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भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधा,राहुल और सोनिया गांधी दें जवाब

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर में सेना द्वारा चलाये जा रहे ऑपरेशन को लेकर एक बयान में कहा था कि ऑपरेशन के चलते आतंकी कम और नागरिक ज्यादा मारे जा रहे हैं। इसके बाद आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने भी उनके इस बयान का समर्थन कर दिया। लश्कर प्रवक्ता अब्दुल्ला गजनवी ने कहा कि कश्मीर में सेना द्वारा नागरिकों को तड़पाया जा रहा है। वहां के नेता गुलाम नबी आजाद ने जो बात कही है वह बिल्कुल सही है।

 

 

 

 

 

 

गुलाम नबी आजाद द्वारा दिए गए इस बयान पर हंगामा शुरू हो गया है। इस बयान को लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि लश्कर, कांग्रेस के बयानों का समर्थन करती है। आजाद के बयान पर राहुल गांधी और सोनिया गांधी जवाब दें।

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 2012 में 72 आतंकी मारे गए और 2013 में 67। जून 2017 में जब हम सत्ता में आए तो 2014 में 110 आतंकी मारे गए, 2015 में 108, 2016 में 150 और 2017 में 217। इस साल मई 2018 तक 75 आतंकी मार गिराए गए। इसलिए गुलाम नबी आजाद आप अपनी और हमारी सरकार के बीच अतंर देख सकते हैं।

प्रसाद ने कहा कि ‘आज जो भाषा कांग्रेस पार्टी के नेता गुलाम नबी आजाद बोल रहें है उसका समर्थन लश्कर-ए-तैयबा कर रही है। किस राजनीतिक लाभ के लिए आज कांग्रेस पार्टी देश को तोड़ने वालों के साथ खड़ी हो गई है? आज कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी की अगुवाई में और सोनिया गांधी के आश्रय में देश को तोड़ने वाली ताकतों को मजबूत कर रही है। आज गुलाम नबी आजाद की टिप्पणी से सबसे ज्यादा खुश वो लोग होंगे जो आंतकवाद का समर्थन कर रहें हैं।’

आतंकियों के मानवाधिकार को लेकर कहा कि ‘क्या औरंगजेब और शुजात बुखारी का मानवाधिकार नहीं था। कांग्रेस में आजाद और सोज अपवाद नहीं हैं, कांग्रेस में पाकिस्तानी प्रॉक्सी ने एक और तरीके से अपनी जगह बनाई है। तारीक हमीद कारा, जो पाकिस्तान की भाषा बोलते हैं उन्होंने हाल ही में सोनिया गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस पार्टी जॉइन की है।’

‘राईज़िंग कश्मीर’ के एडिटर शुजात बुखारी की हत्या,अंतिम यात्रा में उमड़ी भीड़

अंग्रेजी अखबार ‘राइजिंग कश्मीर के प्रधान संपादक शुजात बुखारी को उनके पैतृक गांव में शुक्रवार को सुपुर्दे दफ़न किया गया। उनके जनाजे में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। अज्ञात बंदूकधारियों ने गुरुवार को अखबार के कार्यालय के बाहर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। बुखारी के जनाजे में शामिल होने वालों में विपक्ष के नेता उमर अब्दुल्ला और पीडीपी तथा भाजपा के मंत्री भी शामिल थे। जनाजे में शिरकत कर रहे लोगों ने बताया कि गांव में इससे पहले कभी किसी ने ऐसा जनाजा नहीं देखा, जिसमें इतनी बड़ी तादाद में लोग शामिल हुए हों।

बुखारी सहित उनके दो अंगरक्षकों की गुरुवार शाम इफ्तार से थोड़ा पहले श्रीनगर के लाल चौक के निकट प्रेस एनक्लेव में राइजिंग कश्मीर के कार्यालय के बाहर अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी। बुखारी घाटी में शांति के लिए आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। वह पाकिस्तान के साथ ट्रैक-2 प्रक्रिया का हिस्सा भी थे।

कौन थे शुजात बुखारी
हिंदू से शुरू किया करियर और फिर लाए राइजिंग कश्‍मीर
बुखारी ने एतेनियो दी मनीला यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्‍म में मास्‍टर्स किया था। इसके बाद वह एशियन सेंटर फॉर जर्नलिज्‍म के साथ बतौर फेलो जुड़े और फिर उन्‍हें वर्ल्‍ड प्रेस इंस्‍टीट्यूट की फेलोशिप हासिल हुई। इन सबके अलावा वह हवाई स्थित ईस्‍ट-वेस्‍ट सेंटर में भी फेलो रह चुके थे। 10 मार्च 2008 को बुखारी ने राइजिंग कश्‍मीर की शुरुआत की थी। देखते ही देखते इंग्लिश का यह न्‍यूज पेपर कश्‍मीर का नंबर दो सबसे ज्‍यादा पढ़ा जाना वाला न्‍यूज पेपर बन गया था। उन्‍होंने बतौर जर्नलिस्‍ट अपना करियर द हिंदू से शुरू किया था। वह द हिंदू के लिए जम्‍मू कश्‍मीर से रिपोर्टिंग करते थे।

18 वर्ष पहले भी हुआ था हमला
बुखारी पर 18 वर्ष पहले पहली बार आतंकी हमला हुआ था और इसके बाद उन्‍हें सुरक्षा दी गई थी। उनके साथी, राजनेता और उनके करीबी दोस्‍त उन्‍हें कश्‍मीर में शांति की वकालत करने वाला एक मजबूत शख्‍स मानते थे। कश्‍मीर पर पाकिस्‍तान के साथ भारत की ओर से अनौपचारिक वार्ता के लिए प्रतिनिधिमंडल पिछले वर्ष दुबई में था और बुखारी इसका हिस्‍सा थे।

इसके अलावा उन्‍होंने कश्‍मीर पर शांति के लिए कई तरह की कॉन्‍फ्रेंसेज का आयोजन भी किया था। बुखारी पाकिस्‍तान के साथ होने वाली ट्रैक टू डिप्‍लोमैसी का भी हिस्‍सा थे। बुखारी, जम्‍मू कश्‍मीर सरकार में मंत्री बशारत बुखारी के भाई भी थे। आठ जुलाई 1996 को आतंकी संगठन इख्‍वान ने घाटी से 19 जर्नलिस्‍ट्स का अपहरण कर लिया था और बुखारी उनमें से ही एक थे।