मध्यप्रदेश और राजस्थान में फैला मालवा-मेवाड़ का इलाका दुनिया में अफीम की खेती के लिए जाना जाता है. दोनों राज्यों में कई हजार हेक्टेयर जमीन पर काले सोने के नाम से मशहूर अफीम की लाइसेंसी खेती होती है.
खेतों से काला सोना निकालने वाले किसानों के लिए अब हर पल दहशत के साये में गुजर रहा है. क्योंकि इलाके में कई ऐसी गैंग सक्रिय हो गई है, जो अफीम लूटने के लिए किसानों को मौत के घाट तक उतार देती है. इंटरनेशनल बाजार में अफीम और उसके बनने वाले मादक पदार्थों की करोड़ों रुपए मेें
डील होती है.
दरअसल, किसानों ने खेतों में मां कालका की पूजा के बाद डोडों से अफीम निकालकर अपने घरों या गोदाम में स्टोर कर ली है. अब उन्हें अगले महीने शुरू होने वाली सरकारी खरीद का इंतजार है.
अफीम की खेती बगैर लाइसेंस के नहीं होती है और खुले बाजार में इसे बेचा भी नहीं जा सकता. सरकार ही अफीम की खरीद करती है. ऐसे में मादक पदार्थों के तस्कर और इलाके के बदमाश सुनियोजित तरीके से अफीम यानी काले सोने की लूट की वारदात को अंजाम देते है. इस इलाके में माना जाता है कि सोने के बजाए काला सोना लूटना ज्यादा आसान है.
-सरकार अफीम की क्वालिटी के आधार पर उसके दाम तय करती है.
-अफीम में मौजूद मार्फिन की मात्रा के आधार पर किसानों को भुगतान किया जाता है.
-सरकारी औसतन 10 से 15 हजार रुपए प्रति किलो का भाव देती है.
-नशे के बाजार में अफीम मुंहमांगी कीमत पर बिकती है.
-अफीम की कीमत काले बाजार में डेढ़ से दो लाख रुपए किलो मानी जाती है.
-अफीम से बनने वाली हेरोइन और ब्राउन शुगर की कीमत एक से डेढ़ करोड़ रुपए.
किसानों पर शुरू हुए हमले
मालवा और मेवाड़ में काले सोने यानी अफीम के लिए तस्कर अब किसी की भी जान ले सकते है. ऐसा ही एक मामला मंदसौर जिले के बालागुढ़ा गांव में देखने को मिला.
अफीम लूट की वारदात को अंजाम देने आए बदमाशों ने किसान रामनिवास पिता बृजलाल पाटीदार पर चाकू से कई वार किए. इस हमले में रामनिवास गंभीर रूप से घायल हो गए, जबकि मारपीट की वजह से पत्नी की तबीयत बिगड़ गई.
पिछले साल हमले के दो दर्जन मामले!
किसानों के मार्च का अंतिम सप्ताह और अप्रैल महीने के शुरूआती दिन दहशत के साए में ही गुजरते हैं. पिछले साल अफीम लूट गिरोह के सदस्यों ने 20 से ज्यादा किसानों पर जानलेवा हमले किए थे. कई जगहों पर बदमाश अफीम को लूटकर ले जाने में कामयाब भी रहे थे.
पुलिस ने बढ़ाई सक्रियता
एसपी मनोज सिंह ने बताया कि पुलिस ने किसानों को सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए जरूरी इंतजाम किए है. इसके तहत गांवों में ग्राम रक्षा समितियों को सक्रिय किया गया है. साथ ही डायल 100 वाहन को भी इलाकों में मुस्तैद रहने के निर्देश दिए गए है.
-इस साल एमपी में मालवा के 1357 गांवों में 29398 किसानों ने 5026 हेक्टेयर में अफीम की काश्त की थी.
-राजस्थान के मेवाड़ में 1657 गांवों में 29585 किसानों ने 5012 हेक्टेयर में अफीम उपजाई थी.