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तीन तलाक ‘असंवैधानिक’ व ‘मनमाना’ करार

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सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला देते हुए तीन तलाक को ‘असंवैधानिक’ व ‘मनमाना’ करार देते हुए कहा कि यह ‘इस्लाम का हिस्सा नहीं’ है। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने दो के मुकाबले तीन मतों से दिए अपने फैसले में कहा कि तीन तलाक को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त नहीं है।

न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने कहा कि तीन तलाक इस्लाम का मौलिक रूप से हिस्सा नहीं है, यह कानूनी रूप से प्रतिबंधित और इसे शरियत से भी मंजूरी नहीं है।

 

वहीं, प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर ने कहा कि तीन तलाक इस्लामिक रीति-रिवाजों का अभिन्न हिस्सा है और इसे संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है।

 

न्यायमूर्ति खेहर ने अपने फैसले में संसद से इस मामले में कानून बनाने की अपील की।

 

उन्होंने अगले छह माह के लिए तीन तलाक पर रोक लगा दी। साथ ही विभिन्न राजनीतिक दलों से अपील की कि वे अपने मतभेदों को भूलकर इससे संबंधित कानून बनाएं।

 

तीन तलाक पर शीर्ष न्यायालय का फैसला ‘ऐतिहासिक’ : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को तीन तलाक पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की प्रशंसा करते हुए इसे ‘ऐतिहासिक’ करार दिया और कहा कि यह मुस्लिम महिलाओं को समानता देता है। मोदी ने ट्वीट किया, “फैसला..ऐतिहासिक है। यह मुस्लिम महिलाओं को समानता देता है और महिला सशक्तिकरण के लिए एक सशक्त कदम है।”

सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को दो के मुकाबले तीन मतों के अपने फैसले में तीन तलाक को ‘असंवैधानिक’ और ‘मनमाना’ करार दिया और कहा कि यह ‘इस्लाम का हिस्सा नहीं है।’

पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने अपने बहुमत के फैसले में कहा कि तीन तलाक को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त नहीं है।

 

इस फैसले का कई राजनैतिक दलों एवं मशहूर हस्तियों ने स्वागत किया,  वही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तीन तलाक को ‘असंवैधानिक’ करार दिए जाने और केंद्र सरकार को छह माह के भीतर इस संबंध में कानून बनाने के आदेश का स्वागत किया है।

मुख्यमंत्री चौहान ने ट्वीट कर कहा,

“हम सर्वोच्च न्यायालय के तीन तलाक पर दिए गए आदेश का स्वागत करते हैं। केंद्र सरकार से अनुरोध है कि इस संबंध में जल्द से जल्द कानून पारित किया जाए।”

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा,

“तीन तलाक जैसी प्रथाएं हमारी बहनों, बेटियों के लिए मानसिक व सामाजिक प्रताड़ना के समान हैं एवं आधुनिक भारतीय समाज के विकास में भी बाधक हैं।”

 

 ओवैसी ने कहा, समाज में बदलाव लाने की जरूरत

ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को कहा कि समाज में सुधार लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) तीन तलाक पर

शीर्ष न्यायालय के फैसले पर विचार के लिए अगले महीने की शुरुआत में भोपाल में बैठक करेगा। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “न्यायिक फैसले और कानून..अनुभव हमें बताते हैं कि जरूरत है कि समाज में

सुधार लाया जाए। समाज में जमीनी बदलाव की जरूरत है।” उन्होंने पूछा कि क्या अदालतें वे सामाजिक बदलाव ला पाएंगी जो एआईएमपीएलबी जमीनी स्तर पर ला रहा है?  ओवैसी ने कहा कि एआईएमपीएलबी तीन तलाक पर शीर्ष न्यायालय के

फैसले पर विचार करने के लिए अगले महीने भोपाल में बैठक करेगा।

 

योगी सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया

तीन तलाक पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की सराहना करते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कहा कि इससे देश में धर्मनिरपेक्षता की जड़ें मजबूत होंगी, वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान ने उम्मीद जाहिर की है कि संसद

