तक बड़ा ‘धमाका’ करने वाले हैं, उनके इस ऐलान से कांग्रेस को झटका लगेगा. बता दें कि कैलाश विजयवर्गीय ने ही गुड्डू को सदस्य्ता दिलाई.

उज्जैन जिले की घट्टिया विधानसभा सीट से लड़ सकते हैं चुनाव

बहरहाल, प्रेमचंद गुड्डू का भाजपा में शामिल होने से इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा है कि उज्जैन जिले की घट्टिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. क्योंकि जैसे ही प्रेमचंद ने भाजपा में शामिल हुए वैसे ही भाजपा मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि, ‘घट्टिया विधानसभा सीट से पहली सूची में उम्मीदवार का नाम त्रुटिवश जारी हो गया है. अभी इस सीट पर उम्मीदवार का निर्णय नहीं हुआ है. अगली सूची में इस विधानसभा क्षेत्र के लिए उम्मीदवार की घोषणा की जाएगी.’

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने जारी की पहली सूची

mp bjp final candidates list

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए आखिरकार भाजपा ने अपने पत्ते खोल दिए हैं. बता दें कि भाजपा ने 177 प्रत्याशियों की अपनी पहली सूची जारी की है. शिवराज सिंह चौहान अपने पुरानी सीट बुधनी से ही लड़ेंगे.

  • देवास से सांसद मनोहर ऊंटवाल आगर से लड़ेंगे चुनाव
  •  मंत्री माया सिंह का टिकट कटा
  • मंदसौर- यशपालसिंह सिसोदिया
  • सुवासरा- राधेश्याम पाटीदार,
  • मनासा- माधव मारू
  • नीमच- दिलीप परिहार
  • जावद- ओमप्रकाश सकलेचा
  • मल्हारगढ़- जगदीश देवड़ा
  • जावरा- राजेन्द्र पांडेयके नाम
  • गरोठ, की घोषणा नहीं।

प्रत्याशियों की सूची

40 दिन 40 सवाल- ‘मामाजी , क्या विदेश यात्राओं में सिर्फ खर्च किया सरकारी कैश ? क्यों नही आया कोई विदेशी निवेश ?’

40 दिन 40 सवाल

40 दिन 40 सवाल पूछने के अभियान को लेकर कांग्रेस मध्यप्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने शिवराज सरकार से तेरहवां सवाल पूछा है। तेरहवें सवाल में कमल नाथ ने पूछा, ‘मामाजी , क्या विदेश यात्राओं में सिर्फ खर्च किया सरकारी कैश ? क्यों नही आया कोई विदेशी निवेश ?’

सवाल नंबर तेरह –

मोदी जी की निगाह से देखिए मामा जी की विदेशी यात्राओं का कमाल,
निवेश में मध्यप्रदेश ठन ठन गोपाल ।
मामाजी , क्या विदेश यात्राओं में सिर्फ खर्च किया सरकारी कैश ?
क्यों नही आया कोई विदेशी निवेश ?

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का शिवराज ब्रांड झूठ ।

12 सालों से शिवराज जी देश विदेश में चमक-धमक के साथ इन्वेस्टर्स मीट कर रहे हैं। कहते हैं कि 40 लाख़ करोड़ रुपए के अनुबंध भी हुए हैं। सच क्या है? सच 23 जुलाई 2018 को लोकसभा में बताया गया।

1.वर्ष 2103-14 में भारत में कुल 24299.33 मिलियन डॉलर का विदेशी निवेश आया।

इसमें से केवल 118.85 मिलियन डॉलर (यानी 0.49%) का निवेश मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ में आया। इतने में से पूरा भी मप्र में नहीं आया।

2.वर्ष 2014-15 में भारत में कुल 30930.50मिलियन डाॅलर का विदेशी निवेश आया। इसमें से केवल 100.13 मिलियन डाॅलर (यानी 0.32%) मप्र और छतीसगढ़ में आया।

3.वर्ष 2015-16 में भारत में कुल 4000000मिलियन डाॅलर का विदेशी निवेश भारत में आया। इसमें से केवल 80.02 मिलियन डाॅलर (यानी 0.20%) मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ में आया।

