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बीजेपी ने तीन राज्यो में चुनाव प्रभारी और सह प्रभारी का किया ऐलान

BJP announced election in-charge and co-in-charge in three states
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लोकसभा चुनाव की तैयारी में लगी बीजेपी ने राजस्थान सहित तीन राज्यों में चुनाव प्रभारी और सह-प्रभारी नियुक्ति किए है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य डॉ. विनय सहस्रबुद्धे को राजस्थान का चुनाव प्रभारी और राष्ट्रीय मंत्री विजया रहाटकर और पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को सह प्रभारी नियुक्त किया है। वहीं, हरियाणा में राजस्थान के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को चुनाव प्रभारी और राष्ट्रीय मंत्री व सांसद सुरेन्द्र सिंह नागर को सह-प्रभारी नियुक्त किया है। आंध्रप्रदेश में राष्ट्रीय महामंत्री, राजस्थान के प्रभारी रहे अरुण सिंह और उत्तर प्रदेश सरकार के विधायक व पूर्व मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह को सह-प्रभारी नियुक्त किया है।

कांग्रेस की चिंता दलित वोटर,बसपा के मैदान में होने से किसे नुकसान?

दिनेश गुप्ता
बहुजन समाज पार्टी लोकसभा में बिना किसी गठबंधन के चुनाव लड़ने जा रही है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसका ऐलान भी कर दिया है। बसपा चुनाव मैदान में होगी तो इससे नुकसान कांग्रेस को होगा या भारतीय जनता पार्टी को ? यह एक ऐसा सवाल जिसका जवाब हर सीट पर अलग होगा। खासकर उम्मीदवारों की घोषणा के बाद। हाल ही में संपन्न विधानसभा के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को एक भी सीट पर सफलता नहीं मिली है।उसका वोट प्रतिशत भी घट गया है। पिछले चुनाव में उसके दो विधायक चुने गए थे। राम बाई और संजीव सिंह कुशवाहा। संजीव सिंह कुशवाहा की राजनीति जहां दम वहां हम की रही। जब तक कांग्रेस की सरकार रही तब तक राम बाई और संजीव कुशवाहा दोनों ही कमलनाथ की सरकार को समर्थन देते रहे। सरकार जाने के बाद संजीव कुशवाहा भारतीय जनता पार्टी के साथ हो गए। चुनाव की घोषणा से पहले वे भाजपा में शामिल हुए लेकिन,टिकट नहीं मिली। वापस बसपा में जाना पड़ा। बसपा ने टिकट भी दी लेकिन,संजीव कुशवाहा चुनाव नहीं जीत पाए। बसपा की राजनीति इसी तरह की रही है। सुमावली में कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बदला तो बसपा ने कुलदीप सिंह सिकरवार को टिकट दे दी।

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कहने का आशय यह है कि बसपा का नेतृत्व अपने जनाधार का उपयोग निजी हितों के लिए करता आया है। शायद यही कारण है कि फूल सिंह बरैया को बसपा छोड़ना पड़ी। बसपा की मजबूती के लिए उन्होंने बहुत काम किया था। बसपा से जनाधार वाले जाटव नेताओं के चले जाने के कारण लगातार उसकी स्थिति कमजोर होती जा रही है। मध्यप्रदेश में नब्बे के दशक में बसपा का जनाधार तेजी से बढ़ा था। 1996 के लोकसभा चुनाव में बसपा को दो सीटें मिलीं थीं। मध्यप्रदेश का विभाजन नहीं हुआ था। कुल चालीस लोकसभा की सीटें  थीं। इससे पहले हुए 1993 के विधानसभा चुनाव में बसपा को ने ग्यारह सीटों पर सफलता दर्ज कराई थी।  विंध्य में बसपा का असर सबसे ज्यादा था। अर्जुन सिंह जैसे दिग्गज नेता सतना में तीसरे नंबर पर आ गए थे। रीवा में महारानी प्रवीण कुमारी चुनाव हार गईं थीं। बसपा का वोट सामान्य सीटों पर ज्यादा असर डालता है। 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 143, कांग्रेस ने 71 और बसपा ने सात सीटें जीती थीं। तब बीजेपी का वोट शेयर 37 प्रतिशत और कांग्रेस का 32 प्रतिशत था। बसपा ने 9 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। साल 2018 के चुनाव में जहां भारतीय जनता पार्टी को 1 करोड़ 56 लाख 43 हजार  623 वोट मिले थे तो वहीं कांग्रेस को 1 करोड़ 55 लाख 95 हजार 696 वोट मिले थे. बीजेपी और कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा वोट हासिल करने वाली पार्टी बसपा ही थी। पार्टी राज्य में कुल मतों में से 19 लाख 11 हजार 642 वोट यानी 5.1 फीसदी वोट मिले थे।
 2019 में बसपा ने सपा के साथ मिलकर लड़ा लोकसभा चुनाव
मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने लोकसभा का पिछला चुनाव गठबंधन बनाकर लड़ा था। लेकिन,दोनों ही दलों कोई सफलता नहीं मिल पाई थी। इस बार बसपा किसी भी तरह का गठबंधन नहीं बना रही है। यह माना जा रहा है कि वह कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के लिए ही वह मैदान में रहेगी। पिछले लोकसभा चुनाव का अनुभव यही है। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सपा से ज्यादा नुकसान बसपा के कारण हुआ। बसपा-सपा ने बालाघाट लोकसभा की सीट पर चुनाव उत्तर प्रदेश के कैराना की तर्ज पर लड़ा था।  कंकर मुंजारे उम्मीदवार थे। वे नए फार्मूले में अपना पुराना वोट भी नहीं बचा पाए थे। पिछले लोकसभा चुनाव में मुरैना की सीट ऐसी थी,जिस पर करतार सिंह भड़ाना की मौजूदगी से भाजपा के नरेंद्र सिंह तोमर चुनाव जीत गए थे। बसपा को लोकसभा चुनाव में 2.4 प्रतिशत वोट ही मिले थे।

कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी है दलित वोट
भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 82 सीटों में से 50 पर जीत हासिल की है, जो 2018 के चुनाव से 17 सीट ज्यादा है। भाजपा ने राज्य में एससी और एसटी समुदायों के बीच अपना आधार बढ़ाया है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के वोटों के कारण ही बनी थी। ग्वालियर में हुआ वर्ग संघर्ष दलित वोटों को कांग्रेस के पक्ष में ले आया था।  अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित 35 सीटें 33 जिलों के तहत आती हैं। इनमें से दो जिले सागर और उज्जैन में अनुसूचित जाति के लिए दो-दो सीटें सुरक्षित हैं।
बसपा की रणनीति से किसे लाभ?
बहुजन समाज पार्टी ने मध्य प्रदेश की सभी 29 सीटों को तीन अलग-अलग जोन बांटा है। तीनों जोन के लिए अलग-अलग प्रभारी हैं। इनमें मुख्य प्रदेश प्रभारी रामजी गौतम, प्रदेश प्रभारी मुकेश अहिरवार और प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल शामिल हैं। तीनों ही प्रभारी प्रदेश की सभी 29 लोकसभा क्षेत्रों का दौरा करेंगे। बसपा ने जोन बनाए हैं वे ग्वालियर-मध्य क्षेत्र, रीवा-जबलपुर और मालवा-निमाड़-मध्य क्षेत्र-2 शामिल हैं।
रीवा-जबलपुर जोन में खजुराहो, सतना, रीवा, सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा लोकसभा सीट को शामिल किया गया है. जबकि ग्वालियर-मध्य क्षेत्र में मुरैना, भिंड ग्वालियर, गुना, राजगढ़, दमोह, बैतूल और होशंगाबाद शामिल हैं. इसी तरह मालवा-निमाड-मध्य क्षेत्र-2 में इंदौर, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार, खरगोन, खंडवा, धार, भोपाल और विदिशा शामिल हैं।
सपा में भी है हलचल
समाजवादी पार्टी इस बार बहुजन समाज पार्टी के साथ नहीं है। वह भाजपा के खिलाफ बने विपक्षी गठबंधन इंडिया का हिस्सा है। इसके बाद भी विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस के बीच टकराव के हालात देखे गए थे। इसकी वजह पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ थे। कमलनाथ यदि अखिलेश-वखिलेश का बयान नहीं देते तो शायद कांग्रेस-सपा के बीच दोस्ताना मुकाबला हो सकता था। कमलनाथ ने बयान दिया तो अखिलेश यादव ने अपनी गतिविधियां मध्यप्रदेश में बढ़ा दी। मध्यप्रदेश में सपा को वोट और सीट भले ही नहीं मिले लेकिन,अखिलेश यादव के अपमान के कारण यादव वोट जरूर भाजपा के साथ चले गए। यह भाजपा की रणनीति का हिस्सा था।

चुनाव नतीजों के बाद इस तरह की बात सामने आ रही है कि कमलनाथ की दिलचस्पी सरकार बनाने में थी ही नहीं। लोकसभा चुनाव में क्या सपा-कांग्रेस के बीच कोई तालमेल हो पाएगा? यह बड़ा सवाल है। इसका जवाब अब तक इसलिए सामने नहीं है क्योंकि इंडिया गठबंधन की ओर से अब तक बंटवारे को लेकर अधिकृत तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। समाजवादी पार्टी अपनी तैयारी कर रही है। मध्यप्रदेश में एक बार फिर वह बालाघाट की सीट पर जोर लगा सकती है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश कार्यकारिणी को भंग कर दिया है। पार्टी के सभी जिलाध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्षों समेत 10 लोकसभा प्रभारियों को भी तत्काल प्रभाव से पद से हटा दिया है।
भाजपा में विद्यार्थी परिषद का दबदबा

