शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार की रात मुख्यमंत्री निवास में अपनी कैबिनेट के सहयोगियों के साथ टिफिन मीटिंग की। यह टिफिन मीटिंग भारतीय जनता पार्टी की चुनावी रणनीति का हिस्सा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कार्यकर्ताओं को पदाधिकारियों के साथ इस तरह की बैठक कर चुके हैं।
पार्टी ने देश भर में चार हजार से अधिक टिफिन बैठक करने की रणनीति बनाई थी। इसकी शुरुआत पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने की थी। टिफिन मीटिंग का न्यूनतम समय तीन घंटे निर्धारित किया गया था। इसमें एक घंटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नौ साल की उपलब्धियों पर चर्चा किया जाना तय किया गया था।
एक घंटे कार्यकर्ताओं से अलग-अलग चर्चा करना थी। पार्टी के हर स्तर के प्रमुख नेताओं को यह टिफिन बैठक करने की जिम्मेदारी दी गई थी। गृह मंत्री अमित शाह ने नांदेड में टिफिन मीटिंग की थी।
भोपाल में मुख्यमंत्री निवास में हुई टिफिन मीटिंग पार्टी के दिशा निर्देशों को पूरा करने की रस्म अदायगी भर दिखाई दी। इस बैठक में हंसी-मजाक और फोटो सेशन के अलावा कुछ नहीं हुआ। कैबिनेट की बैठक भी हुई।
मंत्रियों का नाम की पर्ची लगा टिफिन उनके घरों से आया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के एक तरफ वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव थे और दूसरी और वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा थे।
कैबिनेट के कुछ सदस्य अपने परिवार के साथ इस टिफिन मीटिंग में पहुंचे थे।
कैबिनेट के सदस्यों के साथ मुख्यमंत्री की इस टिफिन बैठक के औचित्य को लेकर कई तरह की चर्चाएं भाजपा के भीतर चल रही हैं। भाजपा के एक बड़े पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि जिन लोगों के साथ मुख्यमंत्री हर सप्ताह बैठक करते हैं उनकी साथ टिफिन मीटिंग से पार्टी कैसे मजबूत होगी?
एक अन्य भाजपा नेता ने कहा कि जरूरी तो यह था कि पार्टी के पदाधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री टिफिन मीटिंग करते तो शायद कुछ जमीनी हकीकत भी पता लग जाती।