Home Tags कमलनाथ

Tag: कमलनाथ

चुनावी राजनीति का सुपर संडे, अमित शाह ने जारी किया रिपोर्ट कार्ड, केजरीवाल ने दी गारंटी

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव नवंबर माह के अंत तक होना है। लेकिन, चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों ने प्रचार और मैदानी रणनीति का काम तेज कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी के आज दो बड़े आयोजन मध्य प्रदेश में हुए। पहला आयोजन भोपाल में हुआ। इसमें देश के गृह मंत्री अमित शाह ने भाजपा सरकार के 20 साल का रिपोर्ट कार्ड जारी किया। ग्वालियर में भाजपा की कार्यसमिति की बैठक में भी शाह शामिल हुए और चुनाव जीतने के कई मंत्र दिए।

ग्वालियर में भाजपा कार्यसमिति बैठक

ग्वालियर में आयोजित की गई भाजपा कार्यसमिति की चुनाव से पहले यह आखिरी बैठक थी। इस बैठक के जरिए भारतीय जनता पार्टी ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी के भीतर सभी नेता एक हैं। सरकार बनाने को लेकर कोई मतभेद नहीं है। भारतीय जनता पार्टी ने ग्वालियर में कार्यसमिति की बैठक आयोजित करने का निर्णय एक रणनीति के तहत लिया। पार्टी ग्वालियर की बैठक के जरिए यह स्पष्ट संदेश देना चाहती है कि अंचल उसकी प्राथमिकता में सबसे ऊपर है।

पिछले विधानसभा चुनाव में इस अंचल में कांग्रेस पार्टी को बड़ी सफलता हासिल हुई थी। इस सफलता के पीछे ज्योतिरादित्य सिंधिया के चेहरे को बड़ी वजह माना गया। ग्वालियर – चंबल अंचल में विधानसभा की कुल 34 सीटें हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस को 27 सीटों पर सफलता मिली थी। बाद में सिंधिया के साथ विधायकों के भारतीय जनता पार्टी में चले जाने से समीकरण कुछ बदले।

ज्योतिरादित्य सिंधिया

राज्य में भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गई। सिंधिया के भाजपा में आ जाने के बाद भी यहां पार्टी के लिए स्थितियां चुनौतीपूर्ण बनी हुई हैं। कहा जा रहा है कि अंचल में माहौल सत्ता विरोधी है। कार्य समिति की बैठक में इस सत्ता विरोधी माहौल को पक्ष में बनाने की रणनीति तैयार की गई।

भोपाल में कांग्रेस की चुनाव समिति की बैठक

कांग्रेस पार्टी में भी चुनाव के लिए हाथ से दो बड़ी घटनाएं संडे को देखने को मिली पहली बड़ी घटना की सूचना दिल्ली कांग्रेस के हेड क्वार्टर से आई पार्टी अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे ने अपनी कार्य समिति की घोषणा की कार्य समिति में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भी जगह दी गई है इससे यह साफ है कि पार्टी में दिग्विजय सिंह की पुरानी हैसियत बरकरार है दूसरी घटना भोपाल में देखने को मिली इसमें पार्टी अध्यक्ष कमलनाथ चुनाव समिति की बैठक बुलाई इस बैठक में उम्मीदवारों के नाम पर प्रारंभिक बातचीत हुई आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की पुण्यतिथि भी थी इस कारण कांग्रेस के नेता उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने हबीबगंज थाना क्षेत्र में स्थित प्रतिमा पर पुष्प अर्पण करने के लिए भी पहुंचे

अरविन्द केजरीवाल

संडे को तीसरी बड़ी राजनीतिक गतिविधि विंध्य क्षेत्र के सतना में हुई। यहां आम आदमी पार्टी ने एक बड़ी चुनावी सभा की। इस सभा में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी मौजूद थे। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे। इस कार्यक्रम में पार्टी की ओर से केजरीवाल की गारंटी की एक बुकलेट जारी की गई। केजरीवाल ने साफ तौर पर कहा कि राज्य में आप की सरकार आने के बाद जो काम किए जाएंगे उनकी वह लिखित में गारंटी दे रहे हैं।

यहां उल्लेखनीय है कि गारंटी की राजनीति की शुरुआत कर्नाटक के विधानसभा चुनाव से शुरू हुई थी। इसमें कांग्रेस ने जो पांच गारंटी वोटर को दी थी वह जीत की बड़ी वजह मानी गईं। कर्नाटक की सफलता के बाद कांग्रेस चुनाव वाले पांच राज्यों में भी इसी तरह की गारंटी दे रही है। इन गारंटियों में ओल्ड पेंशन योजना के अलावा पांच सौ रुपए का गैस सिलेंडर, नारी सम्मान योजना, और किसानकी कर्ज माफी प्रमुख है। मुफ्त बिजली की गारंटी कांग्रेस भी दे रही है और अरविंद केजरीवाल भी इसी तरह दोनों राजनीतिक दलों के मुकाबले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नया वोटर के सामने रखा है यह है मोदी की गारंटी।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस भी घोषित कर सकती है उम्मीदवार

भारतीय जनता पार्टी के बाद कांग्रेस भी विधानसभा चुनाव के अपने उम्मीदवार घोषित कर सकती है। खासकर उन क्षेत्रों के जहां भाजपा ने अपने उम्मीदवार घोषित किए हैं।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में भाजपा ने 39 अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है।ये वे क्षेत्र है जहां वर्तमान मे़ कांग्रेस के विधायक हैं। उम्मीदवारों के घोषणा के बाद कांग्रेस विधायक भी अपनी उम्मीदवारी के लिए पार्टी पर दबाव बना रहे हैं। विधायकों का कहना है कि यदि उनकी उम्मीदवारी अंतिम समय तक लटका कर रखी गई तो भाजपा प्रचार में आगे निकल जाएगी। पार्टी भी विधायकों के इस तर्क से सहमत नजर आती है शायद इसी के चलते रविवार को भोपाल में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ में चुनाव समिति की बैठक बुलाई है। इस बैठक में कुछ उम्मीदवारों के नामों को सहमति दी जा सकती है।

अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में कांगे्रस के नेताओं ने कैसे की कमीशनबाजी ?