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा विद्यार्थी परिषद की पृष्ठभूमि वाले हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर कई बड़े नेता इसी पृष्ठभूमि के हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का बैकग्राउंड भी विद्यार्थी परिषद का ही है। कह सकते हैं कि सत्ता और संगठन में विद्यार्थी परिषद की पकड़ है। पार्टी में जो पदाधिकारी नियुक्त किए जा रहे हैं उनकी पृष्ठभूमि भी कहीं न कहीं विद्यार्थी परिषद की ही सामने आ रही है। हाल ही में मऊगंज जिला भाजपा के अध्यक्ष नियुक्त किए गए राजेन्द्र मिश्रा विद्यार्थी परिषद से भाजपा में आए हैं। मऊगंज उन चार जिलों में है जहां भाजपा ने अलग संगठनात्मक इकाई गठित की है। मैहर में मैहर भाजपा की कमान कमलेश सुहाने को सौंपी है। सुहाने सतना भाजपा संगठन में महामंत्री और कोषाध्यक्ष रह चुके हैं। सितना से अलग हो कर मैहर के जिला बनने के बाद भाजपा संगठन का भी सतना से अलग होना तय था। सुहाने को यह जिम्मेदारी मिलने की संभावना भी प्रबल थी। हालांकि अमर पाटन विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत रामनगर के भाजपा नेता और प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अरुण द्विवेदी के प्रयास भी चर्चा में थे। मैहर भाजपा को नया मुखिया मिलने के बाद अब यहां जल्दी ही कार्यकारिणी की भी घोषणा की उम्मीद जताई जा रही है।

नड्डा जी से अगले काम के बारे में हुई चर्चा, अभी दक्षिण की यात्रा करनी है : शिवराज

भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा से मुलाकात के बाद मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि उनकी श्री नड्डा से अगले काम के लिए चर्चा हुई है और अध्यक्ष उन्हें जिस भी भूमिका में रखेंगे, वे उसे पूरा करेंगे।
श्री चौहान ने मुलाकात के बाद संवाददाताओं से चर्चा के दौरान कहा कि श्री नड्डा से उनकी अगले काम के बारे में भी चर्चा हुई है। उन्होंने कहा कि पार्टी का काम उनके लिए मिशन है, राष्ट्रीय सेवा और जनता की सेवा का। जब हम मिशन में काम करते हैं तो अपनी जिम्मेदारी के बारे में हम स्वयं कुछ तय नहीं करते हैं। मिशन ही सब कुछ तय करता है।
उन्होंने कहा कि उन्हें विकसित भारत संकल्प यात्रा में कुछ जगह जाने के लिए कहा जाएगा जिसके तहत वे दक्षिण के राज्यों में जाएंगे।


श्री चौहान ने कहा कि आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए भी अध्यक्ष उनके लिए जो भूमिका तय करेंगे, वे उस पर काम करेंगे।
राज्य के नए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के संदर्भ में श्री चौहान ने कहा कि डॉ यादव मुख्यमंत्री होने के नाते अब उनके भी नेता हैं। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि भाजपा में कोई छोटा या बड़ा नहीं होता है। जिन कामों को मध्यप्रदेश में आगे बढ़ाया, बीमारू राज्य से विकसित प्रदेश बनाया, उसको समृद्धि की तरफ और ऊंचाइयों पर डॉ यादव ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि मुख्यमंत्री प्रदेश को समृद्धि और विकास के पद पर भी ले जाएं और जन कल्याण की योजनाएं भी चलाएं।
श्री चौहान ने कहा कि उनकी श्री नड्डा से मंत्रिमंडल के गठन के संबंध में भी चर्चा हुई है।

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देश में रिपोर्ट कार्ड की राजनीति चल रही है: नड्डा

देश के तीन राज्यों में बड़ी जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने हिमाचल के अपने पहले दौरा में कहा कि देश में राजनीति की संस्कृति बदल गई है झूठ बोलकर वोट नहीं मिलता बल्कि काम करके वोट मिलता है।


