कुमार विश्वास पर आप विधायक अमानतुल्ला खान ने बीजेपी से मिले होने का आरोप लगाया था। आज विश्वास ने इसे लेकर सख्त रुख इख्तयार किया है। उन्होंने कहा कि अमानतुल्ला ने मुझ पर जो आरोप लगाए हैं, अगर ये केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर लगाए होते तो उन्हें पार्टी से बाहर निकाल दिया होता। ऐसा कहा जा रहा है कि लोगों को मेरे ”बी दी नेशन” वीडियो से नाराजगी है। यह मेरे अकेले की आवाज नहीं है, ये देश के नागरिक की आवाज है, इससे पार्टी संगठन, सरकार, सिस्टम कोई भी नाराज हो सकता है, पर मैं अपनी आवाज उठाता रहूंगा।
मैं इस खेल का हिस्सा नहीं
मैं कहना चाहता हूं कि देश का मामला होगा तो मैं बोलूंगा। जो भी ये साजिश हो रही है, मैं इस खेल का हिस्सा नहीं हूं। मैं आज रात तक फैसला ले लूंगा। मैं अपने बयान या वीडियो के लिए किसी से माफी नहीं मांगूंगा।
विश्वास इसे निजी लड़ाई बना रहे हैं
बात अब सही जगह आ गई है – विश्वास
विश्वास ने मीडिया से बातचीत में कहा, “बात अब सही जगह आ गई है। ये कहा जा रहा है कि मैंने बयान दिए और मेरे एक वीडियो से काफी नाराजगी है। उससे सब नाराज हैं। ”बी दी नेशन” नाम का जो वीडियो कश्मीर में हमारे जवानों पर ज्यादतियों के बारे में मैंने दिया था।
वो कुमार विश्वास की आवाज नहीं थी, वो देश के हर नागरिक की आवाज थी।”
“और मैं दो बातें साफ कर देना चाहता हूं। अगर देश की आवाज-राष्ट्र की आवाज आगे लाने के लिए मुझसे पार्टी-संगठन या कोई भी नाराज होगा, कोई सरकार या कोई सिस्टम, तो मैं ये आवाज बंद नहीं करूंगा, बल्कि हमेशा उठाता रहूंगा। कश्मीर की बात होगी, सैनिक की बात होगी या शहीद की बात होगी तो मैं बोलूंगा।”
“गलतियां अगर हमसे हुईं हैं। हमने खराब मनोबल के वक्त आतंकवाद के खिलाफ लड़ती भारतीय सेना पर ऐसा संदेश दिया जिससे गलत संदेश गया, तो हमें कोर्स करेक्शन करना पड़ेगा। मैं जानता हूं ये बात किधर जा रही है। अब पिछली बार की तरह चीजें होंगी।”
इमेज को खराब करने की कोशिश
“गंदगी फैलाई जाएगी, छींटे फैलाए जाएंगे। मेरी इमेज को Tarnish (खराब) करने की कोशिश की जाएगी। लेकिन, मैं बता दूं उन तमाम साजिशकर्ताओं को, इस आंदोलन के शरीर में लगे घुनों को- कि मैं आपको ऐसा करने नहीं दूंगा।”
“मैं 10 बार कह चुका हूं। परसों मैंने मनीष से कहा, अरविंद से कहा और आज आपके माध्यम से कह रहा हूं। जीवन में ना कभी चीफ मिनिस्टर बनना है, ना डिप्टी चीफ मिनिस्टर बनना है, ना पार्टी अध्यक्ष बनना है, ना कोई पॉलिटिकल पार्टी ज्वॉइन करना है, और ना कोई स्वराज आंदोलन ज्वॉइन करना है। मैं यहां इस काम के लिए नहीं आया।”
मैं एक दिन में निर्णय ले लूंगा
“मुझे पता नहीं आप क्या कर रहे हैं लेकिन मैं इस काम के लिए नहीं आया था। मैं ये कहना चाहता हूं कि मैं एक दिन में निर्णय ले लूंगा। और मसला देश का होगा तो बोलूंगा। सेना का होगा तो बोलूंगा। और ये भी चेतावनी नहीं दे रहा बल्कि अनुरोध कर रहा हूं कि ऐसा कुछ मत करिए कि सड़क पर खड़े पार्टी कार्यकर्ता जिसने चना खाकर आपके लिए लड़ा, मैं तो फिर भी कुमार विश्वास रहूंगा। मुख्यमंत्री फिर भी अरविंद केजरीवाल रहेंगे। उप मुख्यमंत्री फिर भी मनीष रहेंगे। लेकिन वो कार्यकर्ता जो आपके लिए पोस्टर चिपकाता था, आपके लिए लड़ता था- उस पर लात मत मारिए। और ये भी कहना चाहता हूं कि नीचे जो भी ये साजिशें कर रहे हैं।”
कहां से शुरू हुआ विवाद ?
