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ईडी,सीबीआई,आईटी की प्रतिष्ठा कम नहीं होनी चाहिए : गहलोत

ERCP is becoming a big issue in Rajasthan Assembly elections
ERCP is becoming a big issue in Rajasthan Assembly elections

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) तथा आयकर विभाग (आईटी) प्रतिष्ठित जांच एजेंसियां हैं और देश इन पर गर्व करता है इसलिए इन एजेंसियों के अधिकारियों को किसी के दबाव में आए बिना निष्पक्ष होकर काम करना चाहिए।

श्री गहलोत ने गुरुवार को यहां कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ईडी, सीबीआई, आईटी देश की प्रमुख एजेंसियां है और इन पर पूरे देश को गर्व है लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि सत्ता में बैठे दल इन तीनो प्रतिष्ठित एजेंसियों का विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल कर रहे हैं। इन तीनों एजेंसियों का न्यायपालिका में भी विशेष महत्व है और यदि इन इन एजेंसियों की साख कम हो जाएगी तो इनके गठन का मकसद भी औचित्यहीन हो जाएगा।

उन्होंने कहा “आज देश में ईडी, आईटी, सीबीआई का राजनीत‍िक इस्‍तेमाल क‍िया जा रहा है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। पूरे देश को इन एजेंस‍ियों पर गर्व है, लेक‍िन आज जो हो रहा है इससे इनकी क्रेड‍िब‍िल्‍टी कम हो रही है। मैं इन तीनों एजेंस‍ियों से म‍िलना चाहता हूं। मैं इन्‍हें बताना चाहता हूं क‍ि इनकी क्रेड‍िब‍िल्‍टी नीचे जा रही है, जोक‍ि नहीं होना चाह‍िए।”

उन्होंने कहा कि इन एजेंसियों में जो अधिकारी नियुक्त होते हैं वह बड़ी परीक्षाएं पास करके आते है तो उनमें देश के प्रति निष्ठा से काम करने की क्षमता होनी चाहिए। उन्हें किसी के दबाव में आए बिना दिखाना चाहिए ईडी, सीबीआई और आईटी एजेंस‍ियों के अधिकारी देश के लिए शपथ लेते हैं इसलिए उनका काम देश के प्रति और निष्पक्ष होना चाहिए।मणिपुर कई महीनों से जल रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री जी को वहां जाने की फुर्सत नहीं है। प्रधानमंत्री जी छापे डलवाने में व्यस्त हैं।”

श्री गहलोत ने कहा कि जिन लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाते हैं भाजपा के पाले में जाते ही उन्हें मंत्री बना दिया जाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा ‘क्‍लास‍िक एग्जांपल’ हैं अज‍ित पवार। उन पर भ्रष्‍टाचार के आरोप लगाए और फ‍िर उन्‍हें सरकार में शामिल कराकर व‍ित्‍त व‍िभाग दे द‍िया। ये पहले आरोप लगाते हैं और फ‍िर भाजपा जॉइन कराकर अपनी वॉश‍िंग मशीन में सब धुल देते है।

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बंगाल के मनरेगा घोटाले की सीबीआई जांच कराने की मांग की भाजपा ने

BJP demands CBI inquiry into Bengal's MNREGA scam
BJP demands CBI inquiry into Bengal's MNREGA scam

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस की सरकार पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कार्यक्रम (मनरेगा) के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए केन्द्र सरकार से आज मांग की कि राज्य सरकार के इस बड़े घोटाले की केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच करायी जाये और दोषियों को जेल में डाला जाए।

पश्चिम बंगाल विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नेता एवं सदन में नेता प्रतिपक्ष शुभेन्दु अधिकारी ने यहां भाजपा के केन्द्रीय कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह कृषि भवन में केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज राज्य मंत्री साध्वी निरंजना ज्योति से मिल कर उन्हें मनरेगा में फर्जी जॉब कार्ड मामले में सभी साक्ष्य एवं शिकायती पत्र सौंपने जा रहे हैं और उन्होंने मांग की कि केन्द्र सरकार को इस घोटाले की सीबीआई से जांच कराने के आदेश जारी करने चाहिए।

