Homeराज्यमध्य प्रदेशकमलनाथ का छिंदवाड़ा मॉडल ग्वालियर में चल पाएगा ?

कमलनाथ का छिंदवाड़ा मॉडल ग्वालियर में चल पाएगा ?

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पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ क्या ग्वालियर-चंबल अंचल में छिंदवाडा के कथित विकास मॉडल के सहारे विधानसभा उप चुनाव जीतना चाहते हैं!

चौबीस घंटे की अपनी ग्वालियर यात्रा में कमलनाथ ने स्पष्ट तौर पर कहा कि वे इस अंचल का विकास अब खुद देखेंगे।

अपनी ग्वालियर यात्रा के समापन से पूर्व कमलनाथ ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि

पिछले कुछ वर्षों में ग्वालियर-चंबल उपेक्षित क्यों रहा ?

मुझे इस बात का दुख है कि आज से 50 वर्ष पहले प्रदेश की पहचान ग्वालियर से होती थी ,कोई इंदौर-भोपाल-जबलपुर की बात नहीं करता था।

उप चुनाव की चुनौती 
मध्यप्रदेश मे विधानसभा उप चुनाव 

बुनियादी सुविधाए तक ग्वालियर को नहीं मिली ? चाहे ग्वालियर की सड़को की बात करे ,फ्लाईओवर की बात करे , ग्वालियर क्यों उपेक्षित रहा ? इसका ज़िम्मेदार कौन ?

ज्ञातव्य है कि मध्यप्रदेश की राजनीति में विजयाराजे सिंधिया से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया तक कांगे्रस के नेता पांच दशक से भी अधिक समय से लगातार विरोध कर रहे हैं।

सिंधिया परिवार का कोई सदस्य कभी मुख्यमंत्री नहीं बन सका।

विधानसभा के आम चुनाव में अंचल की चौतीस सीटों में सत्ताइस सीटें कांगे्रस के खाते में गईं थीं।

इसकी बड़ी वजह ज्योतिरादित्य सिंधिया का चेहरा था। लोगों को उम्मीद थी कि अंचल को मुख्यमंत्री मिल जाएगा।

लेकिन, कमलनाथ के कारण लोगों की उम्मीदें टूट गईं।

दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री रहते अंचल के विकास में ज्यादा रूचि नहीं दिखाई थी।

उनकी दिलचस्पी इंदौर-उज्जैन मार्ग पर ज्यादा दिखाई दी थी।

कमलनाथ, ग्वालियर में भी अपने छिंदवाड़ा मॉडल को ही आगे रखने की कोशिश करते दिखाई दे रहे हैं।

ग्वालियर में छिंदवाड़ा के मुकाबले ज्यादा संस्थान हैं।

शिक्षा का केन्द्र भी है। सिंधिया परिवार की कर्मभूमि गुना-शिवपुरी है।

यहां देश के हर हिस्से में जाने के लिए ट्रेन उपलब्ध है।

कमलनाथ डरते-डरते ग्वालियर में चुनावी रैली करने पहुंचे थे।

नौ विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित कर चुके हैं।

सात बाकी हैं। भीड़ जुटाने में सोलह सीटों के नेताओं की अहम भूमिका रही है।


कमलनाथ एकल चलो की नीति पर चलते दिखाई दे रहे है।

kamalnath in gwalior

प्रदेश कांगे्रस के पूर्व अध्यक्ष अरूण यादव को साथ लेने की उनकी मजबूरी साफ दिखाई दे रही है।

अंचल की आधा दर्जन सीटों पर यादव वोट निर्णायक हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह उनके साथ नहीं थे।

अजय सिंह और डॉ.गोविंद सिंह जैसे चेहरे भी नहीं थे।

केवल वही लोग थे,जो कांगे्रस में गुमनामी रहकर राजनीति कर रहे थे।

विस्तृत के लिए देखें- https://powergallery.in

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