दमोह से निर्वाचित विधायक राहुल लोधी के कांग्रेस से इस्तीफा दिए जाने के बाद मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी के कुछ विधायक उनके संपर्क में भी हैं। लेकिन वे सौदेबाजी कर सरकार नहीं बनाना चाहते हैं।
राहुल लोधी के इस्तीफे के साथ ही मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी छोड़ने वाले विधायकों की संख्या 26 हो गई है। राज्य में 28 विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। पच्चीस विधायकों ने कुछ माह पूर्व ही कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली थी। तीन स्थानों पर विधानसभा के उपचुनाव मौजूदा विधायक के निधन के कारण हो रहे हैं। उप चुनाव की प्रक्रिया के बीच राहुल लोधी के भाजपा में शामिल होने से पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाए जाने का एक और अवसर मिल गया है। यद्यपि कांग्रेस की सरकार में वापसी असंभव सी दिखाई दे रही है। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का दावा है कि उपचुनाव में अपनी निश्चित हार को देखकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नंबर गेम से कांग्रेस की सत्ता में वापसी रोकने की कोशिश कर रहे हैं।
सिंधिया के साथ बाइस विधायकों ने छोडी थी कांग्रेस
राहुल लोधी के इस्तीफे के साथ ही मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी छोड़ने वाले विधायकों की संख्या 26 हो गई है। राज्य में 28 विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। पच्चीस विधायकों ने कुछ माह पूर्व ही कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली थी। तीन स्थानों पर विधानसभा के उपचुनाव मौजूदा विधायक के निधन के कारण हो रहे हैं। उप चुनाव की प्रक्रिया के बीच राहुल लोधी के भाजपा में शामिल होने से पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाए जाने का एक और अवसर मिल गया है। यद्यपि कांग्रेस की सरकार में वापसी असंभव सी दिखाई दे रही है। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का दावा है कि उपचुनाव में अपनी निश्चित हार को देखकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नंबर गेम से कांग्रेस की सत्ता में वापसी रोकने की कोशिश कर रहे हैं।

सत्ता में वापसी के लिए हर सीट पर जीत जरूरी
कांग्रेस को सरकार ने वापस आने के लिए सभी 28 विधानसभा सीटों को फिर से जीतना होगा। राज्य विधान सभा के सदस्यों की संख्या 230 है।वर्तमान में भाजपा के 107 विधायक हैं।26 विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के विधायकों की संख्या 87 रह गई है। विधानसभा में बहुजन समाजवादी पार्टी के दो और समाजवादी पार्टी का एक विधायक है। तीन निर्दलीय विधायक भारतीय जनता पार्टी का समर्थन कर रहे हैं। मार्च में कांग्रेस की सरकार गिरने से पहले यह विधायक कांग्रेस का समर्थन कर रहे थे।
क्या सिंधिया को कमजोर करने की कवायद है कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे
ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को गिराने के बाद भारतीय जनता पार्टी की राज्य इकाई के नेता लगातार कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने में लगे हुए हैं। सिंधिया के नेतृत्व में कुल 22 विधायकों ने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा देकर सरकार को गिराया था। शिवराज सिंह चौहान को चौथी बार राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया है। सरकार गिरने के बाद मांधाता विधायक नारायण पटेल, बुरहानपुर विधायक सुमित्रा कास्डीकर, बड़ा मलहरा विधायक प्रद्युमन लोधी कांग्रेस पार्टी की सदस्यता से त्यागपत्र दे चुके हैं।भाजपा सूत्रों का दावा है कि पार्टी में सिंधिया के प्रभाव को कम करने के लिए कांग्रेस में उनके विरोधी माने जाने वाले विधायकों को तोड़कर पार्टी की सदस्यता दिलाई जा रही है। भाजपा का एक धड़ा सिंधिया समर्थक विधायकों को हराने में लगा हुआ है, इस तरह की खबरें भारतीय जनता पार्टी के अंदर ही चल रही हैं। शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में अभी सिंधिया समर्थक 10 पूर्व विधायक मंत्री हैं।

भाजपा को है उप चुनाव में हार का अंदेशा
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्य के ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा करते हुए पत्रकारों से कहा किभाजपा को दस नवंबर को आने वाले चुनाव परिणाम का अभी से अंदेशा हो गया है , इसलिये तो भाजपा परिणाम का इंतजार नहीं कर रही है , सौदेबाजी का खेल अभी से ही शुरू कर दिया है ,अब उनके पास यही उपाय बचा है। कमलनाथ ने दावा किया कि उनके पास कई विधायकों के फोन आए हैं जो भा जा पा के ऑफर के बारे में बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं सौदेबाजी की राजनीति में विश्वास नहीं करता।मैं चाहता तो मैं भी ऐसी राजनीति कर सकता था लेकिन मै मध्य प्रदेश को कभी कलंकित नहीं होने दूंगा ,मैं कभी भी सौदेबाजी की राजनीति नहीं करूंगा।कांग्रेस मध्यप्रदेश में सौदेबाजी की राजनीति नहीं कर एक उदाहरण प्रस्तुत करेगी।