श्री अधिकारी ने कहा कि गांधी जयंती के दिन राजधानी दिल्ली में राजघाट पर ड्रामा करने वाली तृणमूल कांग्रेस के हाथ भ्रष्टाचार से रंगे हैं। उन्होंने कहा कि परिवारवाद, भ्रष्टाचार एवं तुष्टीकरण की राजनीति करने वाली तृणमूल कांग्रेस अब एक राजनीतिक पार्टी नहीं बल्कि एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन चुकी है।

इस पार्टी ने राज्य के गरीबों, शोषितों एवं वंचितों का कोई ध्यान नहीं रखा और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एवं आयुष्मान भारत जैसी गरीब एवं किसान हितैषी योजनाओं को पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने अगले चुनावों में घमंडिया गठबंधन की साख बचाने के लिए ड्रामा रचा है। हमारी लड़ाई सड़क, विधानसभा और अदालतों में भी जारी रहेगी।

उन्होंने मनरेगा के जॉब कार्ड के आंकड़े साझा करते हुए कहा कि एक नवंबर 2022 को जॉब कार्ड की संख्या 3,88,86,457 थी जबकि जॉब कार्ड को आधार कार्ड से लिंक करने के बाद एक सितंबर 2023 को यह संख्या 2,56,13,432 रह गयी।

इनमें से करीब साढ़े 23 लाख जॉब कार्ड वास्तविक आधारों पर डिलीट किये गये लेकिन एक करोड़ से अधिक जॉब कार्ड के निरस्तीकरण के बारे में कोई जवाब नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इस बारे में गड़बड़ी करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए कहा गया लेकिन बार बार के अनुरोध के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गयी तो वह इसे केन्द्र के समक्ष उठा रहे हैं।

श्री अधिकारी ने कहा कि यदि ठीक से जांच हुई तो यह आज़ादी के बाद का सबसे बड़ा घोटाला निकलेगा जिसमें शत प्रतिशत केन्द्र का अनुदान होता है। उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने पश्चिम बंगाल की सरकार को प्रधानमंत्री आवास योजना, मनरेगा आदि योजनाओं के लिए भरपूर सहायता दी है।

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सपा सरकार से जुड़े रेत खनन मामले की जांच कर रहीं CBI अधिकारी का हुआ ट्रांसफर

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के अवैध रेत खनन मामले की जांच कर रहीं सीबीआई अधिकारी गगनदीप गंभीर का तबादला कर दिया गया है. सीबीआई ने डीआईजी रैंक के अपने 4 अधिकारियों का ट्रांसफर किया है, जिसमें गंगनदीप का भी नाम है. अब एक अन्य DIG रैंक के अधिकारी अनीश प्रसाद को इस मामले की जांच सौंपी गई है. यूपी के इस मामले में आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला, समाजवादी पार्टी विधायक रमेश मिश्रा, लीज होल्डर आदिल खान समेत कई लोग जांच के दायरे में हैं. खनन मामले की जांच के लपेटे में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव भी आ सकते हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री रहते हुए तब खनन विभाग उन्हीं के पास था.

सीबीआई के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक अखिलेश यादव की भूमिका की जांच की जाएगी और उनसे भी पूछताछ की जा सकती है. जांच एजेंसी ने साल 2012 से लेकर 2016 तक के रेत खनन पर अपनी जांच बैठाई है, जबकि अखिलेश यादव 2012 से 2013 के बीच मुख्यमंत्री रहते हुए खनन विभाग भी संभाल रहे थे. एनजीटी ने यूपी में कुछ समयाविधि के लिए रेत खनन पर रोक लगा रखी थी, बावजूद इसके अधिकारियों ने इसकी इजाजत दी और यूपी में रेत का खनन जारी रहा.

आईएएस अफसर बी चंद्रकला ने एनजीटी के आदेश का उल्लंघन करते हुए रेत खनन की लीज को मंजूरी दी थी साथ ही उनपर लाइसेंस रिन्यू करने का भी आरोप है. सीबीआई ने चंद्रकला से इस मामले में पूछताछ की है और उनके ठिकानों पर छापे भी मारे गए हैं, जहां से कुछ दस्तावेजों को भी जब्त हुए हैं.

