Homeपावर मैराथनआभार यात्रा पर अकेले ही निकले हैं डॉ.मोहन यादव

आभार यात्रा पर अकेले ही निकले हैं डॉ.मोहन यादव

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दिनेश गुप्ता
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रदेश भर का दौरा कर रहे हैं। अब तक वे आधा दर्जन के करीब शहरों में दौरे कर चुके हैं। इनमें  इंदौर,जबलपुर,ग्वालियर और रीवा के अलावा गुना एवं खरगोन भी शामिल है। उज्जैन उनका गृह नगर है,इस कारण वहां आना जाना लगा ही रहेगा। उज्जैन की यात्रा वे दो बार कर चुके हैं। डॉ. मोहन यादव के इन दौरों का उद्देश्य क्या है? क्या सिर्फ संभागीय स्तर की समीक्षा बैठक करना या फिर लोकसभा चुनाव? लोकसभा चुनाव ज्यादा दूर नहीं है। इस कारण निश्चित तौर पर उनकी नजर चुनावी बिसात पर भी है। लेकिन,अभी जो सामने है वह है विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिले बहुमत के लिए वोटर का आभार प्रकट करना। डॉ. मोहन यादव जहां भी जा रहे हैं उस शहर में उनका रोड शो भी हो रहा है। इस रोड शो के वाहन भी लिखा है जन आभार यात्रा। मुख्यमंत्री की यह जन आभार यात्रा स्वस्फूर्त है। भारतीय जनता पार्टी संगठन की इसमें कोई भूमिका नहीं है।

संगठन के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा केवल जबलपुर की यात्रा में दिखाई दिए। जबलपुर में मुख्यमंत्री संभागीय समीक्षा के बैठक के अलावा कैबिनेट की बैठक भी हुई। वीडी शर्मा का संसदीय क्षेत्र खजुराहो है। इस क्षेत्र में बहोरीबंद,विजयराघवगढ़ और मुड़वारा विधानसभा क्षेत्र भी आता है। यह क्षेत्र कटनी जिले में हैं। जबलपुर संभाग का हिस्सा है। इस कारण जबलपुर में प्रदेशाध्यक्ष यात्रा में भी मौजूद थे। ग्वालियर संभाग की बैठक में केंद्रीय विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर भी मौजूद थे। यद्यपि जन आभार यात्रा के वाहन पर उस तरह नेताओं की तस्वीरें नहीं लगी जैसी कि चुनाव से पहले जन आशीर्वाद यात्रा के रथ पर लगी थीं।

ग्वालियर में नगर निगम की चूक से विरोध

मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव की संभागीय समीक्षा बैठक में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के विधायकों को भी बुलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री उनकी बात भी सुन रहे हैं। ग्वालियर में कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार और उनकी महापौर पत्नी शोभा सिकरवार को भी आमंत्रित किया गया। लेकिन,नगर निगम ग्वालियर ने लाल टिपारा की गौशाला में जो कार्यक्रम रखा,उसमें अपनी महापौर शोभा सिकरवार को ही आमंत्रित नहीं किया। जाहिर है कि महापौर कार्यक्रम में उपस्थित नहीं रहीं। उन्होंने अपना विरोध विरोध संभागीय समीक्षा बैठक में प्रकट किया। उनके पति सतीश सिकरवार ने भी सुर से सुर मिलाया। बैठक का बहिष्कार कर चले गए। केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने समझाइश भी देने की कोशिश की। लेकिन, वे नहीं रूके। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी बैठक में ज्यादा देर नहीं रूके। दो घंटे का समय दिया था। आधे घंटे में ही बैठक खत्म हो गई। मुख्यमंत्री ने जन प्रतिनिधियों को कहा कि मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक बैठक में ऑनलाइन मौजूद हैं। उन्हें अपनी समस्या नोट करा दें। मुख्यमंत्री जैसे ही बैठक में पहुंचे जन प्रतिनिधियों ने अपनी शिकवे-शिकायत शुरू कर दीं। डॉ.यादव ने उन्हें शांत कराया। कहा पहले प्रजेंटेशन देख लें। जन प्रतिनिधियों की बड़ी शिकायत बिजली वितरण को लेकर थी। यह शिकायत शिवपुरी के विधायकों को भी थी और ग्वालियर के विधायक भी शिकायत कर रहे थे। प्रेजेंटेशन देखने के बाद ही मुख्यमंत्री बैठक से चले गए। अब मुख्य सचिव वीरा राणा संभाग की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपेंगीं।