अगस्ता वेस्टलैंड चॉपर डील में कांगे्रस के बड़े नेताओं की कमीशनबाजी सामने आने लगी है। घोटाले में शामिल आरोपियों के एक हजार पन्रों के बयान में उन कांगे्रस के बड़े चेहरों का भी खुलासा किया गया है,जिन्होंने कमीशन की रकम ली थी।

चॉपर की डील तीन हजार करोड़ रूपए की थी।

घोटाले के मुख्य आरोपी चार्टर्ड अकाउंटेंट राजीव सक्सेना द्वारा प्रवर्तन निदेशालय के जांच अधिकारियों को दिए बयान में

कांगे्रस के जिन बड़े नामों का खुलासा किया गया है, उनमें मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके पुत्रों की कंपनियों के नाम भी हैं।

अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में आरोपी रतुल पुरी कमलनाथ के भांजे हैं

ratul puri
ratul puri

राजीव सक्सेना के बयान में हुए खुलासे के बाद

मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि वर्ष 2019 में कमलनाथ के करीबियों पर आयकर विभाग द्वारा छापे की जो कार्यवाही की गई थी उसका संबंध अगस्ता वेस्टलैंड के घोटाले से ही था।

नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि वल्लभ (मध्यप्रदेश का मंत्रालय) भवन को दलालों का अड्डा बनाने का हमारा आरोप साक्ष्यों पर आधारित है।

ज्ञातव्य है कि अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले के मुख्य आरोपियों में कमलनाथ के भांजे रतुलपुरी भी हैं। सीबीआई ने बैंक फ्रॉड के कई मामले रतुल पुरी के खिलाफ दर्ज किए हैं।

रतुल पुरी की कंपनी एम.बी पावर (मध्यप्रदेश लिमिटेड) भी है।

इसका पावर प्लांट अनूपपुर में है। एम.बी. संभवत: मोजर बियर का संक्षिप्त नाम है। मोजर बियर कंपनी के मालिक दीपक पुरी हैं। दीपक पुरी,रतुल पुरी के पिता हें।

जून में लॉकडाउन के दौरान भी सीबीआई ने मोजर बियर सोलर लिमिटेड के खिलाफ पंजाब नेशनल बैंक से जुड़े मामले में प्रकरण दर्ज किया था।

मोजर बियर सोलर लिमिटेड राजस्थान में काम करती है।

पावर प्लांट थी बिसाहू लाल सिंह से विवाद की वजह

kamalnath
kamalnath

मध्यप्रदेश में वरिष्ठ कांगे्रस के विधायक बिसाहूलाल सिंह को

कमलनाथ ने अपनी व्यक्तिगत नाराजगी के चलते ही मंत्री नहीं बनाया था।

पावर प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण और अन्य मामलों में

बिसाहू लाल सिंह ने आंदोलनकारियों को समय-समय पर साथ दिया था।

कमलनाथ इस कारण बिसाहूलाल सिंह से नाराज थे।

इस साल मार्च में बिसाहूलाल सिंह ने कांगे्रस पार्टी से इस्तीफा दे दिया।

वे भाजपा में शामिल हो गए।

उप चुनाव में अनूपपुर से पुन: विधायक निर्वाचित हुए हैं।

सिंह,शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में खाघ एवं आपूर्ति मंत्री हैं।

बकुल नाथ की कंपनी को मिला कमीशन का पैंसा?

कमलनाथ ने अपने बड़े बेटे नकुल नाथ को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाया है।

वे छिंदवाड़ा से सांसद हैं। छोटा बेटा बकुल नाथ कंपनीनियों का काम काज संभालते हैं।

अगस्ता वेस्टजलैंड में मामले प्रवर्तन निदेशालय को

राजीव सक्सेना द्वारा दिए गए बयान में बताया कि इस डील में दो कंपनियां शामिल थीं.

पहली सक्सेना की इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज और दूसरी क्रिश्चियन मिशेल की ग्लोबल सर्विस। मिशेल साल 2018 से ही जेल में है।

सक्सेना ने कहा कि उनकी कंपनी को प्रिस्टीन रिवर इन्वेस्टमेंट से ब्रिज फंडिंग मिलती थी।

यह कंपनी बकुल नाथ की बताई जा रही है।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक प्रमुख आरोपी और पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट

राजीव सक्सेना ने पूछताछ में कमलनाथ के भतीजे रतुल पुरी,

बेटे बकुल नाथ, सलमान खुर्शीद और अहमद पटेल का नाम लिया है।

जांच एजेंसियां पूरे मामले की जांच कर रही हैं।

जल्द ही इन नेताओं पर शिकंजा कस सकता है।

इंडियन एक्सप्रेस ने जब इन नेताओं से आरोपों पर जवाब मांगा गया

तो उन्होंने ऐसा कोई लिंक होने से इनकार किया है।

विस्तृत के लिए देखें https://powergallery.in/

उप चुनाव:जनता ने काँग्रेस के गद्दार मुद्दे को नकारा

28 विधानसभा सीटों पर हुए के उप चुनाव नतीजे आ गए हैं।

भारतीय जनता पार्टी ने बीस सीट जीत कर अपनी दमदार वापसी की है।

इन सीटों के कारण भाजपा मौजूदा विधानसभा का बचा हुआ तीन साल का कार्यकाल बगैर किसी व्यवधान के पूरा करेगी।

