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पूर्व मुख्य न्यायाधीश मुल्क पकिस्तान के अंतरिम प्रधानमंत्री हुए नियुक्त

पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश नासिर उल मुल्क को वर्ष 2018 में 25 जुलाई को होने वाले आम चुनावों तक देश का अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी ने बताया ” कोई भी पाकिस्तानी उन पर उंगली नहीं उठा सकता है।” श्री खकान की इस घोषणा के दौरान उनके बगल में विपक्ष के नेता सैयद खुर्शीद अहमद शाह बैठे हुए थे। श्री मुल्क पाकिस्तान निर्वाचन आयोग के अंतरिम प्रमुख भी रह चुके हैं।

अपमानित वीडियो शेयर करने के कारण मिस्र में यूट्यूब हुआ प्रतिबंधित

मिस्र के सर्वोच्च प्रशासनिक न्यायालय ने वीडियो साझा करने वाली सबसे बड़ी साइट यूट्यूब पर एक महीने का अस्थायी प्रतिबंध लगाने का फैसला सुनाया है।
इस मामले में याचिकाकर्ता वकील ने रायटर को कहा कि न्यायलय ने यह फैसला पैगंबर मोहम्मद को अपमानित करने वाले एक वीडियो को लेकर सुनाया है।
निम्न प्रशासनिक न्यायालय ने सूचना प्रोद्योगिकी एवं संचार मंत्रालय को 2013 के इस वीडियो को लेकर यूट्यूब पर रोक लगाने का फैसला सुनाया था,लेकिन सर्वोच्च प्रशासनिक न्यायालय में इस मामले पर फिर से सुनवायी हुए और निचले न्यायलय के फैसले को बरकरार रखा गया।

मंत्रालय ने उस समय कहा था कि सर्च इंजन गुगल के स्वामित्व वाले यूट्यूब पर रोक लगाना संभव नहीं है,क्योंकि ऐसा करने से सर्च इंजन गुगल भी बाधित होगा। इससे मिस्र में नौकरियां जाने और भारी आर्थिक नुकसान होगा।

बोपैया के प्रोटेम स्पीकर नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट आज करेगी सुनवाई

कर्नाटक के सीएम बीएस येदियुरप्पा को शनिवार शाम 4 बजे सदन में बहुमत साबित करना है। इसे देखते हुए कांग्रेस और जेडीएस के विधायक हैदराबाद से बेंगलुरु पहुंच गए हैं। दोनों पार्टियों का दावा है कि सभी विधायक उनके साथ हैं। इससे पहले भाजपा विधायक केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर बनाने के खिलाफ कांग्रेस शुक्रवार रात को फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। फौरन सुनवाई की मांग की।

हालांकि, भाजपा का कहना है कि 10 साल पहले 2008 में भी वह प्रोटेम स्पीकर रह चुके हैं। आमतौर पर सबसे सीनियर विधायक प्रोटेम स्पीकर बनता है। अक्टूबर 2010 में स्पीकर रहने के दौरान उन्होंने (बोपैया) भाजपा के 11 बागियों और पांच निर्दलीयों को अयोग्य घोषित कर सरकार बचाने में येदि की मदद की थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणियों के साथ उनका फैसला रद्द कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को फ्लोर टेस्ट करने का आदेश दिया था
कांग्रेस और जेडीएस की याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार शाम 4 बजे फ्लोर टेस्ट कराने के निर्देश दिए थे। इस तरह शीर्ष अदालत ने राज्यपाल वजूभाई वाला के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें उन्होंने बीएस येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का वक्त दिया था।कर्नाटक के राज्यपाल द्वारा विनिषा नेरो को विधानसभा में एंग्लो इंडियन सदस्य के तौर पर मनोनीत किए जाने को भी कांग्रेस-जेडीएस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल फ्लोर टेस्ट होने तक इस सदस्य को मनोनीत ना करें।

अनुच्छेद 370, 35(A) मामला संविधान पीठ को सौंपने के संकेत

उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिये जाने से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 370 और 35(a) को चुनौती देने वाली याचिकाओं को पांच-सदस्यीय संविधान पीठ को सौंपने के आज संकेत दिये। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की पीठ ने कश्मीरी पंडित डॅा- चारु वली खन्ना की याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि इस याचिका को संविधान के इन अनुच्छेदों को समाप्त करने संबंधी अन्य याचिका के साथ सम्बद्ध् किया जाता है।

सुनवाई के दौरान न्यायालय ने संकेत दिये कि संविधान से जुड़े इन मामलों को पांच-सदस्यीय संविधान पीठ को सौंपा जा सकता है। इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॅालिसिटर जनरल पी एस नरिसम्हा ने भी न्यायालय से आग्रह किया कि सभी संबंधित याचिकाओं की सुनवाई एक साथ की जाये, तो बेहतर है। न्यायालय ने मामलों की सुनवाई छह सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी।

अनुच्छेद 370 जहां जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता है, वहीं अनुच्छेद 35(a) राज्य के स्थायी निवासियों और उनके विशेषाधिकारो को परिभाषित करता है।

याचिकाकर्ताओं की दलील है कि अनुच्छेद 370 और 35(a) संविधान में वर्णित समानता के मौलिक अधिकार का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है, क्योंकि इन अनुच्छेदों के कारण जम्मू-कश्मीर के बाहर का व्यक्ति न तो वहां प्रॉपर्टी खरीद सकता है, न उसे वहां सरकारी नौकरी मिल सकती है और न ही वह स्थानीय निकाय चुनावों में हिस्सा ले सकता है।

