नकुल नाथ(nakul nath) और जयवर्द्धन सिंह (jayvardhan singh)कांगे्रस की भावी राजनीति के चेहरे हैं। कमलनाथ (kamal nath) और दिग्विजय सिंह(digvijay singh) की भावी राजनीतिक विरासत तय हो चुकी है। इन दोनों चेहरों की जमीन उप चुनाव के शोरगुल में तैयार कर दी गई है।
चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में नकुल नाथ अपने पिता कमलनाथ के साथ कंधे से कंधा मिलाए प्रचार करते दिखाई दिए।
आगर मालवा में बना भावी नेतृत्व का गवाह

मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर विधानसभा के उप चुनाव हो रहे हैं। यह चुनाव राजनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण है।
चुनाव परिणामों से ज्योतिरादित्य सिंधिया के भविष्य का ही नहीं कांगे्रस के भावी नेतृत्व का भी फैसला होना है।
मार्च में सिंधिया ने कांगे्रस पार्टी छोड़ दी।
वे अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए।
कांगे्रस की अंदरूनी राजनीति में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के पुत्रों के भविष्य में सिंधिया बड़ी बाधा माने जा रहे थे।
पंद्रह माह की सरकार में ही राजनीति के दोनों मंजे हुए खिलाडियों ने सिंधिया को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
यद्यपि कांगे्रस को इसकी कीमत सरकार गंवाकर चुकाना पड़ी है।
दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्द्धन सिंह दूसरी बार के विधायक हैं।
जयवर्द्धन सिंह के कारण ही कमलनाथ मंत्रिमंडल में सभी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।
जयवर्द्धन सिंह को उप चुनाव में आगर विधानसभा सीट की जिम्मेदारी दी गई है।
वे कोरोना संक्रमण के शिकार हो गए। इसके चलते अंतिम दौर के प्रचार में शामिल नहीं हो सके।
नकुल नाथ अपने पिता कमलनाथ के साथ आगर में प्रचार करने पहुंचे।
उन्होंने कांगे्रस उम्मीदवार विपिन वानखेड़े को दामाद के रूप में अपनाने की अपील कर खूब सुर्खियां बटोरीं।
भाजपा ने उन्हें आड़े हाथों भी लिया।
प्रचार के अंतिम दिन ग्वालियर-चंबल अंचल में नकुल की इंट्री

चुनाव प्रचार के आखिरी दिन कमलनाथ ग्वालियर-चंबल संभाग में थे।
मुरैना में उन्होंने रोड़ शो किया। ग्वालियर में प्रेस कान्फ्रेंस की। उनके साथ न दिग्विजय सिंह थे और न ही अजय सिंह अथवा अरूण यादव।
पूरे उप चुनाव में सुरेश पचौरी की अनुपस्थिति भी महसूस की गई। कमलनाथ के साथ उनके सांसद पुत्र नकुल नाथ बराबरी से मौजूद थे।
चुनाव प्रचार में नकुल नाथ की लगातार मौजूदगी इस ओर साफ इशारा कर रही है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ इन उप चुनावों के जरिए अपने पुत्र को राजनीतिक तौर पर स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।
कमलनाथ कई निजी समाचार चैनलों के दिए गए इंटरव्यू में यह साफ तौर पर कह चुके हैं कि वे चुनाव सरकार बनाने के लिए नहीं लड़ रहे हैं।
कमलनाथ,नकुल नाथ को अशोकनगर भी प्रचार के लिए ले गए थे।
इसी मंच पर आचार्य प्रमोद कृष्णन ने ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम लिए बगैर गाली का उपयोग किया था।
नकुल नाथ ने सांची में भी प्रचार किया और हाट पिपल्या में भी।
नकुल नाथ चुनाव में प्रदेश के अकेले सांसद निर्वाचित हुए
46 वर्षीय नकुल नाथ (nakul nath)मध्यप्रदेश में कांगे्रस के इकलौते सांसद हैं।
वे प्रदेश को नेतृत्व देने का दावा पहले ही कर चुके हैं। जिसके कारण सोशल मीडिया पर दो दिन धमाल मचा रहा।
पूर्व मंत्री जीतू पटवारी भी नेतृत्व के मसले पर मुकाबले में दिखाई दिए। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में नकुल नाथ ने अपने पिता की परंपरागत सीट छिंदवाडा़ से चुनाव लड़ा था।
वे लगभग सैंतीस हजार वोटों से चुनाव जीत सके थे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के चुनाव हारने के कारण नकुल नाथ को स्थापित करना कमलनाथ के लिए आसान हो गया।
नकुल नाथ की कुल संपत्ति सात सौ करोड़ रूपए से अधिक की है। कई कंपनियों के वे मालिक हैं। लेकिन,प्रदेश में उनकी कोई पहचान अब तक नहीं बन पाई है।

नकुल नाथ की उंगली पकड़कर आगे ला रहे हैं
एक विमान दुर्घटना में पिता माधवराव सिंधिया की मौत के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया राजनीति में आए।
राहुल गांधी उन दिनों राजनीति में नहीं थे। सिंधिया को चुनावी राजनीति खुद सीखना पड़ी।
माधवराव सिंधिया उन्हें औपचारिक तौर पर कोई राजनीतिक मंच उपलब्ध नहीं करा पाए थे।
तबकि नकुल नाथ की उंगली पकड़कर कमलनाथ आगे ला रहे हैं।
अजय सिंह को भी अर्जुन सिंह ने ही राजनीतिक मंच दिया था।
अरूण यादव,जयवर्द्धन सिंह को भी पिता के संरक्षण में राजनीति सीखने का मौका मिला।
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