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परीक्षा के प्रवेश पत्र में बिल गेट्स का फोटो और हस्ताक्षर, देखते ही अभ्यर्थी हैरान

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वाराणसी : एक परीक्षार्थी अपने प्रवेश पत्र पर बिलगेट्स की फोटो और हस्ताक्षर देख तब चौंक गया जब उसके प्रवेश पत्र में यह गलती दिखी । वाराणसी के कबीरचौरा स्थित पिपलानी कटरा निवासी आयुष्मान जायसवाल ने बताया कि उसने अपनी फोटो और हस्ताक्षर लगाकर फार्म भरा था। 14 जनवरी को पहले मोबाइल पर देखा तो प्रवेश पत्र पर बिलगेट्स की फोटो देखा तो समझ नहीं पाया। 16 को जब कप्यूटर से प्रिंट निकाला तब भी वही फोटो, हस्ताक्षर मिला। बताया कि इसके बाद 18 जनवरी को हाईकोर्ट में आनलाइन शिकायत कर इसकी जानकारी दी। इसके बाद 19 जनवरी की शाम को प्रवेश पत्र पर संशोधन हुआ और सही प्रवेश पत्र जारी किया गया। बताया कि 21 जनवरी को रोहनिया के राजेश्वरी बालिका इंटर कॉलेज में परीक्षा होगी।

ओएमआर सीट वितरण में गड़बड़ी से अभ्यर्थी परेशान

हाईकोर्ट की ओर से रविवार को कराई गई क्लर्क की परीक्षा में रोहनिया के एक केंद्र पर ओएमआर सीट वितरण में गड़बड़ी को लेकर परीक्षार्थी परेशान रहे। जब परीक्षार्थियों को गलत ओएमआर सीट मिली तो उन्होंने इसकी शिकायत कक्ष निरीक्षक से की। सूचना पाकर पुलिस भी पहुंची, तब जाकर मामला शांत हुआ।

हाईकोर्ट की और से दो दिन तक चलने वाली परीक्षा में रविवार को क्लर्क की परीक्षा कराई गई जबकि सोमवार को स्टेनोग्राफर की परीक्षा होगी। जिले के इंटर कॉलेजों में बने केंद्रों पर दो पाली में हुई परीक्षा में बनारस और आसपास के जिलों के अभ्यर्थी शामिल हुए।

इसमें रोहनिया क्षेत्र के बच्छाव में महेंद्र प्रसाद मेमोरियल स्कूल में ओएमआर सीट वितरण में गड़बड़ी सामने आई। इसमें अधिकांश अभ्यर्थियों के ओएमआर सीट और बुकलेट के नंबर में अंतर मिला, जिससे अभ्यर्थी परेशान रहें।

इसी बीच किसी ने पुलिस को परीक्षार्थियों के हंगामे की सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने स्कूल प्रबंधन से बातचीत कर मामला शांत कराया। इस बारे में पूछे जाने पर स्कूल के प्रधानाचार्य संजय श्रीवास्तव ने परीक्षा में किसी तरह की गड़बड़ी से इंकार किया है।

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कांग्रेस से गठबंधन न करने पर तेजस्वी यादव बोले- BJP को हराने के लिए SP-BSP ही काफी

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लखनऊ: लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी नेताओं का मिलना-जुलना लगातार जारी है. महागठबंधन की एकता को बढ़ाने के लिए पिछले कुछ दिनों में कई तरह के समीकरण सामने आए हैं. बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव ने सोमवार को समाजवादी पार्टी (SP) के मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात की. तेजस्वी यादव लखनऊ आए हुए हैं और बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती से मिलने के बाद उन्होंने अखिलेश से मुलाकात की है.

