सचिन पायलट(sachin pilot) को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा दिए गए नोटिस पर हाईकोर्ट की रोक के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने विधायकों को लेकर राज भवन पहुंच गए हैं। अशोक गहलोत(ashok gajlot) राज्यपाल(rajypaal) के सामने संख्या बल का शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस के विधायक चार बसों में बैठकर राजभवन (rajbhawan) पहुंचे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी उनके साथ है ।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्यपाल से विधानसभा सत्र बुलाए जाने को मंजूरी देने का दबाव डाल रहे हैं। विधायकों का यह शक्ति प्रदर्शन भी इसीलिए किया गया ।गहलोत विधानसभा के भीतर संख्या बल दिखाना चाहते हैं।
धमकी-राजभवन घिरेगा तो हमारी जिम्मेदारी नहीं
इससे पहले अशोक गहलोत ने राज्यपाल के रवैये पर नाराजगी प्रकट करते और चेतावनी देते हुए कहा कि यदि राजस्थान की जनता राजभवन का घेराव करेगी तो हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी। राज्यपाल कालराज मिश्रा(kaalraj mishra) और मुख्यमंत्री अशोक गहलोतके बीच तल्खी राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले के बाद बढ़ी,जिसमें कि विधानसभा अध्यक्ष को दलबदल कानून के तहत सचिन पायलट के खिलाफ कार्यवाही करने से रोक दिया है। अशोक गहलोत का दावा है कि विधायकों का बहुमत उनके साथ है। सचिन पायलट के अलग होने से भी सरकार अल्पमत नहीं आती है। राज्यपाल कालराज मिश्रा कोरोना संक्रमण के कारण विधानसभा का सत्र बुलाने की मंजूरी नहीं दे रहे हैं। संविधान विशेषज्ञों का मानना है कि राज्यपाल स्वविवेक का उपयोग नहीं कर सकते। उन्हें मंत्रिपरिषद की सलाह को मानना ही होगा।
राजभवन गहलोत संघर्ष करों के नारें गूंजे

राज्यपाल कालराज मिश्रा ने मुलाकात का समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिया था। लेकिन,गहलोत शक्ति प्रदर्शन के लिए विधायकों को भी अपने साथ ले गए। विधायक राजभवन (rajbhawan)में भाजपा की तानाशाही नहीं चलेगी,गहलोत तुम संघर्ष करों,हम तुम्हारे साथ हैं के नारे लगाने लगे। राज्यपाल मिश्रा ने विधायकों के इस रवैये पर नाराजगी भी प्रकट। बाद में अशोक गहलोत ने राज्यपाल कालराज मिश्रा ने विधायकों से लॉन में आकर मुलाकात भी की। विधायकों को शांत रहने के लिए कहा।
सचिन पायलट के कदम का हर किसी को इंतजार

राजस्थान में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों को अब तक कांगे्रस पार्टी ने बाहर नहीं निकाला है। अशोक गहलोत की रणनीति विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव की व्हीप के जरिए पायलट की सदस्यता समाप्त करने की है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद सचिन पायलट का अगला कदम क्या होगा,इस पर सभी की निगाह टिकी हुई है। यद्यपि पायलट पहले ही यह कह चुके हैं कि वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल नहीं हो रहे हैं,लेकिनजो हालात दिखाई दे रहे हैं उसमें पर्दे के पीछे भाजपा की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता।
https://powergallery.in/news/cover-story/