श्री नड्डा ने यहां कहा,“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो कहा वह दिया और जो नहीं कहा वह भी दिया। आज की राजनीति रिपोर्ट कार्ड की राजनीति है, जो रिपोर्ट कार्ड रखेगा वह जीत हासिल करेगा। देश को श्री मोदी की गारंटी पर विश्वास है, गारंटी पूरी करने की गारंटी है तो वह श्री मोदी की गारंटी है।”
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि जब भी चुनाव आते थे तो कांग्रेस पार्टी पहाड़ों पर चूना लगा देती थी और जब बारिश आती थी तो चुना साफ हो जाता था और फिर जनता को चूना लग जाता था। यह थी कांग्रेस की चुनावी रणनीति। चुनाव के समय पानी की पाइप सड़क किनारे रख देनी और वोट बटोर लेने और चुनाव खत्म होते ही वह पाइप आईपीएस को वापस भेज देना।


श्री नड्डा ने महिला सशक्तिकरण पर बल देते हुए हर घर जल, आयुष्मान भारत, पीएम आवास योजना, 33ः प्रतिशत महिला आरक्षण बिल के बारे में उल्लेख किया और कहा कि यह है बदलता भारत बदलते भारत की तस्वीर। भाजपा सरकार के कार्यकाल में भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था की बात भी की।


उन्होंने कहा केंद्र सरकार ने हिमाचल को राहत के रूप में 1782 करोड़ दिए, प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 2500 करोड़, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 2700 करोड़ और अगर केंद्र राशियों को देखो तो 3378 करोड़ केंद्र से मिले है। उन्होंने कहा कि आपदा किसने बंदर बांट मत करो आपदा यह नहीं देखती की कौन कहा से है।
श्री नड्डा ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल को अपना दूसरा घर मानते हैं और हिमाचल के लिए कोई भी कमी नहीं छोड़ी है। आप पैसा खर्च करने वाले बनो केंद्र सरकार आपको और देगी पर जो पैसा दिया है उसको खर्चे तो करो।
उन्होंने कांग्रेस की गारंटियों पर कांग्रेस को आड़े हाथ लिया और कहा कि कांग्रेस की एक ही गारंटी है, गारंटी नहीं होने की गारंटी। हिमाचल में जनता 68 इंग्लिश मीडिया स्कूल ढूंढ रहे है, महिलाओं को 1500 रुपये नही मिले, मोबाइल स्वास्थ्य वैन नहीं मिली, गोबर दूध नहीं खरीदी, युवाओं को 5 लाख नौकरियां नही मिली, 300 यूनिट बिलजी नहीं मिली।
श्री नड्डा ने जनता से अपील करी कि इस बार फिर लोकसभा चुनाव में एक बार फिर चौका लगाया और हिमाचल प्रदेश की चारों सीटें जीताए।


इससे पहले श्री जगत प्रकाश नड्डा का बिलासपुर पहुंचने पर गर्म जोशी के साथ स्वागत एवं अभिनंदन हुआ।
इस अभिनंदन कार्यक्रम में श्री नड्डा के साथ नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल, विधायक रणधीर शर्मा, त्रिलोक जम्वाल, जे आर कटवाल, प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव कटवाल, भाजपा महामंत्री त्रिलोक कपूर, मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा, जिला अध्यक्ष स्वतंत्र संख्यान्न, राजिंद्र गर्ग, सुरेश चंदेल सुमित शर्मा, तिलक राज उपस्थित थे।

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पूर्णमासी के चंद्रमा की पूजा करते हैं तो अमावस्या को भी याद रखना पड़ता है

If we worship the full moon, then we have to remember the new moon also.
If we worship the full moon, then we have to remember the new moon also.

भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राज्य के पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन को अमावस्या के दिनों की उपमा देते हुए आज कहा कि अगर पूर्णमासी की पूजा करते हैं तो अमावस्या को भी याद रखना पड़ता है।

मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के बड़वाह में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए श्री नड्डा ने कहा कि नौजवानों को कांग्रेस शासन के बारे में जानना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर हम पूर्णमासी के चांद की पूजा करते हैं, तो अमावस्या को भी याद रखना पड़ता है। उन्होंने कहा कि उजाले की पूजा करने के साथ-साथ अंधकार की त्रासदी को भी याद रखना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि 20 वर्ष पहले मध्यप्रदेश बीमारु राज्य था। इसके समेत उत्तरप्रदेश, राजस्थान और बिहार के सूचकांक भी ठीक नहीं थे, लेकिन बीते दो दशक में भारतीय जनता पार्टी ने इसे अग्रणी राज्यों में शुमार कर दिया है। उन्होंने कहा कि जहां-जहां कांग्रेस रहेगी, वहां भ्रष्टाचार, लूट, वंशवाद, परिवारवाद, अत्याचार, व्याभिचार व अनाचार रहेगा। वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के शासन में चहुँमुखी विकास के अलावा युवाओं किसानों और महिलाओं को ताकत मिलती है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 2013 के पहले पानी, हवा, पाताल, जमीन सभी लोकों में घोटाला किया। उन्होंने कहा कि कोयला, अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर, पनडुब्बी, कॉमनवेल्थ, मनरेगा घोटाला लोग भूले नहीं है।

उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि वह छोटा-मोटा घोटाला नहीं करती। मध्यप्रदेश में कर्ज माफी के नाम पर 11 लाख 97 हजार किसानों को डिफाल्टर करना, 4100 करोड़ रुपए का इरिगेशन काम्प्लेक्स घोटाला, 877 करोड़ का सिंचाई घोटाला, 281 करोड़ का वेयरहाउस खरीदी घोटाला, रेत व छात्रवृत्ति घोटाला सभी के सामने है।

उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके परिवार को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि कमलनाथ के पूर्व ओएसडी के घर से सैकड़ो करोड़ रु जब्त हुए। कमलनाथ के भतीजे ने 2019 में एक हजार 350 करोड रुपए की टैक्स चोरी की। इसके अलावा कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी ने अगस्ता वेस्टलैंड के 7600 करोड़ रुपए के घोटाले में 780 करोड़ का घोटाला किया।

उन्होंने कहा कि बीते 9 साल में भारत पांचवें नंबर की अर्थव्यवस्था बन चुका है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अगले कार्यकाल में 2027 में तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने कहा, भारत दुनिया को बेहद अच्छी क्वालिटी की 90 हजार करोड रुपए की दवाई बेच रहा है। इसी तरह पेट्रोकेमिकल, इस्पात व ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी हम विश्व की ताकत हैं। उन्होंने कहा कि 80 करोड़ जनता को अनाज दिया जा रहा है। इसके अलावा मध्यप्रदेश में 47 लाख प्रधानमंत्री आवास योजना के घर निर्मित हुए हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रति व्यक्ति आय 10 गुना बढ़ी है, और लाड़ली लक्ष्मी व लाड़ली बहना जैसी योजना से नारी सम्मान में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि विद्युत अधोसंरचना में वृद्धि से सिंचाई का रकबा बढ़ा है जिससे किसानों की आय में भी वृद्धि हुई है। उन्होंने विभिन्न नौकरियों व चुनाव में महिलाओं के आरक्षण बढ़ाये जाने का भी उल्लेख किया।

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यात्रा पर पथराव को भुनाने की रणनीति में जुटी भाजपा

BJP engaged in strategy to capitalize on stone pelting on Yatra
BJP engaged in strategy to capitalize on stone pelting on Yatra

मध्यप्रदेश में चल रही भारतीय जनता पार्टी की जन आशीर्वाद यात्रा पर नीमच जिले में हुए पथराव के बाद राजनीति गर्म हो गई है। भाजपा इस हमले के लिए कांगे्रस को जिम्मेदार ठहरा रही है। यद्यपि हमले की वजह चीता प्रोजेक्ट के लिए वन विभाग द्वारा बनाई जा रही दीवार बताई जा रही है। ग्रामीण इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हैं। डॉ मिश्रा ने यहां संवाददाताओं से चर्चा के दौरान कहा कि यात्रा पर पथराव क्यों हुआ, ये जानने के लिए विपक्षी नेताओं के पहले के बयान देखने पड़ेंगे, सब समझ में आ जाएगा।


उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पहले ही कह चुके थे कि यहां मणिपुर जैसा पथराव हो सकता है, इस तरह वे उकसाने का काम कर रहे थे। दिग्विजय सिंह हरियाणा के नूंह का उदाहरण दे चुके थे। ये भी उकसावे वाला काम था। उन्होंने कहा कि मामले में जिस खेमा गुर्जर नाम के व्यक्ति समेत अन्य लोगों पर प्राथमिकी हुई है, वे कांग्रेस से जुड़े लोग हैं। कांग्रेस हताशा की ओर जा रही है, इसलिए वो ऐसे हथकंडों का सहारा लेगी। ये बात जनता को समझ जाना चाहिए।
नीमच जिले के मनासा क्षेत्र में कल देर शाम जन आशीर्वाद यात्रा के काफिले पर कुछ लोगों ने हंगामा करते हुए पथराव कर दिया, जिससे कुछ वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। हालाकि वाहनों में सवार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुरक्षित हैं।


