इंदौर के सुलभ शौचालय में 12 साल रहकर खो-खो खिलाड़ी जूही झा ने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा खेल के क्षेत्र में दिया जाने वाला प्रतिष्ठित विक्रम पुरस्कार हासिल किया। मंगलवार को खेल अलंकरणों की घोषणा हुई। पुरस्कार वितरण समारोह 4 अक्टूबर को भोपाल में होगा। 20 साल की जूही चौथी कक्षा में थी, तब से खो-खो खेलती हैं।
जूही के पिता सुबोध कुमार झा की नौकरी नगर निगम के समीप गंजी कंपाउंड में सुलभ शौचालय में थी। इसी शौचालय के भीतर एक कमरा भी था, जिसमें उनका पांच लोगों का परिवार रहता था। जूही ने बताया कि हम करीब 12 साल यहीं रहे। पिता को 6-7 हजार की कमाई होती थी जिससे घर चलता था। बहुत बुरा वक्त था, लेकिन मैंने खेलना नहीं छोड़ा। फिर तीन साल पहले पिता की यह नौकरी भी चली गई और घर भी।
जूही आगे बताती हैं कि इस घर से बहुत सारी यादें जुड़ी हैं। अब परिवार बाणगंगा में किराए के घर में रहता है। मां रानी झा सिलाई करती हैं और मेरी एक स्कूल में नौकरी लगने से कुछ मदद हो जाती है। खुशी है कि अब मेरी सरकारी नौकरी लगने से परिवार को मदद मिलेगी। मैं बीकॉम अंतिम वर्ष में हूं और आगे भी पढ़ना चाहती हूं।
जूही की उपलब्धियां- 8 सीनियर नेशनल, 7 जूनियर नेशनल, 4 सब जूनियर, 3 स्कूल्स नेशनल (1 रजत), फेडरेशन कप (1 कांस्य), एशियन खो-खो (1 स्वर्ण), वेस्ट झोन (1 कांस्य) में भागीदारी।