डीआईजी गगनदीप गंभीर को बिहार के सृजन घोटाले और पत्रकार उपेंद्र राय मामले की जांच कर रही यूनिट में ट्रांसफर किया गया है. वह ज्वाइंट डायरेक्टर साई मनोहर की अगुवाई वाली स्पेशल जांच टीम में DIG का अतिरिक्त प्रभार संभालेंगी. यही टीम भगोड़े विजय माल्या, अगस्ता वेस्टलैंड जैसे कई अहम मामलों की जांच कर रही है. पहले सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना इस टीम की अगुवाई कर रहे थे. यह टीम कोल ब्लॉक स्कैम के कुछ मामलों की भी जांच कर रही है.

सीबीआई के यह ट्रांसफर अंतरिम प्रमुख एम नागेश्वर राव ने किए हैं, जिन्हें आलोक वर्मा के बाद फिर से सीबीआई का जिम्मा दिया गया है. बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कमेटी ने आलोक वर्मा को सीबीआई के निदेशक पद से हटा दिया था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने छुट्टी पर चल रहे वर्मा को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई निदेशक के तौर पर बहाल किया गया था, हालांकि कोर्ट ने कहा था कि वह पद पर रहने के दौरान कोई भी नीतिगत फैसले नहीं ले सकेंगे.

सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाकर आलोक वर्मा का ट्रांसफर दमकल और होम गार्ड विभाग में किया गया था लेकिन फिर उन्होंने इस पद को ठुकराते हुए प्रशासनिक सेवाओं से अपना इस्तीफा दे दिया था. सीबीआई में आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच की जंग सड़क पर आने के बाद सुप्रीम कोर्ट से लेकर सरकार तक को इस मामले में दखल देना पड़ा था.

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सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस: सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी 22 आरोपियों को किया बरी

शुक्रवार को सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी 22 आरोपियों को सबूतों के अभाव के कारण बरी कर दिया है। बता दें कि सुनवाई के दौरान फैसला सुना रहे जज एस के शर्मा ने कहा कि इस मामले में तीन लोगों की मौत काफी दुखद है, पर हम कानून के हिसाब से काम करते हैं और गवाहों और सबूतों के अभाव में हम कुछ नहीं कर सकतें है। इस वजह से आरोपियों को बरी किया जा रहा है।

2005 का है मामला, 2010 मेंं सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सौंपा केस: 

मध्यप्रदेश के अपराधी सोहराबुद्दीन शेख का एनकाउंटर 26 दिसंबर 2005 को गुजरात एटीएस और राजस्थान एसटीएफ ने अहमदाबाद के नजदीक किया था। वहीं एक साल बाद 28 दिसंबर 2006 को सोहराबुद्दीन के सहयोगी तुलसीराम प्रजापति को भी एक मुठभेड़ में मार गिराया गया।  2010 से इस मामले की जांच सीबीआई कर रहा था। 2007 में तुलसी प्रजापति की मां ने सुप्रीम कोर्ट में फेक एनकांउटर का आरोप लगाया जिसके बाद ये मामला सीआईडी को सौंपा गया। बाद में 2010 में इस केस को कोर्ट ने सीबीआई को दिया गया।

आंध्र प्रदेश में सीबीआई को कोई भी केस में सीधे कार्यवाही पर रोक

 

आंध्र प्रदेश सरकार के आदेश अनुसार सीबीआई को राज्य में कोई भी केस में सीधे कार्यवाही पर रोक लगा दी । सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) को राज्य में कार्यवाही का समझौते का जो अधिकार मिला हुआ था। उस समझौते से अपनी आम सहमति वापस ले ली है। आंध्र प्रदेश सरकार ने दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के सदस्यों को कानून और व्यवस्था कायम रखने के लिए दी गई आम सहमति वापस ले ली है। आंध्र प्रदेश सरकार के राज्य प्रधान सचिव एआर अनुराधा द्वारा 8 नवंबर को गुरुवार रात जारी आदेश के लिक हो जाने के कारण बाद इस फैसले का पता चला। राज्य के शीर्ष अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद राज्य सरकार ने इस संबंध में इसी हफ्ते एक अधिसूचना जारी करते हुए, सीबीआई के साथ भरोसा खत्म हो जाने की बात कही थी। अब सीबीआइ सीधे आंध्र प्रदेश के किसी भी मामले में कार्यवाही नहीं कर सकेगी। आंध्र प्रदेश में घुसने के लिए सीबीआइ को राज्य सरकार से अनुमति लेनी पड़ेगी। आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से लिए गए इस निर्णय ने एक बार फिर केंद्र और राज्य सरकार को आमने-सामने लाकर खड़ा कर दिया है। सीबीआइ की स्थापना भारत सरकार द्वारा 1941 में स्‍थापित विशेष पुलिस प्रतिष्‍ठान से हुई है।

