कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी शुक्रवार को लोकसभा को संबोधित कर सकते हैं। उनके अलावा लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और एक अन्य मेंबर भी सदन को संबोधित करेंगे। बता दे कि मोदी सरकार के खिलाफ टीडीपी की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को मंजूर कर लिया गया है। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा एवं वोटिंग के लिए लोकसभा अध्यक्ष ने शुक्रवार का दिन मुकर्रर किया है। लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के बहाने पॉलिटिक्स का वो ट्वेंटी-ट्वेंटी मैच होने वाला है, जिसमें सत्ता और विपक्ष दोनों को 2019 से ठीक पहले बैटिंग करने का भरपूर मौका मिला है। कांग्रेस सहित ज्यादातर विपक्षी दल एकजुट हैं, लेकिन मोदी सरकार इसे लेकर ज्यादा आशंकित नहीं दिख रही है। मोदी के पास पर्याप्त नंबर है, ऐसे में सरकार सदन में अविश्वास प्रस्ताव की अग्निपरीक्षा को आसानी से पार कर लेगी। ऐसे में एनडीए सरकार के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाकर पीएम मोदी के दांव में कहीं फंस तो नहीं गया है।
अविश्वास प्रस्ताव पर अनंत कुमार का बयान
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि राजग पूरी मजबूती तथा जनादेश के साथ सरकार चला रहा है। विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को पूरी तरह अनुचित बताते हुए उन्हाेंने कहा कि भले ही प्रस्ताव लाना विपक्ष का हक है लेकिन यह इसका उचित समय नहीं है और विपक्ष इसके बहाने कुछ बेवजह के मुद्दे उठाना चाहता है। उन्होंने कहा ,” एकजुट राजग इस अविश्वास प्रस्ताव का गला घोंट देगा। ”
श्री कुमार ने कहा कि राजग पूरी तरह एकजुट है और सरकार को सौ फीसदी भरोसा है कि वह भारी बहुमत से जीत हासिल करेगी। उन्होंने दावा किया कि श्री मोदी के नेतृत्व को राजग से बाहर से भी समर्थन मिलेगा। हालाकि उन्होंने इस बारे में स्पष्ट रूप से कुछ कहने से इंकार कर दिया। श्री कुमार ने कहा कि भाजपा ने गुरूवार और शुक्रवार दो दिन के लिए अपने सदस्यों को सदन में रहने के लिए व्हिप जारी किया है।
अविश्वास प्रस्ताव मंजूर करने का कारण
बता दें कि कांग्रेस द्वारा मोदी सरकार की विफलताओं के मुद्दे पर अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने मंजूर नहीं किया, बल्कि उन्होंने टीडीपी द्वारा आंध्र प्रदेश को स्पेशल स्टेट्स का दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दी।
बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए में टीडीपी एक समय पार्टनर रही है। आंध्र प्रदेश को स्पेशल पैकेज के मुद्दे पर नाता तोड़कर टीडीपी अलग हो गई है। इसके बाद से लगातार अविश्वास प्रस्ताव की मांग करती रही, जिसका समर्थन कांग्रेस सहित विपक्ष की दूसरी पार्टियां भी कर रही थीं। मॉनसून सत्र के पहले दिन ही टीडीपी, कांग्रेस, एनसीपी जैसी पार्टियों ने फिर से अविश्वास प्रस्ताव दिया। इस पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने टीडीपी के द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को मंजूर कर लिया। इसके बाद चर्चा और वोटिंग का दिन भी तय कर दिया।
लोकसभा में बीजेपी की स्थिति
545 सदस्यों वाली लोकसभा में मौजूदा समय में 535 सांसद हैं। यानी बीजेपी को बहुमत हासिल करने के लिए महज 268 सांसद चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष को हटाकर बीजेपी के पास अभी 273 सदस्य हैं। इसके अलावा बीजेपी के सहयोगी दलों में शिवसेना के 18, एलजेपी के 6, अकाली दल के 4, आरएलएसपी के 3, जेडीयू के 2, अपना दल के 2 अन्य के 6 सदस्य हैं। इस तरह से कुल संख्या 314 पहुंच रही है। ऐसे में बीजेपी को अविश्वास प्रस्ताव को गिराने और सरकार को बचाने में कोई दिक्कत नहीं होने वाली।
विपक्ष की स्थिति
विपक्षी दलों की बात करें तो मौजूदा समय में लोकसभा में सबसे ज्यादा 48 सीटें कांग्रेस के पास हैं। अविश्वास प्रस्ताव लाने वाली टीडीपी के पास 16 सीटें हैं, जबकि जेडीएस के 1, एनसीपी के 7, आरजेडी के 4, टीएमसी के 34, सीपीआईएम के 9, सपा के 7 सदस्य हैं। इसके अलावा आम आदमी के 4, टीआरएस के 11, वाईएसआर कांग्रेस के 4,एयूडीएफ के 3 और बीजेडी के 20 सदस्य हैं। इन्हें मिला लेते हैं फिर भी 268 के आंकड़े को छू नहीं पा रहे हैं। इस तरह साफ है कि सदन में अविश्वास प्रस्ताव का औंधे मुंह गिरना तय है।