लोकसभा चुनाव की तैयारियों के केंद्र में कांग्रेस के कार्यकर्ता का निराशा का भाव महत्वपूर्ण हो गया है। भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा की सभी 29 सीटें जीतने में आशा की किरण भी कांग्रेस के कार्यकर्ता की निराशा ही है। भारतीय जनता पार्टी के सबसे ताकतवर नेता और देश के गृह मंत्री अमित शाह ने एक दिन में मध्यप्रदेश के तीन अलग-अलग स्थानों पर बैठकें लीं। इन बैठकों में एक स्वर समान रूप से सुनाई दिया और वह है कांग्रेस के निराश कार्यकर्ता के गले में भाजपा का भगवा गमछा डालना। अमित शाह ने रविवार को ग्वालियर, खजुराहो और भोपाल में अलग-अलग बैठक ली थीं। ग्वालियर में कार्यकर्ताओं से बातचीत में जो चार मंत्र दिए हैं उसमें कमोबेश वही रणनीति सामने आई जो विधानसभा चुनाव से पहले देखने को मिली थी।
भाजपा की चुनावी राजनीति हमेशा से बूथ आधारित रही है। किसी दौर में एक बूथ,दस यूथ का नारा दिया गया था। यह वो दौर था जब भाजपा के पास कार्यकर्ता नहीं थे। पार्टी अपना विस्तार करने के लिए हर बूथ पर दस युवा जोड़ने का लक्ष्य लेकर चली थी। आज वह विश्व का सबसे बड़ा राजनीतिक दल है। उसके कार्यकर्ता की संख्या करोड़ों में है लेकिन, चुनावी रणनीति बूथ को मजबूत रखने की है। बस तरीका अलग है। इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा कांग्रेस के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ रही है। कांग्रेस मुक्त भारत की लड़ाई को वह कांग्रेस मुक्त बूथ पर ले आई है। उसी विचारधारा और समर्पित काडर कांग्रेसियों के चेहरे में जीत देख रहे हैं।
शाह के वो चार मंत्र जिससे बूथ होगा कांग्रेस मुक्त?
अमित शाह ने लोकसभा चुनाव को जीतने के लिए कार्यकर्ताओं को जो मंत्र दिया है,उसमें कांग्रेस कार्यकर्ता को भाजपा में लाना सबसे अहम है। भाजपा,कांग्रेस के कार्यकर्ता को अपने दल में शामिल कराने के लिए उतावली क्यों है? क्या इससे उसका मूल कार्यकर्ता निराश नहीं होगा? ये वो अहम सवाल थे, जिनका जवाब अमित शाह ने दिया। अमित शाह ने पार्टी कार्यकर्ता को यह भरोसा दिलाया है कि दल बदल कर आने वाले नेताओं से उसका अधिकार खतरे में नहीं पड़ेगा? फिर यह सवाल उठता है कि कांग्रेस का जो कार्यकर्ता भाजपा में आएगा तो वह भी पद प्रतिष्ठा के लिए ही आएगा। जैसा कि अन्य मामलों में देखा गया। होशंगाबाद से सांसद रहे राव उदय प्रताप सिंह भाजपा में शामिल हुए तो पार्टी ने उन्हें टिकट भी दी। भाजपा का मूल कार्यकर्ता राव उदय प्रताप सिंह के सामने कब टिका?