पुलिस सूत्रों के अनुसार रावली कुंडी क्षेत्र में कुछ ग्रामीणों ने हंगामा करते हुए जन आशीर्वाद यात्रा में शामिल वाहनों पर पथराव किया। घटनास्थल पर मौजूद पुलिस अधिकारियों और जवानों ने तुरंत स्थिति को संभालने का प्रयास किया और विशेष वाहन में सवार वरिष्ठ नेताओं को सुरक्षित उतारकर सुरक्षा घेरे में ले लिया। इसके साथ ही हंगामा कर रहे लोगों को वहां से खदेड़ दिया गया। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में वैधानिक कार्रवाई कर आरोपियों की पहचान की जा रही है।
बताया गया है कि यात्रा में भाजपा के अनेक क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे। पथराव में कुछ वाहनों के कांच टूट गए हैं। पत्थर स्थानीय भाजपा विधायक के वाहन में भी लगा है। पथराव के बाद हुए हंगामे के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं। ग्रामीण इस क्षेत्र में कथित चीता प्रोजेक्ट से संबंधित लंबी दीवार बनाने का विरोध कुछ दिनों से कर रहे हैं। पथराव की घटना को इसी मामले से जोड़कर देखा जा रहा है।

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प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने इस घटना के लिए राज्य के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट में लिखा है, ”भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा को मिल रहे अपार जन समर्थन से घबराए कांग्रेसियों ने नीमच में यात्रा पर हमला कर वाहनों में तोड़फोड़ की है। मैं कांग्रेस की इस हरकत की कड़ी आलोचना करता हूं, इन गुंडों को हम बिल्कुल भी नहीं छोड़ेंगे। इनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।” श्री शर्मा ने इस पोस्ट के साथ वीडियो के जरिए बयान जारी किया है।


इस मामले को लेकर कांग्रेस महासचिव एवं वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने देर रात सोशल मीडिया में एक वीडियो पोस्ट करते हुए कहा कि नीमच का यह वीडियो तकलीफदेह है। उन्होंने लिखा है, ”शिवराज की ‘अवसरवाद यात्रा’ के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है। पाप का घड़ा भर गया है। जहां हम हिंसा के कदापि पक्षधर नहीं, पर आक्रोशित युवाओं और महिलाओं को पुलिसिया डंडों से पीटना दबाना भी उचित नहीं।” श्री सुरजेवाला ने कहा कि वे राज्य की जनता से अनुरोध करते हैं कि भाजपा को केवल वोट की चोट से सबक सिखाया जाए।


प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने सोशल मीडिया के जरिए कहा कि समाज के हर वर्ग के ”उत्पीड़न” के बाद भी शिवराज सरकार को लगता है कि जनता उन पर पत्थर नहीं, फूल बरसाएगी। उन्होंने विभिन्न घटनाक्रमों का जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा ने 18 साल के शासन में जनता को जो दिया है, जनता उसी को मय ब्याज के लौटाने को तत्पर है। उन्होंने जनता से अनुरोध किया कि विरोध को लोकतांत्रिक तरीके में रखें और अपराधियों को दंडित करने का काम न्यायालय को ही करने दें।


पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा कि भाजपा ने 18 वर्षों में जो किया, उसके परिणाम सामने आने लगे हैं। उन्होंने लिखा है कि मनासा विधानसभा क्षेत्र के रावलीकुड़ी में गांधीसागर वन अभयारण्य में चीता प्रोजेक्ट से नाराज किसानों ने जन आशीर्वाद यात्रा का विरोध किया एवं ”कार्यानुसार आशीर्वाद” दिया है।

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कांग्रेस के लिए आसान नहीं भाजपा की चुनावी रणनीति से निपटना


लोकसभा चुनावों से पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव है। चुनाव  प्रक्रिया दिसंबर तक पूरी होने की संभावना है। चुनाव वाले ये राज्य मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़,राजस्थान,तेलंगाना और मिजोरम हैं। इन पांच राज्यों में लोकसभा की कुल 83 सीटें हैं।  लोकसभा के लिहाज से भी इन पांच राज्यों की अहमियत अलग है। इनमें उत्तरप्रदेश,गुजरात,उत्तराखंड और महाराष्ट्र जैसे राज्यों को भी शामिल किया जाए तो कुल लोकसभा की सीटों की संख्या 243 हो जाती है। अब इन राज्यों के पिछले घटनाक्रम पर नजर डालेंगे तो स्पष्ट हो जाएगा कि भाजपा पांच साल चुनाव की राजनीति कैसे करती है?

हाल ही में महाराष्ट्र में दो बड़े क्षेत्रीय दलों में विभाजन कराकर भाजपा ने यहां 48 लोकसभा सीटों का गणित बदलने की कोशिश की है। उत्तरप्रदेश में भी दो क्षेत्रीय दल बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी का कमजोर होता जनाधार विधानसभा चुनाव में सामने आ चुका है। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की अस्सी सीटें हैं। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ द्वारा ज्ञानवापी पर दिए गए बयान पर गौर करेंगे तो यह साफ हो जाएगा कि पार्टी चुनाव की जमीन कैसे तैयार कर रही है। योगी ने कहा था कि ज्ञानवापी को मस्जिद नहीं कहना चाहिए। मस्जिद में त्रिशूल नहीं होते।

