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सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को मिली एंट्री,सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवेश पर लगी रोक हटाई

सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसले में केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी दे दी है। अदालत ने कहा कि महिलाओं का मंदिर में प्रवेश न मिलना उनके मौलिक और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।अदालत ने अपने फैसले में 10 से 50 वर्ष के हर आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश को लेकर हरी झंडी दिखा दी है।

पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ में एकमात्र महिला न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा ने अलग फैसला दिया। मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा ने जस्टिस एम.एम. खानविलकर की ओर से फैसला पढ़ते हुए कहा, “शारीरिक संरचना के आधार पर महिलाओं के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता। मिश्रा ने कहा, “सभी भक्त बराबर हैं और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हो सकता।”

सबरीमाला मंदिर

इस मंदिर में हर साल नवम्बर से जनवरी तक, श्रद्धालु अयप्पा भगवान के दर्शन के लिए भक्त उमड़ पड़ते हैं। क्योंकि बाकि पूरे साल यह मंदिर आम भक्तों के लिए बंद रहता है। भगवान अयप्पा के भक्तों के लिए मकर संक्रांति का दिन बहुत खास माना जाता है, इसीलिए उस दिन यहां सबसे ज़्यादा भक्त पहुंचते हैं।

वहीं, आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में महिलाओं का जाना वर्जित है। खासकर 15 साल से ऊपर की लड़कियां और महिलाएं इस मंदिर में नहीं जा सकतीं। यहां सिर्फ छोटी बच्चियां और बूढ़ी महिलाएं ही प्रवेश कर सकती हैं। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे।

कौन थे अयप्पा?

पौराणिक कथाओं के अनुसार अयप्पा को भगवान शिव और मोहिनी (विष्णु जी का एक रूप) का पुत्र माना जाता है। इनका एक नाम हरिहरपुत्र भी है। हरि यानी विष्णु और हर यानी शिव, इन्हीं दोनों भगवानों के नाम पर हरिहरपुत्र नाम पड़ा। इनके अलावा भगवान अयप्पा को अयप्पन, शास्ता, मणिकांता नाम से भी जाना जाता है। इनके दक्षिण भारत में कई मंदिर हैं उन्हीं में से एक प्रमुख मंदिर है सबरीमाला।इसे दक्षिण का तीर्थस्थल भी कहा जाता है।

मंदिर की खास बात

यह मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित है। यह मंदिर चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 18 पावन सीढ़ियों को पार करना पड़ता है, जिनके अलग-अलग अर्थ भी बताए गए हैं। पहली पांच सीढियों को मनुष्य की पांच इन्द्रियों से जोड़ा जाता है। इसके बाद वाली 8 सीढ़ियों को मानवीय भावनाओं से जोड़ा जाता है। अगली तीन सीढियों को मानवीय गुण और आखिर दो सीढ़ियों को ज्ञान और अज्ञान का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा यहां आने वाले श्रद्धालु सिर पर पोटली रखकर पहुंचते हैं। वह पोटली नैवेद्य (भगवान को चढ़ाई जानी वाली चीज़ें, जिन्हें प्रसाद के तौर पर पुजारी घर ले जाने को देते हैं) से भरी होती है। यहां मान्यता है कि तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर, व्रत रखकर और सिर पर नैवेद्य रखकर जो भी व्यक्ति आता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

केरल: बाढ़ की स्थिति जानने के लिए ISRO ने लगाई सैटेलाइट,सुरक्षा एजेंसियों की कर रहा है मदद

केरल में आए भयंकर बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। राज्य में पिछले 10 दिनों में बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में मरने वालों की संख्या 370 हो गई है। बाढ़ के प्रभाव में पड़ोसी राज्य तमिलनाडु और कर्नाटक भी बुरी तरह से आ गए हैं। केरल की मदद के लिए कई राज्य आगे आ रहे हैं और मुख्यमंत्री राहत कोष में खुल कर डोनेट कर रहे हैं। लाखों लोग रिलीफ कैंप में रहने को मजबूर हैं। हर तरफ से मदद के हाथ बढ़ रहे हैं। इसमें इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन का काम भी काफी अहम रहा है।

इसरो के पांच सैटेलाइट बाढ़ की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं और पल-पल की जानकारी दे रहे हैं, जिससे सुरक्षा एजेंसियों को राहत और बचाव कार्य में मदद मिल रही है। इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि, ओशनसेट-2, रिसोर्ससेट-2, कार्टोसेट-2 और 2A के अलावा इनसेट 3DR सैटेलाइट बाढ़ से जुड़ी रियल टाइम तस्वीरें ग्राउंड स्टेशन पर लगातार भेज रहे हैं। जिससे बाढ़ की स्थिति समझने और रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने में काफी मदद मिल रही है। सैटेलाइट से मिले इन आंकड़ों की मदद से बाढ़ को लेकर अलर्ट, कहां बारिश के बाद पानी भर रहा है, आगे मौसम कैसा रहेगा। इसकी जानकारी मिल रही है।