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव से मिलने के बाद राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि देश में अघोषित इमरजेंसी का माहौल है, आज देश में नौजवान बेरोजगार है. तेजस्वी ने कहा कि लालू जी ने जो कल्पना की थी, वह अब जाकर साकार हुई है, हमने अखिलेश और मायावती जी को बधाई दी है. जो अंग्रेजों के गुलाम रहे वो आज देश की सत्ता पर काबिज हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि संघ के एजेंडे पर आज संविधान से छेड़छाड़ हो रही है. उन्होंने कहा कि यूपी-बिहार से बीजेपी का सफाया तय है.

तेजस्वी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की 80, बिहार की 40 और झारखंड की करीब 14 सीटें अगर बीजेपी को मात देती हैं तो वह ऑटोमेटिक ही 100 सीटों से कम पर पहुंच जाएगी. उन्होंने कहा कि BJP के लोगों ने बड़े-बड़े सपने दिखाने के काम किए, बिहार के चुनाव में बोली लगाई गई. लेकिन जो स्पेशल पैकेज का ऐलान किया गया, उसका कुछ नहीं हुआ.

तेजस्वी ने कहा कि मायावती और अखिलेश यादव ने जो कदम उठाया है, उससे देश नागपुरिया कानून से बच जाएगा. उन्होंने कहा कि CBI-ED अब बीजेपी के पार्टनर हैं, लालू जी भी इसी वजह से जेल में हैं. कांग्रेस के गठबंधन में शामिल ना होने पर उन्होंने कहा कि सबका मकसद बीजेपी को हराना है, लेकिन बीजेपी को हराने के लिए सपा-बसपा ही काफी हैं.

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि तेजस्वी यादव ने गठबंधन करने के लिए जो बधाई दी है, उसके लिए धन्यवाद है. आज देश में किसान, नौजवान, व्यापारी सभी दुखी हैं. उन्होंने कहा कि आज यूपी में जो गठबंधन हुआ है, उससे पूरे देश में खुशी है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बीजेपी का संदेश देते हैं, वो कहते हैं कि ठोक दो, मुख्यमंत्री सांप-छछूंदर की भाषा का उपयोग करते हैं. अखिलेश ने योगी आदित्यनाथ को भी जवाब दिया, उन्होंने कहा कि हमारी सरकार थोड़ी जा रही है कि हम नाक रगड़ें, जिनकी सरकार जा रही है वो लोग नाक रगड़ें.

आम चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश और बिहार को महत्वपूर्ण राज्यों में गिना जाता है, ऐसे में दोनों प्रदेशों के मुख्य विपक्षी नेताओं का मिलना एक नए समीकरण को हवा दे सकता है. तेजस्वी यादव ने रविवार को लखनऊ में बसपा सुप्रीमो मायावती के आवास पर उनसे मुलाकात की. ये मुलाकात करीब डेढ़ घंटे तक चली. बताया जा रहा है कि सपा-बसपा के इस गठबंधन में राजद भी शामिल हो सकती है और बसपा को बिहार में 1-2 सीटें दी जा सकती हैं.

गौरतलब है कि अखिलेश यादव और मायावती ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को दरकिनार कर गठबंधन का ऐलान कर दिया है, जबकि बिहार में तेजस्वी यादव कांग्रेस को साथ लेकर महागठबंधन की अगुवाई कर रहे हैं. हालांकि, दोनों राज्यों में इनका लक्ष्य भारतीय जनता पार्टी को हराना ही है.

मायावती से मुलाकात करने के बाद तेजस्वी यादव ने कहा था कि हम सबसे छोटे हैं इसलिए सभी का आशीर्वाद लेने आए हैं. तेजस्वी ने कहा कि लालू यादव जी की भी यही सोच थी कि उत्तर प्रदेश में भी महागठबंधन हो, जो अब हो रहा है.