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योगी का एक नागरिक के तौर पर कहना कहीं से भी गलत नहीं है। लेकिन,एक मुख्यमंत्री के तौर पर विवादास्पद टिप्पणी राजनीतिक उद्देश्य की ओर इशारा करती है। दिग्विजय सिंह को यह कहने का अवसर देती है कि जो लोग हिंदू राष्ट्र की बात कर रहे हैं वे अपने संवैधानिक पदों से इस्तीफा दे दें। योगी का बयान लोकसभा चुनाव की जमीन तैयार करने वाला है। बिल्कुल उसी तरह जिस तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में मिजोरम और लाल किले पर परिवारवाद के  जिक्र के जरिए चुनाव के मुद्दे की जमीन तैयार करने की कोशिश की।


प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले से कहीं गईं कुछ बातों को लेकर विवाद हो सकता है। खासकर उन बातों से जो चुनावी राजनीति से जुड़ी हुई हैं। प्रधानमंत्री मोदी परिवारवाद का जिक्र सिर्फ सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर राजनीतिक हमला करने के लिए करते हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि देश में भाजपा के साथ कांगे्रस भी वह सबसे बड़ा राजनीतिक दल है जो गठबंधन की राजनीति का नेतृत्व करता है। भाजपा का असली मुकाबला भी कांग्रेस से ही है। यदि हम चुनाव वाले पांच राज्यों को ही देखें तो मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ और राजस्थान में तो कांग्रेस और भाजपा की सीधी लड़ाई है। तेलंगाना में मुकाबला त्रिकोणीय होने की स्थिति में भाजपा लाभ उठाने का रास्ता खोज रही है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव ने भी चुनाव से पहले किसानों की कर्ज मुक्ति का बड़ा दांव खेला है।

जिन राज्यों में चुनाव होना है वहां के मुख्यमंत्रियों ने भी अपनी राजनीतिक जरूरत के लिहाज से स्वतंत्रता दिवस पर कई घोषणाएं की हैं। कांग्रेस और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की घोषणाओं से भी अंदाज लगाया जा सकता है कि वे किस चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी की तैयारी लोकसभा चुनाव को जीतने की है। कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की प्राथमिकता अपने राज्य के विधानसभा के चुनाव हैं। कांग्रेस और उसके मुख्यमंत्रियों की रणनीति में कोई तालमेल दिखाई नहीं पड़ता है। लोकसभा चुनाव को लेकर भी कांग्रेस के मुद्दे स्पष्ट नहीं हैं। कांग्रेस मणिपुर की बात कर रही है और भाजपा मिजोरम का जिक्र कर रही है। यहां दोनों अपनी-अपनी जगह ठीक हो सकते हैं।

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मणिपुर में भाजपा की डबल इंजन सरकार पटरी से उतरी दिखाई दे रही है। लेकिन,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिजोरम का जिक्र कर कांग्रेस की नीयत पर ही सवाल खड़े कर दिए। कांग्रेस और उसके नेता मिजोरम को लेकर तथ्यात्मक बात भी वोटर के समक्ष अब तक नहीं रख पाए हैं। भाजपा की सोशल मीडिया टीम तो मीलों आगे निकल गई है। सोशल मीडिया टीम ने तो यहां तक फैला दिया कि राजेश पायलट और सुरेश कलमाणी ने मिजोरम की राजधानी आइजवाल पर पांच मार्च 1966 को बम गिराए थे। तथ्यात्मक रूप से यह गलत है। राजेश पायलट अक्टूबर 1966 में एयरफोर्स में शामिल हुए थे। जाहिर है कि पांच मार्च को बम गिराने वाली टीम में पायलट नहीं थे। लेकिन,कांग्रेस ने इसे आक्रामक तरीके से नहीं उठाया। भाजपा की सोशल मीडिया टीम पर भी कोई आपराधिक मामला कायम नहीं कराया। नतीजा यह हुआ है कि प्रधानमंत्री के बयान के बाद आम लोगों की बीच यह संदेश चला गया है कि कांगे्रस राज में अत्याचार ज्यादा था। कांगे्रस मिजोरम की पूरी कहानी भी लोगों तक नहीं पहुंचा पाई। जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बहुत ही आसानी नेहरू संग्रहालय का नाम बदलकर प्रधानमंत्री संग्रहालय कर दिया। इसे परिवारवाद पर मोदी का हमला ही माना जाना चाहिए।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस के प्रतिबद्ध वोटर को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं है। उसका लक्ष्य अति पिछड़े वोटर तक पहुंचने का है। उत्तरप्रदेश के चुनाव में अति पिछड़ों की राजनीति के कारण ही यादव राजनीति परास्त हो गई थी। अब हिंदी पट्टी पर इसका प्रयोग होना है। विश्वकर्मा योजना को माध्यम बनाया जा रहा है। भाजपा का दूसरा लक्ष्य महिला वोटर हैं। इन्हें साधने के लिए मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने लाड़ली बहना योजना शुरू की है। इसके परिणाम देखने के बाद अन्य भाजपा शासित राज्यों में इसका विस्तार लोकसभा चुनाव के पहले किया जाएगा।

