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अक्षय कुमार बने ‘टॉयलेट हीरो’ , चीन में पहले दिन की कमाई 15 करोड़ रुपये

स्वच्छता के विषय और शौचालयों की आवश्यकता पर जोर देती फिल्म टॉयलेट चीन में धमाल मचा रही है। ‘टॉयलेट हीरो’ को चीन में दर्शकों से मिले प्यार से बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार अभिभूत हैं। फिल्म ने चीनी बॉक्स-ऑफिस पर अपने पहले दिन 15 करोड़ रुपये की कमाई की है। ‘टॉयलेट हीरो’ का मूल शीर्षक ‘टॉयलेट : एक प्रेम कथा’ है।

अक्षय ने शनिवार को ट्वीट किया, “चीन में ‘टॉयलेट हीरो’ की सराहना के लिए दर्शकों का शुक्रिया। इतना प्यार पाकर बहुत खुश हूं।”

रिलायंस एंटरटेनमेंट ने बताया , यह चीन में 4,300 स्क्रीनों पर प्रदर्शित हुई है।

“चीनी बॉक्स-ऑफिस पर ‘टॉयलेट हीरो’ ने 1.5 करोड़ यूआन (15.8 करोड़ रुपये) की कमाई की। चीन में यह भारतीय फिल्मों की तीसरी सबसे बड़ी शुरुआत है।”

फिल्म अभिनेत्री भूमि पेडणेकर भी फिल्म रिलीज को लेकर उत्साहित हैं।
उन्होंने शुक्रवार को ट्वीट किया, “पहले मिल चुके प्यार और समर्थन के लिए सभी का दोबारा धन्यवाद और आशा है कि हमें फिर से वही प्यार प्राप्त होगा।”

अक्षय कुमार ने ‘स्वच्छ भारत’ के लिए विज्ञापन अभियान लांच किया

ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओ के खुले में शौच जाने की समस्या को उजागर करने वाली फिल्म ‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ अब जल्द ही देश के हर गाँव में मुफ्त में दिखाई जाएगी। फिल्म के डायरेक्टर नारायण सिंह ने गैर-वाणिज्यिक आधार पर फिल्म का प्रदर्शन गाँव – गाँव में करने का अधिकार भारत के पेय जल एवं स्वच्छता मंत्रालय को दिए है।

‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ ग्रामीण इलाको में स्वच्छता के महत्व पर प्रकाश डालती है, और खुले में शौच की परंपरा के खिलाफ लड़ाई को दर्शाती है। भारत सरकार का पेय जल एवं स्वच्छता मंत्रालय इस फिल्म के ज़रिये गाँव में खुले में शौच की प्रथा को बंद करने के लिए उपयोग करने जा रहा है। मंत्रालय ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के लिए एक विज्ञापन अभियान लांच किया है। यह अभियान ग्रामीण भारत में दोहरे गड्ढों वाली शौचालय प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। विज्ञापन अभियान मशहूर अभिनेता अक्षय कुमार ने लांच किया है। कार्यक्रम में ‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ की अभिनेत्री भूमिका पेडनेकर भी शामिल थी।

दोहरे गड्ढों वाली शौचालय प्रौद्योगिकी का आविष्कार भारत में किया गया था और यह ग्रामीण भारत के लिए सबसे उपयुक्त शौचालय तकनीक है। भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इसकी सिफारिश की जाती रही है। यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुका है।