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बच्पन से सुलभ शौचालय में रही जूही बनी मध्यप्रदेश की विक्रम अवॉर्ड विजेता

इंदौर के सुलभ शौचालय में 12 साल रहकर खो-खो खिलाड़ी जूही झा ने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा खेल के क्षेत्र में दिया जाने वाला प्रतिष्ठित विक्रम पुरस्कार हासिल किया। मंगलवार को खेल अलंकरणों की घोषणा हुई। पुरस्कार वितरण समारोह 4 अक्टूबर को भोपाल में होगा। 20 साल की जूही चौथी कक्षा में थी, तब से खो-खो खेलती हैं।

जूही के पिता सुबोध कुमार झा की नौकरी नगर निगम के समीप गंजी कंपाउंड में सुलभ शौचालय में थी। इसी शौचालय के भीतर एक कमरा भी था, जिसमें उनका पांच लोगों का परिवार रहता था। जूही ने बताया कि हम करीब 12 साल यहीं रहे। पिता को 6-7 हजार की कमाई होती थी जिससे घर चलता था। बहुत बुरा वक्त था, लेकिन मैंने खेलना नहीं छोड़ा। फिर तीन साल पहले पिता की यह नौकरी भी चली गई और घर भी।

जूही आगे बताती हैं कि इस घर से बहुत सारी यादें जुड़ी हैं। अब परिवार बाणगंगा में किराए के घर में रहता है। मां रानी झा सिलाई करती हैं और मेरी एक स्कूल में नौकरी लगने से कुछ मदद हो जाती है। खुशी है कि अब मेरी सरकारी नौकरी लगने से परिवार को मदद मिलेगी। मैं बीकॉम अंतिम वर्ष में हूं और आगे भी पढ़ना चाहती हूं।

जूही की उपलब्धियां- 8 सीनियर नेशनल, 7 जूनियर नेशनल, 4 सब जूनियर, 3 स्कूल्स नेशनल (1 रजत), फेडरेशन कप (1 कांस्य), एशियन खो-खो (1 स्वर्ण), वेस्ट झोन (1 कांस्य) में भागीदारी।

भारतरत्न से सम्मानित लता मंगेशकर के जन्मदिन पर राष्ट्रपति सहित पीएम ने दी बधाई

भारतरत्न से सम्मानित स्वर-कोकिला लता मंगेशकर की गिनती अनमोल गायिकाओं में है। उनकी मधुर आवाज के दीवाने पूरी दुनिया में हैं। संगीत की मलिका कहलाने वाली लता मंगेशकर को कई उपाधियों से नवाजा जा चुका है। 28 सितंबर यानी आज लता मंगेशकर के जन्म की 89वीं वर्षगांठ है। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दिग्गज गायिका लता मंगेशकर को जन्मदिन की बधाई देते हुए उनके दीर्घायु जीवन और अच्छे स्वास्थ्य की कामना की।

राष्ट्रपति ने ट्वीट कर कहा, ‘लता मंगेशकर को जन्मदिन और दीर्घायु व स्वस्थ जीवन की शुभकामनाएं, जिन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। उम्मीद करता हूं कि उनकी मधुर आवाज आगामी कई वर्षो तक दुयिनाभर के लाखों लोगों को मोहित करती रहेगी।’

लता मंगेशकर को ‘लता दीदी’ कहते हुए प्रधानमंत्री ने उन्हें जन्मदिन की बधाई दी। मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘लता दीदी आपके जन्मदिन पर आपको शुभकामनाएं। कई दशकों आपके असाधारण काम ने करोड़ों भारतीयों को प्रेरित किया है। आप हमेशा हमारे देश के विकास को लेकर जुनूनी रही हैं। आप अच्छे स्वास्थ्य के साथ दीर्घायु जीवन व्यतीत करें।

लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर, 1929 को एक मध्यमवर्गीय मराठा परिवार में हुआ। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में जन्मीं लता पंडित दीनानाथ मंगेशकर की बड़ी बेटी हैं। लता का पहला नाम ‘हेमा’ था, मगर जन्म के पांच साल बाद माता-पिता ने इनका नाम ‘लता’ रख दिया था। लता अपने सभी भाई-बहनों में बड़ी हैं। मीना, आशा, उषा तथा हृदयनाथ उनसे छोटे हैं। उनके पिता रंगमंच के कलाकार और गायक थे।

लता मंगेशकर का नाम सुनते ही हम सभी के कानों में मीठी-मधुर आवाज शहद-सी घुलने लगती है। आठ दशक से भी अधिक समय से हिन्दुस्तान की आवाज बनीं लता ने 30 से ज्यादा भाषाओं में हजारों फिल्मी और गैर-फिल्मी गानों में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा। लता ही एकमात्र ऐसी जीवित शख्सियत हैं, जिनके नाम पर पुरस्कार दिए जाते हैं।

इंदौर में पीएम मोदी पर आतंकी हमले का खतरा,सुरक्षा एजेंसियां सहित महिला वॉलेंटियर्स भी तैनात

मध्यप्रदेश में इस साल के अंत तक विधानसभा के चुनाव होने हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्यभर में रैलियां कर जन-जन से मुलाकात कर रहे हैं और चुनाव की तैयारिओं में लगे हुए है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को मध्यप्रदेश के दौरे पर रहेंगे। वह (नरेंद्र मोदी) इंदौर में बोहरा समाज के कार्यक्रम में शामिल होंगे।

सैफीनगर मस्जिद को स्पेशल प्रोटेक्शन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इंदौर यात्रा के पहले सुरक्षा एजेंसियो ने आतंकी हमले की आशंका जताई गई है। इसके साथ ही सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी हो गई हैं। एजेंसियों को खबर मिली है कि आतंकी महिला के वेश में पीएम के आयोजन में घुस सकते हैं। यही वजह है कि बुधवार को खुफिया एजेंसियों और स्थानीय पुलिस ने पंडाल में प्रवेश वाले प्रत्येक व्यक्ति की निगरानी शुरू कर दी है। आतंकी गतिविधायों पर नजर रखते हुए सैफीनगर मस्जिद को स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) ने घेरे में ले लिया है। जांच एजेंसियों को आतंकी हमले की साजिश की खबर मिलते ही इंदौर में चाक चौबंद व्यवस्था शुरू कर दी गई है। एडीजी और एसपीजी अधिकारियों ने इस मामले में सख्ती शुरू कर दी है।

कार्यक्रम स्थल पर 200 महिला वॉलेंटियर्स होगी तैनात

प्रधानमंत्री की इस रैली में पहुंचने के लिए सभी को अपना पहचान पत्र लाना होगा और बगैर पहचान पत्र के किसी भी व्यक्ति को प्रधानमंत्री के आसपास नहीं जाने दिया जाएगा। यही नहीं बोहरा समाज के वॉलेंटियर्स और बुरहानी गार्ड्स की भी जांच की जा रही है। बताया जा रहा है कि इस सभा में आने वाली 60 फीसदी महिलाएं होंगी। सुरक्षा के मद्देनजर कार्यक्रम स्थल पर 200 महिला वॉलेंटियर्स तैनात की जाएंगी।

कार्येक्रम में गड़बड़ी फैलाए जाने की मिली थी सूचना

इंदौर के एडीजी अजय कुमार शर्मा ने बताया कि हमारी सभा स्थल पर चप्पे-चप्पे पर नजर रहेगी। होटलों और बाहरी कॉलोनियों की विशेष निगरानी की जा रही है। आतंकी हमले की बात पूछे जाने पर डीआइजी हरिनारायणचारी मिश्र ने कहा कि आतंकी हमले की धमकी नहीं बल्कि कुछ गड़बड़ी फैलाए जाने की सूचना जरूर मिली थी, उसकी तस्दीक करवाई जा रही है।

केंद्रीय मंत्री गहलोत ने हवा में उड़ा दिया लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन का सुझाव

