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बिहार में नीतीश के लव-कुश समीकरण को ध्वस्त करने में जुट गई बीजेपी, जान लीजिए अंदर की खबर – bihar bjp steps up destroying nitish kumar luv kush equation

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पटना: बिहार में बीजेपी ने अपने ‘खेल’ को तेज कर दिया है। खासतौर पर कुशवाहा वोटरों के बीच, जो नीतीश कुमार के बेस वोट बैंक ‘लव-कुश’ में से एक है। बीजेपी ने ओबीसी जातियों ने अपनी पहुंच को और आगे बढ़ाया है। इसके साथ ही राज्य में बीजेपी के काम को देखने के लिए पीएम मोदी के प्रमुख सहयोगियों को नियुक्त किया गया है। वहीं, दो अप्रैल को सासाराम में सम्राट अशोक की जयंती बीजेपी मनाने जा रही है, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल होंगे।

लव-कुश वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश

बिहार बीजेपी के नए अध्यक्ष सम्राट चौधरी को बनाए जाने के कुछ दिन बाद ही सासाराम में सम्राट अशोक की जयंती मनाने का फैसला लिया गया। सम्राट चौधरी खुद कुशवाहा जाति से आते हैं और ये समुदाय सम्राट अशोक को अपने पूर्वज के तौर पर देखता है। कोइरी-कुर्मी (लव-कुश) जाति की बिहार में आबादी लगभग साढ़े 10 फीसदी के आसपास है। नीतीश कुमार खुद कुर्मी जाति से आते हैं। लालू के मुस्लिम-यादव वोट बैंक से मुकाबले के लिए नीतीश कुमार ने लव-कुश वोटरों का हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया। इसका उन्हें अब तक फायदा मिलते आ रहा है।

नीतीश कुमार पर हमलावर सम्राट चौधरी

सम्राट चौधरी ने नवभारत टाइम्स डॉट कॉम के सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि सम्राट अशोक की जयंती को मनाने के लिए बीजेपी एक बड़ा सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित कर रही है, जिसे कुशवाहा अपने पूर्वज के रूप में देखते हैं। अब लव-कुश मतदाता, जिसे नीतीश कुमार अपना बंधुआ मजदूर मानते थे, वो भाजपा के साथ जाएगा। ये सभी भगवान राम के उपासक हैं। उन्होंने कहा कि लव-कुश गठबंधन की उत्पत्ति यादव वोट बैंक की तुष्टिकरण की राजनीति का मुकाबला करने के लिए हुई थी।

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बिहार बीजेपी में गुजरात के लोगों को अहम जिम्मेदारी

इस बीच, भाजपा ने गुजरात के सुनील ओझा को बिहार के लिए नया सह-प्रभारी नियुक्त किया है। ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर काम करते थे और पूर्वी उत्तर प्रदेश में पार्टी के काम को देख रहे थे। खास तौर पर वाराणसी का, जो पीएम मोदी का चुनाव क्षेत्र है। सुनील ओझा की नियुक्ति के साथ बिहार बीजेपी के दो प्रमुख पदाधिकारी गुजरात से हो गए। बिहार बीजेपी के संगठनात्मक सचिव भिखूभाई दलसानिया और प्रदेश बीजेपी के सह प्रभारी सुनील ओझा शामिल हैं।

गुजरात के सुनील ओझा बिहार बीजेपी के सह प्रभारी बने

कुछ दिन पहले गुजरात के रहनेवाले सुनील ओझा को पार्टी ने वाराणसी ट्रांसफर किया था। 2018 में पीएम मोदी के निर्वाचन क्षेत्र से उन्होंने एक मतदाता के रूप में खुद को रजिस्टर्ड कराया। सुनील ओझा ने ईटी को बताया कि मैं पूर्वी उत्तर प्रदेश में पार्टी का काम संभाल रहा था, जो बिहार से सटा हुआ है। इसलिए, दोनों क्षेत्रों में जनसांख्यिकी और सामाजिक संरचना समान है। सम्राट चौधरी को नए प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के कुछ दिनों बाद सुनील ओझा को सह प्रभारी बनाया गया।

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जेडीयू और आरजेडी से निपटने की रणनीति

भारतीय जनता पार्टी के लिए बिहार हमेशा से एक चैलेंज रहा है। पार्टी के लिए लगातार चुनौतियां पेश करता रहा है। अब, 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले, भाजपा ने नए राज्य इकाई प्रमुख और प्रभारियों के साथ अपनी रणनीति फिर से तैयार की है। भाजपा से अलग होने के बाद जद (यू) का राजद के साथ आना भाजपा के लिए एक गंभीर चुनौती है क्योंकि ये दोनों दल जातिगत समीकरणों में बीजेपी पर भारी पड़ते हैं।

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निजी क्षेत्र में आरक्षण का मैं पक्षधर, राष्ट्रीय बहस हो : नीतीश

