interview with narendra singh tomar

केन्द्रीय खनन, स्टील, श्रमएवं रोजगार मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का कहना है कि मध्यप्रदेश में योग्यकार्यकर्ताओं की संख्या तो बहुत है, लेकिन उनके अनुसार पद कम हैं।निगम-मंडलों में नियुक्तियों का अधिकार मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है। वेकहते हैं कि मध्यप्रदेश में लगातार उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है। उद्योगों सेबड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार भी दिया गया है। केन्द्रीय मंत्री तोमर कहते हैंकि अवैध उत्खनन पर रोक लगाने के लिए नियमों में कड़े प्रावधान किए हैं। पावर गैलरीके विशेष संवाददाता एस कुमार ने उनसे कई मुद्दों पर चर्चा की। पेश है विस्तृतचर्चा…

सवाल- निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर असंतोष के स्वर सुनाई दे रहे हैं। आपके समर्थकों को भी मौका नहीं मिला। इस बारे में आप क्या सोचते हैं?

जवाब- निगम-मंडलों की संख्या सीमित है और भाजपा में सक्षम और योग्य कार्यकर्ता बहुत ज्यादा हैं। स्वाभाविक है कुछ बनेंगे तो कुछ हटेंगे। लेकिन यह कहना उचित नहीं है कि किसी को उपेक्षित कर दिया। शिवराजजी ने काफी विचार-विमर्श के बाद जिम्मेदार कार्यकर्ताओं को नियुक्त किया है। जो स्थान रिक्त रह गए हैं उसमें भी समय और जरूरत के हिसाब से नियुक्ति की जाएगी।

सवाल- मंत्रिमंडल का विस्तार आखिर राज्य में कब तक होगा?

जवाब- मंत्रिमंडल विस्तार या फेरबदल मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार वाला क्षेत्र है। इसमें मेरा कोई हस्तक्षेप नहीं है। जब भी उचित समय होगा या जैसी जरूरत होगी, तब वे इस बारे में निर्णय करेंगे। जो निर्णय करने की स्थिति में होंगे उस समय संबंधित लोगों से विचार करेंगे।

सवाल- इंदौर में वर्ष 2014 में हुई ग्लोबल समिट में आपके मंत्रालय से जुड़े कई एमओयू हुए थे। अब तक कितने प्रोजेक्ट धरातल पर उतर सके हैं?

जवाब- मैंने भोपाल में मुख्यमंत्री से दो विषयों को लेकर मुलाकात की है। मप्र में मिनरल का आप्शन जल्द से जल्द हो। मुख्यमंत्री ने इसके लिए निर्देश दिए हैं। दूसरा विषय छतरपुर में स्टील प्लांट लगाने की योजना है। इस प्लांट की योजना भारतीय इस्पात प्राधिकरण सेल ने बनाई है। हमारा मानना था कि इन जिलों में पर्याप्त आयरन की उपलब्धता है, लेकिन प्रारंभिक सर्वे के बाद पाया कि यहां पर पर्याप्त आयरन नहीं है, इसलिए फिलहाल काम रोक दिया गया है। सीएम शिवराजजी से मैंने कहा कि वे जबलपुर और उसके आसपास के क्षेत्र का आंकलन कराए। इस योजना से पांच हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। इसी तरह बालाघाट जिले में प्लांट स्थापित करने की परियोजना है। एनएमडीसी की टीकमगढ़ और पन्ना जिले में खनिजों के एक्सप्लोरेशन की परियोजना है। हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड बालाघाट जिले में भूमिगत खनन की योजना पर काम कर रहा है। वहीं नाल्को की प्रदेश में एल्यूमिना रिफाइनरी स्थापना की परियोजना है। इमलिया में नाल्को ने जमीन मांगी है, राज्य सरकार जमीन आंवटित करने जा रही है। यदि यह जमीन मिल जाती है तो 1900 करोड़ रुपए की लागत से रिफाइनरी पर काम शुरू कर दिया जाएगा। मैंने भोपाल यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा की है। उन्होंने भरोसा दिलाया है कि काम में तेजी आएगी।

सवाल- झाबुआ लोकसभा सीट और कुछ पंचायतें भी भाजपा के हाथ से निकल गई। क्या हम यह मान लें कि मप्र में भाजपा का ग्राफ गिरता जा रहा है?

जवाब- मुझे नहीं लगता कि एक-दो चुनाव हारने से भाजपा का ग्राफ कम हो गया। प्रदेश की जनता भाजपा के साथ है। भाजपा ने पिछले 12 सालों में आमूलचूल परिवर्तन किया है। वर्ष 2003 में छह लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती थी, आज 28 लाख हेक्टेयर में सिंचाई हो रही है। प्रदेश में सड़कों का जाल फैल गया है। बिजली अधोसंरचना का विकास हुआ है। मप्र की भाजपा सरकार ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। चार बार कृषि कर्मण अवार्ड मिल चुके हैं। शिवराज ने कई लोक कल्याण के काम किए हैं। जनता को फायदा भी मिल रहा है। जनता भाजपा के साथ है।

सवाल- भाजपा संगठन भी कमजोर हो रहा है। कार्यकर्ताओं में असंतोष पनप रहा है?