इंदौर की सांसद सुमित्रा महाजन लोकसभा की अध्यक्ष हैं। सदन में अति सामान्य सदस्य की बिसात क्या प्रधानमंत्री भी लोकसभा अध्यक्ष के आदेश की अवहेलना नहीं करते हैं? आमतौर पर सदन में लोकसभा अध्यक्ष सत्ताधारी दल को बचाने की कोशिश करते हैं। लोकसभा अध्यक्ष का पद भी सत्ताधारी दल के पास ही होता है। दलीय प्रतिबद्धता के कारण भी लोकसभा अध्यक्ष अपनी सरकार का बचाव करते रहते हैं। लोकसभा अध्यक्ष एक सांसद भी हैं। इस कारण उनकी जिम्मेदारी जनता के प्रति भी होती है।

सामान्यतया सुमित्रा महाजन सरकार की नीति और नीयत पर कभी कोई सवाल खड़े नहीं करती हैं। इंदौर में दिव्यांगों को ट्राई साइकिल वितरित किए जाने के कार्यक्रम में उन्होंने हितग्राहियों की भावना को जब मंच से व्यक्त किया तो सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के मंत्री थावरचंद गहलोत और उनके अधिकारियों को लगा कि लोकसभा अध्यक्ष नीति पर प्रश्नचिंह लगा रही हैं। थावरचंद गहलोत मध्य प्रदेश के ही हैं और राज्यसभा सदस्य भी हैं। सुमित्रा महाजन के सुझावों पर गहलोत ने मंच से तो कुछ नहीं कहा लेकिन बाद में उन्होंने भारत सरकार की नीति को सही बताते हुए महाजन की जानकारी पर ही प्रश्नचिंह लगा दिया है।

सुमित्रा महाजन का सुझाव था कि दिव्यांगों को बैटरी वाली ट्राई साइकिल देने के बजाय पेट्रोल डीजल से चलने वाली ट्राई साईकिल दी जानी चाहिए। उन्होंने यह बात दिव्यांगों के अनुभव के आधार पर कहीं थी। दिव्यांगों का अनुभव यह है कि बैटरी वाली ट्राई साइकिल में मेंटेनेंस ज्यादा होता है। गहलोत का तर्क है कि बैटरी को चार्ज किए जाने के बाद ट्राई साइकिल 60 से 65 किलोमीटर चल सकती है इसलिए पेट्रोल डीजल की ट्राई साइकिल देने का कोई औचित्य नहीं है।

एक मुकदमा जिसमें फरियादी है रिटायर्ड हाई कोर्ट जस्टिस

इंदौर की सेशन जज मनीषा बसीर की अदालत में एक मुकदमा ऐसा चल रहा है जिसमें फरियादी रिटायर्ड हाईकोर्ट जज है। फरियादी रिटायर्ड हाई कोर्ट जस्टिस आलोक वर्मा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने बयान अदालत में दर्ज कराए।  मामला जस्टिस वर्मा को आपत्तिजनक मैसेज भेजने का है। यह मैसेज जमानत के एवज में राशि के भुगतान के संबंध में था। मामला काफी दिलचस्प भी है और राजनीतिक भी है। यह मामला इस बात की ओर भी इशारा करता है कि अपने राजनीतिक विरोधियों को नुकसान पहुंचाने के लिए नेता किस तरह के हथकंडे अपनाते हैं।

जस्टिस आलोक वर्मा इंदौर हाई कोर्ट के जज  का उत्तर दायित्व निभाते हुए अलीराजपुर जिला पंचायत के अध्यक्ष सेना पटेल के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले में जमानत के आवेदन पर सुनवाई कर रहे थे। इस दौरान उन्हें एक एसएमएस अपने मोबाइल पर मिला इस एसएमएस में लिखा हुआ था कि सेना पटेल की जमानत के लिए दस लाख रुपए की राशि वकील आशीष गुप्ता को दे दी है। वकील  पांच लाख रूपए की मांग और कर रहे हैं। जस्टिस वर्मा ने तत्काल इस मामले की सूचना हाईकोर्ट के  रजिस्ट्रार को दी। रजिस्ट्रार की शिकायत पर इंदौर क्राइम ब्रांच ने मामले को जांच में लिया।

