चुनावी चकल्लस
विंध्य की राजनीति का महत्वपूर्ण केंद्र सतना जिला भी है। सतना जिले की कांग्रेस राजनीति में कुछ भी ठीक दिखाई नहीं दे रहा है । यहां कांग्रेसियों की दिलचस्पी पार्टी की सरकार बनाने से ज्यादा ना बनाने में ज्यादा है। पार्टी में रोज नए विवाद सामने आ रहे हैं। कांग्रेस सिर्फ कागजी बयानों के जरिए ही अपनी उपस्थिति जनता के बीच दर्ज करा रही है। कांग्रेसियों की सक्रियता पार्टी में अपने विरोधियों को निपटाने में ज्यादा है। ताजा विवाद ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर चल रहा है।
मैहर ब्लॉक में अध्यक्ष का पद फुटबॉल की तरह एक पाले से दूसरे पाले में जाता हुआ दिखाई दे रहा है। विवाद के कारण एक पखवाड़े में दो बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी मैहर ब्लॉक में अध्यक्ष घोषित कर चुकी है। एक नेता को 24 घंटे भी अध्यक्ष बनने की खुशी नहीं मिल पाती कि दूसरा अध्यक्ष आ जाता है। सात अगस्त को प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा जारी की गई ब्लॉक अध्यक्षों की सूची में वीरेंद्र कुशवाहा के स्थान पर गौरव चौरसिया को ब्लॉक अध्यक्ष बनाया गया था। चौरसिया सक्रिय होते उसके पहले ही पीसीसी ने वीरेंद्र कुशवाहा को फिर से अध्यक्ष घोषित कर दिया।
चौरसिया गुट ने नाराजगी प्रकट की तो पार्टी ने वापस गौरव चौरसिया को अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की इस कार्यवाही के कारण मैहर में जाने अनजाने कांग्रेस दो गुटों में बट गई है। एक गुट गौरव चौरसिया का हो गया है और दूसरा वीरेंद्र कुशवाह का। वीरेंद्र कुशवाह को हटाए जाने से क्षेत्र का कुशवाह समाज नाराज हो गया। कुशवाह समाज के क्षेत्र में सोलह हजार वोट बताए जाते हैं। वीरेन्द्र कुशवाह एक बार बहुजन समाज पार्टी से भी चुनाव लड़ चुके हैं।
रीवा में सोशल साइट पर लड़ी जा रही है गुटीय लड़ाई
विंध्य की राजनीति मैं रीवा का वर्चस्व देखा जाता है। रीवा कांग्रेस में भी स्थितियां अनुकूल नहीं दिख रही हैं। जबकि विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। इस संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है। इसके बाद भी कांग्रेस में गुटबाजी थम नहीं रही है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं प्रदेश के प्रभारी दीपक बावरिया के साथ वहां जो कुछ हुआ था वह गुटीय राजनीति का ही नतीजा था। इसके बाद गुटबाजी थम नहीं रही।
ताजा मामला फेसबुक पर राजेंद्र शुक्ला और अभय मिश्रा की लोकप्रियता के मुकाबले का है। राजेंद्र शुक्ला, शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में उद्योग मंत्री हैं। अभय मिश्रा कुछ समय पहले ही भारतीय जनता पार्टी छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं। रीवा में एक सर्वे एजेंसी की ओर से राजेंद्र शुक्ला और अभय मिश्रा की लोकप्रियता की जांच फेसबुक के माध्यम से की गई।
इस सर्वे की पोस्ट पर सैकड़ों कमेंट लोगों ने दिए। इसमें सबसे ज्यादा चर्चित कमेंट क्षेत्र के एक कांग्रेसी विधायक का था। जिसमें उसने राजेंद्र शुक्ला को अभय मिश्रा की तुलना में ज्यादा लोकप्रिय बताया। जब यह कमेंट लोगों ने पढ़ा तो कांग्रेस की राजनीति में भूचाल आ गया। मामला शिकायती तौर पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी पहुंचा। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।