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योगी जी के सरकार में ये कर दिखाई पुलिस, कारनामे जानकर हो जाएंगे हैरान

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लखनऊ : पिस्टल लोड कैसे करते हैं पता नहीं.बंदूक चलानी नहीं आती. हथियारों के नाम से तो दुर-दुर तक कोई रिश्ता ही नही. ऊपर से गोली और आंसू गैस के गोले की एक्सपाय़री डेट कब निकल गई याद ही नहीं. अब ऐसे में आप यूपी पुलिस से क्या उम्मीद करेगें? बस इतना ही कह सकते हैं कि सचमुच कमाल है योगी जी की पुलिस. अब कोई बुरा ना मान जाए तो लगे हाथ ये भी बता दूं कि यूपी पुलिस की इतनी सारी काबलिय़त की पोल-पट्टी कोई और नहीं बल्कि खुद यूपी पुलिस ही खोल रही है. दरअसल, यूपी पुलिस के एक साहब को लगा कि चलो ज़रा अपनी टीम का टेस्ट ले लें. अब उस टेस्ट में क्या-क्या होता है ये देखने लायक है.

योगी जी तो कह रहे थे कि उत्तर प्रदेश की पुलिस को ऐसा बना देंगे कि खुद न्यूयॉर्क का पुलिस डिपार्टमेंट आकर पूछेगा कि भाई करते कैसे हो. तो अब यूपी पुलिस के इस सीक्रेट फार्मूले पर से पर्दा हटने वाला है. क्योंकि हम अब आपको दिखाने जा रहे हैं कि आखिर यूपी पुलिस करती कैसे है.

सबसे पहले पश्चिमी यूपी के बिजनौर ज़िले के नजीबाबाद थाने की ट्रेनिंग की झलक देखिए. जहां बिजनौर के सीओ अरुण कुमार ने आने से काफी पहले ये कह दिया था कि वो निरीक्षण करने आ रहे हैं. निरीक्षण की शुरुआत यूपी के इन दरोगा जी से हुई. दरोगा जी को पैलेट गन दिया गया और कहा चलाइए. अरे ये क्या ये मिस हो गई. सीओ साबह चिल्ला उठे.

एक अर्से से सरकार ने ये पैलेट गन थाने को दी हुई है. थाने के दिवान साहब ने संभाल कर भी रखी. पर ना दीवान साहब से मतलब. ना इंस्पेक्टर साहब से मतलब. चल रही है नौकरी. चलने दीजिए. थानेदार ने चलाई, लेकिन ये क्या साहब फिर कह रहे हैं कि ओह माई गॉड.. फिर मिस हो गई. मगर अब अगला फायर कैसे करें. गोली कहां लगेगी. कोई तो बता दो.

साहब थानेदार से बोले, अब बंदूक नीचे करो. गोली चेंज करो. वहां खड़े होकर ये सब देख रहे दीवान साहब की तो जैसे इज्जत पर बन आई. उन्होंने थानेदार से बंदूक छीनी और खुद निशाना लगाने लगे. मगर ये क्या दीवान ने गोली तो चलाई लेकिन फुस्स हो गई.

अब तो निरीक्षण अधिकारी ने आखिरकार कह ही दिया, रहने दो तुमसे ना हो पाएगा. चलिए अब दूसरी बंदूक ट्राइ करते हैं. कोई बोलेगे नहीं. एक तो सीओ साहब सिर पर खड़े हैं. ऊपर से दूसरे साथियों के सामने बेइज्जती भी हो रही है. चलिए कम से कम इंस्पेक्टर साहब को ये तो पता होगा ही कि ये बंदूक चलती कैसे है. साहब ने पूछा- बताइये इसे चलाते कैसे हैं. और इस बंदूक को कहते क्या हैं.

आज तो सरदार जी मुश्किल में फंस गए हैं. क्योंकि सीओ साहब के किसी भी सवाल का जवाब इंस्पेक्टर साहब के पास नहीं है. साहब ने झल्लाकर पूछा, पहला काम क्या करते हैं. दीवान साहब बार-बार इंस्पेक्टर साहब की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं. मगर सीओ साहब ने उन्हें चुप करा दिया.