जांच में यह तथ्य सामने आया कि अलीराजपुर के विधानसभा उपाध्यक्ष विक्रम सेन ने अध्यक्ष सेना पटेल की जमानत ना हो सके इस उद्देश्य से एसएमएस जस्टिस वर्मा को भेजा था। मैसेज भेजने के लिए एक नई सिम खरीदी थी । सेना पटेल के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में जांच चल रही थी। जस्टिस वर्मा ने अदालत में पूरे घटनाक्रम पर अपने बयान दर्ज कराए।

डीआरआई ने 305 करोड़ की केटामाइन इंदौर सहित गोवा, मुंबई व वडोदरा से की जब्त

डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने मुंबई, गोवा, अहमदाबाद, वडोदरा के साथ ही इंदौर जोन में ड्रग सप्लायर्स पर बड़ी कार्रवाई की। उन्होंने रेव पार्टी में सप्लाय होने वाली 305 किलो केटामाइन ड्रग जब्त की है। इसकी इंंटरनेशनल कीमत 305 करोड़ बताई जा रही है, वहीं घरेलू बाजार में कीमत 30 करोड़ है।

इस इंटरनेशनल और डोमेस्टिक ड्रग सिंडिकेट को पकड़ने के लिए डीआरआई ने चार दिन तक ऑपरेशन वियतनाम चलाया था। इसी ऑपरेशन के तहत देशभर में 11 आरोपी पकड़े गए हैं। केटामाइन बनाकर इस सिंडिकेट को सप्लाय करने वाले मयूर सतरानी को इंदौर डीआरआई जोनल टीम ने इसी ऑपरेशन के तहत धामनोद के पास एक ढाबे से खाना खाते समय पकड़ा है। इसी सतरानी से 30 किलो केटामाइन ड्रग भी टीम ने जब्त की है। सतरानी वडोदरा के अासपास ड्रग बनाने का काम करता था।

इसके लिए यह सिंडिकेट से पहले कच्चा मटैरियल लेता था। उसके बाद इसे फैक्टरी में केटामाइन बनाकर इसी सिंडिकेट को ड्रग पहुंचा देता था। मुख्य तौर पर यह ड्रग मुंबई जाती थी और फिर यहां से विविध कुरियर सर्विस के माध्यम से इसे इंदौर सहित अन्य अलग-अलग शहरों में जहां पर पर्यटक और छात्र संख्या ज्यादा रहती है, वहां पहुंचाया जाता था। सतरानी के माध्यम से इसका कारोबार यूके, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीकन देशों तक फैला हुआ था। गिरफ्तारी के बाद सतरानी को 15 जून को मुंबई भेज दिया है।

बेटी कुहू ने सौतेली माँ पर लगाया पिता की मौत का आरोप , अपनी माँ की तस्वीर हटाने थी नाराज़

आध्यात्मिक संत भय्यूजी महाराज ने कथित तौर पर मंगलवार दोपहर मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित अपने घर में लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली मारकर जीवन समाप्त कर लिया। प्राथमिक जांच में पुलिस ने आत्महत्या की वजह घरेलू विवाद के तनाव को बताया है। वहीं, भय्यूजी महाराज की पत्नी और बेटी ने पुलिस को दिए बयान में एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