हक मूल कार्यकर्ता का मारा गया। ऐसे और भी उदाहरण हैं। भाजपा कार्यकर्ता के बजाए दलबदल कर आए नेता टिकट पा रहे हैं। कांग्रेस के नेताओं को अपना भविष्य सुरक्षित नहीं लगेगा तो वे भाजपा में आएंगे भी नहीं। दलबदल का यह मॉडल, गुजरात मॉडल का ही हिस्सा है। इस मॉडल की सफलता में बूथ भी महत्वपूर्ण है। बूथ पर विरोधी दल के परंपरागत वोट को तोड़कर पार्टी में लाना फिर उसका शुद्धिकरण। शुद्धिकरण भाजपा की विचारधारा को रटाकर किया जाता है। इसके बाद संस्कारीकरण की परंपरा शुरू होती है। जब बूथ पर पार्टी का विस्तार, शुद्धिकरण हो जाए तो वहां कार्यकर्ता को संस्कारीकरण करना शुरू हो जाता है। । मतलब यहां लोगों को बताना है कि भाजपा में कार्यकर्ता ही सबसे बड़ा होता है। यहां विकास, सिद्धांत, पारदर्शिता के जो संस्कार हैं, उससे बूथ को संस्कारित करना है, जिससे हर बूथ पर भाजपा की पकड़ मजबूत हो सके।
गृहमंत्री अमित शाह ने क्लस्टर बैठक में कार्यकर्ताओं से कहा कि जब पहले तीन मंत्र पूरे हो जाएं तो चौथा मंत्र है- बूथ को परिपूर्ण कर उसे अजेय बनाना। मतलब जब बूथ आपका हो जाएगा तो उसे कांग्रेस मुक्त बनाकर उसे अजेय बना देना, जिससे वहां भाजपा की जीत के अलावा कुछ और न सुनाई दे न दिखाई दे।
कांग्रेस निराश कार्यकर्ता में कैसे भरेगी ऊर्जा
भारतीय जनता पार्टी की दल बदल की रणनीति से कांग्रेस में चिंता स्वाभाविक है। कांग्रेस अपने निराश कार्यकर्ता में ऊर्जा भरने के लिए क्या कर रही है? क्या ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप से पार्टी का कार्यकर्ता उत्साहित हो जाएगा? इस बारे में पार्टी के अधिकांश बड़े नेता इस पर सहमत नहीं होंगे। पार्टी कार्यकर्ता को जोड़कर कैसे रखा जाए,इसकी कोई रणनीति सामने दिखाई नहीं दे रही। राज्य के प्रभारी महासचिव भंवर जितेन्द्र सिंह तो कह चुके हैं जिसे जाना है,उसके लिए दरवाजे खुले हुए हैं। इस तरह के बयान पार्टी के छोटे कार्यकर्ता में असुरक्षा का भाव भी भर रहे हैं। उसके सामने जब कमलनाथ जैसे नेताओं के नाम दल छोड़ने की संभावना से जुड़कर सामने आते हैं तो उसे बचाव के लिए कहना पड़ता है कि अच्छा है फूल छाप कांगे्रसी चले जाएं? ऐसी स्थिति में कमलनाथ की जिम्मेदारी बनती है कि वे ड्राइंग रूम से मैदान में आएं और पार्टी का वॉर रूम संभालें। रविवार को गृह मंत्री अमित शाह जब अपने कार्यकर्ता को दल बदल का मंत्र सिखा रहे थे,ठीक उसी वक्त कमलनाथ एक वर्चुअल मीटिंग में अध्यक्ष जीतू पटवारी को सलाह दे रहे थे कि उम्मीदवार जल्द घोषित किए जाएं।
कांग्रेस में मुश्किल है पहले उम्मीदवारों की घोषणा
विधानसभा चुनाव के समय भी कमलनाथ लगातार इस बात को कह रहे थे कि वे उम्मीदवार की घोषणा तीन-चार माह पहले कर देंगे। इससे उन्हें प्रचार करने के लिए समय मिल जाएगा। लेकिन, कांग्रेस ने अपनी रीति-नीति के अनुसार ही उम्मीदवारों की घोषणा की। भारतीय जनता पार्टी ने पहले उम्मीदवारों की घोषणा कर सभी को चौंका दिया था। लोकसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी अपने कुछ उम्मीदवार चुनाव की घोषणा से पहले ही करने की तैयारी में है। कांग्रेस में टिकट की घोषणा राहुल गांधी की न्याय यात्रा के पूरे होने के बाद ही संभव दिखाई देती है। न्याय यात्रा का समापन सात मार्च को होगा। इससे पहले 2 मार्च को यात्रा मध्यप्रदेश में प्रवेश करेगी। इसके बाद आगे निकल जाएगी। कांग्रेस ने उम्मीदवारों के नाम का पैनल जरूर तैयार कर लिया है। कमलनाथ चाहते हैं कि जिन्हें टिकट देना है उन्हें पहले बता दिया जाए। इसमें खतरा यह बना रहेगा कि भाजपा अंतिम समय पर उनके किसी उम्मीदवार का दलबदल करा दे। जैसा कि 2014 के लोकसभा चुनाव के समय हुआ था। डॉ. भागीरथ प्रसाद कांग्रेस से टिकट लेकर भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा ने उन्हें भिंड से अपना उम्मीदवार बनाया था। भागीरथ प्रसाद के दल बदल के कारण कांग्रेस को अंतिम समय में अपना नया उम्मीदवार देना पड़ा था।