उप चुनाव में कांगे्रस को सात और बसपा को एक सीट पर बढ़त है।

उप चुनाव में वोटर ने कांगे्रस के गद्दार मुद्दे को नकारा

shivrah+kamalnath+mayawati

मार्च में 22 कांगे्रस के विधायकों विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे।

बाद में तीन और कांगे्रस विधायकों ने इस्तीफा दे दिया।

तीन स्थानों पर उप चुनाव विधायकों के निधन से खाली हुई सीट को भरने के लिए हुए थे।

सबसे ज्यादा सोल सीटों पर उप चुनाव ग्वालियर एवं चंबल अंचल में हुए हैं।

यह अंचल सिंधिया राज परिवार के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है।

राज परिवार के ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मार्च में भाजपा में शामिल हो गए थे।

भाजपा ने उन्हें राज्यसभा में भेजा है।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूरी कांगे्रस ने आरोप लगाया था कि भाजपा ने दल बदल के लिए हर विधायक को पैंतीस करोड़ रूपए दिए थे।

चुनाव में इसे मुद्दा भी बनाया गया। लेकिन, दल छोड़ने वाले विधायकों को गद्दार बताने के कांगे्रस के दावे पर जनता ने मोहर नहीं लगाई।

उप चुनाव वाली 27 सीटें आम चुनाव में कांगे्रस को मिली थीं

उप चुनाव में कांगे्रस को भारी नुकसान हुआ है।

उसके खाते की 19 सीटें भाजपा के खाते में चली गईं हैं।

प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि कमलनाथ को जनता ने अपना फैसला सुना दिया है।

अब उन्हें वापस दिल्ली चले जाना चाहिए।

2018 के आम चुनाव में कांगे्रस ने पंद्रह साल बाद सरकार में वापसी की थी।

इस वापसी में ग्वालियर-चंबल अंचल 34 सीटों का बड़ा योगदान था।

अंचल की 26 सीटें कांगे्रस के खाते में गईं थीं।

इस अंचल में पिछड़ने के कारण ही भाजपा लगातार चौथी बार सरकार नहीं बना पाई थी।

विधायकों के दल बदल के कारण भाजपा पंद्रह माह बाद सरकार में वापस आ पाई।

मुरैना जिले में पांच सीटों पर सबसे कमजोर प्रदर्शन रहा

interview with narendra singh tomar
नरेन्द्र सिंह तोमर

भारतीय जनता पार्टी का सबसे कमजोर प्रदर्शन मुरैना जिले में रहा।

जिले की पांच सीटों पर विधानसभा के उप चुनाव थे।

केवल जौरा की सीट पर भाजपा मजबूती से उभरी।

शेष चार सीटों पर वह लगातार पिछड़ती चली गई।

कृषि राज्यमंत्री गिर्राज दंडोतिया भी और पीएचई मंत्री एंदल सिंह कंसाना भी अपनी सीट नहीं बचा पाए।

उप चुनाव की चुनौती 
मध्यप्रदेश मे विधानसभा उप चुनाव 

लोकसभा में सीट का नेतृत्व कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर करते हैं।

इस अंचल के तोमर-सिकरवार ठाकुरों ने भाजपा को वोट नहीं दिया।

कहा यह भी जाता है कि पुत्र मोह के कारण तोमर नए नवेले भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में दमदारी से प्रचार नहीं कर सके।

अंचल में सिंधिया ने अपना प्रभाव एक बार फिर साबित किया है।

मुरैना जिले में तोमर से नाराजगी के चलते सिंधिया समर्थकों को नुकसान उठाना पड़ा है।

जिले में तीन सिंधिया समर्थक चुनाव मैदान में थे।

दिमनी विधानसभा क्षेत्र में गिर्राज दंडोतिया,मुरैना में रघुराज कंसाना पिछड़ते जा रहे हैं।

सुमावली से भाजपा उम्मीदवार एंदल सिंह कंसाना कांगे्रस की राजनीति में सिंधिया विरोधी माने जाते थे।

विस्तृत के लिए देखें- https://powergallery.in

कमलनाथ की जुबां पर लगाम कसने चुनाव आयोग ने किया स्टार सूची से बाहर

kamalnath
kamalnath out

कमलनाथ(kamalnath) की बेकाबू होती जुबां पर चुनाव आयोग (Election Commission)ने लगाम लगाने की कोशिश की है।

चुनाव प्रचार थमने के अठतालीस घंटे पहले आयोग ने कमलनाथ को कांगे्रस पार्टी की स्टार प्रचारक सूची से बाहर कर दिया है।

आयोग ने कमलनाथ की भाषा पर अप्रसन्नता जाहिर की है।

कमलनाथ को दो बयानों के आधार पर कटघरे में खड़ा किया गया।

पहला बयान डबरा की भाजपा उम्मीदवार इमरती देवी को आयटम कहने का था।

दूसरी बार कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को निशाने पर लेते हुए कहा कि

“शिवराज नौटंकी के कलाकार हैं,मुंबई जाकर एक्टिंग करें।”

