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लालू की जमानत बढ़ाने की याचिका खारिज,30 अगस्त तक करना होगा सरेंडर:झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की जमानत बढ़ाने की याचिका को खारिज कर दिया है। लालू ने हाईकोर्ट में अपनी तबीयत को लेकर जमानत बढ़ाने की याचिका दायर की थी। उनका इलाज एक सप्ताह से अधिक समय से मुंबई के एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट में चल रहा है।

लालू चारा घोटाले के आरोपी है जो फिलहाल में जमानत पर चल रहे हैं। रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने लालू को चारा घोटाले के तीन अलग-अलग मामलों में दोषी करार देकर सजा सुनाई है। बता दें कि कोर्ट ने लालू से 30 अगस्त तक सरेंडर करने को कहा है।

इससे पहले कोर्ट ने 17 अगस्त को हुई सुनवाई में लालू यादव की जमानत अवधि को 27 अगस्त तक बढ़ा दिया था। उनके वकील प्रभात कुमार ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि लालू अभी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हुए हैं, इसलिए उनकी जमानत की अवधि को 3 महीने के लिए बढ़ा दिया जाए। लेकिन कोर्ट ने 20 से 27 अगस्त तक मात्र सात दिन के लिए अवधि बढ़ाई थी।

अविश्वास प्रस्ताव का गला घोंट देगा राजग,मोदी के नेतृत्व को बाहर से भी समर्थन मिलेगा:अनंत कुमार

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी शुक्रवार को लोकसभा को संबोधित कर सकते हैं। उनके अलावा लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और एक अन्य मेंबर भी सदन को संबोधित करेंगे। बता दे कि मोदी सरकार के खिलाफ टीडीपी की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को मंजूर कर लिया गया है। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा एवं वोटिंग के लिए लोकसभा अध्यक्ष ने शुक्रवार का दिन मुकर्रर किया है। लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के बहाने पॉलिटिक्स का वो ट्वेंटी-ट्वेंटी मैच होने वाला है, जिसमें सत्ता और विपक्ष दोनों को 2019 से ठीक पहले बैटिंग करने का भरपूर मौका मिला है। कांग्रेस सहित ज्यादातर विपक्षी दल एकजुट हैं, लेकिन मोदी सरकार इसे लेकर ज्यादा आशंकित नहीं दिख रही है। मोदी के पास पर्याप्त नंबर है, ऐसे में सरकार सदन में अविश्वास प्रस्ताव की अग्निपरीक्षा को आसानी से पार कर लेगी। ऐसे में एनडीए सरकार के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाकर पीएम मोदी के दांव में कहीं फंस तो नहीं गया है।

अविश्वास प्रस्ताव पर अनंत कुमार का बयान
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि राजग पूरी मजबूती तथा जनादेश के साथ सरकार चला रहा है। विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को पूरी तरह अनुचित बताते हुए उन्हाेंने कहा कि भले ही प्रस्ताव लाना विपक्ष का हक है लेकिन यह इसका उचित समय नहीं है और विपक्ष इसके बहाने कुछ बेवजह के मुद्दे उठाना चाहता है। उन्होंने कहा ,” एकजुट राजग इस अविश्वास प्रस्ताव का गला घोंट देगा। ”
श्री कुमार ने कहा कि राजग पूरी तरह एकजुट है और सरकार को सौ फीसदी भरोसा है कि वह भारी बहुमत से जीत हासिल करेगी। उन्होंने दावा किया कि श्री मोदी के नेतृत्व को राजग से बाहर से भी समर्थन मिलेगा। हालाकि उन्होंने इस बारे में स्पष्ट रूप से कुछ कहने से इंकार कर दिया। श्री कुमार ने कहा कि भाजपा ने गुरूवार और शुक्रवार दो दिन के लिए अपने सदस्यों को सदन में रहने के लिए व्हिप जारी किया है।

अविश्वास प्रस्ताव मंजूर करने का कारण
बता दें कि कांग्रेस द्वारा मोदी सरकार की विफलताओं के मुद्दे पर अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने मंजूर नहीं किया, बल्कि उन्होंने टीडीपी द्वारा आंध्र प्रदेश को स्पेशल स्टेट्स का दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दी।

बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए में टीडीपी एक समय पार्टनर रही है। आंध्र प्रदेश को स्पेशल पैकेज के मुद्दे पर नाता तोड़कर टीडीपी अलग हो गई है। इसके बाद से लगातार अविश्वास प्रस्ताव की मांग करती रही, जिसका समर्थन कांग्रेस सहित विपक्ष की दूसरी पार्टियां भी कर रही थीं। मॉनसून सत्र के पहले दिन ही टीडीपी, कांग्रेस, एनसीपी जैसी पार्टियों ने फिर से अविश्वास प्रस्ताव दिया। इस पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने टीडीपी के द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को मंजूर कर लिया। इसके बाद चर्चा और वोटिंग का दिन भी तय कर दिया।

लोकसभा में बीजेपी की स्थिति
545 सदस्यों वाली लोकसभा में मौजूदा समय में 535 सांसद हैं। यानी बीजेपी को बहुमत हासिल करने के लिए महज 268 सांसद चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष को हटाकर बीजेपी के पास अभी 273 सदस्य हैं। इसके अलावा बीजेपी के सहयोगी दलों में शिवसेना के 18, एलजेपी के 6, अकाली दल के 4, आरएलएसपी के 3, जेडीयू के 2, अपना दल के 2 अन्य के 6 सदस्य हैं। इस तरह से कुल संख्या 314 पहुंच रही है। ऐसे में बीजेपी को अविश्वास प्रस्ताव को गिराने और सरकार को बचाने में कोई दिक्कत नहीं होने वाली।

विपक्ष की स्थिति
विपक्षी दलों की बात करें तो मौजूदा समय में लोकसभा में सबसे ज्‍यादा 48 सीटें कांग्रेस के पास हैं। अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाने वाली टीडीपी के पास 16 सीटें हैं, जबकि जेडीएस के 1, एनसीपी के 7, आरजेडी के 4, टीएमसी के 34, सीपीआईएम के 9, सपा के 7 सदस्य हैं। इसके अलावा आम आदमी के 4, टीआरएस के 11, वाईएसआर कांग्रेस के 4,एयूडीएफ के 3 और बीजेडी के 20 सदस्य हैं। इन्हें मिला लेते हैं फिर भी 268 के आंकड़े को छू नहीं पा रहे हैं। इस तरह साफ है कि सदन में अविश्वास प्रस्ताव का औंधे मुंह गिरना तय है।

रोजा इफ्तार के बहाने विपक्षी दलों को न्योता, मोदी के खिलाफ महागठबंधन का ट्रायल

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी की कमान संभालने के बाद अब 2019 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी को मात देने के लिए सभी विपक्षी दलों को आपस में एकजुट करने के लिए साम दाम दंड भेद सभी तरह से जुटे हुए है। रोजा इफ्तार के बहाने राहुल की ओर से पहली बार विपक्ष के सभी प्रमुख नेताओं को न्योता दिया गया है। जबकि इससे पहले यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से निमंत्रण दिया जाता रहा है। अब गौर करने वाली बात ये है कि राहुल के बुलाने पर विपक्ष के कौन-कौन नेता एकजुट होते हैं? इस पर सभी की नजर है।

कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी ने पहली बार रोजा इफ्तार के बहाने विपक्षी दलों को न्योता दिया है। राहुल के लिए विपक्ष को एकजुट करना किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। वो भी ऐसे समय में जब विपक्ष के कई नेता हैं जो 2019 में विपक्ष का चेहरा बनने की कोशिश में है। यूपी में सपा, बसपा और आरएलडी एकजुट हो रहे हैं। जबकि टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने बीजेपी से मुकाबला करने के लिए वन-टू-वन का फॉर्मूला दिया दिया है। वहीं कांग्रेस सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाने की कवायद में जुटी है।

सभी विपक्षी दलों को न्योता
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने रोजा इफ्तार पार्टी के लिए सपा, बसपा, एनसीपी, आरजेडी, वामदल, जेडीएस सहित सभी विपक्षी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया है। हालांकि रामविलास पासवान जैसे एनडीए के उन नेताओं को न्योता नहीं दिया गया है, जो पहले यूपीए सरकार का हिस्सा रह चुके हैं। जबकि पहले माना जा रहा था, कि कांग्रेस उन नेताओं को भी न्योता दे सकती है जो पहले उसके साथी रह चुके हैं।

