दिमनी विधानसभा के उप चुनाव में यदि तोमर वोटों का विभाजन नहीं हुआ तो भाजपा को जीतने के लिए जमीन-आसमान एक करना होगा।
भाजपा उम्मीदवार गिर्राज दंडोतिया का भविष्य इस चुनाव से जुड़ा हुआ है।
कांगे्रस उम्मीदवार रवीन्द्र सिंह तोमर के लिए भी इस चुनाव के परिणाम निर्णायक मोड पर खड़ा करने वाले होंगे।

भाजपा का दलित चेहरा मुंशीलाल थे दिमनी की पहचान
मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट की पहचान भाजपा के मुंशीलाल के नाम से होती रही है।
वर्ष 2008 से पहले दिमनी अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित थी।
मुंशीलाल आरक्षित वर्ग का चेहरा था। परिसीमन के बाद आरक्षित ब्राहण-ठाकुर की राजनीति में पिछड़ता जा रहा है।
तोमरों की राजनीति के लिए भी यह सीट काफी अहम मानी जाती रही है।
ग्वालियर-चंबल अंचल में तोमरों का चेहरा केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर हैं।
कोई और अब तक उन्हें चुनौती नहीं दे सका है। उप चुनाव में कांगे्रस ने रवीन्द्र तोमर भिडोसा को अपना उम्मीदवार बनाया है।
तीसरा चुनाव हर हाल में जीतना चाहते हैं कांगे्रस उम्मीदवार

रवीन्द्र तोमर ने 2008 का विधानसभा चुनाव बहुजन समाज पार्टी से लड़ा था।
के वल 256 वोटों से पराजित हो गए।
2013 का विधानसभा चुनाव कांगे्रस से लड़ा।
ग्यारह सौ वोट से हार गए। भाजपा से भी टिकट लेने की कोशिश उन्होंने की थी।
लेकिन,नरेन्द्र सिंह तोमर के कारण संभव नहीं हो सका। इस सीट पर सबसे अधिक 65 हजार क्षत्रिय मतदाता हैं।
ऐसे में भाजपा के गिर्राज दंडोतिया लिए मुकाबला कड़ा होगा।
दंडोतिया,शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में कृषि राज्य मंत्री हैं।
दंडोतिया ने पिछला चुनाव कांगे्रस की टिकट पर जीता था। अब भाजपा उम्मीदवार हैं
क्या कृषि मंत्री हार का मिथक टूटेगा

दंडोतिया का कृषि राज्य मंत्री होना रवीन्द्र तोमर अपने लिए शुभ संकेत मान रहे हैं।
तोमर कहते हैं कि पिछले जितने भी कृषि मंत्री हुए वे उसके बाद चुनाव नहीं जीत सके।
दिमनी को मंत्रिमंडल में जगह तीन दशक बाद मिली है।
इस क्षेत्र में उम्मीदवार की हार जीत अनुसूचित जाति वर्ग के वोटों पर निर्भर है।
इस वर्ग के 32 हजार वोट हैं। ठाकुर-ब्राहण के अलावा अन्य वर्ग के तीस हजार से अधिक वोटर हैं।
दंडोतिया को पिछड़ा वर्ग के वोटों से भी उम्मीद है।
अनारक्षित श्रेणी में आते ही उभरे जातिगत समीकरण
दिमनी विधानसभा में तोमर राजपूतों का बाहुल्य है।
रियासत के दौर में इनके 52,120 और 84 गाँव बंटे हुए थे,
जिन्हें बावन- बीसा सौ- चौरासी के नाम से जाना जाता था।
विधानसभा क्षेत्रों का निर्धारण होने के बाद ये गाँव
अम्बाह, दिमनी, व गोहद विधानसभा का हिस्सा हो गये। अम्बाह व गोहद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है।
दिमनी भी चालीस साल आरक्षित सीट रही. इसलिए तोमर राजपूतों की संख्या ज्यादा होने के बावजूद
इस समुदाय के लोगों को चालीस साल प्रतिनिधित्व का अवसर नहीं मिला।
ठाकुर मतदाताओं में भी तब विभाजन देखने को मिलता है
जब एक ही जाति के दो या अधिक उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतर जाते हैं।
दिमनी के मैदान में ब्राहण एक राजपूत अनेक
दिमनी विधानसभा के पिछले तीन चुनाव में कभी भी एक से अधिक ब्राहण चेहरें मैदान में नहीं दिखे
लेकिन, तीनों ही चुनावों में दो राजपूत उम्मीदवारों ने एक दूसरे के विरुद्ध ताल ठोकी है।
इसका फायदा ब्राह्मण उम्मीदवार को 2013 और 2018 के चुनावों में मिला है और उन्होंने जीत दर्ज की है।
परंपरागत रूप से राजपूत और ब्राह्मण अपनी जाति के उम्मीदवार को ही वोट देते हैं,
लेकिन कुछ राजपूत मतदाता अपनी जाति के उम्मीदवार से नाराजगी के चलते अन्य जगह भी वोट कर देते हैं।
ब्राह्मण मतदाताओं में ऐसा देखने को नहीं मिलता है। वे मतदान में अपनी जाति फैक्टर को ही प्राथमिकता देते हैं¯
साधन संपन्न है कांगे्रस उम्मीदवार
दिमनी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रविंद्र सिंह तोमर के पास 2 करोड़ से अधिक की नकदी, बैंक बैलेंस, चल-अचल संपत्ति है।
वहीं एक पिस्टल व बीएलडब्ल्यू जैसी लग्जरी गाड़ी भी है।
दिमनी से ही लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ रहे जयंत सिंह तोमर के पास 25 हजार नकद,
बैंक खाते में 25 हजार डिपॉजिट है।
वहीं उनके पास धनसुला स्थित गांव में 19.18 लाख रुपए कीमत की पुश्तैनी जमीन है।
उनकी पत्नी के पास 10 हजार नकद, 12 हजार 200 रुपए की बैंक डिपॉजिटि, 2.35 लाख रुपए कीमत का 5 तोला सोने व 15 हजार कीमत के 250 ग्राम चांदी के गहने हैं।
उनकी पत्नी के पास 2 लाख 84 हजार 328 रुपए की धरोहर व पूंजी है।
मध्यप्रदेश विधानसभा उप चुनाव :दलित फैक्टर से किसे मिलेगा लाभ -विस्तृत के लिए देखें- https://powergallery.in/
