प्रदेश के पूर्व मंत्री एवं हाल ही में व्यापमं मामले में 18 माह की जेल की सजा काटकर बाहर आए लक्ष्मीकांत शर्मा का कहना है कि पार्टी उनकी मां है और मां से कोई चीज मांगने की जरूरत नहीं पड़ती। उनका कहना है कि मैं एक साधारण सा कार्यकर्ता था और हूं। मैं समाजसेवा करता आया हूं और आगे भी करता रहूंगा। अपनी लोकप्रियता को लेकर उनका कहना है कि यह सब प्रदेश की एवं मेरे क्षेत्र की जनता का स्नेह है कि वह विपरीत परिस्थितियों में भी मेरे साथ खड़ी रही। वे खुद को ईश्वरवादी मानते हैं और उन्हें विश्वास है कि एक न एक दिन भगवान उनके सिर पर से इस कलंक को मिटाएंगे। वे कहते हैं कि मुझे जो कुछ भी कहना था वह मैं जांच एजेंसियों को कह चुका हूं और आगे जो भी कहूंगा वह कोर्ट में कहूंगा। पार्टी में वापसी की अटकलों पर उनका कहना है कि यह पार्टी का निर्णय होगा और पार्टी जो भी निर्णय लेगी वही मेरे लिए सिरोधार्य होगा। पावर गैलरी ने उनसे कई मुद्दों पर चर्चा की। पेश् है चर्चा के मुख्य अंश …
सवाल- 18 माह का जो राजनीतिक संघर्ष है उसको आप ग्रह दशा का परिणाम मान रहे हैं या इसका कोई राजनीतिक कारण है?
जवाब- मैं ईश्वरवादी हूं यह बात तो ठीक है पर ग्रह दशा वाली बात मेरे द्वारा नहीं कही गई है। जो प्रारब्ध में होता है उसे तो हर हाल में होना ही होता है। इसी को प्रारब्ध मानते हुए मैंने यह संघर्ष किया है। मैंने न राजनीतिक जीवनकाल में किसी पर भी झूठे आरोप लगाए गए हैं और न ही इससे पहले। मैं तो बाल्यकाल से ही समाजसेवा करता आया हूं और आगे भी करता रहूंगा।
सवाल- सामान्यत: मध्यप्रदेश में राजनीति साफ-सुथरी होती थी। अब आपको ऐसा महसूस नहीं हो रहा है कि राजनीति महाभारत काल में चली गई हो विदूर और शकूनी अलग-अलग रूप में अपना कार्य कर रहा है।
जवाब- मैं पिछले डेढ़ वर्ष से जेल में था, इसलिए मुझे यह ज्ञात नहीं कि मध्यप्रदेश में कैसी राजनीति हो रही है। रही बात महाभारत काल की तो ऐसा तो मुझे नहीं लगता।
सवाल- मध्यप्रदेश की राजनीति में जो सदाचारिता और भाईचारा होता था। कोई द्वेष की राजनीति नहीं होती थी। उस तरह का कोई बदलाव या प्रतिबद्धता आई हो।
जवाब- अब कहां क्या हो रहा है इसके विषय में मुझे कोई जानकारी नहीं है, लेकिन स्वच्छ या यूं कहें की साफ-सुथरी राजनीति यदि करना है तो केवल समाजसेवा का भाव हमारे सबके मन में होना चाहिए। समाजसेवा का संकल्प रखकर राजनीति करेंगे तो यह एक अच्छी राजनीति होगी।
सवाल- आपके जेल से बाहर आने के बाद विदिशा की राजनीति में इतनी हलचल क्यों है?
जवाब- मुझे तो इस हलचल के विषय में कोई जानकारी नहीं है। मेरे द्वारा तो इस प्रकार की कोई हलचल नहीं देखी गई है। मैं तो यह भी कह रहा हूं कि किसी को मेरे से डरने की जरूरत नहीं है।
सवाल- ऐसा लगता है कि मध्यप्रदेश की राजनीति का केन्द्र विदिशा रह गया है?
जवाब- इस विषय पर विदिशा के दिग्गज राजनीतिक लोग ज्यादा अच्छे से बता सकते हैं। मैं तो इस समय गैर राजनीतिक हूं।
सवाल- जब से आप जेल से बाहर आए हैं पूरे प्रदेश की निगाह आप पर ही है कि अब सच सामने आएगा।
जवाब- मुझे जो भी अपनी बात कहनी थी मैंने जांच एजेंसी को कही, माननीय न्यायालय में कही है और अब जो भी कहना है वह न्यायालय में कहूंगा। मैं हमेशा से कह रहा हूं कि मुझे न्यायालय पर पूरा भरोसा है, विश्वास है। मुझे निश्चित रूप से न्याय मिलेगा और समय आने पर भगवान इस कलंक से मुझे मुक्त करेंगे। इसकी मुझे पूरी उम्मीद है।
सवाल- क्या सीबीआई जांच में कुछ देरी हुई है? यह जांच बहुत पहले हो जाती तो आपको ये कष्ट नहीं उठाना पड़ता?
