पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में गठबंधन की राजनीति से किनारा करने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा का चुनावभी अकेले लड़ने का एलान कर दिया है ।
मायावती ने कहा कि पार्टी अपने अनुभव के आधार पर यह निर्णय ले रही है। गठबंधन की राजनीति में बसपा का अनुभव अच्छा नहीं रहा। मायावती ने कहा कि दूसरी पार्टियां हमारे उम्मीदवार के पक्ष में वोट ट्रांसफर करने की न तो नीयत रखते हैं और न क्षमता। इससे पार्टी के लोगों का मनोबल प्रभावित होता है और इस कड़वी हकीकत को नजरअंदाज कर आगे नहीं बढ़ा जा सकता है।
बसपा प्रमुख मायावती ने बुधवार को साफ कर दिया कि आगामी लोकसभा चुनाव पार्टी अकेले अपने दम पर लड़ेगी और इसी के तहत उन्होंने संगठन को खर्चीले तामझाम और नुमाइशी कार्यक्रमों से दूर रहते हुए जन जन तक जुड़कर काम करने का निर्देश दिये हैं। इस संबंध में यहां उन्होंने प्रदेश के वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारियों, प्रभारियों और अन्य जिम्मेदार लोगों के साथ बैठक कर पिछली बैठक में दिये गये निर्देशों की रिपोर्ट ली। बैठक में गहन चिंतन के बाद स्पष्ट हुई कमियों पर प्रभावी नियंत्रण करते हुए पूरे तन मन धन से लोकसभा चुनाव में जुटने का आह्वान किया। उन्होंने राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में चुनाव के ठीक बाद लोकसभा चुनाव की अपेक्षित घोषणा को देखते हुए पार्टी उम्मीदवारों के चयन को लेकर खासी सावधानी बरतने के निर्देश दिये।
उन्होंने कहा कि जहां तक चुनावी माहौल का सवाल है तो सभी तरफ से यही फीडबैक है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की संकीर्ण जातिवादी और सांप्रदायिक नीतियों के कारण पूरी जनता त्रस्त है और इसी कारण भाजपा का जनाधार कमजोर हो गया है और यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी। इस कारण उत्तर प्रदेश का चुनाव एकतरफा न होकर काफी दिलचस्प तथा देश की राजनीति को एक नयी करवट देने वाला साबित होगा।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि जबरदस्त महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, द्वेषपूर्ण राजनीति और देश में बिगड़ते माहौल से आमजन पूरी तरह से त्रस्त है। भाजपा की तरह ही कांग्रेस की भी कथनी और करनी में बड़ा अंतर है। कुल मिलाकर एक ओर सत्ता तथा विपक्षी दलों का गठबंधन लोकसभा चुनाव में जीत के अपने अपने दावे ठोक रहे हैं लेकिन दोनों के ही दावे सत्ता में बने रहने के बावजूद खोखले साबित हुए हैं। दोनों की ही नीतियों और कार्यशैलियों से देश के गरीब, पिछड़े,दलित और मजदूर और एक तरह से सर्वजन का हित तो कम ,अहित अधिक हुआ है।
न्होंने कहा कि बसपा समाज से भी वर्गों को जोड़कर आगे बढ़ाने का प्रयास करती है जबकि वह तोड़कर कमजोर करने की संकीर्ण राजनीति में ही अधिकतर व्यस्त रहते हैं इसलिए इनसे सुरक्षित दूरी बनाना ही बेहतर है। बसपा सुप्रीमो ने पार्टी में कुछ जरूरी बदलाव करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश विशाल और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य है इसी कारण यहां राजनीतिक हालात तेजी से बदलते हैं। इसी कारण पार्टी में कुछ बदलाव अच्छे चुनावी परिणाम हासिल करने की नीयत से लगातार करने होते हैं, इसलिए जो जिम्मेदारी दी जाती है उसे कम न आंके और पार्टी के हित को सर्वोपरि मानकर पूरी निष्ठा और ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी निभायें।
लोकसभा चुनाव में भी किसी दल से गठबंधन कर चुनाव नहीं लड़ेगी बसपा
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