दिनेश गुप्ता
जबलपुर में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कैबिनेट की पहली औपचारिक मीटिंग थी। पहली इस मायने में कि मंत्रियों के विभागों के वितरण के बाद यह पहली औपचारिक बैठक थी। कैबिनेट की पिछली बैठक मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद हुई थी। पूरी तरह से अनौपचारिक बैठक थी। मंत्रियों को विभाग भी नहीं मिले थे। जबलपुर की बैठक में कैबिनेट की मंजूरी के लिए जो विषय कार्यसूची में थे,उनमें अधिकांश मामले अनुमोदन के थे। ग्वालियर मेले में वाहनों की खरीदी पर पचास प्रतिशत रोड टैक्स की माफी का आदेश पहले ही लागू हो चुका है। गुरुवार को मेले का शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया। तेंदूपत्ता संग्राहकों को चार हजार रुपए प्रति मानक बोरा मजदूरी दिए जाने का निर्णय पहले ही लिया जा चुका है। औपचारिक आदेश भी जारी किया जा चुका है। कैबिनेट में सिर्फ औपचारिक मंजूरी के लिए लाया गया था। राज्यपाल के अभिभाषण का प्रस्ताव भी सिर्फ अनुमोदन के लिए था। कोई चर्चा होना नहीं थी। मोटे अनाज के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रति किलो दस रूपए की राशि किसान को दिए जाने का निर्णय महत्वपूर्ण है। इसके लिए कैबिनेट ने रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना लागू करने का निर्णय लिया है। योजना के अंतर्गत श्री अन्न – कोदो-कुटकी, रागी, ज्वार, बाजरा आदि के उत्पादन करने वाले किसानों को प्रति किलो 10 रुपए की राशि प्रदान की जाएगी। यह राशि सीधे किसानों के खाते में अंतरित की जाएगी। मध्यप्रदेश में कोदो- कुटकी की खेती मण्डला, डिण्डोरी, बालाघाट, छिन्दवाड़ा, अनूपपुर, सीधी, सिंगरौली, उमरिया, शहडोल, सिवनी और बैतूल जिलों में होती है।
कोदो-कुटकी के किसानों की आय में वृद्धि के लिए फसल उत्पादन, भण्डारण, प्रोसेसिंग, मार्केटिंग, उपार्जन, ब्रांड बिल्डिंग के साथ वैल्यू चेन विकसित करने के उद्देश्य से रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना लागू की जा रही है। योजना को राजनीतिक नजरिए से भी देखा जा सकता है। कह सकते हैं कि लोकसभा चुनाव में लाभ के लिए यह योजना लागू की जा रही है। जबलपुर में कैबिनेट की मीटिंग रखने का उद्देश्य भी राजनीतिक ही था। इससे लोगों में विकास की उम्मीद भी जागी। मंत्रियों ने अपने-अपने विभाग से संबंधित गतिविधियों का जायजा लिया। लोगों से मिलकर भी उनकी जरूरतों को समझा। एक आशा का सकारात्मक भाव लोगों के अंदर आया है। पिछले कुछ सालों से राज्य में सरकार का कामकाज एक ही तरह के ढर्रे पर चल रहा था। मुख्यमंत्री भी उन्हीं से मिलते थे,जिनसे मिलना होता था। सुना भी उन्हें जाता था जिन्हें सुनना होता था। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रदेश भर का दौरा कर कार्यकर्ताओं से भी संवाद के द्वार खोले जा रहे हैं।
जहां बैठी कैबिनेट वहां तैयार हुआ महंगी बिजली का प्लान
जबलपुर में कैबिनेट की बैठक शक्ति भवन में हुई। शक्ति भवन में ही पावर मैनेजमेंट कंपनी का दफतर है। इस दफ्तर में ही बिजली महंगी करने का प्लान तैयार किया गया है। इस बार कंपनी की नजर ऐसे उपभोक्ताओं पर है जिनकी मासिक खपत 150 से 300 यूनिट तक है। कंपनी ने ऐसे उपभोक्ताओं के लिए बिजली 6.85 रुपए प्रति यूनिट पर देने का प्रस्ताव राज्य नियामक आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है। कंपनी ने 300 यूनिट पर लगने वाले टैरिफ को भी समाप्त करने का भी प्रस्ताव दिया है। नियत प्रभार में वृद्धि प्रस्तावित की गई है। शहरी क्षेत्र में तीन रुपए और ग्रामीण क्षेत्र में दो रुपए नियत प्रभार वसूलने का प्रस्ताव दिया है। बिजली को सत्रह पैसे से लेकर 24 पैसे प्रति यूनिट तक महंगा करने का प्रस्ताव है। वर्तमान में पचास यूनिट बिजली 3.34 प्रति यूनिट की दर पर मिल रही है। इसे बढ़ाकर 3.58 रुपए प्रति यूनिट किए जाने का प्रस्ताव है। पावर मैनेजमेंट कंपनी ने बिजली दरों में वृद्धि का प्रस्ताव अपने घाटे को पूरा करने के नाम पर दिया है। हर साल इसी आधार बिजली की दरें बढ़ती हैं। पिछली बार 1.65 फीसदी बिजली महंगी की थी। कंपनी ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि उसे 55072 करोड़ रुपए की जरूरत होती है। उसकी आमदनी 53026 करोड़ रुपए है। अंतर 2046 करोड़ रुपए का है।