एक अन्य भाषण में कमलनाथ ने कहा कि

“आपके भगवान तो वो माफिया हैं जिससे आपने मध्यप्रदेश की पहचान बनाई आपके भगवान तो मिलावटखोर हैं।”

Election Commission of India
Election Commission of India

अब प्रचार में जाने पर कमलनाथ का खर्च उम्मीदवार के खाते में जुड़ेगा

चुनाव आयोग ने कमलनाथ से उनके बयानों पर सफाई मांगी थी।

पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा पेश किए गए बचाव उत्तर से चुनाव आयोग संतुष्ट नहीं हुआ।

आयोग ने कमलनाथ को कांगे्रस पार्टी की स्टार प्रचारक की सूची से बाहर कर दिया।

सूची से बाहर हो जाने के बाद कमलनाथ अब किसी विधानसभा क्षेत्र में प्रचार के लिए जाते हैं तो उसका खर्च पार्टी के बजाए उम्मीदवार के खाते में जोड़ा जाएगा।

कमलनाथ,हवाई जहाज लेकर चुनाव प्रचार करने जाते हैं।

चुनाव प्रचार रविवार की शाम समाप्त हो जाएगा। मंगलवार 3 नवंबर को वोट डाले जाएंगे

कांगे्रस की शिकायत पर भी कार्यवाही कर चुका है चुनाव आयोग

मध्यप्रदेश कांगे्रस कमेटी लगभग हर दिन चुनाव कार्य से जुड़े अधिकारियों की कोई न कोई शिकायत आयोग को करती है।

कांगे्रस की शिकायत पर आयोग दो जिलों के कलेक्टरों को भी हटा चुका है।

कांगे्रस पार्टी की शिकायतों पर कार्यवाही को लेकर एक लंबा पत्र पूर्व मुख्यमंत्री ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोरा को लिखा था।

इस पत्र में राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय की भूमिका पर भी अप्रत्यक्ष तौर पर सवाल खड़े किए थे।

कमलनाथ के बयानों के बारे मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने भी एक रिपोर्ट आयोग को भेजी थी।

इस रिपोर्ट में आयटम और माफिया के बयानों को आचार संहिता के उल्लंघन(violation of Model Code of Conduct) का दोषी  माना गया था।

उप चुनाव की चुनौती 
मध्यप्रदेश मे विधानसभा उप चुनाव 

कांगे्रस का आरोप सभा की भीड़ से घबरा गई भाजपा

लगभग पांच दशक के राजनीतिक जीवन में पहली बार कमलनाथ को चुनाव आयोग की इस कार्यवाही का सामाना करना पड़ा है।

इन चुनावों से पहले विरोधी दल और उसके नेताओं को लेकर कमलनाथ की भाषा इतनी अमर्यादित कभी नहीं रही।

मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने कहा कि सभाओं में उमड रही हजारों की भीड़ से घबराकर एक और षडयंत्र रचा गया है।

आचार संहिता को तोडेंगे। दलित महिला प्रत्याशी का अपमान करेंगे ।

अधिकारी कर्मचारियों को खुलेआम धमकी देंगे।

10 के बाद 11 आती है कैलेंडर बताएंगे। जब आयोग कार्यवाही करेगा तो उसे ही कटघरे में खड़ा कर देंगे।

गनीमत है केंद्र में इनकी सरकार नहीं है वरना आपातकाल लगा देते।

विस्तृत के लिए देखें- https://powergallery.in

“मैं भी शिवराज” कैंपेन में कमलनाथ की अमीरी पर शिवराज की गरीबी पड़ेगी कितनी भारी

kamalnath v/s shivraj singh
kamalnath v/s shivraj singh

कैंपेन “मैं हूं चौकीदार” के तर्ज पर

विधानसभा उप चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नंगा-भूखा बताए जाने के कांगे्रस नेता दिनेश गुर्जर के बयान के बाद

भारतीय जनता पार्टी ने “मैं भी शिवराज” कैंपेन को लॉंच किया।

यह कैंपेन मैं हूं चौकीदार के तर्ज पर है।

मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने प्रदेश भाजपा के सभी नेताओं-कार्यकत्र्ताओं

से चौबीस घंटे के लिए अपने ट्वीट अकाउंट की डीपी बदलने के लिए कहा है।

नई डीपी शिवराज सिंह चौहान की फोटो के साथ लगाई जा रही है,जिसमें लिखा है मैं भी शिवराज।

मैं भी शिवराज
मैं भी शिवराज

“मैं भी शिवराज” पर पर कमलनाथ की चुप्पी

भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा द्वारा “मैं भी शिवराज” कैंपेन लॉंच किए जाने के कुछ देर बाद

ट्वीटर ट्रेंड में भी यह दिखाई देने लगा।

सोशल मीडिया पर भाजपा समर्थक बोले ‘मैं भी शिवराज’ – 3 घंटे में 77,530 लोगों ने बदली अपनी तस्वीर

कांगे्रस नेता दिनेश गुर्जर के बयान पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भूख-नंगा

बताए जाने से मेरा अपमान नहीं हुआ,बुरा भी नहीं लगा।

मुख्यमंत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर कटाक्ष करते हुए कहा कि

मैं गरीब-भूखा नंगा हूं,इस कारण बच्चों के कॉलेज की फीस भरता हूं।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के ट्वीटर अकाउंट से मंगलवार को एक ट्वीट हुआ।

इसमें लिखा था मध्यप्रदेश का उप चुनाव “राजनीति की शुद्धता का जन आंदोलन है।”