इस मामले में सलाह-मशविरा कर अच्छा कानून बनाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “यह फैसला ऐतिहासिक है। इससे न केवल न्याय मिला है, बल्कि महिलाओं का सशक्तिकरण भी हुआ है। हम इसका स्वागत करते हैं।”

गौरतलब है कि शीर्ष अदालत में योगी सरकार ने भी तीन तलाक के मुद्दे पर महिलाओं का पक्ष रखा था।

योगी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री और प्रवक्ता सिद्घार्थनाथ सिंह ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला ऐतिहासिक है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, लेकिन इसकी परिभाषा को धार्मिक आधार पर बिगाड़ा गया है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इसे

असंवैधानिक करार दिया है।

उन्होंने कहा कि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मत रहा है कि लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।

सपा के वरिष्ठ नेता और रामपुर से विधायक मोहम्मद आजम खान ने कहा कि अदालत के फैसले का सभी को सम्मान करना चाहिए। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि संसद राय-मशविरा कर इस मामले में अच्छा कानून बनाएगी।

आजम खान ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के बाद भी जनता की अदालत है। लोकतांत्रिक देश में जनता की अदालत सबसे ऊपर होती है। भारत में लोकतंत्र है तो आस्था से खिलवाड़ नहीं होगा, वरना कब किसकी आस्था पर घात हो जाए, पता नहीं।

 

बिहार में राजनीतिक दलों ने तीन तलाक के फैसले का स्वागत किया

सर्वोच्च न्यायालय के तीन तलाक पर दिए गए फैसले का बिहार के राजनीतिक दलों ने स्वागत किया है। बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी तीन तलाक पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के

अध्यक्ष लालू प्रसाद की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने सर्वोच्च न्यायालय के तीन तलाक के फैसला का स्वागत करते हुए कहा, “अदालत ने तीन तलाक को खारिज कर दिया है। अब संसद में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कानून बनाना

है। अब देखना होगा कि मुस्लिम समुदाय के भाई-बहनों के लिए वे क्या सोचते हैं? अब तो गेंद प्रधानमंत्री व केंद्र सरकार के पाले में है। देखते हैं, ये कैसा कानून बनाते हैं।”

इधर, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी इस फैसले को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि यह फैसला करोड़ों मुस्लिम महिलाओं के हक में है। उन्होंने कहा, “यह फैसला स्वागतयोग्य है। तमाम राजनीतिक दलों को इसे सकारात्मक रूप

में लेते हुए इसका स्वागत करना चाहिए और उस पर किसी तरह की राजनीति नहीं करनी चाहिए।”

उन्होंने कहा कि इस फैसले से महिलाएं सशक्त होंगी।

इधर, जनता दल (युनाइटेड) ने भी सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है। जद (यू) के वरिष्ठ नेता और महासचिव क़े सी़ त्यागी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला स्वागतयोग्य है। अब केंद्र सरकार को सभी धार्मिक संगठनों, सभी

राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर ऐसा कानून बनाना चाहिए, जो किसी को थोपा हुआ जैसा न लगे।”  न्यायालय ने अगले छह माह के लिए तीन तलाक पर रोक लगा दी। साथ ही विभिन्न राजनीतिक दलों से अपील की कि वे

अपने मतभेदों को भूलकर इससे संबंधित कानून बनाएं|

सर्वोच्च न्यायालय  के फैसले से विवाद हो जाएगा खत्म  : कांग्रेस

कांग्रेस ने   तीन तलाक मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की सराहना करते हुए इसे ऐतिहासिक करार दिया और उम्मीद जताई कि इससे इस मुद्दे पर जारी विवाद समाप्त हो जाएगा। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा,

“हम इस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करते हैं, क्योंकि इस्लाम मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ भेदभाव और पक्षपात का समर्थन नहीं करता।”

सुरजेवाला ने कहा, “इस फैसले से मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को बल मिला है, जो सदियों से इसकी पीड़ित रही हैं। हम उम्मीद करते हैं कि इस फैसले के बाद सभी पक्ष संतुष्ट होंगे और यह विवाद समाप्त हो जाएगा।”

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