करीब 15 से 20 मिनट के टेस्ट के बाद ये तय हुआ कि इंस्पेक्टर साहब को तो ना बंदूक चलाना आता है औऱ ना ही उसके बारे में उन्हें कुछ पता है. साहब ने अपने स्टाफ से कहा “लिखों इन सबके बारे में… शून्य जानकारी है.” खैर अब इंस्पेक्टर साहब की जानकारी ज़ीरो है. लिहाज़ा एसओ साहब ने निरीक्षण करने के बजाए हथियारों की जानकारी देनी शुरू कर दी.

मगर ये क्या एसओ साहब के समझाने और बताने के बाद भी इंस्पेक्टर साहब गन नहीं चला पाए. कुल मिलाकर एक कंबल पर बिछे असलहे और बारूद ने यूपी पुलिस के इन जवानों के ज़मीर की धज्जियां उड़ा दी. सीओ साहब को मजबूरी में कहना पड़ा- अगर आप प्रैक्टिस नहीं करेंगे तो बर्खास्त हो जाएंगे.

ऐसा नहीं है कि सीओ साहब थाने में किसी खास इंस्पेक्टर का इंस्पेक्शन करने आए हो. बल्कि उनका ये औचिक निरीक्षण तो पुलिस थाने और पुलिसवालों की तैयारी के लिए था. लिहाज़ा अब बारी थी थाने के दूसरे पुलिस वालों के सामान्य और प्रैक्टिल ज्ञान का.

उन्होंने थाने के उसी इंस्पेक्टर से पूछा इस असलहे का नाम क्या है. लीजिए साहब इंस्पेक्टर साहब तो बंदूक का नाम तक नहीं जानते. तो ये उसे चलाएंगे कैसे. हाथों में टियर गैस चलाने वाली बंदूक लेकर भी इंस्पेक्टर साहब ये नहीं बता पाए कि उसे कहते क्या हैं.

सीओ साहब फिर झल्ला गए और बोले- छोड़ दो नहीं हो पाएगा तुमसे. अब बारी थी थाने के दूसरे इंस्पेक्टर की. जिनके हाथ में आंसू गैस के गोले दिए गए. पूछा गया कि साहब इसे चलाते कैसे हैं. तो देखिए इंस्पेक्टर साहब ने क्या बताया. उन्होंने कहा कि आंसु गैस चलाएंगे और साहब लेट जाएंगे.

सीओ साहब ने सवाल दागा- आंसू गैस का गोला चलाने के बाद आप लेट जाएंगे? फिर सीओ साहब ने सबकी क्लास लगाई. हथियारों के सामान्य ज्ञान में यूपी पुलिस के जवानों का स्तर क्या है. थाने के दो दरोगाओं को छोड़कर दूसरे दरोगा तो पिस्टल और दूसरी राइफलों को खोल कर दोबारा बंद भी नही कर पाए. और ना ही उन्हें हथियारों के नाम तक पता थे.

जवानों के निरीक्षण के बाद साहब आगे बढ़े. हथियारों का निरीक्षण किया गया तो क्या सामने आया. पता चला कि कई बंदूक और हथगोले तो चार-चार साल पुराने हैं. कारतूस खराब हो चुके हैं. आंसू गैस के गोले भी धोखा दे गए. अब तो सीओ अरुण कुमार बुरी तरह झल्ला उठे और बोले- ये सारे एक्सपायर हो चुके हैं.

दरअसल, ये दौरा था बिजनौर के एक सीओ अरुण कुमार का जो नजीबाबाद थाने पहुंचे थे निरीक्षण करने. अब सोचिए भला थाने में अगर किसी इमरजेंसी से निपटने के लिए जवान ही तैयार ना हों और उनके हथियार भी एक्सपाइरी डेट के हों तो बुलंदशहर और गाज़ीपुर जैसी घटनाएं अगर हुईं तो उसमें हैरानी कैसी.

शायद इसी आधी अधूरी तैयारी का ही नतीजा था बुलंदशहर में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की मौत. और गाज़ीपुर में सिपाही सुरेश वत्स की मौत हो गई. कुल मिला कर यूपी पुलिस के थानों और जवानों में बस इतनी सी दिक्कत है. बाकी सब ठीक है.

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