4.वर्ष 2016-17में भारत में 43478.27मिलियन डाॅलर का विदेशी निवेश भारत में आया।

इसमें से केवल 76.10 मिलियन डाॅलर ही (यानी 0.17%) मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ में आया।

5.वर्ष 2017-18 में भारत में कुल 44856.75 मिलियन डाॅलर का विदेशी निवेश आया। इसमें से केवल 28.16 मिलियन डाॅलर (यानी 0.06%) मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ में आया।

शिवराज जी, सरकारी खज़ाने से विदेश यात्रायें करने के बाद भी कोई निवेश करने क्यों नहीं आया?
क्योंकि निवेशक शिवराज सरकार के भ्रष्टाचार से भयभीत रहे।

शिवराज ब्राँड झूठ
सबसे ज्यादा विदेशी निवेश कर्नाटक, तमिलनाडु, आँध्रप्रदेश में आया, जहाँ भाजपा की सरकारें नहीं हैं।

40 दिन 40 सवाल-
“मोदी सरकार के मुँह से जानिए,

मामा सरकार की बदहाली का हाल।”

कैलाश की निगाहें इंदौर लोकसभा पर तो कई दिग्गज हार के डर से हट रहे हैं पीछे

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मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय अपने दोनों हाथों में लड्डू रखने की रणनीति पर चल रहे हैं। विजयवर्गीय की निगाहें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव पर लगी है। विजयवर्गीय इंदौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। अभी लोकसभा अध्यक्ष इस क्षेत्र से सांसद हैं। सुमित्रा महाजन अपनी राजनीतिक पारी समाप्त करने से पहले बेटे मंदार महाजन को विधानसभा में भेजना चाहती हैं। कुछ ही समय यह तस्वीर साफ हो जाएगी कि कैलाश विजयवर्गीय और सुमित्रा महाजन के बेटे को पार्टी टिकट देती है या नहीं।

इंदौर की राजनीति में होगा बड़ा फेरबदल

राज्य में लगातार तीसरी बार भाजपा की सरकार बनना और उसका नेतृत्व शिवराज सिंह चौहान के हाथ में होना कैलाश विजयवर्गीय के लिए किसी भी स्थिति में अच्छे संकेत देने वाला नहीं रहा। कैलाश विजयवर्गीय को वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में इंदौर-2 की अपनी परंपरागत सीट को छोड़ना पड़ी थी। यह सीट उन्होंने अपने सहयोगी रमेश मेंदोला के लिए छोड़ी थी। विजयवर्गीय महू चुनाव लड़ने के लिए चले गए थे। वे चुनाव जीते भी।

इसके बाद से ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से उनकी दूरी बढ़ती गई। दूरी बढ़ने की बड़ी वजह पेंशन घोटाला रहा। इस घोटाले के लिए चौहान द्वारा बनाए गए आयोग की रिपोर्ट को अब तक विधानसभा के पटल पर नहीं रखा गया है। जबकि आयोग ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है। बताया जाता है कि विजयवर्गीय ने मेंदोला को मंत्री बनावाने के लिए ही मंत्री पद छोड़ा था। विजयवर्गीय को पार्टी ने राष्ट्रीय महा सचिव बना दिया। विजयवर्गीय पर उनका बेटा आकाश विजयवर्गीय टिकट के लिए दबाव बना रहे हैं। पार्टी एक ही टिकट देने को तैयार बताई जाती है।

सूत्रों ने बताया कि विजयवर्गीय ने इंदौर से लोकसभा का टिकट देने की मांग भी पार्टी के सामने रखी है। अभी यह पूरी तरह साफ नहीं हुआ है कि आकाश विजयवर्गीय को महू से उम्मीदवार बनाया जाएगा या फिर इंदौर-दो से। इंदौर-दो से यदि आकाश को टिकट दी जाती है तो रमेश मेंदोला का भविष्य दांव पर होगा। सुमित्रा महाजन के बेटे को टिकट देने की स्थिति में परिवारवाद की चर्चा इंदौर की सड़कों पर भी सुनाई दे सकती है।

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सूर्यप्रकाश मीणा ने इज्जत बचाने लिखी चिट्ठी

