दिल्ली हाईकोर्ट ने दक्षिण दिल्ली में कॉलोनियों के रिडेवलपमेंट के लिए काटे जाने वाले 16 हजार 500 पेड़ों की कटाई पर 2 जुलाई तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने एनबीसीसी से पूछा कि क्या दिल्ली सड़क और इमारतों के निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई वहन कर सकता है। इसके बाद कोर्ट ने 2 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई तक इन पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी। वहीं दूसरी और सोसाइटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ कल्चरल, हैरीटेज, एनवायरमेंट, ट्रेडीशन एंड प्रोमोशन ऑफ नेशनल अवेयरनेस एनजीओ ने एनजीटी में याचिका दायर की है। मामले की सुनवाई एनजीटी द्वारा जल्दी ही हो सकती है।
एनजीओ के अध्यक्ष अनिल सूद की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि कई कॉलोनियों में रिडेवलपमेंट करने के लिए पेड़ों की कटाई वृहद स्तर पर किए जाने से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ जाएगा। करीब 20 हजार पेड़ों में से साढ़े 16 हजार पेड़ों को काटे जाने के कारण ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी। वातावरण पर इसका अचानक नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। रिडेवलपमेंट के नाम पर 32 हजार 835 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस कार्य को पांच वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा।
रिडेवलपमेंट के दौरान 39 लाख वर्ग मीटर बिल्डअप एरिया में टाइप वन से लेकर टाइप फोर यूनिट का निर्माण किया जाएगा। याचिका में उन्होंने बताया है कि सरोजनी नगर से 11 हजार, नारौजी नगर से 1465, नेताजी नगर से 3033 और कस्तूरबा नगर से 520 पेड़ों को काटा जाना है, जबकि इस क्षेत्र में कुल 19 हजार 976 पेड़ हैं। वहीं, पेड़ काटने के खिलाफ याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले केके शर्मा का कहना है कि दक्षिण दिल्ली क्षेत्र में ही 20 हजार से ज्यादा पेड़ काटे जाएंगे। दिल्ली में 9 लाख पेड़ों की कमी है। ऐसे में मैं उम्मीद करता हूं कि कोर्ट पेड़ों को काटने पर रोक लगाएगा।
दक्षिण दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा पेड़ों की कटाई के आदेश दिए जाने के मामले में भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि इस मामले में आप (आम आदमी पार्टी) राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ आप द्वारा चिपको आंदोलन की तर्ज पर आंदोलन करने की बातों ने मुङो विचलित किया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन की स्वीकृति से उनके विभाग ने केंद्र सरकार की इस योजना के लिए पेड़ कटाई को कानूनी मान्यता दी थी और अब सत्ताधारी दल इस संवेदनशील मामले पर राजनीतिक नौटंकी कर रहा है।
मनोज तिवारी ने कहा कि राजनीतिक स्वार्थ के लिए आप चिपको आंदोलन जैसे पवित्र एवं महत्वपूर्ण आंदोलन की गरिमा को ठेस पहुंचा रही है। उन्होंने कहा कि चिपको आंदोलन एक विशाल क्षेत्र विशेष के हरित क्षेत्र की रक्षा के लिए चलाया गया था और वर्तमान मामले में हरित क्षेत्र प्रभावित नहीं होगा। मनोज तिवारी ने कहा कि एक किसान परिवार से होने के कारण मेरा स्वयं मानना है कि असंभव स्थिति तक पेड़ों की कटाई को टाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के अधिकारियों की कॉलोनियों से जुड़ा होने के कारण मैंने इसमें रूचि ली।
पेड़ों से चिपककर प्रदर्शन
सरोजनी नगर में रविवार को पेड़ों की कटाई के विरोध में लोगों ने धरना-प्रदर्शन किया। लोगों ने स्लोगन, पोस्टर और प्रदर्शनी के साथ ही पेड़ों से चिपककर अपना विरोध दर्ज कराया। विरोध प्रदर्शन में लोगों के साथ आप के विधायक भी शामिल हुए। दरअसल सरोजिनी नगर, नेताजी नगर, कस्तूरबा नगर, मोहम्मपुर, त्यागराज नगर की कॉलोनियों के रिडेवलपमेंट प्लान के लिए दक्षिणी दिल्ली में पेड़ों की कटाई शुरू कर दी गई है।
विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि जिस तरह से हजारों पेड़ों को काटे जाने का कार्य शुरू किया है, उससे भविष्य में ऑक्सीजन की मात्रा में काफी कमी आएगी। लोगों का कहना है कि साउथ दिल्ली में पेड़ काटने के बारे में हमने मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग को पत्र देकर कहा है कि दिल्ली में पेड़ लगाने की जरूरत है। अगर पेड़ों को काटा गया, तो वह वोट भी नहीं देंगे।