विश्वास ने 28 अप्रैल को पार्टी लाइन से अलग हटते हुए इस बात की तरफ इशारा किया था कि EVM में कथित छेड़छाड़ के अलावा दूसरी वजहें भी पंजाब विधानसभा और एमसीडी चुनाव में पार्टी की हार के लिए जिम्मेदार रही हैं।
विश्वास के मुताबिक, पार्टी की टॉप लीडरशिप और वर्कर्स में कॉन्टैक्ट की कमी है। उन्होंने कहा कि एक हद तक आप का कांग्रेसीकरण हो रहा है।
– इसके बाद, इस बयान पर पार्टी में विश्वास को लेकर मतभेद शुरू हो गया। इसी विवाद पर रविवार को अरविंद केजरीवाल ने एक ट्वीट किया। इसमें उन्होंने कहा- “कुमार मेरा छोटा भाई है। कुछ लोग हमारे बीच दरार दिखा रहे हैं,ऐसे लोग पार्टी के दुश्मन हैं !वो बाज़ आयें। हमें कोई अलग नहीं कर सकता।”
आप के विधायक अमानतुल्ला खान ने विश्वास पर आरोप लगाया कि विश्वास पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। विश्वास कुछ विधायकों को बीजेपी ज्वाइन करने के लिए 30 करोड़ रुपए देने की पेशकश भी कर रहे हैं। खान के इन आरोपों लगाने के बाद पार्टी के कई विधायक और नेता उनके खिलाफ हो गए थे। कहा गया कि पार्टी के कुछ विधायकों ने एक लेटर पर साइन करके पार्टी की टॉप लीडरशिप से उन्हें निकालने की अपील की है। पार्टी के पंजाब के विधायकों ने भी अलग से इसी तरह का लेटर लिखकर उन्हें हटाने की मांग की है।
किसे फायदा पहुंचा रहे हैं विश्वास – सिसोदिया
मनीष सिसोदिया ने कहा- “विश्वास को किसी ने माफी मांगने के लिए नहीं कहा। वह गलत कह रहे है कि मैंने, विश्वास और केजरीवाल ने इस पार्टी को खड़ा किया। यह बात सच नहीं है। यह पार्टी देश और विदेश के लाखों वर्कर्स ने खड़ी की है। वे इसे निजी लड़ाई बना रहे हैं। उन्हें कल पीएसी की मीटिंग में बुलाया था, लेकिन वे नहीं आए। उन्हें पार्टी फोरम में अपनी बात कहनी चाहिए। टीवी पर बात कहने से किसे फायदा हो रहा है, यह सब जानते हैं। पार्टी वर्कर्स भी जानते हैं। रविवार और सोमवार को संजय सिंह उनसे मिलने गए थ, लेकिन फिर भी वह टीवी पर आकर बयानबाजी कर रहे हैं।”
आप की पॉलिटिकल अफेयर कमेटी (PAC) की मीटिंग बुलाई गई, लेकिन संकट सुलझने की बजाय और उलझ गया। सोमवार की रात बैठक में पहुंचते ही अमानतुल्ला खान ने पीएसी की मेंबरशिप से इस्तीफा दे दिया, जबकि कुमार विश्वास आए ही नहीं।
मीटिंग के बाद अमानतुल्ला खान ने कहा- “विश्वास आरएसएस और बीजेपी के एजेंट हैं और यह बात जल्द ही अरविंद जी को समझ आएगी। वह (कुमार) पार्टी कार्यकार्यताओं और लीडरशिप के बीच कॉन्टैक्ट न होने के बारे में बात करते हैं लेकिन अपने जन्मदिन की पार्टी में वह दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर बीएस बस्सी और एनएसए अजित डोभाल को बुलाते हैं। बस्सी ने ही तो झूठे कारणों से आप विधायकों और कार्यकर्ताओं को अरेस्ट किया था।”
इसी वक्त मनीष सिसोदिया ने भी बयान दिया। उन्होंने कहा, “अरविंद जी, कुमार और अमानतुल्ला दोनों से ही नाराज हैं। मीटिंग में विश्वास की गैरमौजूदगी पर भी चर्चा हुई। वह इंटरव्यू देते हैं और वीडियो जारी करते हैं। पार्टी इसे लेकर भी नाखुश है।”
“अगर किसी को कोई कंपलेंट है तो वह पार्टी लीडरशिप के सामने उसे उठा सकता है। ऐसी बातों से पार्टी की इमेज और वर्कर्स के मनोबल पर असर पड़ रहा है। नेता अपने मतभेद पब्लिक करने के बजाय उसे पार्टी फोरम पर उठाएं।”
विश्वास ने जारी किया था 13 मिनट का वीडियो
विश्वास ने कश्मीर में सीआरपीएफ जवानों के साथ बदसलूकी और हाथापाई की निंदा की थी। उन्होंने 13 मिनट के वीडियो में घाटी के पत्थरबाजों, मोदी के राष्ट्रवाद, केजरीवाल के एंटी करप्शन के वादों, पाकिस्तान की कैद में कुलभूषण जाधव समेत कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। कुमार ने कहा था, ”चुनाव कराने गए जवानों के साथ हुए सलूक पर मुझे दो दिन से बड़ी बेचैनी थी। कुछ लफंगों ने उन्हें धक्का और गालियां दीं। राज्य और केंद्र में एक जैसी सरकार होने पर भी कोई कैसे हिन्दुस्तान के बेटे पर हाथ उठा सकता है।”
नरेंद्र मोदी की तारीफ की
कुमार ने वीडियो मैसेज में आगे कहा, ”कश्मीर में लोकसभा सीट के लिए 7% वोटिंग के सिर्फ दो ही वजह हो सकती हैं या तो वहां के लोग अलगावादियों से डरते हैं या फिर उन्हें हमारे डेमोक्रेटिक सिस्टम पर भरोसा नहीं। ये सोचने पर मजबूर करता है।”
“हमारा एक बेटा पाकिस्तान में बंद है। उसे फांसी की सजा सुनाई गई है। हम सोशल मीडिया, सड़क से लेकर संसद तक में गुस्सा दिखा रहे हैं। यूएन से कह रहे हैं कि पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित कर दो। क्यों, आपने कर दिया? हमारी संसद पहले ऐसा करें। हमने तो उसे MFN दर्जा दे रखा है।”
”देश के लोग कलेजे पर हाथ रखकर सोचें कि आप में से कितने लोग जो पाकिस्तान से प्याज नहीं आने पर भूखे मर जाएंगे या कपास नहीं आने पर ठंड में मर जाएंगे। सरकारें किसी पार्टी की नहीं देश की होती हैं।