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भारत और भूटान के बीच ‘सामान्य संबंध’ के पक्ष में है चीन

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बीजिंग,  राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक की डोकलाम मुद्दे पर भारत का समर्थन करने के लिए सराहना करने के एक दिन बाद चीन ने गुरुवार को कहा कि वह भारत और भूटान के बीच ‘सामान्य संबंध’ के पक्ष में है।

चीन ने यह भी कहा कि वह भारत और भूटान के साथ दोस्ताना संबंध बनाना चाहता है। भूटान के साथ चीन का कूटनीतिक संबंध नहीं है।

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयींग ने कहा, “भारत और भूटान, दोनों चीन के महत्वपूर्ण निकट पड़ोसी हैं। हम दोनों देशों के साथ अच्छे पड़ोसी और दोस्ताना संबंध विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

उन्होंने कहा, “साथ ही, हम भारत व भूटान के बीच सामान्य संबंध विकसित होते देखना चाहेंगे।

भूटान के राजा और उनकी पत्नी चार दिवसीय सद्भावना दौरे पर भारत की यात्रा पर हैं।

शाही जोड़े ने बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की थी। राष्ट्रपति ने डोकलाम विवाद सुलझाने में भूटान नरेश की निजी संलिप्तता, मार्गदर्शन और समर्थन के लिए सराहना की थी।

उन्होंने कहा था कि डोकलाम विवाद सुलझाने के लिए जिस तरह भारत और भूटान एक साथ खड़े हो गए, वह हमारी दोस्ती को दिखाता है।

हुआ ने कहा, “हम विश्वास करते हैं कि चीन और भारत ने शायद इस मुद्दे को कूटनीतिक तरीके से सुलझाया है। हम उम्मीद करते हैं कि भारत ऐतिहासिक समझौतों का पालन करेगा और सीमा क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए चीन के साथ काम करेगा।”

भारत और चीन की सेनाएं भूटान के डोकलाम क्षेत्र में दो महीने तक आमने-सामने रहीं थीं जिसपर बीजिंग और थिंपू दावा करते हैं। तीनों देशों की सीमाएं एक-दूसरे के साथ डोकलाम में मिलती हैं।

यह विवाद भारतीय सेना द्वारा जून में यहां चीनी सैनिकों को सड़क बनाने से रोकने के बाद पैदा हुआ था।

विवाद के समय, चीन ने भारत पर भूटान पर ‘नियंत्रण’ स्थापित करने और इसकी घरेलू राजनीति में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया था।

डोकलाम विवाद सुलझाने में भूटान नरेश की भूमिका सराहनीय : कोविंद

नई दिल्ली, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को डोकलाम विवाद सुलझाने में भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक की भूमिका की सराहना की। भूटान स्थित डोकलाम क्षेत्र में भारत और चीन की सेना आमने-सामने आ गईं थीं। कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक, उनकी पत्नी रानी पेमा जेतसुन वांगचुक और राजकुमार जिग्मे नामग्याल वांगचुक से मुलाकात के बाद यह बात कही।

भूटान का शाही जोड़ा मंगलवार को चार दिवसीय सद्भावना दौरे के तहत भारत पहुंचा।

हाल ही में भूटान के डोकलाम क्षेत्र में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच हुए गतिरोध के मद्देनजर शाही परिवार का यह दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

भारत और चीन के सेनाएं भूटान के डोकलाम क्षेत्र में दो महीने तक आमने-सामने रहीं थीं।

दोनों देशों की ओर से अपनी सेनाओं को पीछे हटाने के निर्णय के बाद यह विवाद अगस्त में समाप्त हुआ था। यह विवाद चीन द्वारा भूटान के इस क्षेत्र में सड़क निर्माण का कार्य करने की वजह से शुरू हुआ था।

उस समय भारत और भूटान ने कहा था कि बीजिंग का यह कदम भारत-भूटान-चीन के अंतर्राष्ट्रीय तिराहे (ट्राइजंक्शन) पर यथास्थिति का उल्लंघन है।

राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान के अनुसार, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और भूटान की अविभाज्य और साझा सुरक्षा चिंताएं हैं।

बयान के अनुसार, “कोविंद ने डोकलाम क्षेत्र में विवाद सुलझाने के लिए भूटान नरेश की निजी संलिप्तता, मार्गदर्शन और समर्थन के लिए गहरी सराहना की। उन्होंने कहा कि डोकलाम विवाद सुलझाने के लिए जिस तरह भारत और भूटान एक साथ खड़े हो गए, वह हमारी दोस्ती को दिखाता है।”

