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भाजपा ने स्पष्ट किया,11 राज्यों में एकसाथ चुनाव कराने का कोई इरादा नहीं

भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा ने मंगलवार को यह स्पष्ट किया कि 11 राज्यों में लोकसभा चुनावों के साथ ही एक साथ विधानसभा चुनाव करवाने का मोदी सरकार का कोई इरादा नहीं है। भाजपा संभवत: 11 राज्यों में एक साथ चुनाव करवाना चाहती है। पार्टी ऐसी किसी भी तरह की भ्रांत धारणा को खारिज करती है।

उन्होंने कहा कि एक देश एक चुनाव को लेकर भाजपा की वही भावना है जो हमारे अध्यक्ष अमित शाह ने विधि आयोग के अध्यक्ष को लिखे पत्र में व्यक्त की है।भाजपा प्रवक्ता डॉ. पात्रा ने कहा कि श्री शाह ने पत्र में कहीं भी नहीं कहा है कि भाजपा 2019 में लोकसभा चुनावों के साथ 11 राज्यों में इकट्ठे विधानसभा चुनाव करवाना चाहती है।

एक देश एक चुनाव का आज़ादी के बाद से ही चर्चा में रहा है। वर्ष 1967 तक देश में सभी चुनाव एक साथ ही हुआ करते थे, लेकिन भाजपा चाहती है कि इस मुद्दे पर देश में चर्चा हो और राजनीतिक दल एक आम सहमति पर पहुंचें। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस बारे में आम सहमति कायम करने की बात कई बार कही है। इसे सकारात्मक चर्चा के आह्वान के रूप में देखा जाना चाहिए।

 

नागपुर में यदि प्रणव दा ने संघ की तारीफ में कसीदे पढ़े तो होगा क्या?

देश के पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के ताकतवर नेता प्रणव मुखर्जी ने यदि अपने भाषण में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की तारीफ की तो इससे कांग्रेस के संघ विरोधी एजेंडे को जबरदस्त धक्का लग सकता है। मुखर्जी नागपुर में संघ मुख्यालय में आयोजित होने वाले ‘संघ शिक्षा वर्ग’ के समापन समारोह में हिस्सा ले रहे हैं। पूर्व राष्ट्रपति का भाषण शाम साढ़े छह बजे होगा। संघ फेसबुक पर कार्यक्रम का सीधा प्रसारण करेगा। कांग्रेसी नेता के तौर पर पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी ने हमेशा संघ की आलोचना की है। संघ परिवार में भी उनके भाषण को लेकर उत्सुकता है। देश भर के कार्यकर्त्ता शाम होने का इंतजार कर रहे हैं।

प्रणव दा ने नहीं मानी कांग्रेसी राय

संघ मुख्यालय के निमंत्रण को अस्वीकार करने का आग्रह कांग्रेस के कई नेताओं ने किया। प्रणव मुखर्जी ने अपने मन की सुनी। प्रणव दा के नागपुर पहुंचते ही यह अपवाहें भी दिल्ली पहुंच गईं कि, उनकी बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी भाजपा में शामिल हो रहीं हैं। शर्मिष्ठा ने सोशल मीडिया पर इन खबरों का खंडन करते हुए अपने पिता से कहा कि उनके पिता नागपुर जाकर ‘भाजपा एवं आरएसएस को फर्जी खबरें गढ़ने और अफवाहें फैलाने’ की सुविधा मुहैया करा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि उनके ‘भाषण तो भुला दिए जाएंगे, लेकिन तस्वीरें (विजुअल्स) रह जाएंगी।’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने प्रणब मुखर्जी के संघ के समारोह में जाने को लेकर कहा कि ‘मैंने प्रणब दा से इसकी उम्मीद नहीं की थी!’


क्या संघ की आलोचना करने वाले हैं प्रणव दा

कांग्रेस में एक धड़ा ऐसा भी है, जो यह आशा रखे हुए है कि प्रणव मुखर्जी इस मौके का उपयोग को संघ परिवार को उसके ही घर में आईना दिखाने के लिए करेंगे। शर्मिष्ठा के ट्वीट में भी इसी तरह का आशावाद है।

शर्मिष्ठा ने ट्वीट किया, ‘आशा करती हूं कि प्रणब मुखर्जी को आज की घटना से इसका अहसास हो गया होगा कि भाजपा का डर्टी ट्रिक्स विभाग किस तरह काम करता है’. उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि आरएसएस कभी यह कल्पना भी नहीं करेगा कि आप अपने भाषण में उनके विचारों का समर्थन करेंगे।

प्रणव मुखर्जी के इस कदम से राजनीतिक समीक्षक भी चौंकन्ने दिखाई दे रहे हैं। प्रणव मुखर्जी और संघ प्रमुख मोहन भागवात के मधुर रिश्ते राष्ट्रपति भवन में हमेशा ही चर्चा में रहते थे। मोहन भागवत 16 जून 2017 को राष्ट्रपति भवन में प्रणव मुखर्जी से मिलने गए थे। दोनों लोगों के बीच करीब डेढ़ घंटे तक बातचीत हुई थी।। मुखर्जी के साथ एक मुलाकात उनकी पत्नी के देहांत के समय हुई थी।

राष्ट्रपति के सभी कार्यक्रम कैंसिल कर दिए गए। लेकिन मोहन भागवत से मुलाकात का कार्यक्रम रद्द नहीं किया गया। मुलाकातों के बीच आरएसएस से जुड़ी किताबें भी प्रणब मुखर्जी की दी गईं। विचारधारा के स्तर पर बातचीत भी होती रही।