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पहली बार सरकार का पुलिस जांच में दखल, पुलिस के अधिकारों पर उठे सवाल

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सरकार खुद रखेगी पूरी जांच पर नजर, डीजीपी को सहायता करने के निर्देश

प्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप कांड की जांच के लिए गठित की गई एसआईटी को अभी करीब 10 दिन ही हुए हैं, लेकिन इस बीच ही एसआईटी को अब तीसरा मुखिया मिल गया है। इस बार खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एसआईटी प्रमुख के पद पर राजेंद्र कुमार को पदस्थ किया है। प्रदेश के इतिहास में सभवतः ऐसा पहली बार हुआ है, जबकि एसआईटी के गठन में खुद सरकार ने दखल दिया है। प्रदेश में अब तक विभिन्न मामलों की जांच के लिए करीब 63 एसआईटी का गठन हो चुका है, लेकिन किसी भी सरकार या मुख्यमंत्री ने ऐसा सीधा दखल कभी नहीं दिया। अब इस निर्णय के बाद पुलिस के अधिकारों पर भी सवाल उठाए जाने लगे हैं।

पुलिस महानिदेशक ने जारी किए थे आदेश

हनी ट्रैप कांड की जांच के लिए डीजीपी व्हीके सिंह ने 23 सितम्बर को एसआईटी का गठन किया था। इसका जिम्मा डी. श्रीनिवास को दिया, लेकिन अगले ही दिन आदेश बदलकर संजीव शमी को पदस्थ कर दिया गया, लेकिन अब तीसरी बार एसआईटी के मुखिया को बदलकर इसकी जिम्मेदारी राजेंद्र कुमार को सौंपी गई है। एक अक्टूबर को जारी आदेश में सरकार ने पहली बार एसआईटी गठित की है। इसमें निर्देश हैं कि एसआईटी अन्य पुलिस अधिकारियों की सेवाएं भी ले सकती है, जिसमें पुलिस महानिदेशक मदद करेंगे। अहम सवाल है कि एसआईटी गठन का अधिकार खुद पुलिस के पास होता है। इसे मामले के प्रभाव क्षेत्र, जैसे थाना, जिला, अंतर जिला, जोन या प्रदेश के मुताबिक अधिकारियों द्वारा गठित की जाती है। आज तक प्रदेश में कोई भी एसआईटी सरकार ने गठित नहीं की है। इससे पहले डी श्रीनिवास और फिर बाद में संजीव शमी के नेतृत्व में गठित एसआईटी के आदेश पुलिस महानिदेशक ने जारी किए थे।

एसआईटी रिपोर्ट सरकार को भी देगी

गृह विभाग के उपसचिव डॉ. आरआर भोंसले द्वारा जारी आदेश पत्र में एसआईटी गठन के लिए पुलिस अधिनियम 1861 की धारा-2 सहपठित दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा-36 एवं 158 के प्रावधान का हवाला दिया गया है। इसमें सरकार ने पुलिस के विशेष बल के गठन के अपने अधिकार का उपयोग किया है। साथ ही 158 के तहत तय कर दिया है कि एसआईटी इसकी रिपोर्ट सरकार को भी देगी। यानी सरकार की सीधी नजर पूरी जांच पर और इसकी गति व दिशा पर होगी। ये पहली एसआईटी होगी जो पीएचक्यू के बजाय सरकार को सीधे रिपोर्ट करेगी।

क्या कहती है धारा-36

इसमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की शक्तियों का जिक्र है। इसके मुताबिक पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी से पंक्ति में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जिस स्थानीय क्षेत्र में नियुक्त है, उनमें सर्वत्र, उन शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं जिनका प्रयोग अपने थाने की सीमाओं के अंदर ऐसे अधिकारी द्वारा किया जा सकता है।

क्या कहती है धारा-158

इसमें दो बिंदुओं में बताया गया है कि रिपोर्ट कैसे दी जाएंगी। पहला बिंदु कहता है कि धारा 157 के अधीन मजिस्ट्रेट को भेजी जानी वाली प्रत्येक रिपोर्ट, यदि राज्य सरकार ऐसा निर्देश देती है, तो पुलिस के ऐसे वरिष्ठ अधिकारी के माध्यम से दी जाएगी, जिसे राज्य सरकार साधारण या विशेष आदेश द्वारा इस निमित्त नियत करे। दूसरे बिंदु में कहा गया है कि ऐसा वरिष्ठ अधिकारी पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को ऐसे अनुदेश दे सकता है, जो वह ठीक समझे और उस रिपोर्ट पर उन अनुदेशों को अभिलिखित करने के पश्चात उसे अविलंब मजिस्ट्रेट के पास भेज देगा।

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