कैलाश विजयवर्गीय के चुनाव न लड़ने के पीछे कारण और भी हैं। पार्टी में कई दिग्गज नेता अपने साथ-साथ अपने पुत्र-पुत्रियों के लिए भी टिकट मांग रहे हैं। इनमें पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव का नाम प्रमुख है। वे अपने बेटे अभिषेक के लिए देवरी से टिकट मांग रहे हैं। विजयवर्गीय फार्मूले को पार्टी ने यदि मान लिया तो कई नेताओं को अपने बेटों की खातिर घर बैठना पड़ेगा। राज्य में चौथी बार भाजपा की सरकार बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कोशिश नए चेहरों को टिकट देने की है। इसमें बड़ा फायदा उनका ही है। पार्टी में उनके कद का कोई नेता चुनौती देने वाला नहीं होगा।

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पिछले सप्ताह कैलाश विजयवर्गीय ने ही सार्वजनिक तौर पर कहा था कि अब नई पीढ़ी आगे आना चाहिए। उनका यह सुझाव कई नेताओं के लिए मुश्किल बन गया है। भाजपा में उथल-पुथल कई मोर्चों पर देखी जा रही है। राज्य के उद्यानिकी मंत्री सूर्यप्रकाश मीणा का एक पत्र सोशल मीडिया पर चल रहा है, जिसमें उन्होंने चुनाव न लड़ने की इच्छा प्रकट की है। पत्र मुख्यमंत्री को लिखा गया है। मीणा का टिकट काटे जाने की चर्चाएं काफी दिनों से चल रही थी। वे अपने दावेदारी को लेकर पार्टी कार्यालय में बड़े नेताओं से मिले थे।

मध्यप्रदेश के चुनावी दगंल में संतों और बाबाओं को शीर्षासन

मध्यप्रदेश के चुनावी दगंल में संतों और बाबाओं को शीर्षासन

दो दिन बाद मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने का काम शुरू हो जाएगा। इस बार के विधानसभा चुनाव में साधु-संत और बाबा भी शीर्षासन करते नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा तीन बाबाओं को मंत्री और राज्य मंत्री का दर्जा दिए जाने के बाद संतों और सन्यासियों की इच्छा भी सिंहासन पर बैठने की हो गई है। सिहांसन की इच्छा रखने वाले बाबाओं के सामने साध्वी उमा भारती और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उदाहरण भी है।

बाबाओं की भस्मासुरी भूमिका

इसी साल अप्रैल में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पांच बाबाओं को राज्य मंत्री का दर्जा दिया था। ये धर्म गुरु नर्मदानंद महाराज, हरिहरानंद महाराज, कंप्यूटर बाबा, भैयू महाराज और पंडित योगेंद्र महंत थे। भय्यूजी महाराज ने दर्जा मिलने के कुछ दिनों बाद ही इंदौर में अपने निवास पर आत्महत्या कर ली थी। बाबाओं और संतों को दर्जा दिए जाने से पूर्व सरकार ने नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में वृक्षारोपण, जल संरक्षण और स्वच्छता के विषयों पर जन जागरूकता अभियान चलाने के लिए गठित विशेष समिति में 31 मार्च को शामिल किया था।

कंप्यूटर बाबा और योगेंद्र महंत को उपकृत करने के पीछे नर्मदा वृक्षारोपण का घोटाला बड़ी वजह बताई गई थी। इन दोनों ने ही शिवराज सिंह चौहान सरकार की पोल खोलने के लिए नर्मदा यात्रा निकालने का एलान किया था। राज्य मंत्री का दर्जा मिलने के बाद सारे बाबा शिव भक्ति में लीन हो गए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जमकर तारीफें भी इन बाबाओं द्वारा की गईं। हाल ही में कंप्यूटर बाबा ने राज्यमंत्री का दर्जा वापस लौटाकर शिवराज सिंह चौहान पर एक बार फिर आरोप लगाना शुरू कर दिया है।

