इंदौर की सेशन जज मनीषा बसीर की अदालत में एक मुकदमा ऐसा चल रहा है जिसमें फरियादी रिटायर्ड हाईकोर्ट जज है। फरियादी रिटायर्ड हाई कोर्ट जस्टिस आलोक वर्मा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने बयान अदालत में दर्ज कराए। मामला जस्टिस वर्मा को आपत्तिजनक मैसेज भेजने का है। यह मैसेज जमानत के एवज में राशि के भुगतान के संबंध में था। मामला काफी दिलचस्प भी है और राजनीतिक भी है। यह मामला इस बात की ओर भी इशारा करता है कि अपने राजनीतिक विरोधियों को नुकसान पहुंचाने के लिए नेता किस तरह के हथकंडे अपनाते हैं।
जस्टिस आलोक वर्मा इंदौर हाई कोर्ट के जज का उत्तर दायित्व निभाते हुए अलीराजपुर जिला पंचायत के अध्यक्ष सेना पटेल के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले में जमानत के आवेदन पर सुनवाई कर रहे थे। इस दौरान उन्हें एक एसएमएस अपने मोबाइल पर मिला इस एसएमएस में लिखा हुआ था कि सेना पटेल की जमानत के लिए दस लाख रुपए की राशि वकील आशीष गुप्ता को दे दी है। वकील पांच लाख रूपए की मांग और कर रहे हैं। जस्टिस वर्मा ने तत्काल इस मामले की सूचना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को दी। रजिस्ट्रार की शिकायत पर इंदौर क्राइम ब्रांच ने मामले को जांच में लिया।
जांच में यह तथ्य सामने आया कि अलीराजपुर के विधानसभा उपाध्यक्ष विक्रम सेन ने अध्यक्ष सेना पटेल की जमानत ना हो सके इस उद्देश्य से एसएमएस जस्टिस वर्मा को भेजा था। मैसेज भेजने के लिए एक नई सिम खरीदी थी । सेना पटेल के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में जांच चल रही थी। जस्टिस वर्मा ने अदालत में पूरे घटनाक्रम पर अपने बयान दर्ज कराए।