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काले धन के समर्थन में काला दिवस : सीतारमण

चेन्नई,  रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को आश्चर्य जताते हुए कहा कि विपक्षी पार्टियां नोटबंदी की पहली वर्षगांठ को काला दिवस के रूप में मना रही हैं और उन्होंने सवाल किया कि क्या विपक्षी पार्टियां काला धन का समर्थन करती हैं। इस दिन पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काला धन और आतंकवाद के वित्तपोषण को समाप्त करने के लिए 500 और 1000 रुपये के नोट को अमान्य घोषित कर दिया था।

विपक्षी पार्टियों ने नोटबंदी से लोगों को कठिनाई होने और नौकरियां समाप्त होने के आधार पर इसकी पहली वर्षगांठ को काला दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है।

सीतारमण ने पत्रकारों से कहा, “क्या विपक्षी पाíटयां आठ नवंबर को काला दिवस के रूप में मना कर काले धन का समर्थन कर रही हैं? जबकि सरकार ने इस दिन काला धन हटाने का फैसला किया था।”

उन्होंने कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी सरकार में भ्रष्टाचार को लेकर अपनी आंखें मूंद ली थी। यह बहुत दुखद है कि वह नोटबंदी के विरोध में हैं।”

सीतारमण ने कहा कि सरकार ने पिछले वर्ष 30 सितंबर, 2016 तक स्वैच्छिक प्रकटीकरण योजना के तहत लोगों से अपनी अघोषित आय या संपत्ति को घोषित करने का आग्रह किया था। नोटबंदी लोगों को समय देने के बाद किया गया था।

नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर(जीएसटी) को कम समय पर लागू करने से लोगों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर रक्षामंत्री ने कहा, “जब हम सत्ता में आए तो विपक्षी पार्टी हमसे जीएसटी विधेयक पास करने के बारे में पूछने लगी। उसी तरह लोग हमसे कालाधन समाप्त करने के लिए कहने लगे।”

उन्होंने कहा कि जब सरकार ने इन दोनों मुद्दों पर कार्रवाई की तो लोग अब कह रहे हैं कि क्या इन दोनों को बाहर किया जा सकता था।

रक्षामंत्री ने कहा कि डिजिटल लेन-देन करना लोगों के लिए आवश्यक नहीं है, लेकिन इससे सरकार को फर्जी दावेदारों पर कार्रवाई करने में आसानी हुई।

उन्होंने कहा कि काले धन के खिलाफ भाजपा सरकार की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी और वित्त मंत्रालय डिजिटल भुगतान में लगने वाले लेन-देन शुल्क की शिकायतों को देख रहा है।

सीतारमण ने कहा, “हम यह कहकर नहीं बैठ सकते कि हमने नोटबंदी कर दी है। हमें काले धन को समाप्त करने के लिए लगातार कदम उठाने होंगे।”

राहुल ने मोदी को बताया तानाशाह – बोले देश की अर्थव्यवस्था को कर दिया बर्बाद

नई दिल्ली,  कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को नोटबंदी की पहली वर्षगांठ पर केंद्र सरकार के नोटबंदी और जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) के फैसलों की कड़ी आलोचना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोकतांत्रिक तरीके से चुना गया तानाशाह करार दिया। राहुल गांधी ने फाइनेंशियल टाइम्स में लिखे एक लेख में कहा कि प्रधानमंत्री ने दावा किया था कि बीते साल 8 नवंबर को लिया गया नोटबंदी का फैसला भ्रष्टाचार का सफाया करने के लिए है, लेकिन इन 12 महीनों में उन्होंने केवल एक चीज का सफाया किया है, वह है हमारी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था पर से भरोसे का सफाया।

राहुल गांधी ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर भी मोदी सरकार पर हमला किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बेरोजगारी के कारण उपजे गुस्से को सांप्रदायिक घृणा में बदलने का आरोप लगाया।

राहुल गांधी ने कहा, “नोटबंदी से भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)में दो फीसदी की गिरावट आई। इसने असंगठित क्षेत्र को तबाह कर दिया व साथ ही कई लघु व मध्यम व्यवसायों को खत्म कर दिया। इसने लाखों मेहनतकश भारतीयों के जीवन को बर्बाद कर दिया। भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र के अनुसार 2017 के पहले चार महीनों में नोटबंदी की वजह से 15 लाख से अधिक लोगों ने अपनी नौकरियां गवां दीं।”

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने जीएसटी को जल्दीबाजी में और गलत तरीके से लागू किया गया कदम बताया।

राहुल गांधी ने कहा, “इसने आजीविका को तबाह कर दिया है और इसने आधुनिक समय में ‘लाइसेंस राज’ को जन्म दे दिया है, जिसमें कठोर नियंत्रण लागू कर दिए गए हैं और सरकारी अधिकारियों को व्यापक अधिकार दिए गए हैं।”

राहुल ने कहा, “ये दो अधिनियम ऐसे समय में आए हैं जब वैश्विक ताकतों को भारत की अर्थव्यवस्था से विशेष उम्मीदें हैं।”

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उभरने को बेरोजगारी के कारण उपजे क्रोध व हताशा से जोड़ा। उन्होंने साथ ही इसी हताशा को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुने जाने व ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने की भी वजह माना।

राहुल गांधी ने कहा, “मोदी जैसे लोकतांत्रिक रूप से चुने गए तानाशाहों का उदय दो कारणों से होता है – पहला संपर्क में व्यापक स्तर पर वृद्धि व संस्थानों पर इसके गहरा प्रभाव व दूसरा चीन का वैश्विक रोजगार बाजार पर प्रभुत्व।”