कोविंद ने उनके शासन का पहला दशक सफलतापूर्वक पूरा करने और स्थिर, खुशहाल और समृद्ध भूटान के लिए उनके दृष्टिकोण की भी सराहना की।

बयान के अनुसार, उन्होंने कहा कि भारत भूटान में त्वरित विकास और साथ ही पर्यावरण के साथ अपनी विशेष संस्कृति को बचाने के प्रयास को देखकर काफी खुश है।

कोविंद ने कहा, “भारत अपने ज्ञान, अनुभव और संसाधनों को भूटान के साथ साझा कर काफी खुश है। सरकार और भूटान के लोगों द्वारा स्थापित की गई प्राथमिकता के आधार पर हमारा विकास सहयोग आगे बढ़ता है।”

उन्होंने कहा, “भारत और भूटान अनुकरणीय द्विपक्षीय संबंध साझा करते हैं। हमारा संबंध विशेष और खास है। हमारा द्विपक्षीय संबंध विश्वास और समझ पर आधारित है। हमें हमारे द्विपक्षीय सहयोग को उदाहरण बनाने के लिए सबकुछ करना चाहिए, ताकि पड़ोसी देशों द्वारा इसे उदाहरण के रूप में लिया जाए।”

भारत और भूटान के बीच सुरक्षा, सीमा प्रबंधन, व्यापार, ट्रांजिट, अर्थव्यवस्था, हाइड्रो-पॉवर, विकास सहयोग और जल संसाधन के संबंध में कई संस्थागत तंत्र स्थापित हैं।

भारत, भूटान में 1416 मेगावाट की तीन हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजना स्थापित करेगा। जिसमें से तीन-चौथाई उत्पादित बिजली निर्यात की जाएगी और शेष का घरेलू दोहन किया जाएगा।

भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2016 में दोनों देशों के बीच 8,723 करोड़ का व्यापार हुआ।

इससे पहले बुधवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शाही परिवार से यहां मुलाकात की थी।

डोकलाम विवाद बाद भूटान नरेश 4 दिवसीय भारत दौरे पर

नई दिल्ली,  भूटान के डोकलाम क्षेत्र में भारत और चीन की सेनाओं के बीच विवाद खत्म होने के बाद भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक मंगलवार को भारत के चार दिवसीय दौरे पर नई दिल्ली पहुंचे। इस दौरान उनके साथ उनकी पत्नी जेत्सुन पेमा वांगचुक और राजकुमार जिग्मे नामग्याल वांगचुक भी हैं।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हवाईअड्डे पर शाही जोड़े की अगवानी की।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया, “बहुमूल्य दोस्त का विशेष आतिथ्य-सत्कार। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भूटान नरेश, उनकी पत्नी और राजकुमार का स्वागत किया।”

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, भूटान नरेश बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। मोदी शाही परिवार के सम्मान में रात्रिभोज आयोजित करेंगे।

उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और अन्य मंत्री भी भूटान नरेश से मुलाकात करेंगे।

बयान के मुताबिक, “भारत और भूटान के बीच अद्भुत दोस्ती है, जो दोनों के बीच गहरी समझ और आपसी विश्वास से झलकती है।”

बयान के मुताबिक, भूटान नरेश के इस दौरे से द्विपक्षीय सहयोग के पूरे सार की समीक्षा करने का मौका मिलेगा। इसमें 2018 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के 50 वर्ष पूरा होने के मौके पर जश्न की तैयारियां भी शामिल हैं।

भारत और चीन की सेनाओं के बीच भूटान के डोकलाम में लगभग ढाई महीनों तक विवाद रहा। यह विवाद जून में उस समय शुरू हुआ था, जब चीन की सेना ने भूटान क्षेत्र में सड़क निर्माण करना शुरू कर दिया था। यह विवाद अगस्त में समाप्त हुआ।

इस पूरे मुद्दे पर भारत और भूटान का कहना था कि चीन ने भारत-भूटान-चीन अतंर्राष्ट्रीय तिराहे पर यथास्थिति का उल्लंघन किया है, जबकि चीन का दावा है कि यह उसका क्षेत्र है।

भारत, भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार देश है। 2016 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार 8,723 करोड़ रुपये रहा, जबकि कुल आयात 5,528.5 करोड़ रुपये और कुल निर्यात 3,205.2 करोड़ रुपये रहा।