कांग्रेस ने नायडू के इस फैसले का भी समर्थन किया है, कांग्रेस के नेता पीसी चाको ने कहा कि चंद्रबाबू नायडू ने किया है, उसे हर राज्यों को करना चाहिए. अगर कानून की व्यवस्था है तो राज्य अपने निर्णय ले सकते हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नायडू के इस कदम का समर्थन किया और कहा कि ‘चंद्रबाबू नायडू ने जो किया वो सही है. सीबीआई को बीजेपी से दिशा-निर्देश मिल रहे हैं’ ।

ICICI bank : चंदा कोचर ने सीईओ पद से दिया इस्तीफा,संदीप बक्शी बने नए सीईओ

आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर ने समय से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। चंदा कोचर अभी छुट्टी पर चल रही हैं। उनके खिलाफ वीडियोकॉन लोन मामले में जांच चल रही है। आईसीआईसीआई बैंक ने संदीप बक्शी को नया एमडी और सीईओ बनाया गया है। संदीप बक्शी ने 3 अक्टूबर से अपना पदभार संभाल लिया हैं। उनको 5 साल के लिए इस पद पर नियुक्त किया गया है। बैंक के मुताबिक चंदा कोचर के खिलाफ चल रही जांच पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।

आईसीआईसीआई के बोर्ड ने चंदा कोचर का इस्तीफा मंजूर कर लिया है।आईसीआईसीआई बैंक ने कहा कि चंदा कोचर को बैंक की सभी सहयोगी कंपनियों के बोर्ड की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है।

चंदा कोचर और उनके परिवार के सदस्य वीडियोकॉन समूह को दिये गये कर्ज में एक- दूसरे को लाभ पहुंचाने तथा हितों के टकराव के आरोप का सामना कर रहे हैं।

व्यापमं घोटाला : आपराधिक षडयंत्र कर आरोपियों को बचाया गया

मध्यप्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाले से जुड़े आरोपियों की कड़ी मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग से जुड़ी होने का मामला उजागर होने के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर विपक्ष के आरोपों से घिरते जा रहे हैं। विपक्ष के आरोपों के जवाब में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वे गलती कर सकते हैं, लेकिन बेईमानी नहीं। मुख्यमंत्री ने यह सफाई विपक्ष के आरोपों के जवाब में दी है। मुख्यमंत्री चौहान की यह सफाई उन्हें पाक-साफ करने के लिए पर्याप्त नहीं मानी जा सकती है। व्यापमं के घोटाले में मुख्यमंत्री चौहान की सरकार कई तरह के आपराधिक षडयंत्र में शामिल दिखाई दे रही है। बड़ा षडयंत्र तो मामले जांच के लिए सीबीआई को न देने का है। व्यापमं घोटाले के आरोपी जगदीश सागर के पास से एसटीएफ द्वारा जब्त की गई डायरी यह गवाही दे रही थी कि आरोपियों ने मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग में भी मिलीभगत कर परीक्षा पास कराई है।

सीबीआई ने कहा कि वो आरटीआई कानून से बाहर है,नहीं दी जानकारी

व्यापमं घोटाले के आरोपी जगदीश सागर की डायरी में उन लोगों के नाम थे, जिनका विभिन्न परीक्षाओं में चयन कराने की पेशगी अथवा एडवांस रकम उसके द्वारा ली गई थी। इस डायरी में कोड वर्ड में उम्मीदवार के नाम के आगे रिफरेंस भी लिखा था। रिफरेंश के तौर पर मामा और व्हीआईपी जैसे शब्दों का उपयोग किया गया था। लोकसेवा आयोग में जिम्मेदार पद पर सेवा दे चुके एक आईएएस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आयोग में जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों के पास जो सिफारिशें आती थीं,उनके नाम गोपनीय शाखा के अधिकारियों को भेज दिए जाते थे। गोपनीय शाखा रिजल्ट तैयार करने वाली कंप्यूटर कंपनी को यह नाम दे देती थी।

मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग के पूर्व सचिव एवं सागर के डिवीजनल कमिश्नर मनोहर दुबे ने कहा कि एसटीएफ ने जिनके नाम जांच रिपोर्ट में लिखे थे,उन उम्मीदवारों को हमने परीक्षा के अगले चरणों से बाहर कर दिया था। बाद में कुछ लोग कोर्ट आर्डर से इंटरव्यू में शामिल हुए थे। पीएससी परीक्षा का यह घोटाला वर्ष 2012 की परीक्षा का है। एसटीएफ की जांच के बाद पीएससी ने परीक्षा के अलग-अलग चरणों में 23 उम्मीदवारों को लीक पर्चो से लाभ मिलने की बात मानी थी। एसटीएफ की जांच के आधार पर दो साल पहले ही एक अभ्यर्थी ने सीबीआई को लिखित शिकायत कर पीएससी मामले में जांच की मांग की थी। बाद में सीबीआई ने आरटीआई से खुद को अलग बताते हुए अभ्यर्थी को किसी तरह की जानकारी देने से मना कर दिया। जांच लंबित होने के बाद भी डेढ़ साल बाद पीएससी ने रिजल्ट घोषित कर दिया।

पुलिस ने 2014 में पीएससी के आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी की परीक्षा के पर्चे लीक करने का मामला भी पकड़ा था। गिरोह के सदस्यों ने कबूला था कि उन्होंने पीएससी-2012 की प्री व मेंस के पर्चे भी लीक किए थे। राज्यसेवा परीक्षा के कुल सात पर्चे, जिनमें सामान्य अध्ययन के दो, हिंदी का एक, लोक प्रशासन के दो व समाजशास्त्र के दो पर्चे लीक करने की बात गिरोह के सदस्यों ने एसटीएफ के सामने कबूली थी।

सीबीआई ने एफआईआर दर्ज करने से किया था इनकार

सितंबर 2014 में स्पेशल कोर्ट में पेश किये गए चालान में एसटीएफ के जांच अधिकारी शैलेन्द्र सिंह जादौन ने यह स्वीकार किया कि वर्ष 2012 की पीएससी परीक्षा के जो पर्चे लीक हुए थे,वे प्रश्नपत्र से मेल खा रहे थे। एसटीएफ की जांच के आधार पर मुकेश राणे नामक एक कैंडिडेट ने सीबीआई में आवेदन देकर एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच करने का आग्रह किया था। यह वाकया दो साल पहले का है। सीबीआई के पास जाने की वजह उसके द्वारा जारी व्यापमं की जांच थी।

सीबीआई सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर व्यापमं घोटाले की जांच कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट का आदेश व्यापमं से जुड़े सभी मामले सीबीआई को सौंपने के थे। लेकिन, शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने कुछ चुनिंदा मामले जांच के लिए ट्रास्फर किए। इनमें वे मामले नहीं थे, जिनमें मुख्यमंत्री के परिजन अथवा भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लोगों पर गलत तरीके से नियुक्ति अथवा चयन कराने का आरोप लग रहा था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केके मिश्रा ने कहा कि जांच में क्लीन चिट मिले बगैर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सरकारी खर्च पर मेरे खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज करा दिया।

सागर की डायरी में दर्ज मामा क्या शिवराज सिंह चौहान हैं

शिवराज सिंह चौहान वर्ष 2006 से राज्य के मुख्यमंत्री हैं। व्यापमं का घोटाला अगस्त 2013 में उजागर हुआ था। राज्य में लाडली लक्ष्मी योजना लागू होने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने जनता के बीच अपनी ब्रांडिग मामा के तौर पर करना शुरू कर दिया था। लाडली लक्ष्मी योजना वर्ष 2007 में लागू की गई थी। वर्ष 2013 तक शिवराज सिंह चौहान मामा ब्रांड के तौर पर स्थापित हो गए थे। इसका लाभ उन्हें वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में भी मिला था। जगदीश सागर पैसे लेकर व्यापमं और पीएससी की परीक्षाओं में सिलेक्शन कराता था।