दिनेश गुर्जर ने कमलनाथ को देश का नंबर दो उद्योगपति भी बताया था।

गुर्जर,कमलनाथ के ही करीबी माने जाते हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में मुरैना से चुनाव भी लड़े थे।

तीसरे नंबर पर रहे थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में कमलनाथ ने यह अकेला टिकट लिया था।

असंतुष्टों को घर से बाहर निकालने का दांव मैं भी शिवराज

मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

नामांकन जमा करने की आखिरी तारीख 16 अक्टूबर है।

यह उप चुनाव कांगे्रस के 25 विधायकों द्वारा विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिए जाने के कारण हो रहे हैं।

“मैं भी शिवराज”

जबकि तीन विधानसभा क्षेत्रों में विधायकों के निधन के कारण उप चुनाव की स्थिति बनी है।

विधायकों के इस्तीफे के कारण ही कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांगे्रस सरकार पंद्रह माह में ही गिर गई थी।

भाजपा में शामिल होने वाले अधिकांश विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं।

सिंधिया भी भाजपा छोड़कर कांगे्रस में शामिल हुए हैं।

मार्च में सरकार गिर जाने के बाद से ही मध्यप्रदेश कांगे्रस के नेता सिंधिया और उनके समर्थकों के दलबदल को चुनावी मुद्दा बनाने में लगे हुए थे।

विधायकों को गद्दार की उपमा भी दी।

उप चुनाव की चुनौती 
मध्यप्रदेश मे विधानसभा उप चुनाव 

सिंधिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी आक्रमक शैली में

जनता से वादा खिलाफी के लिए कमलनाथ को गद्दार स्थापित करने में लगे हुए हैं।

उप चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें ग्वालियर एवं चंबल अंचल की हैं। इस क्षेत्र में सिंधिया का प्रभाव ज्यादा है।

इस कारण कांगे्रस ने अपनी रणनीति के अनुसार चुनाव के केन्द्र में सिंधिया को रखा है।

लेकिन,सिंधिया के प्रभाव क्षेत्र में दिनेश गुर्जर ने

शिवराज सिंह सिंह चौहान को नंगा भूखा बताकर पार्टी केे चुनावी मुद्दे को कमजारे कर दिया है।

इस मुद्दे के जरिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कोशिश

अपनी पार्टी के असंतुष्ट नेताओं को प्रचार के लिए घर से निकालने की है।

2018 के परिणाम दोहराना चाहते हैं शिवराज के विरोध

शिवराज सिंह चौहान के लगातार तेरह साल तक मुख्यमंत्री बने रहने के कारण

मध्यप्रदेश भाजपा के कई कद्दावर नेता अप्रसांगिक हो गए हैं।

पिछले तीन चुनाव में चौहान ने अपने समकालीन अधिकांश नेताओं को किनारे लगा दिया है।

आज प्रदेश भाजपा में उन्हें चुनौती देने वाला कोई नेता नहीं है।

शिवराज सिंह चौहान से नाराज नेताओं के कारण ही कांगे्रस की पंद्रह साल बाद सत्ता में वापसी हुई थी।

ग्वालियर-चंबल अंचल में शिवराज सिंह चौहान को लेकर लोगों में ज्यादा नाराजगी देखी गई थी।

यह नाराजगी अभी भी बरकरार है।

वर्तमान में विधानसभा में भाजपा के सदस्यों की संख्या 107 है।

88 सीटें कांगे्रस के पास हैं। कांगे्रस को सत्ता में वापसी करने के लिए सभी 28 सीटें जीतना जरूरी है।

जबकि भाजपा नौ सीट जीतकर भी सामान्य बहुमत के साथ सरकार बनाए रख सकते हैं।

मध्यप्रदेश कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा कहते हैं कि

शिवराज सिंह चौहान का सच पूरा प्रदेश जानता है।

सलूजा कहते हैं कि सच पर पर्दा डालने की शिवराज सिंह चौहान की कोशिश कभी सफल नहीं होगी।

भले ही वे कोई भी कैंपेन चला लें।

अब चुनाव के केन्द्र में सिंधिया नहीं शिवराज हैं

भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव प्रचार के लिए मंगलवार को 28 हाईटेक प्रचार रथ

उप चुनाव वाले क्षेत्रों के लिए रवाना किए।

रथ पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के ही फोटो लगे हुए थे।

भाजपा में यही परंपरा है।

सिंधिया इस परंपरा में अपने आपको ढालने की कोशिश कर रहे हैं।

यद्यपि उनके समर्थक अपने चुनाव में वोट महाराज के नाम पर ही मांग रहे हैं।

सिंधिया के चुनाव प्रचार का का एक दौर पूरा हो चुका है।

इस दौरा के पूरा होते ही पार्टी में हार की ठीकरा का जीत का श्रेय लेने की रणनीति भी बनती दिखाई दे रही है।

“मैं भी शिवराज” का कैंपेन को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है

विस्तृत के लिए देखें- https://powergallery.in/

कमलनाथ का छिंदवाड़ा मॉडल ग्वालियर में चल पाएगा ?

bjp-congress
bjp-congress symbol

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ क्या ग्वालियर-चंबल अंचल में छिंदवाडा के कथित विकास मॉडल के सहारे विधानसभा उप चुनाव जीतना चाहते हैं!

चौबीस घंटे की अपनी ग्वालियर यात्रा में कमलनाथ ने स्पष्ट तौर पर कहा कि वे इस अंचल का विकास अब खुद देखेंगे।

अपनी ग्वालियर यात्रा के समापन से पूर्व कमलनाथ ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि

पिछले कुछ वर्षों में ग्वालियर-चंबल उपेक्षित क्यों रहा ?

