40 दिन 40 सवाल के अभियान को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने प्रदेश में हो रहे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ को लेकर शिवराज सरकार से पांचवा सवाल किया है. उन्होंने एक के बाद एक 10 ट्वीट्स के जरिये मध्य प्रदेश में होने वाले बच्चों पर शोषण, अपहरण और पैदा होते ही बच्चों की मौत को लेकर कई सवाल दागे हैं.
सवाल नंबर पांच-
मोदी सरकार से जानिये, क्या किया है मामा ने मध्यप्रदेश के नौनिहालों का हाल , बच्चों को बनाकर ढाल चलते रहे बस चुनावी चाल । शर्मनाक शिवराज जी , बच्चे राज्य का भविष्य होते हैं।आपने प्रदेश के भविष्य को ही अंधकार की आग में क्यों झोंक दिया ?
1)बच्चों के प्रति अपराध में मप्र नं1: 2004से 2016के बीच बच्चों के साथ अपराधों के सबसे ज़्यादा 88908मामले मप्र मे दर्ज हुए
2016मे मप्र मे बच्चों के साथ अपराध के हर रोज 38मामले दर्ज हुए
2)मामा सरकार के आने के वक्त 2004मे बच्चों पर 3653अपराध होते थे,तो आज 13746अपराध होने लगे है
3)मध्यप्रदेश में सबसे ज़्यादा बच्चे गुम हुए : वर्ष 2016 में ही मध्यप्रदेश में 8503 बच्चे गुम हुए।इनमें से 6037 लड़कियां थीं। पिछले सालों की संख्या भी मिला ली जाए तो वर्ष 2016 की स्थिति में कुल 12068 बच्चे गायब थे। एक साल में मध्यप्रदेश में हर रोज़ 23 बच्चे गुमते हैं।
4)सबसे ज़्यादा नवजात शिशु मृत्यु : नवजात शिशु मृत्यु दर (32 नवजात शिशु मृत्यु/एक हज़ार जीवित जन्म) भी मध्यप्रदेश में सबसे ज़्यादा है। वर्ष 2008 से 2016 के बीच मध्यप्रदेश में 6.79 लाख़ बच्चों की जन्म लेने के 28 दिनों के भीतर ही मृत्यु हो गई।
5)सबसे ज़्यादा शिशु मृत्यु : शिशु मृत्यु दर (यानी एक हज़ार जीवित जन्म पर मृत होने वाले एक साल से कम उम्र के बच्चे) भी मध्यप्रदेश में सबसे ज़्यादा यानी 47 है। वर्ष 2008 से 2016 के बीच मध्यप्रदेश में 9.84 लाख़ बच्चों की अपना पहला जन्मदिन मनाने से पहले ही मृत्यु हो गई।
6)बच्चों का अपहरण : बच्चों के लिए मध्यप्रदेश को आपने सबसे असुरक्षित राज्य बना दिया है। वर्ष 2004 से 2016 के बीच मध्यप्रदेश में बच्चों के अपहरण के 23099 मामले दर्ज़ हुए। अकेले वर्ष 2016 में राज्य में 6016 ,यानी हर रोज़ बच्चों के अपहरण के 16 मामले दर्ज़ हुए।
7) मामा सरकार जब सत्ता में आई तब 2004 में बच्चों के 179 अपहरण होते थे, तो आज 2016 में 6119 अपहरण होने लगे हैं।
8) नैशनल फैमेली हेल्थ सर्वे के मुताबिक मध्यप्रदेश में 32% नाबालिग बच्चियों की शादी करा दी जाती है ।
9)बाल विवाह की गंभीर स्थिति:जनगणना 2011के मुताबिक मप्र मे8.91लाख बच्चो की शादी कर दी गई।इनमे से2.4लाख लड़कियाँ माँ बन चुकी है।3.90लाख बच्चियो की माँ बनने की उम्र 19साल से कम है।इसी तरह 29441बच्चे ऐसे थे,जो विधवा/विधुर,अलग हुए/तलाकशुदा थे।इनमे से 12382लड़किया और 17059लड़के थे
10)बच्चे बने मज़दूर – राज्य में जनगणना के आंकड़ों के अनुसार कुल बाल श्रमिकों की वास्तविक संख्या 7 लाख़ है।15 सालों में शिवराज सरकार ने बाल श्रमिकों का सर्वे ही नहीं करवाया।
सोर्स : केंद्रीय गृह मंत्रालय,राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो,NHFS-4