पुलिस पूछताछ में बेटी कुहू और पत्नी आयुषी ने परिवारिक तनाव का जिक्र करते हुए एक-दूसरे पर सीधे आरोप लगाए। इस दौरान बेटी कुहू ने कहा कि मैं डॉ. आयुषी को अपनी मां नहीं मानती। उन्हीं की वजह से पिता ने यह कदम उठाया। उन्हें जेल में बंद कर दीजिए। वहीं, पत्नी डॉ. आयुषी ने कहा कि कुहू को मैं और मेरी बेटी पसंद नहीं थी। इसलिए बेटी के जन्म के बाद ही मैं अपनी मां के घर रहने चली गई थी, क्योंकि कुहू यहां रहने वाली थी। कुहू के पुणे जाने के बाद कुछ दिन पहले ही मैं इंदौर आई थी और पति के साथ बढ़िया से रह रहे थे।

बता दें कि भय्यूजी ने पॉकेट डायरी में डेढ़ पेज का सुसाइड नोट भी छोड़ा है, जो अंग्रेजी में है उसमें पारिवारिक कलह का जिक्र करते हुए उन्होंने खुद को बेहद तनाव मे होना बताया है। हालांकि उन्होंने खुद की सुसाइड के लिए किसी को दोषी नहीं बताया लेकिन शुरुआती जांच इस बात की ओर इशारा कर रही है कि 2015 में उनकी पहली पत्नी माधवी की मृत्यु हो जाने से वह अकेलापन महसूस कर रहे थे हालांकि उनकी माधवी से एक बेटी थी। भय्यूजी महाराज की दूसरी शादी के बाद बेटी ने उनसे दूरी बना ली थी वह पुणे से बहुत कम ही इंदौर आती थी।

बताया जाता है कि ,बीती 8 जून को उनकी पत्नी डॉ. आयुषी का जन्मदिन था, लेकिन इस मौके पर भी उनके चेहरे पर खुशियों की बजाय तनाव नजर आ रहा था। इस मौके को सेलीब्रेट करने भय्यू महाराज बायपास स्थित रेस्तरां आर-9 में पत्नी डॉ. आयुषी के साथ पहुंचे थे। इस कार्यक्रम में बेटी कुहू को छोड़ आश्रम के सभी लोग और परिजन शामिल हुए। बताया जाता है कि बेटी कुहू पुणे से मंगलवार को घर आने वाली थी। वह इस बात से खुश थे, लेकिन चेहरे पर तनाव नजर आ रहा था।

मंगलवार की सुबह भय्यू महाराज बेटी कुहू के कमरे में पहुंचे तो वह अस्त-व्यस्त मिला। पत्नी से कहा कि कुहू आने वाली है। इसे व्यवस्थित क्यों नहीं करवाती हों? इसको लेकर दोनों के बीच बहस भी हुई। इसके बाद खड़े होकर नौकरों से कमरा साफ करवाया। काम पूरा होने तक वहीं खड़े रहे। बाद में उसी कमरे में आत्महत्या कर ली। वह हर बात पर पत्नी से ज्यादा बेटी का पक्ष लेते थे। इस पर दोनों में विवाद होते रहते थे। इस विवाद को देखकर नौकर सहम जाते थे।

संत भय्यूजी महाराज का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन को रखा गया ,मुखाग्नि देगी बेटी कुहू : अंतिम संस्कार

आध्यात्मिक गुरु और संत भय्यू जी महाराज (उदय राव देशमुख) ने पारिवारिक तनाव में आकर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। उनके पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए इंदौर के सूयोर्दय आश्रम में रखा गया है। बुधवार दोपहर बाद आज उनका अंतिम संस्कार होगा। भय्यूजी को मुखाग्नि उनकी बेटी कुहू देगी।

भय्यूजी के पार्थिव देह को बुधवार सुबह सिल्वर स्प्रिंग इलाके में स्थित आवास से सूयोर्दय आश्रम ले जाया गया, जहां उनके अनुयायियों की भीड़ उमड़ी हुई है। कतारों में खड़े सैकड़ों लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। पारिवारिक सूत्रों का कहना है कि भय्यूजी के पार्थिव देह को उनकी बेटी कुहू मुखाग्नि देगी। यह फैसला उनके करीबियों ने लिया है। अतिम संस्कार में सीएम शिवराज समेत कई वीआईपी शामिल होंगे।

