न नजर उठा कर देखा न कुछ बात की:चाचा शिवपाल को आखिर पहननी ही पड़ी लाल टोपी
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके प्रतिद्वंद्वी चाचा शिवपाल सिंह यादव का आज विधानसभा में आमना-सामना हुआ। से नजरें मिलाने से भी परहेज किया। चाचा शिवपाल सिंह सदन में पहुंचने के बाद सपा सदस्यों में सबसे पीछे की पंक्ति में बैठ गये। अखिलेश सबसे आगे की सीट पर बैठे थे। वे सपा के कुछ सदस्यों के आग्रह पर थोड़ा आगे आए। अखिलेश के ठीक पीछे वाली सीट पर बैठ गये, मगर सपा अध्यक्ष ने उन्हें देखने के बजाय ना तो किसी तरह का अभिवादन किया और ना ही कोई बात की। इस बीच, एक सपा सदस्य ने शिवपाल को लाल टोपी दी, जिसे उन्होंने पहन लिया । सदन में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान हंगामा कर रहे साथी सदस्यों के साथ खडे रहे।
विपक्षी बैंच पर अखिलेश का पहला दिन
उत्तरप्रदेश विधानसभा का संयुक्त अधिवेशन काफी हंगामेदार रहा। पांच साल सरकार में रहने के बाद विपक्ष की बैंच पर बैठने का अखिलेश यादव का यह पहला मौका था। राज्यपाल राम नाईक के अभिभाषण सत्र की शुरूआत हुई। विपक्षी सदस्यों ने राज्यापाल के अभिभाषण के बीच कागज गोल कर उनकी ओर फैंके। कागज नाईक को न लग जाए, इसके लिए सुरक्षाकर्मियों को काफी मशक्कत करना पड़ी। शोरगुल किया। विपक्षी सदस्य बिल्कुल वैसे ही सीटी बजा रहे थे जैसे सड़क पर रोमियों बजाते हैं।
राष्ट्रगान की भी अनदेखी
विपक्षी सदस्य विरोध और हंगामा करने में इतने मशगूल थे कि वे राष्ट्रगान के दौरान भी शांत नहीं हुए। राज्यपाल ने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा कि वे किस तरह का आचरण कर रहे हैं। पूरा देश और प्रदेश उन्हें देख रहा है। संयुक्त बैठक में राज्यपाल ने अपने अभिभाषण का समापन ह्यभारत माता की जयह्ण और ह्यवन्दे मातरमह्ण बोलकर किया। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने भी राज्यपाल का अनुसरण किया। राज्यपाल का पूरा अभिभाषण सुनने की विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित की अपील का विपक्षी सदस्यों पर कोई असर होता नहीं दिखा। शोरशराबे और हंगामे के बीच राज्यपाल ने अभिभाषण पढा। नाईक बीच-बीच में विपक्षी सदस्यों के रवैये को सवालिया नजरों से देखते और इशारों में आपत्ति जताते रहे। इस दौरान सुरक्षाकर्मी राज्यपाल की ओर फेंके जा रहे कागजों को फाइल के सहारे रोकते देखे गये। पहली बार राज्य विधानसभा की कार्यवाही का टेलीविजन पर सीधा प्रसारण किया गया है।
शिवपाल बना रहे हैं नया मोर्चा
शिवपाल और अखिलेश के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता जगजाहिर है। पिछले साल सितम्बर में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपी मंत्री गायत्री प्रजापति तथा राजकिशोर सिंह को बर्खास्त किये जाने के बाद शिवपाल और उनके बीच पैदा हुई तल्खी इस घटनाक्रम के कुछ ही दिनों बाद अखिलेश को सपा प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये जाने को लेकर चरम पर पहुंच गयी थी।
इसी साल एक जनवरी को सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश को सपा का अध्यक्ष बना दिया गया था, बाद में पार्टी पर अधिकार के लिए लड़ाई चुनाव आयोग पहुंच गई। इस लड़ाई में अखिलेश यादव की जीत हुई।
सियासी उठापटक में अपने भतीजे से मात खाये शिवपाल यादव ने हाल में समाजवादी सेक्युलर मोर्चा गठित करने की घोषणा की है। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव इस मोर्चे के अध्यक्ष होंगे। इस कदम को अपनी राजनीतिक पकड बनाये रखने की शिवपाल की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
हालांकि मुलायम सिंह ने मोर्चे के गठन की योजना से अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा था कि उनकी इस बारे में शिवपाल से कोई बात ही नहीं हुई है।