Homeराज्यमध्य प्रदेशनरेन्द्र मोदी के कोरोना माइक्रो कंटेनमेंट झोन फार्मूले पर कितना अमल किया?

नरेन्द्र मोदी के कोरोना माइक्रो कंटेनमेंट झोन फार्मूले पर कितना अमल किया?

Published on

कोरोना माइक्रो कंटेनमेंट झोन बनाने की सलाह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यों को दी थी। मध्यप्रदेश उन चुनिंदा राज्यों में है जिसने पहले पीक के आंकड़ों को पार कर रेड झोन में लाकर अपने आपको खड़ा कर लिया है।

सलाह थ्री टी सलाह थी। टेस्ट,ट्रेक और ट्रीट। लेकिन तीनों पर कोई अमल मध्यप्रदेश में होता दिखाई नहीं दिया है।

कोरोना की दूसरे पीक में मानवता के मरने के जो रूप सामने आ रहे हैं,वे डरावने हैं। ये रूप सिस्टम की ही उपज हैं।

शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल जब यह कहते हैं कि जिसकी उम्र हो गई है,उसे मरना हैं

तो यह सरकार के गैर जिम्मेदाराना रवैयो को दर्शाता है।सिस्टम की मौत हो चुकी है।

इसके साथ-साथ मानवता भी मर गई है। दुनिया में जो आया है वह जाएगा।

राजा,रंक फकीर। जीवन का दान कोई नहीं दे सकता। आज नहीं तो कल मरना ही है।

यही वो सच है जिसका पता हर जीव को है। दुनिया से जाना कब है यह कोई नहीं जानता। लेकिन,कोई इस कारण जीवन जीना नहीं छोड़ देता कि उसे तो एक दिन मरना है।

तीरथ सिंह रावत और प्रेम सिंह पटेल की सोच समान 

प्रेम सिंह पटेल का यह बयान उसी तरह का है जिस तरह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने लड़कियों के फटी जींस पहनने के बारे में दिया था।।

सरकार ने जिस तरह से सीबीएसई और नीट पीजी की परीक्षाएं स्थगित की हैं,उस तरह से हरिद्वार में कुंभ का आयोजन भी सांकेतिक किया जा सकता था।

क्या किसी आखाड़े का कोई महामंडेलश्वर यह दावा कर सकता है कि उसकी मौत नहीं आना है।

वह संक्रमण की चपटे में नहीं आएगा?

साधु-संत समाज का ही हिस्सा हैं। वे भी सच और आपदा को जानते हैं।

मृत्यु अटल है यह भी जानते हैं। साधु-संतों का भी भरोसा अब सरकार से उठ रहा है।

वे भी मानते हैं कि लोगों की मौत स्वास्थ्य सेवाओं में कमी के कारण हो रही है।

इंसान की यदि स्वभाविक मौत होती है तो कोई सिस्टम को दोष नहीं देता।

जब इलाज के अभाव में लोग मरते हैं तो सवाल सिस्टम पर ही खड़े होते हैं।

हमारी व्यवस्था पर खड़े होते हैं। मुख्यमंत्री की क्षमता पर खड़े होते हैं।

दूसरा पीक हमारी प्रशासनिक ढिलाई के कारण

कोरोना के दूसरे पीक के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से पिछले सप्ताह बात की थी।

उन्होंने जिन बातों पर अमल करने की सलाह दी थी,

उस पर प्रेम सिंह पटेल की सरकार अर्थात शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने कितना अमल किया?

प्रधानमंत्री ने साफ तौर पर कहा था कि यह दूसरा पीक हमारी प्रशासनिक ढिलाई के कारण आ गया है।

मध्यप्रदेश उन चुनिंदा राज्यों में है जिसने पहले पीक के आंकड़ों को पार कर रेड झोन में लाकर अपने आपको खड़ा कर लिया है।

खुद प्रधानमंत्री ने मध्यप्रदेश का उल्लेख किया है।

तस्वीर ऐसी नहीं है जिस पर मुख्यमंत्री या उनकी सरकार का कोई नुमांइदा उन बातों को गिनाए,जिसे करना उसकी नैतिक जिम्मेदारी थी।

क्या सरकार का कोई नुमाइंदा यह बता सकता है कि हमने पंद्रह दिन पहले स्थिति का आकलन कर आवश्यक इंतजामात कर लिए थे।

कोई भी व्यवस्था यदि बेकसूर की जान ले लेती है तो वह अपराधी ही मानी जाएगी।

सिस्टम और मानवता की हत्या होने पर कोई गुनाहगार सिर्फ इसलिए माफ नहीं किया जा सकता क्यों कि वह संवैधानिक पद पर बैठा है।

मौजूदा दौर में फरियादी को आरोपी बनाकर सिस्टम ने खड़ा कर दिया है।
आदमी, आदमी को क्या देगा