डॉ. अरूणा कुमार की वापसी के पीछे कौन?

डॉ. अरूणा कुमार भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में प्राध्यापक स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग हैं। कुछ माह पहले आंध्र प्रदेश की रहने वाली जूनियर डॉक्टर डॉ बाला सरस्वती ने डॉ अरुणा कुमार पर आरोप लगाते हुए सुसाइड कर लिया था। डॉ बाला गांधी मेडिकल कालेज भोपाल में पीजी के गायनिक विभाग के अंतिम वर्ष की छात्रा थी। बाला के सुसाइड के बाद जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी थी। जिसके बाद डॉ अरुणा कुमार को गांधी मेडिकल कॉलेज से हटाकर चिकित्सा शिक्षा विभाग में पदस्थ किया गया था।  डॉ बाला सरस्वती ने डॉ अरुणा कुमार पर गंभीर आरोप लगाए थे उनकी मौत के बाद उनके परिजनों ने तमाम सबूत भी पुलिस को सौंपे थे। इस मामले में गायनिक विभाग के अन्य चार और प्रोफेसर के नाम भी सामने आए थे। चुनाव के बाद निजाम बदला तो अचानक अरूणा कुमार संचालनालय से वापस गांधी मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया। जैसे ही सरकार आदेश निकला कॉलेज के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। काली पट्टी लगाकर काम शुरू कर दिया। सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल उनका आदेश भी निरस्त कर दिया। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रभारी उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने पूरे घटनाक्रम पर नाराजगी प्रकट की  । सवाल यह उठता है कि क्या अरूणा कुमार की वापसी से पहले उप मुख्यमंत्री को पूरा घटनाक्रम नहीं बताया गया? चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान हैं।

आमजन से मुलाकात का अध्याय

शिवराज सिंह चौहान के पहले मुख्यमंत्रित्व काल तक आम लोगों से मेल-मुलाकात का दिन और समय निर्धारित रहता था। मुख्यमंत्री निवास में होने वाले इस कार्यक्रम में किसी के आने पर कोई रोक-टोक नहीं थी। मुख्यमंत्री खुद लोगों की समस्या सुनते थे। उनके आवेदन कार्यवाही के लिए संबंधित विभागों को भेज दिए जाते थे। धीरे-धीरे इस व्यवस्था को सुरक्षा कारणों का हवाला देकर समाप्त कर दिया गया। जिला स्तर पर कलेक्टरों से जन सुनवाई करने के लिए कहा गया। मुख्यमंत्री के पास विभिन्न माध्यमों से आने वाली शिकायतों को सीएम मॉनिटरिंग में डाल दिया जाता था। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आमजनों से मुलाकात की व्यवस्था को फिर शुरू कर दिया है। इससे यह उम्मीद की जा सकती है कि प्रशासन की जमीनी व्यवस्था की सच्चाई सीधे मुख्यमंत्री के ध्यान में आएगी। आमजनों से मेल-मुलाकात की व्यवस्था चले और जमे इसका संकल्प खुद मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव को ही करना होगा।