सुसाइड नोट में बयां की जिंदगी की उलझन
इस बीच भय्यूजी महाराज का सुसाइड नोट भी सामने आया है, जिससे साफ पता चल रहा है कि भय्यूजी महाराज काफी तनाव में थे और शायद इसी वजह से उन्होंने खुदकुशी कर ली। नोट में अंग्रेजी में लिखा गया है, ‘किसी को वहां परिवार की देखभाल के लिए होना चाहिए। मैं जा रहा हूं… काफी तनावग्रस्त, परेशान था।’

सीएम शिवराज ने दी श्रद्धांजलि 
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी, “संत भय्यूजी महाराज को सादर श्रद्धांजलि। देश ने संस्कृति, ज्ञान और सेवा की त्रिवेणी व्यक्तित्व को खो दिया। आपके विचार अनंत काल तक समाज को मानवता की सेवा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करेंगे।

कौन थे भय्यूजी महाराज
उदय सिंह देशमुख उर्फ भय्यूजी महाराज का सभी राजनीतिक दलों में दखल रहा है। उनका कांग्रेस और आरएसएस के लोगों से करीबी रिश्ते हैं। वह समाज के लिए लगातार तरह-तरह के कार्यक्रम चलाते रहे। वेश्याओं के 51 बच्चों को उन्होंने पिता के रूप में अपना नाम दिया था।

पहली पत्नी माधवी के निधन के बाद पिछले साल 49 वर्ष की उम्र में उन्होंने ग्वालियर की डॉ. आयुषी के साथ दूसरी शादी की थी। हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें ‘राज्यमंत्री’ का दर्जा दिया था, मगर उन्होंने उसे ठुकरा दिया था। भय्यूजी महाराज ने कांग्रेस के शासनकाल में वर्ष 2011 में दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंचकर अन्ना हजारे का अनशन खत्म कराने में मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे से भी उनके अच्छे संबंध थे।

भय्यू महाराज : मॉडल से राष्ट्रीय संत तक का सफर,मिला राज्य मंत्री का दर्जा

प्रसिद्ध संत भय्यू जी महाराज ने इंदौर में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। उनकी मौत की खबर ने सबको हैरान कर दिया है। जिसने भी सुना उसे सहसा विश्वास नहीं हुआ कि मॉडलिंग से अपना जीवन आरम्भ कर राष्ट्रीय संत बनने वाला यह शख्स यह कदम भी उठा सकता है। आइये जानते है कौन है भय्यूजी महाराज ?

आपको बता दें कि भय्यूजी का असली नाम उदय सिंह है, लेकिन महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में लोग उन्हें भय्यूजी महाराज के नाम से ही जानते हैं। उनके कई समर्थक हैं। 29 अप्रैल 1968 में मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले के शुजालपुर में उनका जन्म हुआ था , लेकिन महाराष्ट्र में उन्हें राष्ट्र संत का दर्जा मिला हुआ था। राजनीतिक क्षेत्र में उनका खासा प्रभाव रखने वाले भैय्यू जी के कांग्रेस के अलावा नितिन गडकरी से लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत से भी अच्छे संबंध रहे उन्हें राजनीतिक संकट मोचक माना जाता था। अन्ना आंदोलन के समय भी उन्होंने आंदोलन समाप्त करने में भूमिका निभाई थी।

वे ऐसे गृहस्थ संत थे जिन्होंने दो शादियां की थी। अभी कुछ दिनों पहले ही मध्यप्रदेश सरकार ने उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा दिया था , जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया था। भय्यूजी महाराज पद, पुरस्कार, शिष्य और मठ के विरोधी थे। वे देश को सबसे बड़ा मठ मानते थे। व्यक्तिपूजा को वह अपराध की श्रेणी में रखते थे। उन्होंने महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और समाज सेवा के बडे़ काम किए। कहा जा रहा है कि उनकी इस ख़ुदकुशी के पीछे पारिवारिक कारण बताए जा रहे हैं।

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