मुझे इस बात का दुख है कि आज से 50 वर्ष पहले प्रदेश की पहचान ग्वालियर से होती थी ,कोई इंदौर-भोपाल-जबलपुर की बात नहीं करता था।

उप चुनाव की चुनौती 
मध्यप्रदेश मे विधानसभा उप चुनाव 

बुनियादी सुविधाए तक ग्वालियर को नहीं मिली ? चाहे ग्वालियर की सड़को की बात करे ,फ्लाईओवर की बात करे , ग्वालियर क्यों उपेक्षित रहा ? इसका ज़िम्मेदार कौन ?

ज्ञातव्य है कि मध्यप्रदेश की राजनीति में विजयाराजे सिंधिया से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया तक कांगे्रस के नेता पांच दशक से भी अधिक समय से लगातार विरोध कर रहे हैं।

सिंधिया परिवार का कोई सदस्य कभी मुख्यमंत्री नहीं बन सका।

विधानसभा के आम चुनाव में अंचल की चौतीस सीटों में सत्ताइस सीटें कांगे्रस के खाते में गईं थीं।

इसकी बड़ी वजह ज्योतिरादित्य सिंधिया का चेहरा था। लोगों को उम्मीद थी कि अंचल को मुख्यमंत्री मिल जाएगा।

लेकिन, कमलनाथ के कारण लोगों की उम्मीदें टूट गईं।

दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री रहते अंचल के विकास में ज्यादा रूचि नहीं दिखाई थी।

उनकी दिलचस्पी इंदौर-उज्जैन मार्ग पर ज्यादा दिखाई दी थी।

कमलनाथ, ग्वालियर में भी अपने छिंदवाड़ा मॉडल को ही आगे रखने की कोशिश करते दिखाई दे रहे हैं।

ग्वालियर में छिंदवाड़ा के मुकाबले ज्यादा संस्थान हैं।

शिक्षा का केन्द्र भी है। सिंधिया परिवार की कर्मभूमि गुना-शिवपुरी है।

यहां देश के हर हिस्से में जाने के लिए ट्रेन उपलब्ध है।

कमलनाथ डरते-डरते ग्वालियर में चुनावी रैली करने पहुंचे थे।

नौ विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित कर चुके हैं।

सात बाकी हैं। भीड़ जुटाने में सोलह सीटों के नेताओं की अहम भूमिका रही है।


कमलनाथ एकल चलो की नीति पर चलते दिखाई दे रहे है।

kamalnath in gwalior

प्रदेश कांगे्रस के पूर्व अध्यक्ष अरूण यादव को साथ लेने की उनकी मजबूरी साफ दिखाई दे रही है।

अंचल की आधा दर्जन सीटों पर यादव वोट निर्णायक हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह उनके साथ नहीं थे।

अजय सिंह और डॉ.गोविंद सिंह जैसे चेहरे भी नहीं थे।

केवल वही लोग थे,जो कांगे्रस में गुमनामी रहकर राजनीति कर रहे थे।

विस्तृत के लिए देखें- https://powergallery.in

मध्यप्रदेश में नकुल नाथ के चेहरे पर क्या है राहुल गांधी की राय

kamalnath
kamalnath

मध्यप्रदेश के दो दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह और कमलनाथ कांगे्रस की अपनी राजनीतिक विरासत पुत्रों को सौंपने से पहले उनके लिए जमीन तैयार कर रहे हैं। राज्य में सोनिया-राहुल गांधी की पसंद का चेहरा कौन है? नकुल नाथ,जयवर्द्धन सिंह या फिर कोई तीसरा? इसकी परवाह इन दोनों बुर्जुग नेताओं को नहीं है। तीसरे नेता के तौर पर जीतू पटवारी से लेकर उमंग सिंघार तक दर्जन भर नाम हैं। लेकिन,इनके साथ मजबूत पारिवारिक और राजनीतिक जमीन नहीं है। इस कारण वे नकुल नाथ और जयवर्द्धन सिंह के साथ रेस में पिछड़ते दिखाई दे रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अपना हर राजनीतिक कदम नकुल नाथ के लिए उठा रहे हैं। प्रदेश कांगे्रस में कमलनाथ को चुनौती देने वाला कोई नेता नहीं है। जीतू पटवारी चुनौती देने की कोशिश जरूर करते दिख रहे हैं।

सोनिया-राहुल गांधी से युवा नेताओं का हो रहा है मोह भंग

https://twitter.com/search?q=%22Jitu%20Patwari%22&src=trend_click

rahul gandhi, Jyotiraditya Scindia and sachin pilot

राष्ट्रीय स्तर पर कांगे्रस का आलाकमान कौन है? सोनिया गांधी या फिर राहुल गांधी। सोनिया गांधी पार्टी की कार्यवाहक अध्यक्ष हैं। कांगे्रस एक साल बाद भी अपना पूर्णकालिक अध्यक्ष तय नहीं कर पाई है। राहुल गांधी पार्टी की फिर से कमान संभाल लें, गांधी परिवार के करीबी पिछले एक साल से इसी कोशिश में लगे हुए हैं। राहुल गांधी की अध्यक्ष पद पर वापसी का उपयुक्त अवसर इन नेताओं को नहीं मिल रहा है। हर राज्य में पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी के बीच टकराव साफ दिखाई दे रहा है। राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहे टकराव का कोई हल नहीं निकल पाया है। कांगे्रस आलाकमान की दिलचस्पी भी समाधान निकालने में दिखाई नहीं देती। अशोक गहलोत अपने पुत्र वैभव का रास्ता साफ करने के लिए ही सचिन पायलट को पार्टी से बाहर धकेलने में लगे हुए हैं। सोनिया गांधी के ईदगिर्द जमा कोटरी ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह ही सचिन पायलट को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। सिंधिया और पायलट को राहुल गांधी से शिकायत यही है कि उन्होंने विधानसभा चुनाव में जीत के बाद जो वादा किया था वह पूरा नहीं किया।

https://publish.twitter.com/?query=https%3A%2F%2Ftwitter.com%2FRahulGandhiLol%2Fstatus%2F1287701951577305088&widget=Tweet

ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाहर होने से मजबूत हुई कांगे्रस की कोटरी


Jyotiraditya Scindia and sachin pilot with vasundhraraje scindhia

कांगे्रस की राष्ट्रीय राजनीति में ज्योतिरादित्य सिंधिया को राहुल गांधी का सबसे करीबी और भरोसेमंद नेता माना जाता था। सिंधिया को बाहर का रास्ता दिखाकर दस जनपथ की कोटरी राहुल गांधी को अकेला करने में काफी हद तक सफल रही है। सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद सचिन पायलट इस कोटरी के निशाने पर आए। कोटरी के मुख्य सूत्रधार अहमद पटेल बताए जाते हैं। सोनिया गांधी अपनी कोटरी की इस राय से पूरी तरह से इत्तफाक रखतीं दिखाई दे रहीं हैं कि सिंधिया-सचिन जैसे चेहरों के कारण ही राहुल गांधी का व्यक्तित्व नहीं उभर पा रहा है। कांगे्रस के सूत्रों का दावा है कि कमलनाथ और अशोक गहलोत जैसे नेताओं ने सोनिया गांधी के इशारे पर ही सिंधिया-पायलट को किनारे लगाने की योजना बनाई थी। सिंधिया के जाने के बाद कमलनाथ को मध्यप्रदेश में कांगे्रस को अपने हिसाब से चलाने की छूट मिली हुई है। कमलनाथ के पास पार्टी को चलाने के लिए पर्याप्त आर्थिक संसाधन भी मौजूद हैं। इन आर्थिक संसाधनों का उपयोग वे पुत्र नकुल नाथ के लिए टीम तैयार करने में भी कर रहे हैं।

क्या नकुल नाथ को चुनौती दे पाएंगे युवा नेता

jitu patwari with kamalnath

मध्यप्रदेश में नई पीढ़ी के जिन नेताओं को नेतृत्व की दौड़ में देखा जा रहा है,उनमें जयवर्द्धन सिंह (उम्र 34 वर्ष)का नाम नंबर एक पर रहा है। पिता दिग्विजय सिंह की मजबूत राजनीतिक विरासत उनके पीछे है। नकुल नाथ (उम्र 46 वर्ष) की नेतृत्व करनेकी इच्छा ताजा-ताजा सामने आई है। प्रदेश के युवाओं का नेतृत्व नकुल नाथ के हाथ में होगा,इस पर दिग्विजय सिंह की कोई प्रतिक्रिया अभी सामने नहीं आई है। पार्टी के युवा चेहरों ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। शायद इसकी वजह उनके सीमिति आर्थिक और राजनीतिक संसाधन हो सकते हैं। अरूण यादव (उम्र 46 वर्ष)पार्टी का नेतृत्व चार साल तक कर चुके हैं,लेकिन प्रभावी नहीं रहे। जीतू पटवारी (उम्र 47 वर्ष)युवक कांगे्रस अध्यक्ष के तौर पर सक्रिय रहे हैं। सिंधिया के पार्टी छोड़कर चले जाने के बाद जीतू पटवारी भी अपनी संभावनाएं देख रहे हैं। वे पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष है। कमलनाथ ने उन्हें मीडिया प्रभारी भी बनाया है। राहुल गांधी की टीम में सचिव भी रहे हैं। कमलेश्वर पटेल,उमंग सिंघार,प्रियव्रत सिंह आदि भी पटवारी के हम उम्र हैं। नेतृत्व की दौड़ में ये युवा चेहरे भी हैं। उमंग सिंघार तीसरी बार विधायक बने हैं। पटवारी दूसरी बार के ही विधायक है।

सोशल मीडिया पर चल रही है नेतृत्व की लड़ाई

मध्यप्रदेश में कांगे्रस के नेतृत्व की लड़ाई सोशल मीडिया पर लड़ी जा रही है। नकुल नाथ के मुकाबले में अभी जीतू पटवारी की कथित समर्थक सेना सोशल मीडिया पर सक्रिय दिखाई दे रही है। ट्वीटर पर जीतू पटवारी को हार्दिक पटेल की तरह ही जुझारू नेता बताया जा रहा है। सोमवार को अचानक ट्वीटर पर पटवारी शीर्ष पांच में ट्रेंड करते हुए दिखाई दिए। सैकड़ों ट्वीट पटवारी के पक्ष में और नकुल नाथ के खिलाफ थे। सोशल मीडिया पर जंग लड़ने वाले सैनिक असली यौद्धा है या फिर हायर किए गए हैं,यह आसानी से पता नहीं चलता है। जो आसानी से समझ में आ रहे हैं उनमें एक ट्वीट राहुल गांधी नाम के अकाउंट का भी है। इस ट्वीटर अकाउंट पर राहुल गांधी की वही फोटो लगी है,जो उनके आफिशियल अकाउंट पर है। यह अकाउंट पूरी तरह से फर्जी है। इस ट्वीटर अकाउंट पर जीतू पटवारी से जुड़ी पोस्ट टैग किए जाने पर लिखा है कि आई डोन्ट नो हू इज जीतू पटवारी वाय यू ऑल टैगिंग मी? जीतू पटवारी के समर्थन में ट्वीटर पर कई नारे भी लिखे गए हैं। एक नारा न राजा, न व्यापारी अबकी बार जीतू पटवारी भी है। यह बताता है कि कांगे्रस में अंदरूनी लड़ाई के नए केन्द्र कौन है? जब तक ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी में थे,तब तक कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का गुट एक था। अब शायद एका नहीं रहा।