इन आंकड़ों को हैदराबाद के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर( NRSC) के डिसीजन सपोर्ट सेंटर( DSC) के पास भेजा जाता है, जहां पर इसका परीक्षण करके राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग को जानकारी भेजी जा रही है। इसमें इनसैट-3DR सबसे अहम रोल निभा रहा है। ये मौसम की जानकारी देने वाला उन्नत सैटेलाइट है, जिसमें इमेजिंग सिस्टम के अलावा तापमान, आर्द्रता की सटीक जानकारी देने की क्षमता है।

वहीं दूसरे रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट कार्टोसेट और रिसोर्ससेट बाढ़ग्रस्त इलाकों की हाई रेजोल्यूशन तस्वीरें भेजते हैं, जिससे पहले ही बाढ़ की सटीक जानकारी संबंधित विभागों को भेजने में मदद मिल रही है। शनिवार को केंद्र की तरफ से 500 करोड़ रुपए की तत्काल वित्तीय सहायता की घोषणा की गई। इससे पहले केंद्र द्वारा 100 करोड़ रुपये की घोषणा की गई थी।

मोदी ने केरल के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का किया हवाई सर्वेक्षण,500 करोड़ रुपये की दी आर्थिक मदद

केरल में हुई भयंकर बारिश और बाढ़ ने अबतक कई लोगों की जान ले ली है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल के बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया। साथ ही प्रधानमंत्री ने केरल के मुख्यमंत्री विजयन के साथ हालातों पर बैठक में चर्चा भी की। केरल के हालातों को लेकर कांग्रेस पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि केरल बाढ़ को बिना देरी किए राष्‍ट्रीय आपदा घोषित किया जाना चाहिए। वहीं, केंद्र ने केरल के लिए तुरंत राहत के तौर पर 500 करोड़ रुपये जारी किए हैं। हालांकि केरल सरकार ने केंद्र से 2000 करोड़ रुपये मांगे थे।

केरल की बदहाल स्थिति को देखकर कहा जा सकता है कि राज्य सदी की सबसे भीषण बारिश और बाढ़ का सामना कर रहा है। इस बीच भारतीय सेना का स्पेशल एयरक्राफ्ट खाने और मूलभूत चीजों के साथ तिरुवनंनतपुरम के बाढ़ प्रभावित इलाकों में पहुंचा है।

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने बाढ़ की स्थिति का जायजा लेने के लिए हवाई सर्वेक्षण किया। खराब मौसम के कारण हमारा हेलीकॉप्टर कुछ स्थानों पर नहीं जा सका। मोदी जी ने 500 करोड़ रुपये और सभी संभावित सहायता की घोषणा की है, जिसके लिए हमने उनका धन्यवाद करते है और हमने अधिक हेलीकॉप्टरों व नौकाओं की मांग की है।’

मौसम विभाग की अधिकारी डॉ.एस देवी ने बताया, 16 अगस्त तक केरल में 619.5 एमएम बारिश हुई है। आमतौर पर यह 244.1 एमएम होनी चाहिए। फिलहाल, बारिश की तीव्रता में कमी आई है। लेकिन दो दिनों तक भारी बारिश जारी रहेगी।’

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल का बचाव अभियान

इस बीच राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) के साथ ही सैनिकों ने फंसे लोगों को बचाने के लिए शनिवार सुबह से बचाव अभियान तेज कर दिया है । पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन के कारण सड़क जाम हो रहे हैं। कई गांव टापू में तब्दील हो गए हैं। इस बीच भारतीय नौसेना ने अपने बयान में कहा कि बेहद ही चुनौतीपूर्ण स्थितियों में कैप्टन पी राजकुमार (शौर्य चक्र) ने SeaKing 42B हेलीकॉप्टर की मदद से केरल में बाढ़ में फंसे 26 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला।

केरल उच्च न्यायालय माना पढ़ाई और हड़ताल एक साथ नहीं चल सकते

केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को माना कि शैक्षिक संस्थान केवल अध्ययन के लिए होते हैं और परिसर हड़ताल और विरोध प्रदर्शनों से मुक्त होने चाहिए। न्यायालय ने आगे कहा कि गड़बड़ी करने वाले छात्रों को निष्कासित भी किया जा सकता है।

मुख्य न्यायाधीश नवनीति प्रसाद सिंह की पीठ ने अंतरिम आदेश में कहा, “कारण चाहे जो भी हो, अब से, कालेज के अंदर कोई भी हड़ताल या विरोध प्रदर्शन नहीं होगा और जो भी इसका उल्लंघन करेगा उसे निष्कासित किया जा सकता है।

यदि कोई समस्या है और उसके समाधान की जरूरत है तो छात्र कालेज में और यहां तक कि न्यायपालिका में भी अपनी बात रख सकते हैं।”

अदालत मलप्पुरम जिले के पोन्नानी कालेज परिसर में छात्रों द्वारा जारी विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर एम.ई.एस. पोन्नानी में दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

अदालत ने कहा, “ऐसे विरोध प्रदर्शन नहीं होने चाहिए। अगर ऐसा होता है तो इसे रोकने के लिए अधिकारी पुलिस की मदद ले सकते हैं। जो छात्र राजनीति के माध्यम से राजनीति में अपना करियर बनाना चाहते है,

 

उन्हें पढ़ाई छोड़कर राजनीति में शामिल हो जाना चाहिए।”

मामले की सुनवाई सोमवार तक टाल दी गई है।