कांग्रेस के इतिहास में पहले भी मिला था न्योता
इससे पहले, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मार्च में विपक्षी दलों के लिए एक बड़ा भोज रखा था, जिसमें तकरीबन 17 विपक्षी पार्टियों के नेता शामिल हुए थे। सोनिया गांधी की ‘डिनर डिप्लोमेसी’ हर तरफ चर्चा का विषय बन गई थी। इस डिनर के जरिए सभी विपक्षी दलों का विश्वास बटोरना और उन्हें एकजुट करने का मकसद था। कांग्रेस ने कहीं न कहीं यह संकेत देने की कोशिश थी,कि आने वाले चुनावों मे अगर मोदी का विकल्प चुना गया तो, वह गठबंधन कांग्रेस के नेतृत्व में ही होगा।

कई सहयोगी दलों के नेता नहीं पहुंचेंगे
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव कांग्रेस अध्यक्ष की इफ्तार में शामिल नहीं हो सकेंगे क्योंकि आज ही पटना में आरजेडी की तरफ से इफ्तार का आयोजन किया गया है। आरजेडी प्रतिनिधि के तौर पर पार्टी प्रवक्ता मनोज झा शामिल होंगे। जेडीएस की ओर से कुंवर दानिश अली अपनी पार्टी का प्रतिनिधित्व करेंगे। इसके अलावा एनसीपी की ओर से तारिक अनवर के शामिल होने की संभावना है। बाकी विपक्ष के नेताओं के शामिल होने को लेकर तस्वीर अभी साफ नहीं है।

लालू ने गेंद नीतिश के पाले में डाली कहा-तेजस्वी से कभी इस्तीफा मांगा ही नहीं

तेजस्वी यादव के मामले में पिछले एक माह से चल रहे लुका-छुपी के खेल में राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने अपना आखिरी दांव चलते हुए कहा है कि नीतिश कुमार ने कभी इस्तीफा मांगा ही नहीं। लालू यादव ने साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि तेजस्वी यादव इस्तीफा नहीं देगें। विधान मंडल यह फैसला ले चुका है। राजद विधानमंडल दल की पटना में हुई बैठक के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में लालू प्रसाद यादव  ने महागठबंधन में किसी प्रकार की टूट से इनकार करते हुए कहा, महागठबंधन में कोई टूट वाली बात नहीं है। मैं रोज नीतीश कुमार से बात करता हूं। कल ही रात को हमारी बात हुई।

मैने गठबंधन बनाया, क्या में तोड़ दूगां

लालू प्रसाद यादव ने साफ शब्दों में इंकार किया कि उनके और नीतिश कुमार के संबंधों में कोई खटास है। राजद अध्यक्ष ने कहा-हमने ही महागठबंधन बनाया है और नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया है और हम ही इसे ढाह देंगे। ऐसा कहीं होता है क्या? यह महागठबंधन पांच साल के लिए बना है। उन्होंने कहा कि नीतीश का अनादर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह सब मीडिया के लोगों के दिमाग की उपज है। इससे पहले राजद विधानमंडल दल की बैठक हुई, जिसमें पार्टी के सभी विधायकों और विधान पार्षदों ने हिस्सा लिया।

नीतिश कुमार अब सार्वजनिक तौर पर इस्तीफा मांगेगे?

लालू प्रसाद  यादव के बयान के बाद यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार अब तेजस्वी यादव को इस्तीफा देने का सार्वजनिक तौर पर संदेश दे सकते हैं। यदि नीतिश कुमार इस्तीफे की मांग करते हैं तो राष्ट्रीय जनता दल समर्थन वापसी की घोषणा कर सकता है। तेजस्वी यादव के मामले में फैसला आज ही जेडीयू की बैठक में लिया जा सकता है।अगले कुछ घंटे बिहार की राजनीति के लिए काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। लालू यादव यदि समर्थन वापस लेते हैं तो कांगे्रस को भी यह तय करना होगा कि वे ताजा हालातों में नीतिश कुमार का दामन थामे या लालू प्रसाद यादव के साथ जाएं। हाल ही में कांगे्रस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री नीतिश कुमार से मुलाकात भी की थी। नीतिश-राहुल की मुलाकात के बाद आए लालू यादव के बयान को काफी अहम माना जा रहा है। लालू प्रसाद  यादव लगातार इस बात को दोहरा रहे हैं कि सीबीआई की कार्यवाही राजनीतिक दबाव में हो रही है।