डायरी में मामा कोड वर्ड लिखा होना कई शंकाओं को जन्म देता है। यह बात तो दावे के साथ कही जा सकती है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीएससी में सिलेक्शन कराने के लिए जगदीश सागर को नहीं कहा होगा? यह सिर्फ अनुमान लगाया जा सकता है कि पीएससी के पदाधिकारियों को की गईं सिफारिशों का ब्यौरा भी जगदीश सागर अपने रिकार्ड में रखता होगा? सागर की डायरी में दर्ज ब्यौरे से पता चला है कि उसने व्यापम ही नहीं मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग से राज्य सेवा का अफसर बनवाने के लिये भी सौदे किए थे। उसने 6 पदों के लिए 95 लाख में सौदे किए थे।

मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ कहते हैं कि , ‘एमपी-पीएससी में फर्जीवाड़े के मामले 5 साल पहले भी सामने आए थे। अब मुख्य आरोपी की डायरी के जो तथ्य सामने आए हैं वे बहुत गंभीर हैं। पूरा प्रदेश जानता है कि मामा कौन है। इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए ताकि सच सामने आ सके।

व्यापमं में गिरफ्तार हो चुकें हैं कई रसूखदार

एसटीएफ के बाद सीबीआई ने भी जगदीश सागर को व्यापमं घोटाले का मुख्य आरोपी मान लिया। सागर को मुख्य आरोपी बनाए जाने के बाद भी सीबीआई ने उसके पास से बरामद हुए कागजातों की जांच पड़ताल नहीं की । सागर से बरामद हुई डायरी कुल सत्तर पन्ने की है। सत्तर पन्ने की यह डायरी इस घोटाले के पूरे रहस्य से पर्दा उठा सकती थी। एसटीएफ सीधे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नियंत्रण में काम करती है। वर्तमान में एसटीएफ प्रमुख एसडब्ल्यू नकवी हैं। उन्हें यह जिम्मेदारी कुछ माह पूर्व ही दी गई है। इससे पूर्व एसके शाही एसटीएफ चीफ थे।

व्यापमं मामले में राज्य के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा कई माह जेल में रह चुके हैं। तत्कालीन राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ भी एफआईआर की गई थी। मध्यप्रदेश के कई निजी मेडिकल कॉलेज के मालिक और उनके अधिकारी भी जेल भेजे गए थे। डॉक्टर सागर को इस घोटाले का मास्टरमाइंड माना गया है, वह अभी भी जेल में ही है। जांच एजेंसियां मुख्य रूप से पीएमटी और प्री-पीजी परीक्षा तक ही केंद्रित रहीं। पीएससी के मामलों में डायरी में कुछ सौदों के साथ कन्फर्म जैसे शब्द का भी उपयोग हुआ है। एक आबकारी इंस्पेक्टर पद के लिए 10 लाख में हुई डील में इसका उपयोग है, जिसमें पांच लाख रुपए एडवांस लेने की बात लिखी है। एक डील जो 18 लाख में अनारक्षित वर्ग के आवेदक के लिए हुई है, उसमें पद का जिक्र तो नहीं है लेकिन वीआईपी और मामाजी जैसे शब्द लिखे हुए हैं।

व्यापमं घोटाले के मुख्य आरोपी डॉ. जगदीश सागर ने एमपी पीएससी के माध्यम से डिप्टी कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ), वाणिज्यिक कर अधिकारी (सीटीओ), आबकारी निरीक्षक बनवाने के भी सौदे किए थे। उसने छह सौदे 95 लाख में किए। डिप्टी कलेक्टर के लिए 20 लाख रु. में डील और 10 लाख एडवांस लेने की बात लिखी है। सीईओ और सीटीओ के लिए 15 लाख का उल्लेख है। इनके लिए आवेदक से आठ लाख लेना लिखा हैै। हर सौदे में 25 हजार रुपए नॉन रिफंडेबल के रूप में लेने का उल्लेख है। डायरी में आवेदक, उसके पिता का नाम, पता, शहर, मोबाइल नंबर भी लिखा है। आवेदक लड़का है या लड़की? वह किस कैटेगरी से है, यह भी लिखा है। इसी हिसाब से डॉ. सागर डील राशि तय करता था।

लालू की जमानत बढ़ाने की याचिका खारिज,30 अगस्त तक करना होगा सरेंडर:झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की जमानत बढ़ाने की याचिका को खारिज कर दिया है। लालू ने हाईकोर्ट में अपनी तबीयत को लेकर जमानत बढ़ाने की याचिका दायर की थी। उनका इलाज एक सप्ताह से अधिक समय से मुंबई के एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट में चल रहा है।

