कहा- जनता का समझते हैं कीड़ा-मकोड़ा, आफिस के बाहर कराते हैं घंटों इंतजार
छतरपुर के सभी छह विधायकों ने कलेक्टर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आरोप है कि कलेक्टर मोहित बुंदस किसी की सुनते नहीं। जनता के कामों में रुचि नहीं लेते। विधायकों के फोन नहीं उठाते। मिलने जाओ तो घंटों इंतजार कराते हैं। इधर बुंदस इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं करते। वे कलेक्टोरेट में कामकाज निपटाते हैं। जरूरत पड़ने पर फील्ड में निकल जाते हैं। बीजेपी विधायक राजेश प्रजापति के मामले में सिर्फ इतना कहा कि उन्हें पता नहीं था कि प्रजापति बाहर इंतजार कर रहे हैं। वह बिना सूचना मिलने आए थे। कुछ छात्र-छात्राएं और राजनगर विधायक भी मिलने आए थे। इस कारण कुछ समय लगा। इसी इंतजार को लेकर प्रजापति का पारा सातवें आसमान पर है। पिछले दिनों वह कलेक्टोरेट में एक घंटे इंतजार के बाद बुंदस से मिल पाए थे। प्रजापति ने कहा कि कलेक्टर जब हमसे नहीं मिलते तो आमजन की कौन कहे। कांग्रेस सरकार ने ऐसे अधिकारी को भेजकर जनता के साथ अन्याय किया है। कलेक्टर जनता को कीड़ा-मकोड़ा समझते हैं। मुझे विपक्ष का विधायक होने के कारण प्रताड़ित किया जा रहा है।
दरअसल, बुंदस को हटाने के लिए जिले के पांचों विधायकों ने मोर्चा खोल रखा है। विधायकों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखा है। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा, आलोक चतुवेर्दी, प्रद्युमन सिंह लोधी, नीरज दीक्षित और सपा विधायक राजेश शुक्ला भी कलेक्टर के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। आरोप है कि हम जब विधानसभा क्षेत्र की दिक्कतों के बारे में बताते हैं तो समाधान नहीं किया जाता। मुलाकात के लिए भी समय नहीं दिया जाता। हालांकि सरकार में बुंदस को लेकर कोई हलचल फिलहाल तो नहीं दिखाई देती।
मोहित बुंदस शासन में अलग तरह की छवि रखने वाले अधिकारी हैं। वह मूलत: जयपुर के रहने वाले हैं। वह 21 साल की उम्र में आईपीएस बन गए थे। बुंदस 18 दिसंबर 2006 से 24 अगस्त 2011 तक झारखंड में आईपीएस थे। इसके बाद मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी बने। उनकी खास बात है कि वह दिन की शुरुआत भगवान के बजाय मां का चेहरा देखकर करते हैं। वह मां को लेकर बहुत भावुक हैं। वह बताते हैं कि बचपन में पिता की मौत के बाद मां ने परवरिश की। वह कोटा में आईआईटी के लिए तैयारी कर रहे थे, लेकिन मां को उनकी इतनी चिंता थी कि साथ ले आर्इं और तैयारी करवाई। वह कहते हैं कि वो आज जो कुछ भी हैं मां के कारण ही हैं।