मध्यप्रदेश में भाजपा ने टिकट वितरण के लिए केंद्रीय नेतृत्व में बनाया फार्मूला

4 राज्यों के 230 विधायक करने जा रहे है मध्यप्रदेश की विधानसभा सीटों पर सर्वे। 18 अगस्त को भोपाल पहुंचेंगे उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और बिहार के विधायक। साथ ही 19 अगस्त को विधायकों का प्रशिक्षण होगा।
बता दे कि 20 अगस्त से लेकर 27 अगस्त तक यह विभिन्न विधानसभा सीटों पर पहुंचकर संभावित दावेदारों का पैनल तैयार करेंगे साथ ही उनकी सूची बनाकर आला कमान को सौंपेंगे।
मौजूदा विधायको के कार्यों का भी आकलन किया जाएगा।

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ब्रेकिंग- मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी द्वारा जारी की उम्मीदवारों की पहली लिस्ट

नवंबर मे होने जा रहे विधानसभा चुनाव के चलते भाजपा द्वारा 39 सीटों पर उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी गई है। चुनाव की घोषणा से पहले बीजेपी ने जारी की लिस्ट।

आने वाले महीनों में देश के पांच राज्यों छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिनमे से भाजपा केवल मध्य प्रदेश में सत्ता में है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है,तो वहीं तेलंगाना में बीआरएस सत्ता में है।

पीएम आवास पर बीजेपी की उच्चस्तरीय बैठक: मंत्रीमंडल में बदलाव और यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बनी रणनीति

2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी ने आपना प्रचार अभियान जोर-शोर से शुरू कर दिया हैं।  इसी के चलते बुधवार को प्रधानमंत्री आवास पर शाम 7 बजे से उच्चस्तरीय  बैठक शुरू हुई। इस मैराथन बैठक में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी महासचिव (संगठन) बीएल संतोष भी मौजूद रहे। पीर्टी द्वारा इस बैठक के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी साझा नही की गई है पर सूत्रों के अनुसार  इसमें केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल से लेकर पार्टी के संगठन में बदलाव के मुद्दे शामिल है। सूत्रों के मुताबिक, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के मुद्दे पर भी गहन चर्चा हुई है।

5 राज्यों के विधानसभा और लोकसभा चुनाव की तैयारियां

करीब पांच घंटे तक चली इस बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। जसमें इस साल होने वाले 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव पर भी हुई। भाजपा ने बूथ स्‍तर से लेकर सोशल मीडिया तक प्रचार अभियान में तेजी लाने को लेकर रणनीति पर जोर दिया। 

जल्द हो सकते हैं बड़े बदलाव

मंत्रीमंडल में फेरबदल को लेकर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव के नामों की सबसे ज्यादा चर्चा है। सूत्रों की मानें तो जल्द ही इन नेताओं को बड़ी और नई जिम्मेदारी मिल सकती है।  इसके अलावा गुजरात-कर्नाटक समेत तीन राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्षों का ऐलान की भी चर्चा तेज है।

दो हफ्ते में कैबिनेट मे फेरबदल संभव

जानकारों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले दो हफ्तों में अपनी कैबिनेट में कुछ बड़े बदलाव कर सकते है और यह मोदी सरकार का आखिरी कैबिनेट विस्तार होगा। इस दौरान अपने विभाग में अच्छा परफॉर्मेंस नहीं दे पाने वाले मंत्रियों की विदाई होगी और संगठन के कुछ अहम चेहरे को कैबिनेट में जगह दे जाएगी। सरकार में जो भी फेरबदल होंगे, वो मॉनसून सत्र से पहले ही होंगे। संसद का मॉनसून सत्र 17 जुलाई से शुरू हो सकता है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड बड़ा मुद्दा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भोपाल दौरे के दौरान खुले तौर पर कहा कि जो लोग वोट बैंक के भूखे हैं वह मुस्लिमों को उकसा रहे है। देश की शीर्ष अदालत चाहते हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लाया जाए, लेकिन कुछ साजिशकर्ता इसे लेकर गलत माहौल बना रहे हैं। पीएम मोदी द्वारा इस तरह यूनिफॉर्म सिविल कोड को उठाना यह दर्शाता है कि यह आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भाजापा का प्रमुख मुद्दा होगा।