राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने 16 अप्रैल 2018 को 2007 में हुए मक्का मस्जिद ब्लास्ट के 11 साल बाद फैसला सुनाते हुए सभी 5 आरोपियों को बरी कर दिया.
ग्यारह वर्ष पुराने इस मामले में एनआईए की अदालत ने हैदराबाद के मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए आज असीमानंद समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
इस मामले में न्याय नहीं हुआ जून 2014 के बाद इस मामले में अधिकतर गवाह अपने बयानों से मुकर गए। एनआईए मुकदमें की पैरवी उम्मीद के अनुरूप नहीं की या फिर ‘राजनीतिक मास्टर’ द्वारा एजेंसी को ऐसा करने नहीं दिया गया। आपराधिक मामलें में जब तक ऐसा पक्षपात होता रहेगा तब तक न्याय नहीं मिलेगा।”
मक्का मज्जिद विस्फोट – 18 मई 2007 को जुमे की नमाज के दौरान हैदराबाद की ऐतिहासिक मक्का मस्जिद में बम विस्फोट हुआ था, जिसमें नौ लोगों की मौत हुई थी और 58 लोग घायल हुए थे. इस विस्फोट का आरोप हिंदुत्व संगठन अभिनव भारत पर लगा था.
सीबीआई ने इस मामले में 68 गवाहों से पूछताछ की, जिसमें से 54 अपने बयान से मुकर गए. मुकरने वाले इन गवाहों में डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाईजेशन के वैज्ञानिक वी वेंकट राव भी थे.
इसके बाद साल 2011 में सीबीआई ने जांच एनआईए को सौंप दी.
मक्का मज्जिद मामले के आरोपी – देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, स्वामी असीमानंद उर्फ नाबा कुमार सरकार, भारत मोहनलाल रातेश्वर और राजेंद्र चौधरी, की गिरफ़्तारी हुई और मुकदमा चला.
मरने वालो की संख्या -9 लोगों की मौत हुई थी और 58 लोग घायल हुए थे