ऐसे मामलों की जांच के जानकार अफसर को मिलेगी कमान, कई पुलिस अफसरों के फंसे होने से हो सकता है बदलाव
मध्यप्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई है। इसकी कमान आईजी सीआईडी डी श्रीनिवास को दी गई है। 12 अफसरों की इस टीम में एसपी, एएसपी और सीएसपी स्तर के अधिकारी हैं। श्रीनिवास की गिनती काबिल अफसरों में होती है। भोपाल के टीटीनगर में बच्ची से दुष्कर्म और हत्या का मामला उन्होंने सुलझाया था। इससे पहले इंदौर में एसपी रहते हुए प्रो. अमृता पंचोली की हत्या का मामला भी सुलझा चुके हैं। उनके ही कार्यकाल में पूर्व मंत्री राघवजी का मामला सामने आया था।

पुलिस अफसरों के आफिस से चलाती थीं रैकेट
इस हाईप्रोफाइल मामले में कई आईपीएस और अन्य पुलिस अफसर भी आरोपी महिलाओं के शिकंजे में फंसे बताए जा रहे हैं। ऐसे में सरकार जांच प्रभावित होने की किसी भी आशंका को परे रखना चाहती है। सूत्र बताते हैं कि कुछ पुलिस अफसरों ने तो महिलाओं को इतना सिर चढ़ा रखा था ये महिलाएं उन्हीं के आफिस से रैकेट का संचालन करती थीं। इस मामले की सीबीआई जांच कराने को लेकर भी मांग बढ़ती जा रही है। इधर सरकार की मंशा है कि ऐसे मामलों में जांच के जानकार अफसर को ही एसआईटी की कमान सौंपी जाए। इसलिए उच्च स्तर पर मंथन चल रहा है।
राजनेता, नौकरशाह और उद्यमी जुडे हैं मामले
दरअसल, आरोपी महिलाओं ने ब्लैकमेलिंग के लिए राजनेताओं, नौकरशाहों और उद्यमियों को निशाना बनाया। उन्होंने पैसों की उगाही के साथ सरकारी काम-काज जैसे ट्रांसफर, ठेके दिलाने, एनजीओ को फंडिंग आदि में भी दखल दी है। ऐसे में इसकी जांच उसी अधिकारी को दी जाएगी, जिसे ऐसे मामलों की जांच करने का अनुभव रहा हो। इसमें जांच कई दिशाओं में चलेगी और सभी कड़ियों को जोड़ना होगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि जांच प्रभावित करने के लिए दबाव भी डाला जाए। इन बिंदुओं के परिप्रेक्ष्य में सरकार में नए नाम पर मंथन जारी है।
