भाजपा सरकार से 40 दिन 40 सवाल पूछने के अभियान को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने चौथा सवाल स्वर्णिम समृद्ध के झूठ और मध्यप्रदेश लूट को लेकर किया है. एक के बाद एक 10 ट्वीट्स के जरिए कमल नाथ ने शिवराज सरकार से मध्यप्रदेश में बढ़ती गरीबी और रोजगार को लेकर कई सवाल पूछे हैं.
सवाल नंबर चार-
‘वो ही फैला रहे हैं स्वर्णिम से समृद्धि का झूठ,
जिन्होंने लिया मध्यप्रदेश को लूट ‘
मामा जी,क्या समृद्धि का नारा भाजपा नेताओं और मंत्रियों के लिए गढ़ा?
तो फिर बताओ मध्यप्रदेश की गरीबी का ग्राफ़ लगातार क्यों बढ़ा?
मोदी सरकार ही खोल रही है ‘स्वर्णिम से सम्रद्धि’ की पोल,
बता रही है मामा जी का
फूटा हुआ है ढोल।
1 ) मोदी सरकार ने राज्यों का संपत्ति सूचकांक जारी किया है,
जिसमें मप्र के सिर्फ़ 15.8% परिवार ही इसके दायरे में आते हैं।इतनी खराब स्थिति बड़े राज्यों में छत्तीसगढ़ और बिहार की है।
जहाँ चंडीगढ के 78.5% ,पंजाब के 60.7%, हिमाचल जैसे राज्य के 31% परिवार संपन्न हैं। ( लोकसाभा – प्रश्न 174- 2/2/2018 )
2) मोदी सरकार की सितम्बर 2017 (NFHS) में जारी रिपोर्ट बताती है कि 2006 से 2016 के बीच मध्यप्रदेश में गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की जनसंख्या 27 % बढ़ गई है।
3)केंद्र के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किए गए सर्वे (2016) में मप्र में सिर्फ 36% लोग पक्के घरों में रहते है
(4)मप्र में सिर्फ 23% घरों में नल द्वारा पीने का पानी आता है(शहरों में 51% और गांवों मे 11%)
(5)मप्र के सिर्फ 30% लोग खाना बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करते है
(6)मध्यप्रदेश में 57% परिवार अभी भी खुले में शौच के लिए मजबूर हैं।
(7) मोदी सरकार का नीति आयोग कहता है कि मध्यप्रदेश के 45 लाख़ 82 हज़ार 607 (40.33 %) ग्रामीण घरों में बिजली नहीं है । ( 30 /4/2017 )
(8) हैंडबुक ऑफ स्टेटिस्टिक्स (आर बी आई) के अनुसार यू पी और बिहार के बाद सबसे ज़्यादा गरीब लोग मध्यप्रदेश में हैं – 2करोड़ 34लाख़ 6000 ।
(9) केंद्र की कृषि लागत और मूल्य आयोग की वर्ष 2018-19 की रिपोर्ट: मध्यप्रदेश में कृषि मजदूरी सबसे कम ,मात्र 210 रुपये है
बिहार में 251रु प्रति दिन,आंध्रप्रदेश में 291रु., महाराष्ट्र में 269 रु,पश्चिम बंगाल में 232रु कृषि मजदूर को मिलते हैं
पिछले 15सालों से मप्र में सबसे कम मजदूरी मिलती है
(10) मप्र में मनरेगा में दर्ज परिवार -68.25 लाख
अर्थात मध्यप्रदेश की लगभग आधी आबादी मज़दूरी के लिए बाध्य।
2014-15 में100दिन का पूरा रोजगार पाने वाले परिवार-1,58,776(2.33%)
2015-16 में 100दिन का पूरा रोजगार पाने वाले परिवार-2,25,502(3.30%)
2016-17 में 100दिन का पूरा रोजगार पाने वाले परिवार-1,40,990(2.1%)
2017-18 में 100 दिन का पूरा रोज़गार पाने वाले परिवार – 1,34,724 (1.97%)।
(11)मोदी सरकार के नीति आयोग के सीईओ अमिताभकांत मध्यप्रदेश के विकास पर बहुत बड़ा सवाल खड़ा करते हुए अप्रैल 2018 में कहते हैं कि मध्यप्रदेश जैसे पिछड़े राज्यों के कारण देश पिछड़ गया ।
-40 दिन 40 सवाल-
“मोदी सरकार के मुँह से जानिए,
मामा सरकार की बदहाली का हाल।”
‘हार की कगार पर,मामा सरकार’
-सवाल नंबर चार-
— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) October 23, 2018
‘वो ही फैला रहे हैं स्वर्णिम से समृद्धि का झूठ,
जिन्होंने लिया मध्यप्रदेश को लूट ‘
मामा जी,क्या समृद्धि का नारा भाजपा नेताओं और मंत्रियों के लिए गढ़ा?
तो फिर बताओ मध्यप्रदेश की गरीबी का ग्राफ़ लगातार क्यों बढ़ा?
1/10 pic.twitter.com/499bC2qlrN
मोदी सरकार ही खोल रही है ‘स्वर्णिम से सम्रद्धि’ की पोल,
— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) October 23, 2018
बता रही है मामा जी का
फूटा हुआ है ढोल।
1 ) मोदी सरकार ने राज्यों का संपत्ति सूचकांक जारी किया है,
जिसमें मप्र के सिर्फ़ 15.8% परिवार ही इसके दायरे में आते हैं।इतनी खराब स्थिति बड़े राज्यों में छत्तीसगढ़ और बिहार की है।
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जहाँ चंडीगढ के 78.5% ,पंजाब के 60.7%, हिमाचल जैसे राज्य के 31% परिवार संपन्न हैं। ( लोकसाभा – प्रश्न 174- 2/2/2018 )
— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) October 23, 2018
2) मोदी सरकार की सितम्बर 2017 (NFHS) में जारी रिपोर्ट बताती है कि 2006 से 2016 के बीच मध्यप्रदेश में गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की जनसंख्या 27 % बढ़ गई है।
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3)केंद्र के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किए गए सर्वे (2016) में मप्र में सिर्फ 36% लोग पक्के घरों में रहते है
— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) October 23, 2018
(4)मप्र में सिर्फ 23% घरों में नल द्वारा पीने का पानी आता है(शहरों में 51% और गांवों मे 11%)
(5)मप्र के सिर्फ 30% लोग खाना बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करते है
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