मामा के घर की सियासत
शिवराज सिंह चौहान घर बैठने वाले राजनेता नहीं हैं। मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद वे अब तक सिर्फ एक बार दिल्ली गए हैं। वह भी पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के बुलावे पर। उन्होंने अपनी दिल्ली यात्रा में न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और न ही गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की कोई तस्वीर सामने आई। भाजपा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा अमित शाह बड़ा पावर सेंटर हैं। इस पावर सेंटर के नजदीक आए बगैर भाजपा की राजनीति संभव नहीं है। लेकिन, शिवराज सिंह चौहान मौजूदा दौर में अपनी ताकत के साथ राजनीति करते दिखाई दे रहे हैं। उनकी ताकत मध्यप्रदेश की महिला वोटर हैं। इनसे भाई और मामा का रिश्ता भी बना लिया है। अपने हर कार्यक्रम में वे इस बात का उल्लेख भी करने से नहीं चूकते। अब उन्होंने अपने 74 बंगला स्थित सरकारी आवास पर मामा का घर की तख्ती लगाकर आगे की सियासत भी स्पष्ट कर दी है।
जबलपुर के बाद किसकी बारी
जबलपुर में कैबिनेट की बैठक के बाद वहां के कलेक्टर सौरव कुमार सुमन को हटा दिया गया। सुमन को हटाने का फैसला शायद पहले ही ले लिया गया हो? लेकिन,आदेश बैठक के बाद जारी किए गए। जबलपुर के कलेक्टर बनाए दीपक सक्सेना नरसिंहपुर के कलेक्टर रह चुके हैं। वे 2020 तक नरसिंहपुर में पदस्थ थे। सक्सेना सितंबर 2021 से संचालक खाद्य एवं आपूर्ति और भंडार निगम के प्रबंध संचालक के पद पर पदस्थ हैं। जबलपुर कलेक्टर के पद से हटाए गए सौरव कुमार सुमन 2011 बैच के अधिकारी हैं। वे 2022 नवंबर में जबलपुर के कलेक्टर बने थे। अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं। बिहार मूल के अधिकारी हैं। जबकि जबलपुर के कलेक्टर बनाए दीपक सक्सेना मध्यप्रदेश के ही है। उनका गृह जिला उज्जैन है। उज्जैन मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव का भी गृह जिला है। संभव है इस कारण उन्हें एक बार फिर जिले में जाने का मौका मिल गया हो? सरकार ने गुरुवार को ही नरसिंहपुर में भी कलेक्टर की नियुक्ति कर दी है। शीतल पटले को जिम्मेदारी दी गई है। वे 2014 बैच की अधिकारी हैं। वर्तमान में वे उप सचिव मुख्यमंत्री तथा परियोजना संचालक स्किल डेवलपमेंट के पद पर पदस्थ थीं। इस तरह मुख्यमंत्री निवास से एक और अधिकारी की रवानगी कर दी गई है।
जबलपुर मीटिंग का पुलिस पर इफेक्ट
मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव द्वारा जबलपुर में संभागीय समीक्षा बैठक ली गई। इस बैठक में पार्टी के वरिष्ठ विधायक अजय विश्नोई की ओर पुलिस बल की कमी का मुद्दा उठाया गया। मुख्यमंत्री को बताया गया कि जबलपुर एवं इंदौर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने के बाद जबलपुर सहित प्रदेश के कई शहरों से आरक्षकों को वहां अटैच कर दिया गया। इनकी वापसी अब तक नहीं की गई है। मुख्यमंत्री ने तत्काल पुलिस महानिदेशक को कार्यवाही के लिए कहा गया। जो आरक्षण इंदौर एवं भोपाल में अटैच थे। उन्हें वापस कर दिया गया।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं पावर गैलरी पत्रिका के मुख्य संपादक है. संपर्क- 9425014193