जवाब- मैं पहले ही कह चुका हूं कि एक-दो चुनाव हारने से किसी प्रकार का आंकलन नहीं लगाया जा सकता है। संगठन मजबूत है। पार्टी संगठन का निरंतर विस्तार हो रहा है। किसी को भी भ्रम में रहने की जरूरत नहीं है।

सवाल- इतना सब होने के बावजूद प्रदेश में रोजगार की संख्या नहीं बढ़ पाई है?

जवाब- प्रदेश में कई युवाओं को हमने रोजगार दिया है। सरकारी नौकरियां भी हर साल बढ़ती जा रही है। इसके अलावा उद्योग-धंधे भी बड़ी संख्या में लगे हैं। अधोसंरचना का विकास हुआ है, उसमें भी तो लोगों को रोजगार ही मिला है। प्रदेश सरकार ने रोजगार देने में कोई कमी नहीं छोड़ी है।

सवाल- व्यापमं मामले के कारण मप्र की छवि खराब हुई है?

जवाब- व्यापमं मामले को लेकर सरकार ने पूरी पारदर्शिता बरती है। एसटीएफ के बाद सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। सरकार का यह काम अन्य राज्यों के लिए प्रेरणादायी होना चाहिए।

सवाल- भाजपा सरकार राजनीतिक द्वेष भावना के साथ काम कर रही है। विधानसभा का 11 साल पुराना मामला खोलकर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी और तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय के खिलाफ प्रकरण दर्ज करा दिया गया?

जवाब- भाजपा की जिस राज्य में सरकार रहती है,  वहां कानून के मुताबिक कार्रवाई होती है। इसमें राजनीतिक द्वेष भावना का सवाल ही नहीं उठता है।

सवाल-  सरकार के इशारे पर विधानसभा सचिवालय भी काम कर रहा है?

जवाब- यह मामला विधानसभा से जुड़ा है। 11 साल बाद यह मामला सामने आया होगा और विधानसभा अध्यक्ष ने अपने हिसाब से कोई कार्रवाई की होगी। वैसे भी विधानसभा स्वंतत्र संस्था है। विधानसभा अध्यक्ष ही इस मामले में कुछ बता सकेंगे। मैं इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं कर   सकता।

सवाल-  समय-समय पर मुख्यमंत्री के लिए आपका नाम उछलता रहता है। क्या आप शिवराज सिंह चौहान के विकल्प हैं?

जवाब- मैं शिवराज जी का दोस्त हूं, उनका विकल्प नहीं हूं। मेरे लिए दिल्ली अच्छी है। पार्टी जो जिम्मेदारी देती है मैं उसका तहे दिल से निर्वहन करता हूं। शिवराज जी हमारे नेता हैं। लोकप्रिय मुख्यमंत्री हैं पिछली बार उनके नेतृत्व में सरकार बनाई थी। 2018 का चुनाव भी उनके नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा।

सवाल-  अवैध उत्खनन को लेकर क्या केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों को कोई एडवायजरी जारी की है?

जवाब- अवैध उत्खनन राज्य सरकारों का विषय है। वह समय-समय पर अवैध उत्खनन के खिलाफ कार्रवाई करती रहती है। पिछले दिनों हमने अवैध उत्खनन को रोकने के लिए माइंस एक्ट में कई संशोधन कर कठोर प्रावधान किए हैं। पहले अवैध उत्खनन करने पर एक साल की सजा होती थी अब बढ़ाकर पांच साल कर दी गई है। जुर्माने की राशि में इजाफा किया गया है। पहले यह जुर्माना पांच लाख रुपए प्रति हेक्टेयर हुआ करता था अब इसे बढ़ाकर पचास लाख रुपए कर दिया गया है। अवैध उत्खनन रोकने के लिए खनिज मंत्रालय की संस्था आईबीएम ट्रेनामेंट सिस्टम जारी करने जा रही है। इसके लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं। यह खुलने वाले हैं। इसके लागू होने के बाद अवैध उत्खनन पर रोक लगेगी।

सवाल- इस साल राज्यसभा में मप्र के कोटे से दो सीटे खाली होनी हैं, तो क्या आपको नहीं लगता कि इसमें स्थानीय नेताओं को मौका दिया जाए?

जवाब- राज्यसभा सदस्यों का चयन केन्द्रीय चुनाव समिति करती है। इससे पहले प्रदेश की चुनाव समिति कुछ नामों की अनुशंसा करती है। यह चुनाव समिति का विषय है। जब चुनाव का समय आएगा उस समय योग्य निर्णय लिया जाएगा।

सवाल- भाजपा में परिवारवाद हावी हो रहा है। चुनाव में नेताओं के परिवार के सदस्यों को मौका मिलता है?

जवाब- मैं ऐसा नहीं समझता हूं और ऐसा कोई कारण भी समझ नहीं आता। भाजपा में किसी नेता के परिवार को टिकट या पद दिया जा रहा है तो उस नेता के परिवार के कारण नहीं मिलता है। उसे  कार्यकर्ता के कारण पद या टिकट मिलता है। परिवार के कारण नहीं।

सवाल- क्या मप्र में छत्तीसगढ़ की तर्ज पर संसदीय सचिव परंपरा लागू होना चाहिए?

जवाब- यह विषय मुख्यमंत्री का है। उन्हें ऐसा लगता है कि मंत्री और राज्यमंत्री के अतिरिक्त और सहयोगी चाहिए तो वे इस पर विचार कर सकते हैं।

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