कंप्यूटर बाबा ने कहा कि हजारों संतों ने मुझ पर त्यागपत्र देने का दबाव बनाया था. मुख्यमंत्री ने मुझसे वादा किया था कि मध्य प्रदेश में अवैध रेत खनन नहीं होगा, गाय की दुर्दशा नहीं होगी, मठ-मंदिरों के संत जो कहेंगे, वह करेंगे। इस्तीफे के पहले कंप्यूटर बाबा की प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ से हुई मुलाकात काफी चर्चा में रही थी। कंप्यूटर बाबा को मनाने का शिवराज सिंह चौहान का प्रयास भी पूरी तरह विफल रहा। कंप्यूटर बाबा अब जगह-जगह राज्य की भाजपा सरकार के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने कल यानि 30 अक्टूबर को ग्वालियर में बाबाओं और संतों का जमावड़ा भी लगाया। ज्यादतर बाबा भंडारे में शामिल होने के लिए बुलाए गए थे।

राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद से ही संतों और सन्यासियों का राजनीतिक रूतबा काफी बढा़ है। पिछले दो साल से स्वामी अवधेशानंद जी को शिवराज सिंह चौहान के संकट मोचक के तौर पर देखा जा रहा है। स्वामी अवधेशनंद जी के भक्त प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह भी हैं। वे हर साल रामकथा भी करते हैं। शिवराज सिंह चौहान और अजय सिंह के राजनीतिक रिश्ते के साथ-साथ व्यक्तिगत रिश्ते भी विरोध के ही हैं। दो माह पूर्व स्वामी अवधेशनंद और संघ के सर कार्यवाह भैय्या जी जोशी की मुलाकात काफी चर्चा में रही थी। चुनाव से ठीक पहले साधु-संतों की सक्रियता ने राजनीतिक दलों को हैरान कर दिया है।
कांग्रेस इसके पीछे भारतीय जनता पार्टी की रणनीति मान रही है। प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता कहते हैं कि राजनीति में कांग्रेस ने कभी धर्म को ढाल नहीं बनाया। माना यह जा रहा है कि साधु-संतों के मैदान में आने से सरकार विरोधी वोट का पूरा लाभ कांग्रेस को नहीं मिल पाएगा।

सवर्णों की राजनीति भी है बाबाओं के पीछे

राज्य में एट्रोसिटी एक्ट के ताजा संशोधनों का सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है। सीधा टकराव अनुसूचित जाति और समान्य वर्ग के बीच दिखाई दे रहा है। सपाक्स, समान्य एवं पिछड़ा वर्ग के वोटों के धुर्वीकरण से लाभ उठाना चाहती है। राज्य में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग की आबादी 36 प्रतिशत से अधिक है। सवर्ण आंदोलन का सबसे ज्यादा असर ग्वालियर-चंबल संभाग में देखने को मिला था।

कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर भी एट्रोसिटी एक्ट के खिलाफ आंदोलन में हिस्सेदारी कर रहे हैं। पिछले दिनों उन्हें दतिया में पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था। ठाकुर का कर्मक्षेत्र वृन्दावन है। लेकिन, वे राजनीति करने मध्यप्रदेश में आ रहे हैं। आज उन्होंने सर्वसमाज कल्याण पार्टी से अपने उम्मीदवार मैदान में उतारने का एलान भी किया है। ठाकुर ने दावा किया है कि पार्टी वर्ष 2013 में बनाई गई। इसी तरह पंडोखर सरकार भी ग्वालियर-चंबल संभाग में अपनी संभावानाएं देख रहे हैं। उन्होंने सांझाी विरासत नाम से पार्टी के गठन का एलान किया है। पचास सीटों पर वे अपने उम्मीदवार उतारेंगे।


