देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने आज कहा कि किसी भी राजनैतिक पार्टी के उम्मीदवार को उसके प्रत्याशी घोषित होने की तिथि से ही चुनावी व्यय का हिसाब किताब रखना होगा।
श्री कुमार मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा के सिलसिले में तीन दिन की भोपाल यात्रा पर थे। उन्होंने यात्रा के अंतिम दिन यहां पत्रकार वार्ता में एक सवाल के जवाब में यह बात कही। इस अवसर पर निर्वाचन आयुक्त सर्वश्री अरुण गोयल और अनूपचंद्र पांडे भी मौजूद थे। श्री कुमार ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि जिस दिन भी कोई व्यक्ति अधिकृत प्रत्याशी घोषित होता है, उसे उस दिन से चुनाव पूर्ण होने तक चुनावी व्यय का हिसाब किताब रखना होगा।
दरअसल राज्य विधानसभा चुनाव के लिए एक राजनैतिक दल ने अपने प्रत्याशियों की पहली सूची कुछ समय पहले जारी की है। इस मामले में चुनावी व्यय को लेकर प्रतिद्वंद्वी दल के प्रतिनिधियों ने अपनी बात निर्वाचन आयोग के समक्ष रखी है।
देश में सभी चुनाव एकसाथ कराए जाने के प्रस्ताव संबंधी सवाल के जवाब में मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि आयोग नियमों के तहत चुनाव कराने संबंधी कार्य करने के लिए बाध्य है। वर्तमान में नियम है कि किसी भी संसदीय निकाय का पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के छह माह पहले निर्वाचन आयोग चुनाव कराने संबंधी प्रक्रिया प्रारंभ कर सकता है, जिससे नए कार्यकाल के लिए निकाय का गठन निर्धारित समय सीमा में हो जाए।
चुनावों के मद्देनजर राजनैतिक दलों की ओर से नि:शुल्क सुविधाएं मुहैया कराने की घोषणाएं या वादे करने की प्रवृत्ति बढ़ने संबंधी सवाल के जवाब में श्री कुमार ने कहा कि इस संबंध में आयोग के दिशानिर्देश हैं। लेकिन इससे जुड़ा मामला अभी उच्चतम न्यायालय में भी लंबित है। उन्होंने कहा कि वैसे मतदाता को यह जानने का हक है कि यदि राजनैतिक दल कोई घोषणा करता है, तो उसे पूर्ण करने में कितना व्यय आएगा और इस धनराशि की व्यवस्था कहां से की जाएगी। इसके अलावा मतदाता को यह भी जानने का अधिकार है कि घोषणा कितने समय में पूरी की जाएगी।
सवाल जवाब के पहले श्री कुमार ने कहा कि उन्होंने राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर तीन दिन की यात्रा के दौरान विभिन्न राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों से बातचीत की और उनसे सुझाव भी प्राप्त किए। इसके अलावा सभी जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों से भी चुनावी तैयारियों को लेकर चर्चा की गयी। निर्वाचन की तैयारियों को लेकर राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों के साथ ही संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों से भी चर्चा हुई।
श्री कुमार ने बताया कि राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव सभी 230 सीटों के लिए होंगे, जिनमें से 148 सीट सामान्य, अनुसूचित जाति (अजा) के लिए सुरक्षित 35 और अनुसूचित जनजाति (अजजा) के लिए सुरक्षित 47 सीट हैं। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल छह जनवरी 2024 को समाप्त हो रहा है। यानी नियमों के अनुरूप इस तिथि के पहले नयी विधानसभा का गठन हो जाना चाहिए।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि राज्य में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग पांच करोड़ 52 लाख है। इनमें दो करोड़ पचासी लाख पुरुष और दो करोड़ सड़सठ लाख महिलाएं शामिल हैं। ट्रांसजेंडर मतदाताओं की संख्या एक हजार से अधिक है। मतदाताओं से संबंधित रोचक तथ्यों के बारे में उन्होंने कहा कि 80 वर्ष से अधिक के सात लाख बारह हजार और एक सौ वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके मतदाताओं की संख्या छह हजार एक सौ अस्सी है। उन्होंने कहा कि आयोग सीनियर सिटीजन और दिव्यांग मतदाताओं को घर से ही मतदान की सुविधा भी मुहैया कराएगा। इसके लिए निर्धारित प्रक्रिया पूर्ण करना होगी।
श्री कुमार ने कहा कि राज्य में पहली बार मतदान का अवसर हासिल करने 18 वर्ष से 19 वर्ष के बीच की उम्र के युवा मतदाताओं की संख्या 18 लाख 86 हजार है। मतदाता सूचियों में मतदाताओं के नाम जोड़ने, हटाने या मतदाता संबंधित जानकारियां अद्यतन करने का कार्य अब भी जारी है। इसका लाभ सभी मतदाता ले सकते हैं।
श्री कुमार ने कहा कि राज्य में कुल 64 हजार से अधिक मतदान केंद्र बनाए जाएंगे और औसतन एक मतदान केंद्र पर 843 मतदाता वोट डाल सकेंगे। मतदान केंद्रों की संख्या शहरी क्षेत्रों में 16,763 और ग्रामीण क्षेत्रों में 47,760 है। उन्होंने चुनाव निष्पक्ष और शांतिपूर्ण ढंग से कराने की प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि 50 प्रतिशत से अधिक मतदान केंद्रों पर ”वेबकॉस्टिंग” की सुविधा रहेगी। इसका आशय यह हुआ कि मतदान केंद्र पर क्या घटनाक्रम चल रहा है, इसकी निगरानी निर्वाचन आयोग सीधे कर सकेगा।
राज्य विधानसभा चुनाव के लिए प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां बढ़ने के साथ ही राज्य के दो प्रमुख राजनैतिक दलों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस की तैयारियां भी दिनोंदिन तेज होती जा रही हैं।