जवाब- ये निर्णय भी शासन को और न्यायालय को करना था। मुझे तो एक अपराधी की श्रेणी में रख दिया गया था। तब मैं कुछ कहूं या कहता उसके कोई मायने नहीं थे। ये निर्णय देर से क्यों हुआ, इस पर मेरा कहना उचित नहीं है।
सवाल- लक्ष्मीकांत शर्मा लोगों के लिए खतरा तो नहीं?
जवाब- मैं तो एक सामान्य व्यक्ति हूं। सामान्य से शिक्षक का बेटा हूं। मैं किसके लिए खतरा बन सकता हूं। मैं तो एक छोटा सा कार्यकर्ता और एक छोटा सा व्यक्ति हूं, मैं किसी के लिए खतरा नहीं बन सकता। मुझसे किसी को डरने की जरूरत भी नहीं।
सवाल- आपकी रिहाई के बाद एक ऐसा दृश्य देखने को मिला उससे ऐसा लगता है कि प्रदेश की राजनीति में कुछ हलचल के संकेत देखे जा रहे हैं?
जवाब- मैंने तो ऐसी कल्पना भी नहीं की थी कि मुझे इतनी भारी संख्या में लोग बाहर मिलेंगे। मैं तो अपनी दैनिक दिनचर्या के हिसाब से अपने काम में लगा था। फिर मुझे जेल के ही कुछ लोगों ने बताया की बाहर बहुत भीड़भाड़ हो गई है। आप जल्दी निकलिए कानून व्यवस्था के हिसाब से जरूरी है, तो मैंने तत्काल अपना थेला उठाया और बाहर आ गया। बाहर आकर देखा तो सही में भारी संख्या में लोग आए हुए थे। प्रदेश की जनता का, मेरे क्षेत्रवासियों का मेरे प्रति प्रेम और विश्वास ही है जो इतनी विपरीत परिस्थितियों में भी मेरे साथ खड़े रहे। मेरा इस प्रकार उत्साह बढ़ाया इसके लिए मैं पूरे प्रदेशवासियों का पूरे क्षेत्रवासियों का आभार व्यक्त करना चाहता हूं।
सवाल- रिहाई के समय जो लोकप्रियता आपको मिली उससे लोगों को यह लग रहा है 2013 का जो चुनाव परिणाम था वो अप्रत्याशित था?
जवाब- परिणाम तो अप्रत्याशित मुझे भी लगा था, क्योंकि मैंने विकास की दृष्टि से सेवा की दृष्टि से अधिकतम जो भी करना चाहिए था मैंने किया था और परिणाम सकारात्मक आएगा ऐसी मुझे उम्मीद थी, परंतु कुछ वोटों से मेरी पराजय हुई। इसकी उम्मीद मुझे भी नहीं थी।
सवाल- आपकी सक्रिय राजनीति कब देखने को मिलेगी?
जवाब- अभी तो न्यायालय की शरण में हूं। मैंने तो स्वयं ही गिरफ्तारी के पूर्व इस्तीफा तैयार करके पार्टी को भेजा था। मैं पार्टी को अपनी मां मानता हूं। पार्टी मेरी वजह से कहीं बाधा न झेले, इसलिए मैंने इस्तीफा दिया था। जहां तक बात समाज सेवा की है तो मैं बाल्यकाल से समाज की सेवा करता आया हूं और आगे भी निरंतर करता रहूंगा। जिस जनता ने संकट के समय मेरा साथ नहीं छोड़ा मैं भी उनके साथ सेवा भाव से आगे खड़ा रहूंगा
सवाल- पार्टी के नेताओं द्वारा मांग उठाई है कि आपको राजनीति में वापस ले लेना चाहिए?
जवाब- ये सब बातें पार्टी के ऊपर निर्भर करती है। पार्टी जैसा आदेश करेगी, पार्टी जो भी निर्णय लेगी वो ही मेरे लिए मान्य होगा, सिरोधार्य होगा। हालांकि मैंने इस संबंध में पार्टी के किसी नेता से बात नहीं की है। पार्टी को मैंने मां माना है और मां से कभी मांगने की जरूरत नहीं पड़ती।