राज सिंहासन की चाह में कई बाबा मांग रहे हैं टिकट

उज्जैन दक्षिण से महंत अवधेशपुरी टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। बाबा ने कहा कि उन्होंने अपनी इच्छा भाजपा के बड़े नेताओं को बता दी है। अवधेशपुरी महाराज कहते हैं कि उनके क्षेत्र के लोगों की इच्छा भी है कि वे चुनाव लड़ें। अपने टिकट की दावेदारी के पीछे वे पिछले बीस सालों में भाजपा के लिए किए गए कामों को सबसे मजबूत आधार मानते हैं। बाबा के पास डॉक्टरेट की उपाधि है। सिवनी जिले के केवलारी से संत मदनमोहन खडेश्वरी टिकट मांग रहे हैं। संत मदन मोहन टिकट मिलने से पहले ही जीत का दावा कर रहे हैं। मदन मोहन कहते हैं कि उनकी चुनाव लड़ने की तैयारी पूरी है। अगर भाजपा से टिकट नहीं मिला तो वो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। रायसेन जिले के सिलवानी से टिकट के दावेदार महेंद्र प्रताप गिरि हैं। बाबा कहते हैं कि अगर संगठन ने उनको टिकट नहीं दिया तो वो निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। इसी जिले की उदयपुरा सीट से संत रविनाथ टिकट मांग रहे हैं। संत रविनाथ नर्मदा को बचाने के लिए विधायक बनना चाहते हैं।

40 दिन 40 सवाल: कमल नाथ ने पूछा बारहवां सवाल- ‘मामा जी, क्या गौ माता नहीं, गोल्फकोर्स से है प्यार ?’

40 दिन 40 सवाल

40 दिन 40 सवाल पूछने के सिलसिले में मध्य प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने शिवराज सरकार से बारहवां सवाल पूछा है. बारहवें सवाल में कमल नाथ ने गौ माता पर हो रहे अत्याचार को लेकर सवाल किया है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, मोदी जी ने बताया मामा जी के मुखौटे में नहीं है दम, मप्र में गौ माता हो गईं कम। मामा जी, क्या गौ माता नहीं, गोल्फकोर्स से है प्यार ? गौ माता के भोजन पर भी क्यों करते हैं वार ?

सवाल नंबर बारह

1)बीजेपी के लोग गौ-माता के नाम पर ख़ूब हल्ला मचाते हैं।
हम हर पंचायत में गौशाला खोलने का वचन दें, तो इनके पेट दुख जाते हैं ।
आइए,देखिए मामा जी गौ माता की कितनी अनदेखी किए जाते हैं:

2) मामा सरकार की पोल खोल रही है मोदी सरकार की लाइव स्टॉक सेंसस की रिपोर्ट ,जो यह बताती है कि:
18 वीं सेंसस में मध्यप्रदेश में गौ -धन की संख्या में भारी कमी आई है। मध्यप्रदेश में 18 वीं सेंसस में 2 करोड़ 19 लाख़ गौधन था ,जो 5 सालों में कम होकर 1करोड़96 लाख़ रह गया ।

3) यानी मामा के शासनकाल में 23 लाख़ 13 हज़ार गौ-धन खत्म हो गया ।
4) शिवराज जी, जवाब दीजिए? 23लाख़ 13हज़ार गौ-धन कहाँ गया ?
5)भैंसों की संख्या 91लाख़ 29हज़ार से कम होकर 81लाख़ 87हज़ार रह गई। शिवराज जी, जवाब दीजिए 9 लाख़ 41 हज़ार भैंसें कहाँ गायब हो गयीं?

6) सभी तरह के पशुधन में 43लाख़ 62 हज़ार की कमी आई है । क्या मध्यप्रदेश में अवैध कत्लखाने चल रहे हैं ?
7) इतना ही नहीं, शिवराज सिंह की सरकार ने हमारे राज्य की देशी प्रजातियों को खत्म करने का काम किया है। मध्यप्रदेश में 26 लाख़ 79 हज़ार देशी प्रजाति के पशु खत्म हो गए।

8) क्या यह सही है कि आपने प्रावधान तो गौ शाला के लिए प्रति गाय लगभग 17 रु किया, मगर 2 रु भी ख़र्च नहीं किये ?
2013-14 में सालाना 608 रुपए अऩुदान दिया गया,प्रतिदिन के हिसाब से महज़ 1 रु 66 पैसे
-2014-15 में सालाना 635 रु अऩुदान दिया गया,प्रतिदिन के हिसाब से महज़ 1 रुपए 73 पैसे

-2015-16 में सालाना 591 रुपए अनुदान दिया गया, प्रतिदिन के हिसाब से महज़ 1 रुपए 61 पैसे।
-2016-17 में सालाना 577 रुपए अनुदान दिया गया, प्रतिदिन के हिसाब से महज़ 1 रुपए 58 पैसे।
-2017-18 में सालाना 679 रुपए अनुदान दिया गया, प्रतिदिन के हिसाब से महज 1 रुपए 86 पैसे

9) मामा जी,क्या गौ माता का खाना भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया ?