कांग्रेस की एनओसी रणनीति कितनी कारगर
भारतीय जनता पार्टी के मुकाबले में कांग्रेस अपना बूथ बचाने के लिए क्या कर रही है? यह भी महत्वपूर्ण सवाल है जो कांग्रेस के मैदानी कार्यकर्ता के जहन में भी है। कांग्रेस के मैदानी कार्यकर्ता की सक्रियता उम्मीदवार की घोषणा पर निर्भर करती है। हर उम्मीदवार अपने हिसाब से रणनीति बनाता है। कई बार तो बूथ कार्यकर्ता तक उसकी पहुंच ही नहीं हो पाती। भाजपा जैसी पन्ना प्रभारी की व्यवस्था यहां नहीं चल पाती। फिर कांग्रेस माहौल बनाने की पूरी कोशिश कर रही है। कांग्रेस प्रभारी महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह भाजपा की रणनीति का लगातार अध्ययन कर रहे हैं। इसके आधार उन्होंने अगले तीन दिन में बूथ कार्यकर्ता तक वोटर लिस्ट पहुंचाने के लिए कहा है। कार्यकर्ता से अपने बूथ के वोटर के बारे में रिपोर्ट भी मांगी है। इस रिपोर्ट में तीन श्रेणी निर्धारित करना है। पहली श्रेणी उस वोटर की रखी गई है जो कांग्रेस को वोट नहीं देता। इसे एन का नाम दिया गया है। दूसरी श्रेणी न्यूट्रल वोटर की है। इसे ओ श्रेणी बनाकर रखा जाना है। तीसरी श्रेणी कांग्रेस के प्रतिबद्ध वोटर की है। इसे सी श्रेणी दी गई है। एनओसी रिपोर्ट की निगरानी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी करेगी। यह कांग्रेस की योजना है। यह अमल कितनी आती है,यह जल्द सामने होगा।
कमलनाथ को छिंदवाड़ा को जीतने भाजपा की मैदानी जंग
भारतीय जनता पार्टी को अपना 370 सीटों का लक्ष्य पूरा करना है तो छिंदवाड़ा की लोकसभा सीट उसे हर हाल में जीतना होगी। गृह मंत्री अमित शाह ने ग्वालियर से लेकर भोपाल तक की बैठक में सिर्फ छिंदवाड़ा की बात की। पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 29 में से 28 सीटें जीतीं थीं। भाजपा यह मानकर चल रही है कि मोदी की गारंटी से 28 सीटें फिर उसके खाते में होंगी। लेकिन, 29 वीं सीट छिंदवाड़ा में मुश्किल कम करने के लिए उसे दल बदल का सहारा लेना पड़ रहा है। उसकी मैदानी रणनीति काफी कसी हुई है। कमलनाथ के छिंदवाड़ा लौटने से पहले ही उनके कई नजदीकियों को भगवा दुपट्टा पहना दिया। पांढुर्णा के नगर पालिका अध्यक्ष, 7 पार्षद, 16 सरपंच और जनपद सदस्य भाजपा में शामिल हो गए हैं। भाजपा ने यहां जिला अध्यक्ष से लेकर बूथ अध्यक्ष तक को टारगेट दिया है। काम है कांग्रेस के लोगों का भरोसा जीतकर उन्हें अपना बनाओ। जिला अध्यक्ष से लेकर पन्ना प्रमुख तक इसी काम लगे लोगों का मन बदलने के मिशन में। पार्टी इस बात का भी रिकॉर्ड रख रही है कि किसने कितने कांग्रेसी तोड़े। गांवों में रात्रि विश्राम कार्यक्रम चलाया जा रहा है। मॉनिटरिंग राज्य और केंद्र दोनों स्तर पर हो रही है। कई बार प्रदेश मुख्यालय से किसी भी कार्यकर्ता के पास सीधे फोन कर जानकारी ली जाती है। मंडल अध्यक्ष हफ्ते में एक बार शक्ति केंद्र अध्यक्षों और बूथ अध्यक्षों के साथ मीटिंग करता है। हफ्तेभर के काम का अपडेट लेता है।
इसी तरह बूथ अध्यक्ष पन्ना प्रभारियों की साप्ताहिक बैठक लेता है। अभी हम गांव-गांव में बूथ चलो अभियान चला रहे हैं। इस अभियान के तहत भाजपा जिला संगठन के कार्यकर्ता, क्षेत्र के मंडल अध्यक्ष, शक्ति केंद्र अध्यक्ष, बूथ अध्यक्ष और पन्ना प्रभारी गांव-गांव जाते हैं। वहां रात्रि विश्राम करते हैं। संगठन से जुड़े लोगों के यहां ही भोजन करते हैं।पूरे गांव को इकट्ठा कर नुक्कड़ सभाएं करते हैं। लोगों को सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में बताते हैं। इससे प्रभावित होकर कई लोग वहीं भाजपा जॉइन कर लेते हैं। बूथ चलो अभियान के तहत हम घर-घर जाकर मतदाताओं को जागरूक कर रहे हैं। बूथ से बूथ को जोड़ते जा रहे हैं।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं पावर गैलरी पत्रिका के मुख्य संपादक है. संपर्क- 9425014193