दक्षिण भारत के राज्य केरल के कोझिकोड़ जिले में निपाह वायरस (एनआईवी) से लोगों के बीच डर का माहौल बना हुआ है। यह एक तरह का दिमागी बुखार है ,जिसकी चपेट में आने से अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है। फिलहाल इस बीमारी से निपटने के लिए कोई टीका या दवा मौजूद नहीं है। लेकिन हार्ट केयर फाउंडनेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल के बताए इन तरीकों से निपाह वायरस से बचा जा सकता है।
केरल में निपाह वायरस से मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। निपाह वायरस मूल से चमगादड़ से फैलने वाली बीमारी है। इसलिए बीमारी को काबू में करने के लिए केरल वन विभाग कुओं में जाल डालकर चमगादड़ों को पकड़ने के काम में जुट गया है। इस बीमारी से अभी तक कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई जिसमें एक ही परिवार के तीन सदस्य और इनका इलाज करने वाली एक नर्स भी शामिल है।
निपाह वायरस की आहट के बाद केरल सरकार ने केंद्र से मदद की गुहार लगायी, जिसके बाद मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने एनसीडीसी की टीम को केरल भेजने का आदेश जारी कर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो, निपाह वायरस चमगादड़ से फलों में और फलों से इंसानों और जानवरों में फैलता है।
1998 में पहली बार मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाह में इसके मामले देखने का मिले थे। यही कारण है कि इसका नाम निपाह वायरस दिया गया। 2004 में निपाह वायरस का मामला बांग्लादेश में भी सामने आ चुका है।