28 विधानसभा सीटों पर हुए के उप चुनाव नतीजे आ गए हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने बीस सीट जीत कर अपनी दमदार वापसी की है।
इन सीटों के कारण भाजपा मौजूदा विधानसभा का बचा हुआ तीन साल का कार्यकाल बगैर किसी व्यवधान के पूरा करेगी।
उप चुनाव में कांगे्रस को सात और बसपा को एक सीट पर बढ़त है।
उप चुनाव में वोटर ने कांगे्रस के गद्दार मुद्दे को नकारा

मार्च में 22 कांगे्रस के विधायकों विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे।
बाद में तीन और कांगे्रस विधायकों ने इस्तीफा दे दिया।
तीन स्थानों पर उप चुनाव विधायकों के निधन से खाली हुई सीट को भरने के लिए हुए थे।
सबसे ज्यादा सोल सीटों पर उप चुनाव ग्वालियर एवं चंबल अंचल में हुए हैं।
यह अंचल सिंधिया राज परिवार के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है।
राज परिवार के ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मार्च में भाजपा में शामिल हो गए थे।
भाजपा ने उन्हें राज्यसभा में भेजा है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूरी कांगे्रस ने आरोप लगाया था कि भाजपा ने दल बदल के लिए हर विधायक को पैंतीस करोड़ रूपए दिए थे।
चुनाव में इसे मुद्दा भी बनाया गया। लेकिन, दल छोड़ने वाले विधायकों को गद्दार बताने के कांगे्रस के दावे पर जनता ने मोहर नहीं लगाई।
उप चुनाव वाली 27 सीटें आम चुनाव में कांगे्रस को मिली थीं
उप चुनाव में कांगे्रस को भारी नुकसान हुआ है।
उसके खाते की 19 सीटें भाजपा के खाते में चली गईं हैं।
प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि कमलनाथ को जनता ने अपना फैसला सुना दिया है।
अब उन्हें वापस दिल्ली चले जाना चाहिए।
2018 के आम चुनाव में कांगे्रस ने पंद्रह साल बाद सरकार में वापसी की थी।
इस वापसी में ग्वालियर-चंबल अंचल 34 सीटों का बड़ा योगदान था।
अंचल की 26 सीटें कांगे्रस के खाते में गईं थीं।
इस अंचल में पिछड़ने के कारण ही भाजपा लगातार चौथी बार सरकार नहीं बना पाई थी।
विधायकों के दल बदल के कारण भाजपा पंद्रह माह बाद सरकार में वापस आ पाई।
मुरैना जिले में पांच सीटों पर सबसे कमजोर प्रदर्शन रहा

भारतीय जनता पार्टी का सबसे कमजोर प्रदर्शन मुरैना जिले में रहा।
जिले की पांच सीटों पर विधानसभा के उप चुनाव थे।
केवल जौरा की सीट पर भाजपा मजबूती से उभरी।
शेष चार सीटों पर वह लगातार पिछड़ती चली गई।
कृषि राज्यमंत्री गिर्राज दंडोतिया भी और पीएचई मंत्री एंदल सिंह कंसाना भी अपनी सीट नहीं बचा पाए।

लोकसभा में सीट का नेतृत्व कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर करते हैं।
इस अंचल के तोमर-सिकरवार ठाकुरों ने भाजपा को वोट नहीं दिया।
कहा यह भी जाता है कि पुत्र मोह के कारण तोमर नए नवेले भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में दमदारी से प्रचार नहीं कर सके।
अंचल में सिंधिया ने अपना प्रभाव एक बार फिर साबित किया है।
मुरैना जिले में तोमर से नाराजगी के चलते सिंधिया समर्थकों को नुकसान उठाना पड़ा है।
जिले में तीन सिंधिया समर्थक चुनाव मैदान में थे।
दिमनी विधानसभा क्षेत्र में गिर्राज दंडोतिया,मुरैना में रघुराज कंसाना पिछड़ते जा रहे हैं।
सुमावली से भाजपा उम्मीदवार एंदल सिंह कंसाना कांगे्रस की राजनीति में सिंधिया विरोधी माने जाते थे।
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