पटना,  बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां सोमवार को कहा कि उनकी व्यक्तिगत राय है कि निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू किया जाना चाहिए। नीतीश ने विपक्ष द्वारा भ्रष्टाचार के लगाए गए आरोपों पर सफाई देते हुए तथा राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद पर निशाना साधते हुए कहा, जो ‘भ्रष्टाचार के पुरोधा’ हैं, वही आज भ्रष्टाचार पर बोल रहे हैं। पटना में ‘लोक संवाद कार्यक्रम’ में भाग लेने के बाद नीतीश ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि बिहार में आटसोर्सिग में आरक्षण उसके प्रावधानों के तहत किया गया है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने विरोधियों से कहा कि जिन्हें आरक्षण के विषय में बुनियादी जानकारी नहीं है, वही लोग इसका विरोध कर रहे हैं।

आरक्षण के विषय में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “मेरी व्यक्गित राय है कि आरक्षण सरकारी ही नहीं निजी क्षेत्र में भी दिया जाना चाहिए। इस मुद्दे पर राष्ट्रीय स्तर पर बहस होनी चाहिए। हमने जो भी फैसले किए हैं, वह बिहार के लोगों की भलाई के लिए किए, यही कारण है कि हम साल साल पहले वाले अपने गठबंधन में फिर लौटे हैं।”

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने कुछ दिन पूर्व नीतीश को आरक्षण विरोधी बताया था।

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “हमने कभी किसी घोटाले-मामले पर पर्दा नहीं डाला। वे भ्रष्टाचार के पुरोधा हैं, इसके बावजूद कुछ भी बोल रहे हैं। सृजन घोटाले को किसने उजागर किया? मैंने उजागर किया। आज तक जितने भी घोटाले सामने आए, मैंने कार्रवाई की। रफा-दफा करने की कोशिश नहीं की।”

लालू प्रसाद ने ट्वीट कर सृजन घोटाला, शौचालय घोटाला और महादलित मिशन विकास घोटाला का जिक्र करते हुए लिखा था कि जद (यू) और भाजपा गठबंधन के 100 दिन पूरे होने पर तीन बड़े घोटाले सामने आए हैं।

नीतीश कुमार ने एक बार फिर जीएसटी की वकालत करते हुए कहा कि लोग जीएसटी का विरोध कर रहे लोगों से पूछा जाए कि इसका प्रस्ताव कब आया था। उन्होंने कहा कि पहले वैट आया था और अब जीएसटी लाया गया है।

उन्होंने हालांकि यह माना, “अभी यह नई प्रणाली है, बदलाव में और समझने में वक्त लगता है, परंतु जीएसटी का विरोध करने का कोई कारण नहीं है।”

नीतीश कुमार ने राजद और जद (यू) में निजीस्तर पर चल रही बयानबाजी पर चिंता प्रकट करते हुए कहा, “मैंने अपने 47 साल के राजनीतिक जीवन में कभी इतनी घटिया बात नहीं की और ना करूंगा। दरअसल, आदमी जब परेशान होता है, सत्ता से वंचित होता है तो ऐसी बात बोलता है।”

नीतीश ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद को ‘भ्रष्टाचार का पुरोधा’ बताते हुए कहा कि अपने तो गए ही थे अपने बच्चों को भी नहीं छोड़ा।

लालू प्रसाद का नाम लिए बगैर उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “लोग राजगीर में मेरी समाधि बनवा रहे हैं। मुझे तो खुशी होगी कि मेरी समाधि राजगीर में बने। इससे अच्छी और क्या बात हो सकती है।”

नीतीश ने कहा, “जो लोग सत्ता से दूर हो गए हैं, उनकी नाराजगी अब झलकने लगी है। बालू माफिया प्रदेश में हावी हो रहे थे। दूसरे गलत काम भी हो रहे थे, इस वजह से मैं महागठबंधन से अलग हुआ।”

उल्लेखनीय है कि लालू ने नीतीश के राजगीर दौरे पर रविवार को तंज कसते हुए कहा था कि उनकी समाधि भी राजगीर में ही बनाई जाएगी।

पूर्व से लिखी स्क्रिप्ट  में नीतीश कुमार ने एक बार फिर ली मुख्यमंत्री पद की शपथ

नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू और भारतीय जनता पार्टी के बीच पिछले एक साल से पक रही खिचड़ी हांडी से उतर आई और गाजे-बाजे के साथ खा भी ली। नीतीश कुमार ने गुरूवार को छठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। सुशील मोदी बिहार के नए उप मुख्यमंत्री बने हैं। नीतीश कुमार और लालू यादव का गठबंधन टूटने की वजह भी उनके एक उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव थे। नीतीश कुमार को बिहार में सुशासन बाबू कहा जाता है। सुशासन का चमकदार चेहरा होने के बाद भी बिहार विधानसभा के चुनाव में उनकी पार्टी को मतदाताओं ने सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर स्वीकार नहीं किया था।

सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल है

 

बिहार में सबसे बड़ी पार्टी लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल है। बुधवार को राजनीतिक घटनाक्रम इतनी तेजी से चला कि सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी लालू प्रसाद यादव अलग-थलग पड़ गए। नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी की मदद से एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल करने में सफल हो गए। बहार के राजभवन स्थित राजेंद्र मंडप में आयोजित एक सादे समारोह में 10 बजे राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने नीतीश कुमार को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। स समारोह में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के कई नेता शामिल हुए।