मध्यप्रदेश उद्यमिता विकास केन्द्र (सेडमेप) राज्य के सरकारी विभागों में मानव संसाधन उपलब्ध कराने वाली बड़ी संस्था है। इसका संचालन उद्योग विभाग द्वारा किया जाता है। सेडमेप के कार्यपालक निदेशक अनुराधा सिंघई पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए नौकरी हासिल करने की प्राथमिकी स्थानीय हबीबगंज थाने में दर्ज की गई है। अनुराधा सिंघई ने हाल ही में हजारों खाली पदों का विज्ञापन जारी किया था। आरोप है कि बेरोजगारों से नज्ञैकरी के बदले पैसे की मांग अधिकारियों के स्तर से हो रही थी।

अनुराधा सिंघई की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए आवेदक को भोपाल कोर्ट में निजी इस्तगासा दायर करना पड़ी थी। कोर्ट के आदेश पर अनुराधा सिंघई के खिलाफ चार सौ बीसी का प्रकरण दर्ज किया गया है। अनुराधा सिंघई पर आरोप है कि उन्होंने कार्यपालिक निदेशक का पद पाने के लिए फर्जी दस्तावेजों के अलावा फर्जी पे स्लीप का भी उपयोग किया। सिंघई दो साल पहले कार्यपालिक निदेशक बनीं थी।
निदेशक का चयन सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योग विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर की गई। वर्तमान आईएएस अधिकारी सेडमेप के चेयरमेन हैं। उनके अलावा तीन आईएएस अधिकारी भी सेडमेप की गर्वनिंग बॉडी में शामिल हैं। स्टेट बैंक जैसे बड़े बैंकर के अधिकारी बोर्ड में हैं। इतनी शीर्ष संस्था में कार्यपालिक निदेशक के पद फर्जी दस्तावेजों से नियुक्ति चौंकाने वाली है। सेडमेप में यह दूसरे ईडी है, जिनके खिलाफ पुलिस कार्यवाही हुई। जितेंद्र तिवारी को भी लोकायुक्त के मामले के चलते पद छोड़ना पड़ा था। अनुराधा सिंघई की नियुक्ति के बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की नियुक्तियों को लेलर मचा था बवाल।



लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं पावर गैलरी पत्रिका के मुख्य संपादक है. संपर्क- 9425014193