मुख्यमंत्री की रीवा यात्रा का इफेक्ट

शायद इस बात की कल्पना शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में नहीं की जा सकती थी कि वे खजुराहो से रीवा तक सड़क मार्ग से जाएंगे। वैसे शिवराज सिंह चौहान ने सड़क मार्ग की कई यात्राएं की हैं। ज्यादातर   सड़क मार्ग की यात्रा भोपाल के आसपास की रहीं। मसलन बुधनी से भोपाल आना हो। कभी इंदौर से भोपाल आने की स्थिति बन गई हो? शिवराज सिंह  चौहान की सबसे पसंदीदा सवारी हवाई जहाज ही है। वर्तमान मुख्यमंत्री के लिए कार से अच्छी कोई सवारी नहीं है। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव शुक्रवार को रीवा के दौरे पर थे। उन्हें जबलपुर से हेलीकॉप्टर के द्वारा रीवा पहुंचना था। मौसम खराब हुआ तो वे हवाई जहाज से जबलपुर के स्थान पर खजुराहो पहुंच गए। खजुराहो से सड़क मार्ग पकड़कर रीवा पहुंचे। खजुराहो से रीवा के रास्ते में उन्होंने संभाग की स्थिति का जायजा भी ले लिया। उनके रीवा पहुंचने से पहले ही वहां के संभागायुक्त अनिल सुचारी का तबादला आदेश पहुंच गया। अनिल सुचारी ने 2022 की पहली जनवरी को कार्यभार ग्रहण किया था। ठीक दो साल चार दिन बाद उनका वहां से तबादला हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेहद करीबी अफसर माने जाते थे। विदिशा के कलेक्टर भी रहे। मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थापना रही। वे लगभग सात साल मुख्यमंत्री सचिवालय में रहे। वहां से सीधे विदिशा के कलेक्टर बने। राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस में आए हैं। 2015 में उनकी पदोन्नति आईएएस में हुई थी। 2008 बैच के गोपाल चंद्र डाड को रीवा का संभागायुक्त बनाया गया है। उन्हें शहडोल संभाग का प्रभार अतिरिक्त तौर पर सौंपा गया है। संदेश साफ है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव हर आईएएस अधिकारी के तबादले के साथ अपनी राजनीतिक लकीर भी खींचते जा रहे हैं।

उज्जैन कनेक्शन से मिली इंदौर की कलेक्टरी

ashish singh ias+kaushlendra vikram singh
ashish singh ias+kaushlendra vikram singh

कौशलेन्द्र विक्रम सिंह को अप्रैल 2023 में भोपाल का कलेक्टर बनाए जाने का आदेश जारी हुआ था। लेकिन,उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया था। सरकार ने उनकी पदस्थापना आदेश में संशोधन कर उन्हें मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम का प्रबंध संचालक बना दिया। इससे पहले वे मुख्यमंत्री सचिवालय में अपर सचिव के पद पर पदस्थ थे। उनके खाते में दिव्यांग लोगों के लिए मुख्यमंत्री आशीर्वाद योजना बनाने का श्रेय दर्ज है। शिवराज सिंह चौहान इन्हें व्यक्तिगत तौर पर पसंद करते थे। मूलत: उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। अब एक बार फिर उन्हें भोपाल कलेक्टर बनाए जाने का आदेश जारी हुआ है। उम्मीद की जा रही है कि इस बार वे पदभार ग्रहण कर लेंगे। भोपाल के कलेक्टर आशीष सिंह को इंदौर का कलेक्टर बनाया गया है। वे उज्जैन में नगर निगम आयुक्त रहे हैं। इस नाते मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव उन्हें व्यक्तिगत तौर पर भी जानते हैं। संभवत: इसी कारण उन्हें इंदौर की कलेक्टरी मिली है। आशीष सिंह देश के 10 सर्वश्रेष्ठ आईएएस अधिकारी में शामिल रहे है। 2020 मे बेटर इंडिया संस्था ने देश के सर्वश्रेष्ठ आईएएस अधिकारी की सूची जारी की थी। इस सूची में मध्यप्रदेश से दो आईएएस अधिकारी आशीष सिंह और उमाकांत उमराव शामिल थे। सरकार ने उमाकांत उमराव को हाल ही में रेवेन्यू बोर्ड भेजा है।

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