जो भी देगा वही खुदा देगा

मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है

क्या मेरे हक में फ़ैसला देगा

जिन्दगी को करीब से देखो

इसका चेहरा तुम्हें रुला देगा

हमसे पूछो दोस्ती का सिला

दुश्मनों का भी दिल हिला देगा

इश्क का ज़हर पी लिया जिसने

मसीहा भी क्या उसे दवा देगा
(सुदर्शन फकीर)

प्रधानमंत्री ने राज्यों को कोरोना माइक्रो कंटेनमेंट झोन बनाने की सलाह भी दी थी। सलाह थ्री टी सलाह थी।

टेस्ट,ट्रेक और ट्रीट। लेकिन तीनों पर कोई अमल मध्यप्रदेश में होता दिखाई नहीं दिया है।

शायद मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार और उसके अफसरों ने प्रधानमंत्री की कोरोना माइक्रो कंटेनमेंट झोन की सलाह को भी जुमला मानकर अनदेखा किया है।

प्रशासनिक ढिलाई के कारण दूसरा पीक

प्रधानमंत्री की सलाह बेहद महत्वपूर्ण थी। उन्होंने सलाह दी कि जो भी व्यक्ति पॉजेटिव आता है,

उसके तीस कॉन्ट्रेक्ट बहत्तर घंटे में तलाश कर लेना चाहिए।

जो भी कंटेनमेंन्ट झोन बने उसमें एक भी व्यक्ति बिना टेस्टिंग के नहीं रहना चाहिए।

माइक्रो कन्टेनमेन्ट झोन बनाने की दियाा में मध्यप्रदेश में समय रहते पहल ही नहीं की गई।

जिसके कारण कोरोना पॉजिटिविटी रेट कम नहीं हो रहा है।

प्रधानमंत्री पॉजेटिवीटी रेट पांच प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य दिया है।

कोरोना संक्रमण रोकने नौकरशाही ने किया क्या?

संक्रमण रोकने के लिए आखिर मध्यप्रदेश के राजनीतिक नेतृत्व और उसकी प्रतिबद्ध नौकरशाही ने आखिर किया क्या? सायरन बजबाया। सुबह ग्यारह बजे और शाम को सात बजे। इसके अलावा रोज नए स्लोगन दिए।

मास्क लगाने का संदेश देने के लिए। बिना मास्क के बात नहीं होगी,मुख्यमंत्री

शिवराज सिंह चौहान ने यह भी कहा।

लेकिन,दमोह के विधानसभा उप चुनाव के मैदान में वे गर्दन पर मास्क लगाए दिखाई दिए।

शिवराज सिंह चौहान ही नहीं देश का कोई भी राजनेता इस तरह की आपदा के प्रबंधन की कला नहीं जानता।

संसाधन आधारित व्यवस्था में ही कोई तरीका काम करता है।

यदि राज्य में पर्याप्त संसाधन ही नहीं है तो जनता का असमय काल के गाल में समा जाना स्वभाविक है।

कोरोना से हो रही मौतों के लिए सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती।

सरकार में बैठे लोग भी तो आम नागरिक की तरह ध्वस्त होती व्यवस्था को देखने के लिए मजबूर हैं।

क्या आपको लगता है कि सिस्टम में बैठे किसी मंत्री या नौकरशाह को इन मौतों पर ग्लानि हो रही होगी।

ऐसी उम्मीद करना नहीं चाहिए।

विस्तृत के लिए देखें https://powergallery.in/

ताज़ा खबर

सोनी सब के पुष्पा इम्पॉसिबल के नवीन पंडिता उर्फ अश्विन कहते हैं,”स्वरा सेट पर हमारी स्ट्रेसबस्टर है”

सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविज़न के होमग्रोन सिंगिंग रियलिटी शो, ‘सुपरस्टार सिंगर 3’ ने देश भर...

अरविंद केजरीवाल के घर पहुंची ED की टीम

अरविंद केजरीवाल के घर पहुंची ED की टीम

बीजेपी ने तीन राज्यो में चुनाव प्रभारी और सह प्रभारी का किया ऐलान

लोकसभा चुनाव की तैयारी में लगी बीजेपी ने राजस्थान सहित तीन राज्यों में चुनाव...

31 मार्च को रविवार होने के बावजूद देश के सभी बैंक खुले रहेंगे 

मौजूदा वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन 31 मार्च को रविवार होने के बावजूद देश...

संबंधित समाचार

अरविंद केजरीवाल के घर पहुंची ED की टीम

अरविंद केजरीवाल के घर पहुंची ED की टीम

बीजेपी ने तीन राज्यो में चुनाव प्रभारी और सह प्रभारी का किया ऐलान

लोकसभा चुनाव की तैयारी में लगी बीजेपी ने राजस्थान सहित तीन राज्यों में चुनाव...

31 मार्च को रविवार होने के बावजूद देश के सभी बैंक खुले रहेंगे 

मौजूदा वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन 31 मार्च को रविवार होने के बावजूद देश...