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आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में नहीं मिली ऑक्सीजन, मरीज ने तड़प तड़प कर तोड़ा दम

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उत्तर प्रदेश : आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में ख़राब व्यवस्था के चलते एक मरीज की जान चली गई। एंबुलेंस स्टार्ट नहीं हुई, सिलेंडर में ऑक्सीजन भी खत्म हो गई थी। घंटे भर तक बिना ऑक्सीजन के रहने पर मरीज ने दम तोड़ दिया। परिजनों ने हंगामा किया। जलेसर रोड मुढ़ी चौराहा निवासी शीला देवी (65) का ब्लडप्रेशर हाई होने पर मंगलवार सुबह 11 बजे करीब जिला अस्पताल लेकर गए। यहां डॉक्टरों ने प्राइवेट में सीटी स्कैन करवाया तो दिमाग की नस फटी बताई गई। इस पर डॉक्टरों ने मरीज को एसएन इमरजेंसी ले जाने के लिए कहा।


यहां भर्ती कराने के बाद डॉक्टरों ने इनको सर्जरी विभाग के वार्ड में शिफ्ट कर दिया। डॉक्टर ने मरीज को आक्सीजन लगाकर एंबुलेंस से वार्ड तक ले जाने के लिए वार्ड ब्वाय को कहा। मरीज के बेटे जयपाल सिंह का आरोप है कि वार्ड ब्वाय ने मरीज को मौके पर आक्सीजन नहीं लगाया और बोला कि एंबुलेंस में ही लगा दूंगा।

सिलेंडर में ऑक्सीजन नहीं, एंबुलेंस में डीजल खत्म

एंबुलेंस में मरीज को लिटाया तो यहां ऑक्सीजन मास्क नहीं था, सिलिंडर भी खाली था। एंबुलेंस भी स्टार्ट नहीं हुई। बताया गया कि वाहन में डीजल नहीं है। मरीज को बाहर निकालकर स्ट्रेचर पर लिटा दिया। दूसरी एंबुलेंस भी यहीं खड़ी थी, जिसमें दवाएं और अन्य सर्जिकल सामान भरा हुआ था। इनको खाली करने के लिए वार्ड ब्वाय और अन्य स्टाफ इधर-उधर घूमता रहा।

इधर, मरीज की हालत बिगड़ने लगी तो इमरजेंसी में फिर भर्ती करा दिया। थोड़ी देर बाद उनकी मौत हो गई। जयपाल सिंह ने बताया कि करीब घंटे भर तक एंबुलेंस और आक्सीजन के बिना मरीज रहा। सभी से कहा लेकिन हर कोई एक दूसरे पर टालता रहा। मौत के बाद परिजनों ने हंगामा भी किया।

इस संबंध में प्राचार्य डॉ. जीके अनेजा का कहना है कि प्रधानमंत्री की रैली के चलते हम सभी इमरजेंसी में रहे हैं, ऐसा कोई मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया है। क्या मामला है, दिखवाता हूं।

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लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर के बाहर सड़क पर मरीज को रखकर प्रदर्शन

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उत्तर प्रदेश: लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेंटर की व्यवस्था बिगड़ गई है। समुचित इलाज व बेड न मिलने पर भड़के तीमारदारों ने शुक्रवार तड़के करीब तीन बजे ट्रॉमा सेंटर के बाहर सड़क पर स्ट्रेचर पर लेटे मरीज को लाकर धरना-प्रदर्शन किया। वहां से ट्रक समेत दूसरे वाहनों के पहिए थम गए। धरना-प्रदर्शन की खबर पर पहुंची पुलिस ने गुस्साएं परिवारीजनों को शांत कराया। हंगामे के बाद मरीजों को भर्ती कर इलाज मुहैया कराया गया।घटना रात करीब तीन बजे की है। कैजुअल्टी में मरीजों का दबाव काफी थी। सभी 17 बेड भरे थे। कई मरीज स्ट्रेचर पर थे। इसी दौरान एक मरीज की हालत बिगड़ने लगी। मरीज बेहोश हो गया था। परिवारीजनों ने स्ट्रेचर पर लेटे मरीज को बेड मुहैया कराने की गुजारिश की। मरीज की गंभीर हालत को देखते हुए इलाज शुरू करने के कहा। इस पर डॉक्टर भड़क उठे। उन्होंने थोड़ा इंतजार करने को कहा। कर्मचारियों ने बेड के संकट की बात कही।

सड़क पर लिटाया मरीज को
इलाज में देरी पर तीमारदारों का गुस्सा भड़क उठा। वह मरीज को स्ट्रेचर सहित लेकर ट्रॉमा गेट पर आ गए। सड़क पर स्ट्रेचर लगा दिया। तीमारदारों ने सड़क जाम कर दी। इस दौरान दूसरे मरीजों के तीमारदार भी बदइंतजामी के खिलाफ धरने पर बैठ गए। इसकी वजह से वहां अफरा-तफरी मच गई। सड़क पर वाहनों की कतार लगना शुरू हो गई। तीमारदारों ने केजीएमयू प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।

पुलिस ने शांत कराया मामला
हंगामा और बवाल की खबर पर पुलिस एकत्र हो गई। ट्रॉमा के कर्मचारी भी मौके पर पहुंच गए। तीमारदारों को समझाने की कोशिश की। करीब एक घंटे तक बवाल चलता रहा। काफी समझाने-बुझाने के बाद तीमारदार माने। मरीज को उठाकर ट्रॉमा सेंटर ले गए। जहां मरीज को बेड उपलब्ध कराने के बाद इलाज शुरू हुआ।

तीमारदारों ने लगाए गंभीर आरोप
सीतापुर निवासी एक मरीज तीमारदार राम खेलावन का कहना है कि कई विभाग बेड के साथ ही स्ट्रेचर पर भी मरीजों का इलाज चल रहा है लेकिन कुछ में बेड खाली हैं। इसके बावजूद उसमें मरीजों की भर्ती नहीं की जा रही है। लखीमपुर खीरी निवासी विमल और सुरेश का आरोप है कि उसकी बहन माधुरी देवी को न्यूरो संबधित परेशानी है।  डॉक्टरों ने ऑपरेशन बताया है। दोपहर करीब दो बजकर 20 मिनट पर ट्रॉमा सेंटर में पर्चा बनवाया। कैजुअल्टी वार्ड के सामने लिटा दिया गया। 24 घंटे से ज्यादा वक्त बीतने के बाद भी इलाज चालू नहीं हो सका। इसी तरह सीतापुर के शिवम रस्तोगी ने भी मां के इलाज में कोताही का इलजाम लगाया। शिवम की मां को पैरालिसिस का अटैक पड़ने के बाद ट्रॉमा सेंटर लगाया गया है। उसे ट्रामा में भर्ती नहीं किया जा रहा है। कैजुअल्टी वार्ड से बाहर कर दिया गया।

धरना प्रदर्शन का वीडियो वॉयरल
स्ट्रेचर पर लेटे मरीज को सड़क पर लाकर प्रदर्शन करने के मामले का वीडियो वायरल हो गया। केजीएमयू अफसरों के पास भी वीडियो पहुंचा। इसके बावजूद ट्रॉमा की व्यवस्था सुधारने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया।

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