कैंपेन “मैं हूं चौकीदार” के तर्ज पर
विधानसभा उप चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नंगा-भूखा बताए जाने के कांगे्रस नेता दिनेश गुर्जर के बयान के बाद
भारतीय जनता पार्टी ने “मैं भी शिवराज” कैंपेन को लॉंच किया।
यह कैंपेन मैं हूं चौकीदार के तर्ज पर है।
मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने प्रदेश भाजपा के सभी नेताओं-कार्यकत्र्ताओं
से चौबीस घंटे के लिए अपने ट्वीट अकाउंट की डीपी बदलने के लिए कहा है।
नई डीपी शिवराज सिंह चौहान की फोटो के साथ लगाई जा रही है,जिसमें लिखा है मैं भी शिवराज।

“मैं भी शिवराज” पर पर कमलनाथ की चुप्पी
भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा द्वारा “मैं भी शिवराज” कैंपेन लॉंच किए जाने के कुछ देर बाद
ट्वीटर ट्रेंड में भी यह दिखाई देने लगा।
सोशल मीडिया पर भाजपा समर्थक बोले ‘मैं भी शिवराज’ – 3 घंटे में 77,530 लोगों ने बदली अपनी तस्वीर
कांगे्रस नेता दिनेश गुर्जर के बयान पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भूख-नंगा
बताए जाने से मेरा अपमान नहीं हुआ,बुरा भी नहीं लगा।
मुख्यमंत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर कटाक्ष करते हुए कहा कि
मैं गरीब-भूखा नंगा हूं,इस कारण बच्चों के कॉलेज की फीस भरता हूं।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के ट्वीटर अकाउंट से मंगलवार को एक ट्वीट हुआ।
इसमें लिखा था मध्यप्रदेश का उप चुनाव “राजनीति की शुद्धता का जन आंदोलन है।”
दिनेश गुर्जर ने कमलनाथ को देश का नंबर दो उद्योगपति भी बताया था।
गुर्जर,कमलनाथ के ही करीबी माने जाते हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में मुरैना से चुनाव भी लड़े थे।
तीसरे नंबर पर रहे थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में कमलनाथ ने यह अकेला टिकट लिया था।
असंतुष्टों को घर से बाहर निकालने का दांव मैं भी शिवराज
मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
नामांकन जमा करने की आखिरी तारीख 16 अक्टूबर है।
यह उप चुनाव कांगे्रस के 25 विधायकों द्वारा विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिए जाने के कारण हो रहे हैं।
जबकि तीन विधानसभा क्षेत्रों में विधायकों के निधन के कारण उप चुनाव की स्थिति बनी है।
विधायकों के इस्तीफे के कारण ही कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांगे्रस सरकार पंद्रह माह में ही गिर गई थी।
भाजपा में शामिल होने वाले अधिकांश विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं।
सिंधिया भी भाजपा छोड़कर कांगे्रस में शामिल हुए हैं।
मार्च में सरकार गिर जाने के बाद से ही मध्यप्रदेश कांगे्रस के नेता सिंधिया और उनके समर्थकों के दलबदल को चुनावी मुद्दा बनाने में लगे हुए थे।
विधायकों को गद्दार की उपमा भी दी।

सिंधिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी आक्रमक शैली में
जनता से वादा खिलाफी के लिए कमलनाथ को गद्दार स्थापित करने में लगे हुए हैं।
उप चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें ग्वालियर एवं चंबल अंचल की हैं। इस क्षेत्र में सिंधिया का प्रभाव ज्यादा है।
इस कारण कांगे्रस ने अपनी रणनीति के अनुसार चुनाव के केन्द्र में सिंधिया को रखा है।
लेकिन,सिंधिया के प्रभाव क्षेत्र में दिनेश गुर्जर ने
शिवराज सिंह सिंह चौहान को नंगा भूखा बताकर पार्टी केे चुनावी मुद्दे को कमजारे कर दिया है।
इस मुद्दे के जरिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कोशिश
अपनी पार्टी के असंतुष्ट नेताओं को प्रचार के लिए घर से निकालने की है।
2018 के परिणाम दोहराना चाहते हैं शिवराज के विरोध
शिवराज सिंह चौहान के लगातार तेरह साल तक मुख्यमंत्री बने रहने के कारण
मध्यप्रदेश भाजपा के कई कद्दावर नेता अप्रसांगिक हो गए हैं।
पिछले तीन चुनाव में चौहान ने अपने समकालीन अधिकांश नेताओं को किनारे लगा दिया है।
आज प्रदेश भाजपा में उन्हें चुनौती देने वाला कोई नेता नहीं है।
शिवराज सिंह चौहान से नाराज नेताओं के कारण ही कांगे्रस की पंद्रह साल बाद सत्ता में वापसी हुई थी।
ग्वालियर-चंबल अंचल में शिवराज सिंह चौहान को लेकर लोगों में ज्यादा नाराजगी देखी गई थी।
यह नाराजगी अभी भी बरकरार है।
वर्तमान में विधानसभा में भाजपा के सदस्यों की संख्या 107 है।
88 सीटें कांगे्रस के पास हैं। कांगे्रस को सत्ता में वापसी करने के लिए सभी 28 सीटें जीतना जरूरी है।
जबकि भाजपा नौ सीट जीतकर भी सामान्य बहुमत के साथ सरकार बनाए रख सकते हैं।
मध्यप्रदेश कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा कहते हैं कि

शिवराज सिंह चौहान का सच पूरा प्रदेश जानता है।
सलूजा कहते हैं कि सच पर पर्दा डालने की शिवराज सिंह चौहान की कोशिश कभी सफल नहीं होगी।
भले ही वे कोई भी कैंपेन चला लें।
अब चुनाव के केन्द्र में सिंधिया नहीं शिवराज हैं
भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव प्रचार के लिए मंगलवार को 28 हाईटेक प्रचार रथ
उप चुनाव वाले क्षेत्रों के लिए रवाना किए।
रथ पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के ही फोटो लगे हुए थे।
भाजपा में यही परंपरा है।
सिंधिया इस परंपरा में अपने आपको ढालने की कोशिश कर रहे हैं।
यद्यपि उनके समर्थक अपने चुनाव में वोट महाराज के नाम पर ही मांग रहे हैं।
सिंधिया के चुनाव प्रचार का का एक दौर पूरा हो चुका है।
इस दौरा के पूरा होते ही पार्टी में हार की ठीकरा का जीत का श्रेय लेने की रणनीति भी बनती दिखाई दे रही है।
“मैं भी शिवराज” का कैंपेन को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है
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