लालू चारा घोटाले के आरोपी है जो फिलहाल में जमानत पर चल रहे हैं। रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने लालू को चारा घोटाले के तीन अलग-अलग मामलों में दोषी करार देकर सजा सुनाई है। बता दें कि कोर्ट ने लालू से 30 अगस्त तक सरेंडर करने को कहा है।

इससे पहले कोर्ट ने 17 अगस्त को हुई सुनवाई में लालू यादव की जमानत अवधि को 27 अगस्त तक बढ़ा दिया था। उनके वकील प्रभात कुमार ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि लालू अभी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हुए हैं, इसलिए उनकी जमानत की अवधि को 3 महीने के लिए बढ़ा दिया जाए। लेकिन कोर्ट ने 20 से 27 अगस्त तक मात्र सात दिन के लिए अवधि बढ़ाई थी।

पी. चिदंबरम को अदालत से मिली बड़ी राहत,एयरसेल-मैक्सिस डील

एयरसेल-मैक्सिस डील के मामले में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को राहत मिली है। दिल्ली की एक विशेष अदालत ने पांच जून तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। विशेष न्यायाधीश ओ. पी. सैनी ने आदेश की घोषणा करते हुए उन्हें पांच जून को मामले की जांच में शामिल होने का निर्देश दिया।

इससे पहले, अदालत ने एयरसेल-मैक्सिस डील मामले में पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को अंतरिम सुरक्षा प्रदान करते हुए उनकी गिरफ्तारी पर 10 जुलाई तक रोक लगाई थी। केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि कार्ति के पिता पी. चिदंबरम 2006 में जब वित्त मंत्री थे, तो उन्होंने (कार्ति) एयरसेल-मैक्सिस डील में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से किस प्रकार मंजूरी हासिल की थी।मालूम हो कि कार्ति चिदंबरम द्वारा साल 2006 में एयरसेल-मैक्सिस डील के तहत विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी मिलने के मामले की जांच CBI और ED कर रहे हैं। उस समय पी चिदंबरम वित्तमंत्री थे।

एयरसेल-मैक्सिस मामला
एयरसेल-मैक्सिस मामले में पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर एयरसेल-मैक्सिस को एफडीआई के अनुमोदन के लिए आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी को नजरअंदाज कर दिया था। ED के मुताबिक एयरसेल-मैक्सिस डील में तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कैबिनेट कमेटी की अनुमति के बिना ही मंजूरी दी थी, जबकि ये डील 3500 करोड़ रुपये की थी। नियमों के मुताबिक वित्तमंत्री 600 करोड़ रुपये तक की डील को ही मंजूरी दे सकते थे। एफआईपीबी ने फाइल को वित्तमंत्री के पास भेजा और उन्होंने इसे मंजूर कर दिया।

सत्येंद्र जैन के आवास पर सीबीआई का छापा , क्या चाहते हैं मोदी

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने मोहल्ला क्लीनिकों, स्कूलों और अन्य कार्यक्रमों के लिए क्रिएटिव टीम की सेवाएं लेने के संबंध में बुधवार को दिल्ली के स्वास्थ्य व ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन के आवास पर छापा मारा। जैन ने कहा, लोक निर्माण विभाग द्वारा क्रिएटिव टीम की सेवाएं लेने पर सीबीआई ने मेरे आवास पर छापा मारा है। पेशेवरों को विभिन्न परियोजनाओं के लिए रखा गया था। सीबीआई ने सबको जाने के लिए मजबूर कर दिया।”

पिछले साल सीबीआई ने निर्धारित नियमों और मानदंडों का पालन किए बिना 24 वास्तुकारों की सेवाएं लेने के संबंध में प्रारंभिक जांच शुरू की थी।
जैन के आवास पर छापेमारी के संबंध में अपनी प्रतिक्रिया में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी क्या चाहते हैं?”


दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि नीति आयोग ने इन क्रिएटिव टीमों का समर्थन किया था।
उन्होंने कहा, “इस तरह के कृत्यों से आम आदमी पार्टी रुकने वाली नहीं है।”
सीबीआई ने 28 मई को मोहल्ला क्लीनिक के लिए अपनी बेटी को हायर करने के संबंध में जैन के खिलाफ मामले को बंद कर दिया था।