 

इससे पहले गैर-सरकारी संगठन ‘वी द सिटीजन्स‘ ने भी याचिका दायर करके अनुच्छेद 35 A को निरस्त करने का न्यायालय से अनुरोध किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने नोटा हटाने से किया इंकार:गुजरात राज्यसभा में होगा उपयोग

छह विधायकों के पार्टी छोड़े जाने से गुजरात में संकट से घिरी कांगे्रस को सुप्रीम कोर्ट में भी राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यसभा चुनाव में नोटा का उपयोग रोकने से इंकार कर दिया है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अमिताव राय और न्यायमूर्ति ए.एम. खानविल्कर की सदस्यता वाली पीठ ने निर्वाचन आयोग को अधिसूचना की संवैधानिक वैधता की समीक्षा करने के लिए नोटिस जारी किया है।गुजरात विधानसभा में कांग्रेस सचेतक शैलेश मनुभाई परमार ने आठ अगस्त को होने वाले चुनाव में नोटा के इस्तेमाल संबंधी अधिसूचना रद्द करने की मांग के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। पीठ ने कहा, “आप (याचिकाकर्ता) इतनी देर से अदालत क्यों आए। आप उस समय क्यों आए हैं, जब चुनाव करीब है।”

अहमद पटेल हैं कांगे्रस से राज्यसभा उम्मीदवार

कांगे्रस को डर यह है कि व्हीप के उल्लंघन से बचने के लिए कांगे्रस के कतिपय विधायक नोटा का उपयोग कर सकते हैं। गुजरात में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव होना है। दो सीटें भाजपा के खाते में जा रही हैं। विधायकों की संख्या के लिहाज से तीसरी सीट कांगे्रस को मिलना चाहिए। पार्टी के आधा दर्जन विधायकों द्वारा पार्टी से इस्तीफा दिए जाने के कारण कांगे्रस के उम्मीदवार अहमद पटेल संकट में फंस गए हैं। अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए पटेल ने पार्टी के विधायकों को कर्नाटक में रखा हुआ है। विधायकों की मेजबानी कर रहेबिजली मंत्री डी.शिवकुमार के कल आयकर विभाग द्वारा छापामारी की गई थी। इस छापामारी में दस करोड़ रूपए नगद बरामद किए गए थे। छापे की कार्यवाही आज भी जारी है।

रामजन्म भूमि को लेकर जैसी मान्यता, वैसी मान्यता तीन तलाक पर है

पर्सनल लॉ बोर्ड बोला-तीन तलाक विश्वास का मामला है मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कहा मुसलमान पिछले 1400
पर्सनल लॉ बोर्ड बोला-तीन तलाक विश्वास का मामला है मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कहा मुसलमान पिछले 1400

पर्सनल लॉ बोर्ड बोला-तीन तलाक विश्वास का मामला है

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कहा मुसलमान पिछले 1400 वर्ष से तीन तलाक प्रथा का पालन कर रहे हैं और यह विश्वास का मामला है। एआईएमपीएलबी ने न्यायालय से कहा आस्था के मामले में संवैधानिक नैतिकता एवं समता का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।

रामजन्म भूमि को लेकर जैसी मान्यता, वैसी मान्यता तीन तलाक पर है

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के पक्ष में दलील पेश की। बोर्ड ने कहा कि राम जन्म भूमि और तीन तलाक दोनों ही विषय मान्यता से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि तीन तलाक आस्था का मामला है जिसका मुस्लिम बीते 1,400 वर्ष से पालन करते आ रहे हैं इसलिए इस मामले में संवैधानिक नैतिकता और समानता का सवाल नहीं उठता है।
मुस्लिम संगठन ने तीन तलाक को हिंदू धर्म की उस मान्यता के समान बताया जिसमें माना जाता है कि भगवान राम अयोध्या में जन्मे थे। एआईएमपीएलबी की ओर से पेश पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा, ह्यह्यतीन तलाक सन् 637 से है। इसे गैर-इस्लामी बताने वाले हम कौन होते हैं। मुस्लिम बीते 1,400 वषार्ें से इसका पालन करते आ रहे हैं। यह आस्था का मामला है। इसलिए इसमें संवैधानिक नैतिकता और समानता का कोई सवाल नहीं उठता।

पैगम्बर के समय अस्तित्व में आया

सिब्बल ने एक तथ्य का हवाला देते हुए कहा कि तीन तलाक का स्रोत हदीस पाया जा सकता है और यह पैगम्बर मोहम्मद के समय के बाद अस्तित्व में आया। मुस्लिम संगठन ने ये दलीलें जिस पीठ के समक्ष दी उसका हिस्सा न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर भी हैं।
कल, केंद्र ने शीर्ष अदालत से कहा था कि यदि ह्यतीन तलाकह्ण समेत तलाक के सभी रूपों को खत्म कर दिया जाता है तो मुस्लिम समुदाय में निकाह और तलाक के नियमन के लिए वह नया कानून लेकर आएगा। तीन तलाक, बहुविवाह और निकाह हलाला को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई का आज चौथा दिन है। जिस पीठ के समक्ष यह सुनवाई हो रही है उसमें सिख, ईसाई, पारसी, हिंदू और मुस्लिम समेत विभिन्न धार्मिक समुदायों के सदस्य शामिल हैं।