-40 दिन 40 सवाल-
“मोदी सरकार के मुँह से जानिए,

मामा सरकार की बदहाली का हाल।”

40 दिन 40 सवाल: कमल नाथ ने पूछा ग्यारहवां सवाल

40 दिन 40 सवाल

40 दिन 40 सवाल पूछने के अभियान में मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने शिवराज सरकार से पूछा ग्यारहवां सवाल . ग्यारहवें सवाल में कमल नाथ ने ट्वीट करते हुए पूछा, ‘मोदी जी बता रहे हैं मनरेगा की बात, मामा जी ने मेहनतकशों से किया कुठाराघात । रोज़गार का कानूनी अधिकार मामा, क्यों किया बेकार ?

ग्यारहवां सवाल-

1) मध्यप्रदेश में 68.35 लाख़ मनरेगा के जॉब कार्ड्स हैं,अर्थात लगभग 3 करोड़ 41 लाख़ 75 हज़ार लोग प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से मज़दूरी के माध्यम से जीवन यापन कर रहे हैं ।

2) कांग्रेस ने यह तय किया था कि एक साल में 100 दिनों का रोज़गार इस योजना के तहत दिया जाएगा ।

मप्र में मनरेगा में पंजीकृत लोगों मे से
वर्ष 2014-15 में 100 दिन का पूरा रोज़गार पाने वाले परिवार – 1,58,776 (2.33%)।
वर्ष 2015-16 में 100 दिन का पूरा रोज़गार पाने वाले परिवार – 2,25,502 (3.30%)।
वर्ष 2016-17 में 100 दिन का पूरा रोज़गार पाने वाले परिवार -1,40,990 (2.1%)।

वर्ष 2017-18 में 100 दिन का पूरा रोज़गार पाने वाले परिवार – 1,34,724 (1.97%) ।

3) कांग्रेस द्वारा बनाए गए क़ानून में कहा गया था कि हर मज़दूर को काम करने के एक सप्ताह के भीतर मज़दूरी का भुगतान हो जाएगा; और यदि नहीं हुआ तो सरकार देरी से मज़दूरी के भुगतान का मुआवजा देगी।

4)शिवराज जी ने वर्ष 2013-14 से सितम्बर 2018-19 तक 6हज़ार 167 करोड़ रुपए की मज़दूरी का देरी से भुगतान किया।
हज़ारों मज़दूरों को अब भी उनकी मेहनत की कमाई नहीं दी गई। क़ानून के मुताबिक देरी से भुगतान पर सरकार को 10 % के मान से कम से कम 610 करोड़ रुपए का मुआवजा देने का अनुमान था,

मगर मामा ने दिये लगभग केवल 3 करोड़ रुपए।
2013-14- देरी से दिये 1706 करोड़ रुपए ।
2014-15- देरी से दिये 1740 करोड़ रुपये।
2015-16 – देरी से दिये 1326 करोड़ रुपए।
2016-17- देरी से दिये 787 करोड़ रुपए।
2017-18- देरी से दिये 434करोड़ रुपये।
2018-19-देरी से1734करोड़ रुपये।

Total- 6167 करोड़ -देरी से दिया गया भुगतान ।

5) मामा सरकार द्वारा मुहैया कराया गया एवरेज रोजगार: 2014-15मात्र 42 दिन ,2015-16 मात्र 45 दिन 2016-17 मात्र 40 दिन ,2017-18मात्र 46 दिन और 2018 -19 मात्र 38 दिन ।

6)मामा सरकार द्वारा मुहैया कराई गई एवरेज मजदूरी प्रतिदिन :
2014-15 मात्र 149रु ,2015-16 मात्र 149 रु 2016-17 मात्र 155रु ,2017-18मात्र165रु और
2018 -19 मात्र 170रु।

40 दिन 40 सवाल-

“मोदी सरकार के मुँह से जानिए,
मामा सरकार की बदहाली का हाल।”

“हार की कगार पर, मामा सरकार”