उप चुनाव पर पड़ सकता है इस लड़ाई का असर

https://twitter.com/NakulKNath/status/1287655269468475393

mp home minister narottam mishra

नकुल ने पहली बार वर्ष 2019 में लोकसभा के चुनाव से सक्रिय राजनीति शुरू की है। इससे पहले वे अपना व्यवसाय देखते थे। युवाओं का नेतृत्व करने की उनकी इच्छा पर राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने व्यंग्यात्मक लहजे मेंकहा कि युवाओं का नेतृत्व नकुल नाथ करेंगे,बुजुर्गों का कमलनाथ करेंगे बाकी कांगे्रस अनाथ रहेगी। गृह मंत्री के इस तंज का जवाब नकुल नाथ ने ट्वीटर पर दिया। उन्होंने वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव के नारे को लिखा अनाथ प्रदेश को नाथ चाहिए, कमल नहीं कमलनाथ चाहिए। कांगे्रस की इस अंदरूनी लड़ाई का एक पक्ष नकुल नाथ के बनने के कारण स्वभाविक है कि दूसरे नेताओं में असंतोष भी होगा। भारतीय जनता पार्टी इस असंतोष का लाभ 27 विधानसभा क्षेत्रों के उप चुनाव में उठाने की कोशिश करेगी।

टाइगर और शेर की दहाड़ में छुपी राजनीतिक महत्वाकांक्षा


जीतू पटवारी समर्थकों ने लिखा- देखो-देखो कौन आया,शेर आया,शेर आया!

टाइगर जिंदा है,ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब से इस डायलाग के जरिए कांगे्रस नेताओं के आरोपों का जवाब देने के लिए ताल ठोकी है,तब से कांगे्रस के नेताओं में खुद को टाइगर और शेर बताने की होड़ लगी हुई है। दिग्विजय सिंह ने कहा था कि वे वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम लागू होने से पहले शेर का शिकार किया करते थे। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ तो चूहे-बिल्ली तक आ गए। उनके पुत्र नकुल नाथ की दावेदारी के साथ टैग लाइन आई मध्यप्रदेश का असली टाइगर। जवाब में जीतू पटवारी समर्थकों ने लिखा- देखो-देखो कौन आया,शेर आया,शेर आया!

https://powergallery.in/news/headlines

कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा, 50,000 पुलिसकर्मियों की करेंगे भर्ती, सप्ताह में देंगें एक दिन की छुट्टी

Kamal Nath

शुक्रवार को मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने ट्वीट कर प्रदेश के पुलिसकर्मियों के लिए बड़ा ऐलान किया है। ट्वीट में कमलनाथ ने कहा है कि मप्र पुलिस के कर्मचारियों के लिये सप्ताह में एक दिन का अवकाश दिया जाएगा। साथ ही 50,000 पुलिसकर्मियों की भर्ती कर पुलिस बल की कमी को दूर करेंगे। कमलनाथ ने कहा कि पुलिस के जवानों के रहने के लिए आवास की व्यवस्थता की जाएगी अथवा उनको आवास भत्ता 5000रु प्रतिमाह दिया जाएगा। जवानों के आत्महत्या को रोकने के लिए पुलिस को काम करने के लिये तनावमुक्त वातावरण दिया जाएगा जहां पुलिस के जवान को प्रतिदिन के ड्यूटी समय को कम करने का भी ऐलान किया है। कांग्रेस ने अपना वचन पत्र जारी कर दिया है, जिसमें कई वादे और दावे किए गए है। जहां वचन पत्र में महिलाओं, युवाओं, किसानों पर जोर दिया गया है वही कांग्रेस ने एक आरोप पत्र जारी कर भाजापा पर 15 सालों में हुए 25 घोटालों और 21 आरोप लगाए हैं। मध्यप्रदेश में 28 नवंबर को चुनाव होने हैं, जिसके परिणाम 11 दिसंबर को आएंगे।

कमलनाथ ने दिया वचन, आगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को करेंगें नियमित

मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने सोमवार को ट्वीट कर एक बड़ा ऐलान किया है। जिसमें कमलनाथ ट्वीट कर वचन दे रहें हैं कि ‘हम आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आंगनबाड़ी सहायिका तथा आशा कार्यकर्ताओं को नियमित करेगे। साथ ही मध्यान भोजन का काम करने वाले रसोइयों का मानदेय बढ़ाया जाएगा। साथ ही कहा कि हम स्व सहायता समूह की महिलाओं का क़र्ज़ माफ करेंगे।’
बता दें कि कांग्रेस अपना घोषणा पत्र 9 नवंबर को ‘वचन पत्र’ के नाम से घोषित कर चुकी है। इसके बावजूद कमलनाथ एक और वचन इस वचन पत्र में जोड़ते नजर आ रहें हैं।

बता दें कि 28 नवंबर को एक चरण में मध्यप्रदेश में चुनाव होना है, जिसके परिणाम 11 दिसंबर को आएंगे।