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सांसदों,विधायकों के सदन के कार्यकाल के दौरान वकालत करने पर कोई रोक नहीं:सर्वोच्च न्यायालय

सर्वोच्च न्यायालय ने सांसदों और विधायकों के वकालत करने पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली एक याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर की पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि जो अधिवक्ता सांसद या विधायक हैं, उन पर अपने सदन के कार्यकाल के दौरान वकालत करने पर कोई रोक नहीं है।

पीठ ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) का कोई नियम या कानून नहीं है जो उन्हें अदालत में वकालत करने से रोकता हो।अदालत का यह फैसला अधिवक्ता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दाखिल याचिका पर आया है। उपाध्याय ने कहा था कि सांसदों और विधायकों द्वारा अधिवक्ता के रूप में काम करने से एडवोकेट एक्ट 1961 और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के तहत हितों का टकराव पैदा हो रहा है।

याचिका में सांसदों और विधायकों को उनके कार्यकाल की अवधि तक वकालत करने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, पी. चिदंबरम, पिनाकी मिश्रा, मीनाक्षी लेखी जैसे कुछ सांसद है, जो अधिवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं।

पी. चिदंबरम को अदालत से मिली बड़ी राहत,एयरसेल-मैक्सिस डील

एयरसेल-मैक्सिस डील के मामले में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को राहत मिली है। दिल्ली की एक विशेष अदालत ने पांच जून तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। विशेष न्यायाधीश ओ. पी. सैनी ने आदेश की घोषणा करते हुए उन्हें पांच जून को मामले की जांच में शामिल होने का निर्देश दिया।

इससे पहले, अदालत ने एयरसेल-मैक्सिस डील मामले में पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को अंतरिम सुरक्षा प्रदान करते हुए उनकी गिरफ्तारी पर 10 जुलाई तक रोक लगाई थी। केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि कार्ति के पिता पी. चिदंबरम 2006 में जब वित्त मंत्री थे, तो उन्होंने (कार्ति) एयरसेल-मैक्सिस डील में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से किस प्रकार मंजूरी हासिल की थी।मालूम हो कि कार्ति चिदंबरम द्वारा साल 2006 में एयरसेल-मैक्सिस डील के तहत विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी मिलने के मामले की जांच CBI और ED कर रहे हैं। उस समय पी चिदंबरम वित्तमंत्री थे।

एयरसेल-मैक्सिस मामला
एयरसेल-मैक्सिस मामले में पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर एयरसेल-मैक्सिस को एफडीआई के अनुमोदन के लिए आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी को नजरअंदाज कर दिया था। ED के मुताबिक एयरसेल-मैक्सिस डील में तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कैबिनेट कमेटी की अनुमति के बिना ही मंजूरी दी थी, जबकि ये डील 3500 करोड़ रुपये की थी। नियमों के मुताबिक वित्तमंत्री 600 करोड़ रुपये तक की डील को ही मंजूरी दे सकते थे। एफआईपीबी ने फाइल को वित्तमंत्री के पास भेजा और उन्होंने इसे मंजूर कर दिया।

सर्वोच्च न्यायालय का संकेत, कार्ति चिदंबरम जा सकेंगे विदेश

नई दिल्ली,  सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को संकेत दिया कि पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को चार या पांच दिनों के लिए विदेश जाने की अनुमति दी जा सकती है। कार्ति चिदंबरम ने अपनी बेटी को कैम्ब्रिज में दाखिला दिलवाने के लिए शीर्ष अदालत से विदेश जाने की अनुमति मांगी थी।

न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश ए. एम. खानविल्कर और न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की खंडपीठ से कार्ति चिदंबरम को विदेश जाने की अनुमति देने की मांग पर अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता से सीबीआई से निर्देश लेने को कहा कि क्या एजेंसी का इरादा अदालत को दिखाए गए कागजातों की मजबूती के हिसाब से कार्ति चिदंबरम से आगे भी पूछताछ का है।

कार्ति चिदंबरम की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने खंडपीठ से कहा कि उनका मुवक्किल किसी बात से डर नहीं रहा है और एजेंसी के सवालों का सामना करने के लिए तैयार है।

सर्वोच्च न्यायालय में सीबीआई की उस याचिका पर सुनवाई हो रही है, जिसमें मद्रास उच्च न्यायालय के कार्ति चिदंबरम के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी करने पर लगाई गई रोक को चुनौती दी गई है।

एजेंसी आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड द्वारा दी मंजूरी में अनियमितता की जांच कर रही है। इसे तब दिया गया था जब यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) की सरकार थी और पी. चिदंबरम वित्तमंत्री थे।

गुजरात राज्यसभा चुनाव में पुनर्गणना नहीं हुई थी : पी. चिदंबरम

नई दिल्ली,  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात राज्यसभा चुनाव टिप्पणी पर सोमवार को सवाल उठाया जिसमें भाजपा, कांग्रेस से हार गई थी। उन्होंने कहा कि चुनाव के नतीजों की पुनर्गणना नहीं हुई थी। चिदंबरम ने ट्वीट किया, “गुजरात राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस ने गिनती शुरू होने से पहले ही चुनाव आयोग से शिकायत की थी। वहां केवल एक बार गिनती हुई कोई पुनर्गणना नहीं हुई थी।”

चिदंबरम ने आगे लिखा, “अगर नागरिक चुनाव आयोग से सवाल नहीं करेंगे, तो कृपया कर मुझे बताइए कौन करेगा? और नागरिकों को क्या करना चाहिए, चुनाव आयोग से प्रार्थना।”

वह रविवार को गुजरात में एक सार्वजनिक सभा में प्रधानमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा राज्य के विधानसभा चुनावों के लिए कार्यक्रम की घोषणा नहीं करने पर विपक्ष की आलोचना की थी।

प्रधानमंत्री ने अगस्त में राज्यसभा द्विवार्षिक चुनाव का उल्लेख किया था जिसमें कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने भाजपा के बलवंत सिंह राजपूत को हराया था।

प्रधानमंत्री ने कहा, “ये वही लोग हैं, जिन्होंने गिनती के परिणाम देखे और महसूस किया कि वे हार गए हैं तो चुनाव आयोग के पास पुनर्गणना की मांग करने के लिए दौड़े। चुनाव आयोग ने उनकी मांग पर विचार किया और पुनर्गणना की अनुमति दी। चुनाव आयोग की वजह से चुनाव जीतने वाले ऐसे लोगों को आयोग से सवाल करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।”